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Surah Nooh in Hindi Text with Translation | सूरह नूह हिंदी में तर्जुमा संग

Category: Surah in Hindi | सभी सूरह हिंदी में, Surah Nooh in Hindi | सूरह नूह हिंदी में

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दोस्तों, इस पोस्ट में हमने आपके लिए सूरह नूह (Surah Nooh in Hindi) से जुड़ी पूरी जानकारी हिंदी में मौजूद कराने की पूरी कोशिश की है,

जैसे की सूरह नूह हिंदी में, सूरह नूह का हिंदी तर्जुमा और सूरह नूह की पीडीऍफ़।

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📌नोट: – ” कोशिश करें की आप कुरान को अरबी भाषा ही में पढ़ें, जिससे अलफ़ाज़ में कोई गलती न हो। “

दोस्तों, Surah Nooh in Hindi, में पढ़ने से पहले हमें चाहिए की हम सूरह से जुड़ी कुछ जरूरी बातें जान लें।

सूरह नूह कुरान करीम के 29वें पारा में मौजूद 71वीं सूरह है। यह मक्की सूरह है।

सूरह का नामसूरह नूह
पारा नंबर29
सूरह नंबर71
कुल आयतें28
कुल रुकू2
कुल शब्द (अलफ़ाज़)227
कुल अक्षर (हर्फ़)965

सूरह नूह हिंदी में | Surah Nooh In Hindi Text

दोस्तों यहाँ नीचे हमने सूरह नूह को हिंदी में मौजूद कराया है। आप नीचे दी गयी Surah Nooh Hindi Mein Text, को पढ़कर आसानी के साथ इस सूरह नूह की तिलावत कर सकते हैं।

अ ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम

1. इन्ना अर् सलना नूहन् इला कौमिही’ अन् अन्ज़िर क़ौ-म-क मिन् क़ब्लि अय्यंअ्ति-यहुम् अज़ाबुन् अलीम

2. क़ा-ल या क़ौमि इन्नी लकुम् नज़ीरूम् मुबीन

3. अनिअ्बुदुल्ला-ह वत्त्कूहु व अतीअून

4. यग्फिर् लकुम् मिन् जुनूबिकुम् व यु-अख्खिर् कुम् इला’अ-जलिम् मुसम्मन् इन्-न अ-ज-लल्लाहि इज़ा जा-अ ला यु-अख्खरु’लौ कुन्तुम् तअ्लमून

5. क़ा-ल रब्बि इन्नी दऔतु क़ौमी लैलंव् व नहारन्

6. फ़-लम् यज़िद्हुम् दुआइ’ इल्ला फ़िरारा

7. व इन्नी कुल्लमा दऔतुहुम् लितग़्फ़ि-र लहुम् असा़बि-अ़हुम् फ़ी आज़ानिहिम् वस्तग़्शौ सि़या-बहुम् व अस़र्रू वस्तक्बरुस्तिक्बारा

8. सुम्-म इन्नी दऔतुहुम् जिहारन्

9. सुम्-म इन्नी अअ्लन्तु लहुम् व अस्-रर्तु लहुम् इस्रारा

10. फ़कुल्तुस्तग्फ़िरू रब्बकुम्, इन्नहू का-न ग़फ्फ़ारंय्

11. युर्सिलिस् समाँ-अ अ़लैकुम् मिद् रारंव्

12. व युम्दिद्कुम् बि-अम्वालिंव् व बनी-न व यज्अ़ल् लकुम् जन्नातिंव व यज्अ़ल् लकुम् अन्हारा

13. मा लकुम् ला तर्जु-न लिल्लाहि वक़ारा

14. व क़द् ख़-ल-क़कुम् अत्वारा

15. अ-लम् तरौ कै-फ़ ख़-ल-क़ल्लाहु सब्-अ़ समावातिन् ति़बाक़ंव्

16. व ज-अ़-लल् क़-म-र फ़ीहिन्-न नूरंव् व ज-अ़-लश् शम्-स सिराजा

17. वल्लाहु अम्ब-तकुम् मिनल्अर्ज़ि नबाता

18. सुम्-म युअी़दुकुम् फ़ीहा व युख् रिजुकुम् इख्’राजा

19. वल्लाहु ज-अ़-ल लकुमुल् अर्-ज़ बिसाता़

20. लितस्लुकू मिन्हा सुबुलन् फ़िजाजा

21. क़ा-ल नूहुर्र्ब्बि इन्नहुम् अ़सौ़नी वत्त-बअ़ु मल्लम् यजिद्हु मालुहू व व -लदुहू इल्ला ख़सारा

22. व माँ-करू मक्’रन् कुब्बारा

23. व क़ालू ला त-ज़रून्-न आलि-ह-तकुम् व ला त-ज़रून्-न वद्’दंव् व ला सुवाअंव्’व ला यगू़-स़ व यऊ-क़ व नस् रा

24. व क़द् अज़ल्लू कसी़रन्ँव् ला तज़िदिज्ज़ालिमी-न इल्ला ज़लाला

25. मिम्मा ख़ती’आतिहिम् उग्रिक़ू फ़उद्ख़िलू नारन् फ़-लम् यजिदू लहुम् मिन् दूनिल्लाहि अन्सा़रा

26. व क़ा-ल नूहुर्र्ब्बि ल़ा त-ज़र् अ़लल्अर्जि़ मिनल् काफ़िरी-न दय्यारा

27. इन्न-क इन्’त-जर्हुम् युज़िल्लू अ़िबा-द-क व ला यलिदू इल्ला फ़ाजिरऩ् कफ़्फ़ारा

28. रब्बिग़्फ़िर्ली व लिवालिदय्-य व लिमन् द-ख़-ल बैति-य मुअ्मिनंव व लिल्मुअ्मिनी-न वल्मुअ्मिनाति’व ला तज़िदिज्ज़ालिमी-न इल्ला तबारा

जैसा की आपने ऊपर सूरह नूह को हिंदी टेक्स्ट के जरिये पढ़ ही लिया होगा। हम आपसे दरख्वास्त करते हैं कि आप इस Surah Nooh Translation in Hindi को भी पढ़ें।

क्यूंकि Surah Nooh का तर्जुमा पढ़कर हमें समझ आएगा की अल्लाह ने इस सूरह में क्या इरशाद फ़रमाया है।

सूरह नूह का हिंदी तर्जुमा | Surah Nooh Ka Tarjuma

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
अल्लाह के नाम से जो रहमान व रहीम है

इन्ना अर् सलना नूहन् इला कौमिही’ अन् अन्ज़िर क़ौ-म-क मिन् क़ब्लि अय्यंअ्ति-यहुम् अज़ाबुन् अलीम
हमने नूह को उसकी क़ौम की ओर भेजा कि “अपनी क़ौम के लोगों को सावधान कर दो, इससे पहले कि उनपर कोई दुखद यातना आ जाए।”

क़ा-ल या क़ौमि इन्नी लकुम् नज़ीरूम् मुबीन
उसने कहा, “ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मैं तुम्हारे लिए एक स्पष्ट सचेतकर्ता हूँ,

अनिअ्बुदुल्ला-ह वत्त्कूहु व अतीअून
कि ‘अल्लाह की बन्दगी करो और उसका डर रखो और मेरी आज्ञा मानो’।-

यग्फिर् लकुम् मिन् जुनूबिकुम् व यु-अख्खिर् कुम् इला’अ-जलिम् मुसम्मन् इन्-न अ-ज-लल्लाहि इज़ा जा-अ ला यु-अख्खरु’लौ कुन्तुम् तअ्लमून
वह तुम्हें क्षमा करके तुम्हारे गुनाहों से तुम्हें पाक कर देगा और एक निश्चित समय तक तुम्हे मुहलत देगा। निश्चय ही जब अल्लाह का निश्चित समय आ जाता है तो वह टलता नहीं, काश कि तुम जानते!”

क़ा-ल रब्बि इन्नी दऔतु क़ौमी लैलंव् व नहारन्
उसने कहा, “ऐ मेरे रब! मैंने अपनी क़ौम के लोगों को रात और दिन बुलाया,

फ़-लम् यज़िद्हुम् दुआइ’ इल्ला फ़िरारा
किन्तु मेरी पुकार ने उनके पलायन को ही बढ़ाया।

व इन्नी कुल्लमा दऔतुहुम् लितग़्फ़ि-र लहुम् असा़बि-अ़हुम् फ़ी आज़ानिहिम् वस्तग़्शौ सि़या-बहुम् व अस़र्रू वस्तक्बरुस्तिक्बारा
और जब भी मैंने उन्हें बुलाया, ताकि तू उन्हें क्षमा कर दे, तो उन्होंने अपने कानों में अपनी उँगलियाँ दे लीं और अपने कपड़ों से स्वयं को ढाँक लिया और अपनी हठ पर अड़ गए और बड़ा ही घमंड किया।

सुम्-म इन्नी दऔतुहुम् जिहारन्
“फिर मैंने उन्हें खुल्लमखुल्ला बुलाया,

सुम्-म इन्नी अअ्लन्तु लहुम् व अस्-रर्तु लहुम् इस्रारा
फिर मैंने उनसे खुले तौर पर भी बातें कीं और उनसे चुपके-चुपके भी बातें कीं।

फ़कुल्तुस्तग्फ़िरू रब्बकुम्, इन्नहू का-न ग़फ्फ़ारंय्
और मैंने कहा, ‘अपने रब से क्षमा की प्रार्थना करो। निश्चय ही वह बड़ा क्षमाशील है,

युर्सिलिस् समाँ-अ अ़लैकुम् मिद् रारंव्
वह बादल भेजेगा तुमपर ख़ूब बरसनेवाला,

व युम्दिद्कुम् बि-अम्वालिंव् व बनी-न व यज्अ़ल् लकुम् जन्नातिंव व यज्अ़ल् लकुम् अन्हारा
और वह माल और बेटों से तुम्हें बढ़ोतरी प्रदान करेगा, और तुम्हारे लिए बाग़ पैदा करेगा और तुम्हारे लिए नहरें प्रवाहित करेगा।

मा लकुम् ला तर्जु-न लिल्लाहि वक़ारा
तुम्हें क्या हो गया है कि तुम (अपने दिलों में) अल्लाह के लिए किसी गौरव की आशा नहीं रखते?

व क़द् ख़-ल-क़कुम् अत्वारा
हालाँकि उसने तुम्हें विभिन्न अवस्थाओं से गुज़ारते हुए पैदा किया।

अ-लम् तरौ कै-फ़ ख़-ल-क़ल्लाहु सब्-अ़ समावातिन् ति़बाक़ंव्
क्या तुमने देखा नहीं कि अल्लाह ने किस प्रकार ऊपर-तले सात आकाश बनाए,

व ज-अ़-लल् क़-म-र फ़ीहिन्-न नूरंव् व ज-अ़-लश् शम्-स सिराजा
और उनमें चन्द्रमा को प्रकाश और सूर्य को प्रदीप बनाया?

वल्लाहु अम्ब-तकुम् मिनल्अर्ज़ि नबाता
और अल्लाह ने तुम्हें धरती से विशिष्ट प्रकार से विकसित किया,

सुम्-म युअी़दुकुम् फ़ीहा व युख् रिजुकुम् इख्’राजा
फिर वह तुम्हें उसमें लौटाता है और तुम्हें बाहर निकालेगा भी।

वल्लाहु ज-अ़-ल लकुमुल् अर्-ज़ बिसाता़
और अल्लाह ने तुम्हारे लिए धरती को बिछौना बनाया,

लितस्लुकू मिन्हा सुबुलन् फ़िजाजा
ताकि तुम उसके विस्तृत मार्गों पर चलो’।”

क़ा-ल नूहुर्र्ब्बि इन्नहुम् अ़सौ़नी वत्त-बअ़ु मल्लम् यजिद्हु मालुहू व व -लदुहू इल्ला ख़सारा
नूह ने कहा, “ऐ मेरे रब! उन्होंने मेरी अवज्ञा की, और उसका अनुसरण किया जिसके धन और जिसकी सन्तान ने उसके घाटे ही में अभिवृद्धि की।

व माँ-करू मक्’रन् कुब्बारा
और वे बहुत बड़ी चाल चले,

व क़ालू ला त-ज़रून्-न आलि-ह-तकुम् व ला त-ज़रून्-न वद्’दंव् व ला सुवाअंव्’व ला यगू़-स़ व यऊ-क़ व नस् रा
और उन्होंने कहा, ‘अपने इष्ट-पूज्यों को कदापि न छोड़ो और न ‘वद्द’ को छोड़ो और न ‘सुवा’ को और न ‘यग़ूस’ और न ‘यऊक़’ और ‘नस्र’ को’।

व क़द् अज़ल्लू कसी़रन्ँव् ला तज़िदिज्ज़ालिमी-न इल्ला ज़लाला
और उन्होंने बहुत-से लोगों को पथभ्रष्ट किया है (तो तू उन्हें मार्ग न दिखा) अब, तू भी ज़ालिमों की पथभ्रष्टता ही में अभिवृद्धि कर।

मिम्मा ख़ती’आतिहिम् उग्रिक़ू फ़उद्ख़िलू नारन् फ़-लम् यजिदू लहुम् मिन् दूनिल्लाहि अन्सा़रा
वे अपनी बड़ी ख़ताओं के कारण पानी में डुबो दिए गए, फिर आग में दाख़िल कर दिए गए, फिर वे अपने और अल्लाह के बीच आड़ बननेवाले सहायक न पा सके।

व क़ा-ल नूहुर्र्ब्बि ल़ा त-ज़र् अ़लल्अर्जि़ मिनल् काफ़िरी-न दय्यारा
और नूह ने कहा, “ऐ मेरे रब! धरती पर इनकार करनेवालों में से किसी बसनेवाले को न छोड़।

इन्न-क इन्’त-जर्हुम् युज़िल्लू अ़िबा-द-क व ला यलिदू इल्ला फ़ाजिरऩ् कफ़्फ़ारा
यदि तू उन्हें छोड़ देगा तो वे तेरे बन्दों को पथभ्रष्ट कर देंगे और वे दुराचारियों और बड़े अधर्मियों को ही जन्म देंगे।

रब्बिग़्फ़िर्ली व लिवालिदय्-य व लिमन् द-ख़-ल बैति-य मुअ्मिनंव व लिल्मुअ्मिनी-न वल्मुअ्मिनाति’व ला तज़िदिज्ज़ालिमी-न इल्ला तबारा
ऐ मेरे रब! मुझे क्षमा कर दे और मेरे माँ-बाप को भी और हर उस व्यक्ति को भी जो मेरे घर में ईमानवाला बन कर दाख़िल हुआ और (सामान्य) ईमानवाले पुरुषों और ईमानवाली स्त्रियों को भी (क्षमा कर दे), और ज़ालिमों के विनाश को ही बढ़ा।”

सूरह नूह पीडीऍफ़ | Surah Nooh Pdf in Hindi

जैसा की आपने सूरह नूह को ऊपर टेक्स्ट के जरिये पढ़ ही लिया होगा और साथ ही साथ आपने सूरह नूह का हिंदी तर्जुमा भी पढ़ा होगा।

लेकिन हम चाहते हैं की हम इस सूरह को जब चाहे तब पढ़ सकें, उसके लिए हमने नीचे इस सूरह नूह की पीडीऍफ़ डाउनलोड करने का button दिया है।

आप आसानी के साथ यहाँ से Surah Nooh in Hindi Pdf Download कर सकते हैं।

सूरह नूह अरबी में | Surah Nooh In Arabic

بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

(1)إِنَّآ أَرْسَلْنَا نُوحًا إِلَىٰ قَوْمِهِۦٓ أَنْ أَنذِرْ قَوْمَكَ مِن قَبْلِ أَن يَأْتِيَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌۭ
(2)قَالَ يَـٰقَوْمِ إِنِّى لَكُمْ نَذِيرٌۭ مُّبِينٌ
(3)أَنِ ٱعْبُدُوا۟ ٱللَّهَ وَٱتَّقُوهُ وَأَطِيعُونِ
(4)يَغْفِرْ لَكُم مِّن ذُنُوبِكُمْ وَيُؤَخِّرْكُمْ إِلَىٰٓ أَجَلٍۢ مُّسَمًّى ۚ إِنَّ أَجَلَ ٱللَّهِ إِذَا جَآءَ لَا يُؤَخَّرُ ۖ لَوْ كُنتُمْ تَعْلَمُونَ
(5)قَالَ رَبِّ إِنِّى دَعَوْتُ قَوْمِى لَيْلًۭا وَنَهَارًۭا
(6)فَلَمْ يَزِدْهُمْ دُعَآءِىٓ إِلَّا فِرَارًۭا
(7) وَإِنِّى كُلَّمَا دَعَوْتُهُمْ لِتَغْفِرَ لَهُمْ جَعَلُوٓا۟ أَصَـٰبِعَهُمْ فِىٓ ءَاذَانِهِمْ وَٱسْتَغْشَوْا۟ ثِيَابَهُمْ وَأَصَرُّوا۟ وَٱسْتَكْبَرُوا۟ ٱسْتِكْبَارًۭا
(8)ثُمَّ إِنِّى دَعَوْتُهُمْ جِهَارًۭا
(9)ثُمَّ إِنِّىٓ أَعْلَنتُ لَهُمْ وَأَسْرَرْتُ لَهُمْ إِسْرَارًۭا
(10)فَقُلْتُ ٱسْتَغْفِرُوا۟ رَبَّكُمْ إِنَّهُۥ كَانَ غَفَّارًۭا
(11)يُرْسِلِ ٱلسَّمَآءَ عَلَيْكُم مِّدْرَارًۭا
(12)وَيُمْدِدْكُم بِأَمْوَٰلٍۢ وَبَنِينَ وَيَجْعَل لَّكُمْ جَنَّـٰتٍۢ وَيَجْعَل لَّكُمْ أَنْهَـٰرًۭا
(13)مَّا لَكُمْ لَا تَرْجُونَ لِلَّهِ وَقَارًۭا
(14)وَقَدْ خَلَقَكُمْ أَطْوَارًا
(15)أَلَمْ تَرَوْا۟ كَيْفَ خَلَقَ ٱللَّهُ سَبْعَ سَمَـٰوَٰتٍۢ طِبَاقًۭا
(16)وَجَعَلَ ٱلْقَمَرَ فِيهِنَّ نُورًۭا وَجَعَلَ ٱلشَّمْسَ سِرَاجًۭا
(17)وَٱللَّهُ أَنۢبَتَكُم مِّنَ ٱلْأَرْضِ نَبَاتًۭا
(18)ثُمَّ يُعِيدُكُمْ فِيهَا وَيُخْرِجُكُمْ إِخْرَاجًۭا
(19)وَٱللَّهُ جَعَلَ لَكُمُ ٱلْأَرْضَ بِسَاطًۭا
(20)لِّتَسْلُكُوا۟ مِنْهَا سُبُلًۭا فِجَاجًۭا
(21)قَالَ نُوحٌۭ رَّبِّ إِنَّهُمْ عَصَوْنِى وَٱتَّبَعُوا۟ مَن لَّمْ يَزِدْهُ مَالُهُۥ وَوَلَدُهُۥٓ إِلَّا خَسَارًۭا
(22)وَمَكَرُوا۟ مَكْرًۭا كُبَّارًۭا
(23)وَقَالُوا۟ لَا تَذَرُنَّ ءَالِهَتَكُمْ وَلَا تَذَرُنَّ وَدًّۭا وَلَا سُوَاعًۭا وَلَا يَغُوثَ وَيَعُوقَ وَنَسْرًۭا
(24)وَقَدْ أَضَلُّوا۟ كَثِيرًۭا ۖ وَلَا تَزِدِ ٱلظَّـٰلِمِينَ إِلَّا ضَلَـٰلًۭا
(25)مِّمَّا خَطِيٓـَٔـٰتِهِمْ أُغْرِقُوا۟ فَأُدْخِلُوا۟ نَارًۭا فَلَمْ يَجِدُوا۟ لَهُم مِّن دُونِ ٱللَّهِ أَنصَارًۭا
(26)وَقَالَ نُوحٌۭ رَّبِّ لَا تَذَرْ عَلَى ٱلْأَرْضِ مِنَ ٱلْكَـٰفِرِينَ دَيَّارًا
(27)إِنَّكَ إِن تَذَرْهُمْ يُضِلُّوا۟ عِبَادَكَ وَلَا يَلِدُوٓا۟ إِلَّا فَاجِرًۭا كَفَّارًۭا
(28)رَّبِّ ٱغْفِرْ لِى وَلِوَٰلِدَىَّ وَلِمَن دَخَلَ بَيْتِىَ مُؤْمِنًۭا وَلِلْمُؤْمِنِينَ وَٱلْمُؤْمِنَـٰتِ وَلَا تَزِدِ ٱلظَّـٰلِمِينَ إِلَّا تَبَارًۢا

सूरह अल-नूह अरबी इमेज

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सूरह नूह की ऑडियो | Surah Nooh Mp3 urdu tarjuma

दोस्तों, हमें उम्मीद है की आपने सूरह नूह को हिंदी और अरबी में पढ़ लिया होगा। यहाँ हमने सूरह नूह की ऑडियो फाइल मौजूद करायी है।

अगर आपको कुरान की तिलावत अरबी में उर्दू तर्जुमा के साथ सुनना पसंद है, जिसे सुनकर आपको सुकून हासिल होता है, तो हमें नीचे इस Surah Nooh Mp3 डाउनलोड करने का button दिया है।

आप आसानी के साथ इसे डाउनलोड कर सकते हैं।

अगर ये पोस्ट आपको अच्छी लगी हो तो नीचे दिए गए शेयरिंग बटन से आगे अपने करीबी लोगों में जरूर शेयर करें अल्लाह हम सबको ज्यादा से ज्यादा इल्म सीखने और सिखाने की तौफ़ीक़ दे। आमीन

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