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Surah Tin in Hindi (Wat Teeni Waz Zaitoon) | सूरह तिन हिंदी में तर्जुमा

Category: Surah in Hindi | सभी सूरह हिंदी में, Surah Tin in Hindi

Post Updated On:

2 min read

दोस्तों इस पोस्ट में हमने सूरह तीन हिंदी में (Surah Tin in Hindi), से जुड़ी सभी जानकारी देने की पूरी कोशिश की है, मसलन के सूरह तीन हिंदी में, सूरह तीन का हिंदी तर्जुमा और सूरह अत-तिन की हिंदी पीडीऍफ़।

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तो दोस्तों Surah Teen को Hindi में पढ़ने से पहले हम इस सूरह से जुड़ी कुछ जरूरी बातें जान लेते हैं।

सूरह तीन, कुरान मजीद के 30वें पारा में मौजूद 95वीं सूरह है। नीचे table में इस सूरह से जुड़ी और अधिक जानकारी है उसे भी देखें।

सूरह का नामसूरह अत-तीन
पारा नंबर30
सूरह नंबर95
कुल आयतें8
कुल शब्द34
कुल अक्षर162

सूरह तीन हिंदी में (Surah tin in hindi)

दोस्तों यहाँ नीचे हमने आपके लिए सूरह तीन को हिंदी में मौजूद कराया है। आप इस सूरह अत-तीन को हिंदी में पढ़ कर इसकी आसानी के साथ तिलावत कर सकते है।

बिस्मिल्ला हिर रहमानिर रहीम

1. वत तीनि वज़ ज़ैतून

2. वतूरि सीनीन

3. व हाज़ल बलादिल अमीन

4. लक़द खलक नल इन्साना फ़ी अहसनि तक़वीम

5. सुम्मा रदद नाहू अस्फला साफिलीन

6. इल्लल लज़ीना आमनू व अमिलुस सालिहाति फ़लहुम अजरुन गैरु ममनून

7. फ़मा युकज्ज़िबुका बअ’दू बिददीन

8. अलैसल लाहू बि अह्कमिल हाकिमीन

तो ये थी हमारी सूरह अत-तीन हिंदी में, अगर आप Surah Teen Translation in Hindi पढ़ना चाहते हैं, तो हमने नीचे सूरह अत-तीन का तर्जमा मौजूद कराया है। जरूर पढ़ें।

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सूरह अत-तीन हिंदी तर्जुमा (surah teen ka tarjuma)

बिस्मिल्ला हिर रहमानिर रहीम
शुरू अल्लाह के नाम से, जो बड़ा महेरबान, रहम बाला है।

वत तीनि वज़ ज़ैतून
क़सम है इन्जीर और ज़ैतून की।

वतूरि सीनीन
और सहराए सीना के पहाड़ तूर की।

व हाज़ल बलादिल अमीन
और इस अम्नो अमान वाले शहर की।

लक़द खलक नल इन्साना फ़ी अहसनि तक़वीम
हम ने इंसान को बेहतरीन सांचे में ढाल कर पैदा किया है।

सुम्मा रदद नाहू अस्फला साफिलीन
फिर हम उसको पस्त से पस्त तर कर देते हैं।

इल्लल लज़ीना आमनू व अमिलुस सालिहाति फ़लहुम अजरुन गैरु ममनून
हाँ जो लोग ईमान लाये और नेक अमल किये तो उनको ऐसा अज्र मिलेगा जो कभी ख़त्म नहीं होगा।

फ़मा युकज्ज़िबुका बअ’दू बिददीन
फिर ए इंसान वो क्या चीज़ है जो तुझे जज़ा व सज़ा को झुटलाने पर आमादा कर रही है।

अलैसल लाहू बि अह्कमिल हाकिमीन
क्या अल्लाह सब हाकिमों से बड़े हाकिम नहीं हैं।

सूरह अत-तीन इमेज (surah at-tin in Hindi image)

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सूरह तीन की पीडीऍफ़ (surah teen In Hindi pdf)

दोस्तों आपने सूरह तीन को हिंदी में उसके तर्जुमा के साथ ऊपर पढ़ ही लिया है, लेकिन आप चाहते हैं की इस सूरह की पीडीऍफ़ को डाउनलोड कर सकें, ताकि जब मन हो आप इसकी तिलावत कर सकें।

तो इस ख्याल से हमने इस सूरह तीन की पीडीऍफ़ डाउनलोड करने का लिंक नीचे मौजूद कराया है। आप आसानी के साथ इस सूरह तीन की पीडीऍफ़ को डाउनलोड कर सकते हैं।

सूरह तीन अरबी टेक्स्ट (Surah tin in arabic)

بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ‎
وَٱلتِّينِ وَٱلزَّيْتُونِ‎
وَطُورِ سِينِينَ‎
وَهَٰذَا ٱلْبَلَدِ ٱلْأَمِينِ‎
لَقَدْ خَلَقْنَا ٱلْإِنسَٰنَ فِىٓ أَحْسَنِ تَقْوِيمٍ‎
ثُمَّ رَدَدْنَٰهُ أَسْفَلَ سَٰفِلِينَ‎
إِلَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّٰلِحَٰتِ فَلَهُمْ أَجْرٌ غَيْرُ مَمْنُونٍ‎
فَمَا يُكَذِّبُكَ بَعْدُ بِٱلدِّينِ‎
أَلَيْسَ ٱللَّهُ بِأَحْكَمِ ٱلْحَٰكِمِينَ

सूरह अत-तीन ऑडियो (surah at-tin Mp3 File)

दोस्तों जैसा की आपने सूरह तीन से जुड़ी लगभग सारी जानकारी पढ़ ली होगी। हमने आपके लिए नीचे सूरह तीन की ऑडियो फाइल मौजूद करायी है।

अगर आपको कुरान की सूरतों की तिलावत अरबी में उनके उर्दू तर्जुमा के साथ सुनना पसंद है तो आप नीचे दी हुई Surah Tin Mp3 फाइल को अपनी डिवाइस में डाउनलोड करके सुन सकते हैं।

सूरह तीन की तफसीर (Surah tin hindi tafseer)

Surah Teen in Hindi, में अल्लाह ने चार चीजों की कसम खाई है। जिनमें से 2 फल हैं और 2 जगह हैं। दो फलों में जो कसम खायी है वो हैं: – अंजीर और जैतून और जो 2 जगहों की कसम खायी है वो हैं: -कोहे तूर पहाड़ और मक्का मुकर्रमा।

इस सूरत में लोगों को बहुत ही मुख्तसर और अच्छे तरीके से समझाया गया है कि आखिरत की जजा और सजा दोनों ही जरूरी है।

इस सूरत में अल्लाह तआला फरमाता है कि हमने इंसान को बहुत ही बेहतरीन सांचे में ढाला है, और साथ ही साथ इल्म और अकल की बेहतरीन काबिलियत दी है, जो कि दूसरे जानदार लोगों या मखलूक को नहीं दी है।

फिर इसी में से बुलंद तरीन लोग हुए हैं यानी नबी आए, सहाबा किराम आए, अंबिया किराम, और बहुत से ऊंचे दर्जे के लोग इसी मखलूक में पैदा हुए।

इसीलिए अल्लाह ताला ने सबसे पहले अंबिया किराम की कसम खाकर यह फरमाया है इंसान को हमने बेहतरीन सांचे से पैदा किया गया है।

दो फ़ल यानि इन्जीर और ज़ैतून

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जो फ़लस्तीन और शाम के इलाक़े ज़्यादा में पैदा होते हैं जहाँ हज़रत ईसा अ.स. पैग़म्बर बना कर भेजे गए थे और उन्हें किताब इंजील अता फरमाई गयी थी।

दो जगह तूरे सीना और मक्का

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पहली जगह तूर पहाड़ (toore seena)

एक जगह जिसका नाम “सीना” है वहां पर “तूर” नामी एक पहाड़ है, जिसको जबले मूसा भी कहा जाता है क्यूंकि यहीं हज़रत मूसा अ.स. को किताब तौरात अता की गयी थी।

दूसरी जगह मक्कतुल मुकर्रमा

जिसकी बुनियाद इब्राहिम अलैहिस्सलाम और उनके बेटे हजरत इस्माइल अलैहिस्सलाम के हाथों पर हुई और इन्हीं की बदौलत काबा जो आज तक है और रहेगा। ये सारी नेमतें अल्लाह ने इसी मखलूक को दी हैं।

जिसको यहाँ पर अम्नो अमान वाला शहर बताया गया है, क्यूंकि मक्का हरम है और यहाँ जानवरों का शिकार और खुद उगने वाले पौदों को भी उखाड़ने की इजाज़त नहीं है। साथ ही साथ कुरान करीम जैसी किताब हमारे नबी स.अ. को मक्का में ही मिली।

क़सम खाने का मक़सद

इन तीनों की क़सम खाने का मक़सद ये है कि जो बात आगे कही जा रही है वो इन तीनों किताबों में लिखी है और तीनों पैग़म्बरों ने अपनी अपनी उम्मतों को बताई है।

हमने इंसान को बेहतरीन सांचे में ढाला है

यानि इंसान के जिस्म के एक-एक हिस्से को देखिए और दूसरे जानदार और बेजानों को देखिये तो महसूस होता है कि अल्लाह ने इंसान के पूरे वजूद को इस तरह बनाया है।

ना तो उसे रेंगने बाली मखलूक की तरह जमीन पर रेगना पड़ता है, और ना चौपायों की तरह जमीन पर चलने और मुंह से चारा खाने की नौबत आती है, ना हाथियों की तरह नाक के बजाय सूंड का बोझ उठाना पड़ता है, और ना उसको कपड़ों से खाली रखा गया है।

इंसान को दो पैरों पर खड़ा किया गया ताकि वह साथ चल सके, ऐसे हाथ दिए गए कि वो तहज़ीब के साथ खा सके, उसे जुबान अता की गई ताकि वह बेहतर तौर पर अपने दिल की बात दूसरों को सुना सके, उसे बालों से खाली चेहरा अता किया गया।

जिससे उसकी तमाम ख़ूबसूरती ज़ाहिर होती है, उसके दांत, और उसकी आंखें, उसके बाल, और उसकी नाक, उसके हाथ-पांव, और उसकी गर्दन, हर चीज़ अपनी अपनी जगह हुस्न और ख़ूबसूरती की गवाह है।

आयत न. 5-6

आयत पांच और छ: में अल्लाह ने फ़रमाया है कि अगर लोग ईमान न लाए तो हम उसको पस्त से पस्त कर देंगे यानी दोज़ख़ में पहुंचा देंगे और जो लोग ईमान लाए और उन्होंने नेक अमल किया वह उस पस्ती से महफूज रखेंगे।

क्या अल्लाह सब हाकिमों से बड़े हाकिम नहीं हैं

यहाँ कहने का मतलब है कि अल्लाह ताला की क़ुदरत को देखो और फिर फ़ैसला करो, कि क्या अल्लाह सबसे बड़ा हाकिम नहीं है।

तो जब अल्लाह तआला की कुदरत इतनी बड़ी हुई है और पूरी कायनात पर उसी का फैसला चलता है और अल्लाह तआला फरमाते हैं कि बदले का एक दिन आने वाला है तो आखिर उस से इंकार की क्या वजह है।

एक ख़ास बात :- हजरत अबू हुरैरा रजिअल्लाह अन्हु से रिवायत है जो इस सूरह को पढ़े और फिर आखिरी आयत अलैसल लाहु बि अह्कमिल हाकिमीन की तिलावत करे तो उसे कहना चाहिए, बला व अना अला ज़ालिका मिनश शाहिदीन, यानी हां क्यों नहीं, मैं भी इस पर गवाह हूं।

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