दोस्तों, इस पोस्ट में हमने आपके लिए सूरह अल-मुतफ्फिफीन (Surah Mutaffifin in Hindi) से जुड़ी पूरी जानकारी हिंदी में मौजूद कराने की पूरी कोशिश की है,
जैसे की सूरह मुतफ्फिफीन हिंदी में, सूरह अल-मुतफ्फिफीन का हिंदी तर्जुमा और सूरह मुतफ्फिफीन की पीडीऍफ़।
दोस्तों, सूरह अल-मुतफ्फिफीन हिंदी में पढ़ने से पहले हमें चाहिए की हम सूरह से जुड़ी कुछ जरूरी बातें जान लें।
आपको बताते चलें की Surah Mutaffifin का हिंदी में मतलब होता है: – “नाप तौल में कमी करने बाला” और इसका इंग्लिश में मतलब होता है: – “The Defrauders”।
सूरह मुतफ्फिफीन कुरान करीम के 30वें पारा में मौजूद 83वीं सूरह है। यह मक्की सूरह है।
सूरह का नाम | सूरह अल-मुतफ्फिफीन |
पारा नंबर | 30 |
सूरह नंबर | 83 |
कुल आयतें | 36 |
कुल रुकू | 1 |
कुल शब्द (अलफ़ाज़) | 169 |
कुल अक्षर (हर्फ़) | 750 |
सूरह मुतफ्फिफीन हिंदी में | Surah Mutaffifin In Hindi Text
दोस्तों यहाँ नीचे हमने सूरह मुतफ्फिफीन को हिंदी में मौजूद कराया है। आप नीचे दी गयी Surah Mutaffifin Hindi Mein Text, को पढ़कर आसानी के साथ इस सूरह मुतफ्फिफीन की तिलावत कर सकते हैं।
अ ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
1. वैलुल् – लिल् – मुतफ़्फ़िफीन
2. अल्लज़ी – न इज़क्तालू अलन्नासि यस्तौफून
3. व इज़ा कालूहुम् अव्व – ज़नूहुम् युख़्सिरून
4. अला यजुन्नु उलाइ – क अन्नहुम् मब्अूसून
5. लियौमिन अ़ज़ीम
6. यौ – म यकूमुन्नासु लिरब्बिल् – आ़लमीन
7. कल्ला इन् – न किताबल् – फुज्जारि लफ़ी सिज्जीन
8. व मा अद्रा – क मा सिज्जीन9. किताबुम् – मकूम
10. वैलुंय्यौमइज़िल् – लिल् मुकज़्ज़िबीन
11. अल्लज़ी – न युकज़्ज़िबू – न बियौमिद्दीन
12. व मा युकज़्ज़िबु बिही इल्ला कुल्लु मुअ् – तदिन् असीम
13. इज़ा तुत्ला अ़लैहि आयातुना का़ – ल असातीरुल – अव्वलीन
14. कल्ला बल् – रा – न अ़ला कुलूबिहिम् – मा कानू यक्सिबून
15. कल्ला इन्नहुम् अर्रब्बिहिम् यौमइज़िल – लमह्जूबून
16. सुम् – म इन्नहुम् लसालुल – जहीम
17. सुम्म युका़लु हाज़ल्लज़ी कुन्तुम् बिही तुकज़्ज़िबून
18. कल्ला इन् – न किताबल् – अबरारि लफ़ी अिल्लिय्यीन
19. व मा अद्रा – क मा अ़िल्लिय्यून
20. किताबुम् -मरकूम
21. यश् – हदुहुल् – मुक़र्रबून
22. इन्नल् – अब्रा – र लफ़ी नअ़ीम
23. अ़लल् अरा – इकि यन्जुरून
24. तअ्रिफु फ़ी वुजूहिहिम् नज् – रतन् – नअ़ीम
25. युस्कौ – न मिर्रहीकिम् – मख़्तूम
26. खितामुहू मिस्क, व फ़ी ज़ालि – क फ़ल्य – तनाफ़सिल – मु – तनाफ़िसून
27. व मिज़ाजुहू मिन् तस्नीम
28. अनंय् – यश्रबु बिहल – मुकर्रबून
29. इन्नल्लज़ी – न अज्रमू कानू मिनल्लज़ी – न आमनू यज् – हकून
30. व इज़ा मररू बिहिम् य – तगा़ – मजून
31. व इज़न् – क़ – लबू इला अह़्लिहिमुन्क – लबू फ़किहीन
32. व इज़ा रऔहुम् का़लू इन् – न हा – उला – इ लज़ाल्लून
33. व मा उर्सिलू अ़लैहिम् हाफ़िज़ीन
34. फल्यौ मल्लज़ी – न आमनू मिनल् – कुफ़्फारि यज़्हकून
35. अ़लल् – अरा – इकि यन्जुरून
36. हल् सुव्विबल – कुफ़्फारु मा कानू यफ़अलून
जैसा की आपने ऊपर सूरह मुतफ्फिफीन को हिंदी टेक्स्ट के जरिये पढ़ ही लिया होगा। हम आपसे दरख्वास्त करते हैं कि आप इस Surah Mutaffifin Translation in Hindi को भी पढ़ें।
क्यूंकि Surah Mutaffifin का तर्जुमा पढ़कर हमें समझ आएगा की अल्लाह ने इस सूरह में क्या इरशाद फ़रमाया है।
क्या आपने आयतल कुर्सी को अरबी में पढ़ा है? अगर नहीं तो पढ़ें: – आयतल कुर्सी अरबी pdf
सूरह मुतफ्फिफीन का तर्जुमा | Surah Mutaffifin Ka Tarjuma
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
अल्लाह के नाम से जो बहुत मेहरबान , रह्म करने वाला है।
वैलुल् – लिल् – मुतफ़्फ़िफीन
ख़राबी है कमी करने वालों के लिए
अल्लज़ी – न इज़क्तालू अलन्नासि यस्तौफून
जो ( लोगों से ) माप कर लें तो पूरा भर कर लें
व इज़ा कालूहुम् अव्व – ज़नूहुम् युख़्सिरून
और जब ( दूसरों को ) माप कर या तोल कर दें तो घटा कर दें।
अला यजुन्नु उलाइ – क अन्नहुम् मब्अूसून
क्या यह लोग ख़याल नहीं करते कि वह उठाए जाने वाले हैं
लियौमिन अ़ज़ीम
एक बड़े दिन
यौ – म यकूमुन्नासु लिरब्बिल् – आ़लमीन
जिस दिन लोग खड़े होंगे तमाम जहानों के रब के सामने।
कल्ला इन् – न किताबल् – फुज्जारि लफ़ी सिज्जी
हरगिज नहीं , बेशक बदकारों का आमाल नामा सिज्जीन में है।
व मा अद्रा – क मा सिज्जीन
और तुझे क्या ख़बर कि सिज्जीन क्या है?
किताबुम् – मकूम
एक लिखी हुई किताब
वैलुंय्यौमइज़िल् – लिल् मुकज़्ज़िबीन
उस दिन ख़राबी है झुटलाने वालों के लिए
अल्लज़ी – न युकज़्ज़िबू – न बियौमिद्दीन
जो लोग झुटलाते है। रोज़े जज़ा ओ सज़ा को।
व मा युकज़्ज़िबु बिही इल्ला कुल्लु मुअ् – तदिन् असीम
और उसे नहीं झुटलाता मगर हद से बढ़ जाने वाला गुनाहगार
इज़ा तुत्ला अ़लैहि आयातुना का़ – ल असातीरुल – अव्वलीन
जब पढ़ी जाती हैं उस पर हमारी आयतें तो कहेः यह पहलों की कहानियां है।
कल्ला बल् – रा – न अ़ला कुलूबिहिम् – मा कानू यक्सिबून
हरगिज़ नहीं , बल्कि जंग पकड़ गया है उन के दिलों पर ( उस के सबब ) जो वह कमाते थे |
कल्ला इन्नहुम् अर्रब्बिहिम् यौमइज़िल – लमह्जूबून
हरगिज़ नहीं , वह उस दिन अपने रब की दीद से रोक दिए जाएंगे।
सुम् – म इन्नहुम् लसालुल – जहीम
फिर बेशक वह जहन्नम में दाख़िल होने वाले हैं।
सुम्म युका़लु हाज़ल्लज़ी कुन्तुम् बिही तुकज़्ज़िबून
फिर कहा जाएगा कि यह वही है ,जिस को तुम झुटलाते थे।
कल्ला इन् – न किताबल् – अबरारि लफ़ी अिल्लिय्यीन
हरगिज़ नहीं , बेशक नेक लोगों का आमाल नामा “ इल्लियीन ” में है।
व मा अद्रा – क मा अ़िल्लिय्यून
और तुझे क्या ख़बर कि इल्लियीन क्या है?
किताबुम् -मरकूम
एक किताब है लिखी हुई।
यश् – हदुहुल् – मुक़र्रबून
( उसे ) देखते हैं ( अल्लाह के ) मुक़र्रब ( नज़दीक वाले ) |
इन्नल् – अब्रा – र लफ़ी नअ़ीम
बेशक नेक बन्दे नेमतों में होंगे।
अ़लल् अरा – इकि यन्जुरून
तख़्तों ( मुस्नदों ) पर ( बैठे ) देखते होंगे ,
तअ्रिफु फ़ी वुजूहिहिम् नज् – रतन् – नअ़ीम
तू उन के चेहरों पर नेमत की तरोताज़गी पाएगा |
युस्कौ – न मिर्रहीकिम् – मख़्तूम
उन्हें पिलाई जाती है ख़ालिस शराब मुहर बन्द
खितामुहू मिस्क, व फ़ी ज़ालि – क फ़ल्य – तनाफ़सिल – मु – तनाफ़िसून
उस की मुहूर मुश्क पर जमी हुई ( से लगी हुई ) और चाहिए कि बाज़ी ले जाने की तमन्ना रखने वाले इस में बाज़ी ले जाने की कोशिश करें।
व मिज़ाजुहू मिन् तस्नीम
और उस में मिलावट है तस्नीम की ,
अनंय् – यश्रबु बिहल – मुकर्रबून
यह एक चश्मा है जिस से मुकर्रब पीते हैं।
इन्नल्लज़ी – न अज्रमू कानू मिनल्लज़ी – न आमनू यज् – हकून
बेशक जिन लोगों ने जुर्म किया ( गुनाहगार ) वह मोमिनों पर हँसते थे |
व इज़ा मररू बिहिम् य – तगा़ – मजून
और जब उन से हो कर गुज़रते तो आँख मारते
व इज़न् – क़ – लबू इला अह़्लिहिमुन्क – लबू फ़किहीन
और जब अपने घर वालों की तरफ लौटते तो हँसते ( वातें बनाते ) लौटते
व इज़ा रऔहुम् का़लू इन् – न हा – उला – इ लज़ाल्लून
और जब उन्हें देखते तो कहतेः बेशक यह लोग गुमराह है .
व मा उर्सिलू अ़लैहिम् हाफ़िज़ीन
और वह उन पर निगहबान बना कर नहीं भेजे गए।
फल्यौ मल्लज़ी – न आमनू मिनल् – कुफ़्फारि यज़्हकून
पस आज ईमान वाले काफिरों पर हँसते हैं।
अ़लल् – अरा – इकि यन्जुरून
तख्तों ( मसहरियों ) पर बैठे देखते है।
हल् सुव्विबल – कुफ़्फारु मा कानू यफ़अलून
क्या मिल गया काफ़िरों को बदला का जो वह करते थे।
सूरह अल-मुतफ्फिफीन इमेज | Surah Al-Mutaffifin Hindi Image
सूरह मुत़फ़्फ़िफ़ीन पीडीऍफ़ | Surah Mutaffifin Hindi Pdf
दोस्तों जैसा की आपने सूरह मुतफ्फिफीन को ऊपर टेक्स्ट के जरिये पढ़ ही लिया होगा और साथ ही साथ आपने सूरह मुतफ्फिफीन का हिंदी तर्जुमा भी पढ़ा होगा।
लेकिन हम चाहते हैं की हम इस सूरह को जब चाहे तब पढ़ सकें, उसके लिए हमने नीचे इस सूरह मुतफ्फिफीन की पीडीऍफ़ डाउनलोड करने का button दिया है।
आप आसानी के साथ यहाँ से Surah Mutaffifin in Hindi Pdf Download कर सकते हैं।
सूरह अल-मुत़फ़्फ़िफ़ीन अरबी में | Surah Mutaffifin In Arabic
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
(1) وَيْلٌ لِلْمُطَفِّفِينَ
(2) الَّذِينَ إِذَا اكْتَالُوا عَلَى النَّاسِ يَسْتَوْفُونَ
(3) وَإِذَا كَالُوهُمْ أَوْ وَزَنُوهُمْ يُخْسِرُونَ
(4) أَلَا يَظُنُّ أُولَٰئِكَ أَنَّهُمْ مَبْعُوثُونَ
(5) لِيَوْمٍ عَظِيمٍ
(6) يَوْمَ يَقُومُ النَّاسُ لِرَبِّ الْعَالَمِينَ
(7) كَلَّا إِنَّ كِتَابَ الْفُجَّارِ لَفِي سِجِّينٍ
(8) وَمَا أَدْرَاكَ مَا سِجِّينٌ
(9) كِتَابٌ مَرْقُومٌ
(10) وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ
(11) الَّذِينَ يُكَذِّبُونَ بِيَوْمِ الدِّينِ
(12) وَمَا يُكَذِّبُ بِهِ إِلَّا كُلُّ مُعْتَدٍ أَثِيمٍ
(13) إِذَا تُتْلَىٰ عَلَيْهِ آيَاتُنَا قَالَ أَسَاطِيرُ الْأَوَّلِينَ
(14) كَلَّا ۖ بَلْ ۜ رَانَ عَلَىٰ قُلُوبِهِمْ مَا كَانُوا يَكْسِبُونَ
(15) كَلَّا إِنَّهُمْ عَنْ رَبِّهِمْ يَوْمَئِذٍ لَمَحْجُوبُونَ
(16) ثُمَّ إِنَّهُمْ لَصَالُو الْجَحِيمِ
(17) ثُمَّ يُقَالُ هَٰذَا الَّذِي كُنْتُمْ بِهِ تُكَذِّبُونَ
(18) كَلَّا إِنَّ كِتَابَ الْأَبْرَارِ لَفِي عِلِّيِّينَ
(19) وَمَا أَدْرَاكَ مَا عِلِّيُّونَ
(20) كِتَابٌ مَرْقُومٌ
(21) يَشْهَدُهُ الْمُقَرَّبُونَ
(22) إِنَّ الْأَبْرَارَ لَفِي نَعِيمٍ
(23) عَلَى الْأَرَائِكِ يَنْظُرُونَ
(24) تَعْرِفُ فِي وُجُوهِهِمْ نَضْرَةَ النَّعِيمِ
(25) يُسْقَوْنَ مِنْ رَحِيقٍ مَخْتُومٍ
(26) خِتَامُهُ مِسْكٌ ۚ وَفِي ذَٰلِكَ فَلْيَتَنَافَسِ الْمُتَنَافِسُونَ
(27) وَمِزَاجُهُ مِنْ تَسْنِيمٍ
(28) عَيْنًا يَشْرَبُ بِهَا الْمُقَرَّبُونَ
(29) إِنَّ الَّذِينَ أَجْرَمُوا كَانُوا مِنَ الَّذِينَ آمَنُوا يَضْحَكُونَ
(30) وَإِذَا مَرُّوا بِهِمْ يَتَغَامَزُونَ
(31) وَإِذَا انْقَلَبُوا إِلَىٰ أَهْلِهِمُ انْقَلَبُوا فَكِهِينَ
(32) وَإِذَا رَأَوْهُمْ قَالُوا إِنَّ هَٰؤُلَاءِ لَضَالُّونَ
(33) وَمَا أُرْسِلُوا عَلَيْهِمْ حَافِظِينَ
(34) فَالْيَوْمَ الَّذِينَ آمَنُوا مِنَ الْكُفَّارِ يَضْحَكُونَ
(35) عَلَى الْأَرَائِكِ يَنْظُرُونَ
(36) هَلْ ثُوِّبَ الْكُفَّارُ مَا كَانُوا يَفْعَلُونَ
वैलुल लिल मुतफ़्फ़िफीन सूरह अरबी इमेज
सूरह मुतफ्फिफीन की ऑडियो | Surah Mutaffifin Mp3
दोस्तों, हमें उम्मीद है की आपने सूरह मुतफ्फिफीन को हिंदी और अरबी में पढ़ लिया होगा। यहाँ हमने सूरह मुतफ्फिफीन की ऑडियो फाइल मौजूद करायी है।
अगर आपको कुरान की तिलावत अरबी में उर्दू तर्जुमा के साथ सुनना पसंद है, जिसे सुनकर आपको सुकून हासिल होता है, तो हमें नीचे इस Surah At-Mutaffifin Mp3 डाउनलोड करने का button दिया है।
आप आसानी के साथ इसे डाउनलोड कर सकते हैं।
सूरह मुतफ्फिफीन की तफसीर | Surah Mutaffifin Tafseer
यहाँ नीचे हमने सूरह मुतफ्फिफीन की मुख़्तसर सी तफसीर मौजूद करायी है। पूरी तफसीर जानने के लिए आलिम या कुरान को पढ़ें।
📜आयात (1-6): – इस सूरह मुतफ्फिफीन की पहली 6 आयतों में इसी व्यवसायिक विश्वास घात पर पकड़ की गई है कि न्याय तो यह है कि अपने लिये अन्याय नहीं चाहते तो दूसरों के साथ न्याय करो।
और इस रोग का निवारण अल्लाह के डर तथा आखिरत पर विश्वास ही से हो सकता है। क्योंकि इस स्थिति में निक्षेप (अमानतदारी) एक नीति ही नहीं बल्कि धार्मिक कर्तव्य होगा और इस पर स्थित रहना लाभ तथा हानि पर निर्भर नहीं रहेगा।
📜 आयात (7-17): – इन आयतों में गुनाहगारों के दुषपरिणामों की तफसील बयान की गयी है तथा यह बताया गया है कि उन के गुनाह पहले ही से आमाल नामों में लिखे जा रहे हैं तथा वे आखिरत में कड़ी सज़ा का सामना करेंगे।
और जहन्नम में झोंक दिये जायेंगे। “सिज्जीन” के मायने, एक जगह है जहाँ पर काफ़िरों, अत्याचारियों और मुश्रिकों के आमाल नामें रखे जाते हैं।
दिलों का जंग लगना, गुनाहों का एक हद से ज्यादा हो जाने से है। लोग गुनाहों में इतना मुब्तला हो जाते हैं की उनके दिलों में जंग लग जाती है और उन्हें अच्छा-बुरा, हक और बातिल में कोई फर्क नज़र नहीं आता।
📜 आयात (18-28): – इन आयतों में बताया गया है कि नेक बन्दों के आमाल नामें इल्लियीन में इकट्ठे किये जा रहे हैं जो फ़रिश्तों के पास सुरक्षित हैं।
और वे जन्नत में सुख के साथ रहेंगे। “इल्लिय्यीन” के मायने, जन्नत में एक जगह है, जहाँ पर नेक लोगों के आमाल नामे एकत्र किये जाते हैं। वहाँ पर अल्लाह के मुक़र्रर फ़रिश्ते मौजूद रहते हैं।
📜 आयात (29-36): – इन आयतों में बताया गया है कि आखिरत के दिन लोगों के आमालों का हिसाब किताब होगा। तो दुन्याबी परिस्थितियाँ बदल जायेंगी।
दुनिया में तो सब के लिये अल्लाह की दया है, परन्तु आखिरत के दिन जो अपने सुख-सुविधा पर गुरुर करते थे और जिन गरीब मुसलमानों को देख कर आँखें मारते थे, वहाँ पर वही गरीब मुसलमान उन के दुष्परिणाम को देख कर खुश होंगे।
अंतिम आयत में विश्वास हीनों के दुष्परिणाम को उन का कर्म कहा गया है। जिस में यह संकेत है कि सुफल और कुफल स्वयं इन्सान के अपने कर्मों का स्वभाविक प्रभाव होगा।
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