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Surah Nasr in Hindi, मदनी सूरह है और इसमें 3 आयतें हैं। कुरान में यह सूरह अन नस्र के नाम से 30वें पारा में मौजूद है। यह Surah Nasr कुरआन की 110वीं सूरह है।
आज हम आपको सूरह नसर हिंदी में बताने जा रहे हैं, क्योंकि यह इजा जा आ नसरुल्लाह सूरह, कुरान मजीद की सबसे छोटी सूरतों में से एक है, जिस वजह से इस सूरह को लोग नमाज में भी पढ़ा करते हैं, और तो और इस Surah Nasr in Hindi की फजीलत भी काफी ज्यादा है।
बताते चलें सूरह नस्र कुरान मजीद की एक चौथाई के बराबर है यह आखरी सुरह है; जो हमारे नबी के पर्दा परमा जाने के चंद हफ्तों या महीनों पहले नाजिल हुई।
आपको बता दें सुरह नसर को हम और भी चंद नामों से जानते हैं, उन नामों को जानना आपके लिए भी बेहद जरूरी है, वह नाम यह है :-
(1) – फ़तह
(2) – मदद
(3) – दुगनी हिमायत
सूरह का नाम | सुरह नस्र (Surah Nasr) |
सूरह नंबर | 110 |
कुल आयत | 3 |
मदनी है या मक्की? | मदनी सूरह |
पारा नंबर | 30 |
कितने शब्द हैं? | 19 |
कितने अक्षर हैं? | 80 |
सुरह नस्र हिन्दी में (Surah Nasr In Hindi)
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
1. इज़ा जा आ नसरुल्ला ही वल फतह
2. वरा अयतन्नासा यदखुलूना फी दीनिल ल्लाही अफ़वाजा
3. फसब्बिह बिहमदी रब्बिका वस्तगफिरहू, इन्नहू काना तौव्वाबा
और ये थी हमारी Surah Nasr in hindi। इसे Iza jaa a nasrul lahi भी कहा जाता है; तो चलिए अब हम iza jaa nasrul lahi in hindi tarjuma भी देख लेते हैं, – लोग इसे Iza jaa a nasrul lahi hindi translation लिख कर भी search करते हैं।
सूरह नस्र का हिंदी तर्जुमा (Surah Nasr hindi Tarjuma)
अल्लाह के नाम से शुरू करता हूँ , जो निहायती करम करने वाला है.
जब अल्लाह की मदद और फतह आ गई।
और तुम लोगो ने अपनी आंखों से देख लिया कि इंसानों की फौज दर फौज अल्लाह ताला के दीन (इसलाम) में दाखिल होती जा रही है।
तुम बस अपने परवरदिगार की तारीफ करो और उनसे रहम और मगफिरत दुआ मांगो।
बेशक अल्लाह पाक तुम्हारी तमाम तौबा कबूल फरमाएंगे।
सूरह नस्र हिंदी इमेज (Ija Ja a Nasrullah Surah Photo Hindi Me)
सूरह नस्र हिंदी पीडीऍफ़ (Surah An Nasr in Hindi Pdf Download)
मेरे प्यारे दीनी भाइयों और बहनों जैसा की आपने ऊपर सूरह अन नस्र को हिन्दी में तर्जुमा के साथ पढ़ा ही होगा। साथ ही साथ आपने Iza Ja A Nasrullah Surah की Hindi Image भी देखी होंगी।
यहाँ हमने Ija Ja Aa Nasrullahi Surah Pdf Hindi Me उपलब्ध करायी है आप आसानी के साथ सूरह नस्र की Pdf को डाउनलोड कर सकते है।
सूरह नसर हदीस हिंदी में (Surah nasr ki hadees hindi Mein)
1 – साही बुखारी से रिवायत है अम्र इब्न सलामह इरशाद फरमाते हैं; कि जब मक्का में फतह हासिल की गई तो उस वक्त मक्के के हर कबीले ने हमारे नबी को इस्लाम को कबूल किया.
उन्हें खुद पर छोड़ दो अगर वह उन पर गालिब हो जाते तो वह यकीनन नबी होगा.
2 – एक हदीस में है कि जब यह सुरह पहली बार नाजिल हुई तो हमारे नबी ने फातीमा रज़ी अल्लाहु आला अन्नहा; को बुलाया और कहा.
कि उनके पर्दा फरमा जाने का हुक्म हो चुका है, तो वह पहले रोती नजर आई और फिर मुस्कुरा दी.
जब उसने अपने पास मौत को आते देखा और उसके बारे में बताया तो मैं रोने लगा लेकिन उसने मुझे कहा अख्तियार रखो; क्योंकि तुम मेरे साथ जुड़ने वाले मेरे परिवार में सबसे पहले हो’, तो मैं मुस्कुराया।’
3 – सैय्य्दः आयशा रदी अल्लाहु अन्हा से रिवायत है:
“जब सूरत-एन-नस्र”, ‘अल्लाह की मदद और फतह की बात आती है,’ पैगंबर सल्लाहू अलैह बसल्लम पर नाजिल की गयी – तो नबी सिवाय इसके कि ने कोई दुआ नही की सिर्फ यह दुआ की,
“सुभ्हनाका रब्बाना वा बिहमदिका; अल्लाहुम्मा अघफिरली (मैं अपने रब की विशिष्टता की गवाही देता हूं, और तमाम तारीफें उसके लिए हैं: ऐ अल्लाह, मुझे माफ़ फरमा!” (सहीह अल-बुखारी 4967)
4 – सैय्य्दः आयशा रदी अल्लाहु अन्हा से रिवायत है:
“अल्लाह के रसूल सल्लाहू अलैह बसल्लम झुकते और सजदह करते वक्त अक्सर कहा करते थे: सुभ्हाना कल्ला हुम्मा बबि हम्दिका, अल्लाहुम्गफिरली,
“कुरआन पाक के जरिये दिए गए हुकुम की तामील करते हुए, ऐ अल्लाह और आपकी बढ़ाई बयान करते हुए, ऐ अल्लाह मैं आपसे माफी मांगता हूँ मुझे माफ़ फरमा”
5 – हदीस में है कि इस तरह के नजूल उतरने के बाद से आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपनी नमाज़ (के रुकूअ और सजदे) में अधिक्तर ((सुब्हानका रब्बना व बिहम्दिका अल्लाहुम्मगफिर ली)) पढ़ा करते थे। (सहीह बुख़ारीः 4967, 4968)
सुरह नस्र की तफसीर (Surah Nasr Ki Tafseer)
इस सुरह में बहुत लोगों को इस्लाम के तरफ़ ले जाने के लिए अल्लाह की तारीफ की गई है; इस सुरह को इस्लाम के फतह से जोडा गया है, जब मक्का में जहां मुस्लमानों ने इस्लाम के दुश्मनों को शिकस्त दी थी.
यह सुरह में उसी जंग के बारे में कहा गया है, यह वही जंग है जिसको मुसलमानों ने जीता और तमाम लोगों को यह बात पता चल गई और यह अहसास हुआ कि मुसलमान कभी भी नहीं हार सकते.
क्योंकि मुसलमानों के साथ उनके रब अल्लाह और उसकी रहमत उनके साथ है; उसके बाद तमाम लोग इस्लाम में शामिल होने लगे.
सूरह की तीनों आयतें की बात करें तो उसमें सिर्फ यह कहा गया है; कि इस्लाम की फतेह के लिए अल्लाह कि हम और सना का हुकुम.
Download Surah Nasr Ki Mp3 or Audio File
मेरे प्यारे भाइयों और बहनों जैसा की आपने इस पोस्ट में सूरह अन नस्र को सभी भाषाओं में टेक्स्ट और इमेजेज के जरिये पढ़ा ही होगा।
लेकिन अगर आप सूरह सुनना पसंद करते है, जिससे आपने दिल और दिमाग को आराम मिलता है।
उसके लिये हमने नीचे सुरह नस्र की Mp3 फाइल डाउनलोड करने का लिंक दिया है। यहाँ से आप आसानी के साथ Surah Nasr Ki Mp3 को डाउनलोड कर सकते हो।
सूरह नस्र का हिंदी मतलब (Surah An Nasr Meaning Hindi Me)
सूरन अन-नस्र के लफ्ज़ी मायने होते है “मदद” या “सहायता” है, यानी अल्लाह की तरफ से एक इलाही मदद। क्युकी अल्लाह ने मक्का मुकर्रमा को फतह करने में मदद की।
अल्लाह सुभानहु वात ‘अला ने उन लोगों को सहायता दी जिन्होंने पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दींन को क़ुबूल किया था।
यह सब उन्होंने अल्लाह की मदद से किया और लोगों ने दीन कुबूल किया।
इज़ा – जब
जा आ – आती है
नसरू – मदद
अल्लाहि – अल्लाह की
वल फत हु- और फतह
वरा अयता – और आप देखते है
ल-नासा – अवाम
यदखुलूना – दाखिल होते हुए
फी – में
दीनि – दीन (इस्लाम)
ल-लाही – (के) अल्लाह
अफ्वाज़ा – (में) कसीर तादाद
फसब्बिह- फिर तस्वीह करें
बि’हम्दी – तारीफ़ के साथ
रब्बिका – अपने रब की
वस्तगफिरहू – और उससे माफ़ी मांगे
इन्नाहू – बेशक, वो
काना – है
तव्वाबा – बड़ा माफ़ करने बाला
यह भी पढ़ें:- सूरह मुज़म्मिल हिंदी में तर्जुमा के साथ
सूरह नस्र के फायदे (Benefit of Surah An-Nasr)
Surat Nasr को एक बार पढ़ने का मतलब होता है कि हमने एक चौथाई कुरान पढ़ लिया क्यूंकि सूरह नस्र, 1/4 कुरान के बराबर है। इसलिए आप इस सूरत नस्र को कम अज कम एक मर्तवा पढ़कर बेहद फ़ज़ीलत और फवायिद हासिल कर सकते है।
खुसूसियात और इन्कशाफात का मकसद
इस सूरह नस्र से मुराद इस्लाम की फतह से है मुसलमानों की दुश्मनों समेत दूसरों पर फतह थी।
Surah Nasr का दूसरा नाम Surah At-Tawdi. Tawdi के मायने होते है “विदा लेना”। यहाँ विदा लेने के मायने है कि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इस दुनिया से चले जाना है।
हज़रत अब्दुल्ला बिन उमर रदी अल्लाहु अन्हु के मुताबिक़, इस सूरह को मीना में तशरिक (ईद-उल-अज़हा के अगले 3 दिनों के बाद) के बीच में अलविदाई सफर के मौके पर नाजिल किया गया था।
Surah An-Nasr सूरह अन-नस्र आखिरी सूरह थी जो प्यारे पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर पूरे तौर पर नाजिल हुई थी। इस सूरह के बाद कोई मुकम्मल सूरह नाजिल नहीं हुई।
ज्यादा मख्सूसी होने की बजह से सूरह नस्र वाहिद आखरी सूरह थी जो एक ही बार में मुकम्मल तौर पर नाजिल हुई और सूरह फातह पहली सूरह थी जो एक ही बार में मुकम्मल तौर पर नाजिल हुई।
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