Surah Maun in Hindi मक्की सूरह है और इसमें 7 आयतें हैं। कुरान में यह 30वें पारा में मौजूद है। इसमें एक रुकू है, और कुरान में यह 107वें नंबर की सूरह है।
इस पोस्ट में हम Surah maun hindi mein जानिंगे, जोकि मक्के में नाजिल हुई। मगर कुछ मुफ़स्सिर कहते हैं कि ये सूरह मदीने में नाजिल हुई क्योंकि इस सूरह में मुनाफिकीन कि उन किस्मो यानि उन लोगो के बारे में बताया गया है, जो की नमाज में गफलत यानी बेचैनी बरतते हैं।
Surah Maun Meaning in Hindi होता है: – “छोटी सी मेहरबानी” या “खैरात देना”, साथ ही साथ “रोज़मर्रा की चीज़े ,” “दान,” और “सहायता” और सूरह अल माऊन का इंग्लिश मतलब होता है: – “Small Kindness” or “Almsgiving,” साथ ही साथ “The Daily Necessaries,” “Charity,” and “Assistance”.
Note – कुरान की सभी सूरतें और वजीफे हमें हमेशा अरबी अल्फाज़ में ही पढने चाहिए; इससे एक तो सवाब मिलता है, और दूसरा कुरान मजीद अरबी अल्फाज़ में ही नाज़ील हुई थी।
सूरह माऊन हिन्दी में (Surah maun in hindi)
बैसे हम सभी को कोशिश करनी चाहिए की हम कुरान की सभी सूरह को अरबी में ही पढ़ें लेकिन फिर भी अगर आपको हिंदी ही आती है तो हमने आपके लिए नीचे Surah al maun in hindi में मौजूद करायी है, जिसे आप आसानी के साथ Araital Lazi Surah को पढ़ सकते हैं।
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
1. अ-र ऐतल्लज़ी युकज्जिबु बिद्दीन
2. फ़ज़ालिकल्लज़ी यदु अल्-यतीम
3. वला यहुज्जु अला तआमिल मिस्कीन
4. फवैलुल् लिल्-मुसल्लीन
5. अल्लज़ी-न हुम अन् सलातिहिम् साहून
6. अल्लज़ी-न हुम् युराऊ-न
7. व यम नऊनल माऊन
चारों कुल को हिंदी में जरुर पढ़ें: – 4 कुल तफसीर के साथ हिंदी में
सूरह अल-माऊन अरबी में (Surah al maun in arabic)
بِسمِ اللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيم
أَرَءَيْتَ ٱلَّذِى يُكَذِّبُ بِٱلدِّينِ
فَذَٰلِكَ ٱلَّذِى يَدُعُّ ٱلْيَتِيمَ
وَلَا يَحُضُّ عَلَىٰ طَعَامِ ٱلْمِسْكِينِ
فَوَيْلٌ لِّلْمُصَلِّينَ
ٱلَّذِينَ هُمْ عَن صَلَاتِهِمْ سَاهُونَ
ٱلَّذِينَ هُمْ يُرَآءُونَ
وَيَمْنَعُونَ ٱلْمَاعُونَ
तो ऊपर आपने Surah al maun को हिन्दी में और अरबी में जाना और पढ़ा, तो चलिए अब हम Surah al maun का hindi translation भी समझ लेते हैं, आपको बताते चलें कुछ लोग इसे araital lazi surah लिख कर भी search करते हैं।
सूरह माऊन हिंदी तर्जुमा (Surah maun tarjuma in hindi)
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
अल्लाह के नाम से, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम बाला है।
1. अ-र ऐतल्लज़ी युकज्जिबु बिद्दीन
क्या तुमने उसे देखा जो दीन को झुठलाता है?
2. फ़ज़ालिकल्लज़ी यदु अल्-यतीम
वही तो है जो अनाथ को धक्के देता है,
3. वला यहुज्जु अला तआमिल मिस्कीन
और मुहताज के खिलाने पर नहीं उकसाता
4. फवैलुल् लिल्-मुसल्लीन
अतः तबाही है उन नमाज़ियों के लिए,
5. अल्लज़ी-न हुम अन् सलातिहिम् साहून
जो अपनी नमाज़ से ग़ाफिल (असावधान) हैं,
6. अल्लज़ी-न हुम् युराऊ-न
जो दिखावे के लिए कार्य करते हैं,
7. व यम नऊनल माऊन
और साधारण बरतने की चीज़ भी किसी को नहीं देते
सूरह माऊन इमेज (Surah Maun Image)
ख़ूबसूरत नात लिरिक्स: – मौला या सल्ली बसल्लिम हिंदी लिरिक्स
सूरह अल माऊन पीडीऍफ़ (Surah Al-Maun Pdf hindi mein)
मेरे प्यारे दीनी भाइयों और बहनों जैसा की आपने ऊपर सूरह अल माउन को हिंदी में तर्जुमा के साथ पढ़ा। साथ ही साथ आपने Araital Lazi की Hindi Image भी देखी होंगी।
यहाँ हमने Araital lazi Surah Pdf Hindi Me उपलब्ध करायी है आप आसानी के साथ सूरह अल माउन की Pdf को डाउनलोड कर सकते है।
Surah Al-Maun Ki Mp3 or Audio File Download
मेरे प्यारे भाइयों और बहनों जैसा की आपने इस पोस्ट में सूरह अल माउन को सभी भाषाओं में टेक्स्ट और इमेजेज के जरिये पढ़ा ही होगा।
लेकिन अगर आप सूरह सुनना पसंद करते है, जिससे आपने दिल और दिमाग को आराम मिलता है।
उसके लिये हमने नीचे सुरह अरा अय्तल लजी की Mp3 फाइल डाउनलोड करने का लिंक दिया है। यहाँ से आप आसानी के साथ Araytal Lazi Ki Mp3 को डाउनलोड कर सकते हो।
सूरह माऊन की तफसीर (Surah maun in hindi tafseer)
Surah maun में इंसानों के कुछ गलत कामों या यूं कहें जिसे इस्लाम में ग़लत माना गया है; और कुछ मुनाफ़िक़ ऐसा करते हैं, उसे ही Surah maun में बताया गया है।
सूरह की पहली तीन आयतों में तीन बातें बताई गयी है जो काफिरों से मुताल्लिक हैं।
👉 1. क़यामत को न मानना – यहां उन काफ़िरों और मुनाफीकों की बात हो रही है, जो क़यामत के दिन को नहीं मानते; और न ही क़यामत के दिन होने वाले हिसाब किताब को मानते हैं।
और तो और दुनियावी कामों में मशगूल रहते हैं और अपने आप को बादशाह समझ कर जिंदगी जीते हैं, और इन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता।
👉 2. यतीमों यानी गरीब और मिस्कीनो से बुरा बर्ताव करना – आज के वक़्त में ही नहीं बल्कि बहुत पहले ज़माने से ऐसा है; कि लोग यतीमों के साथ बुरा बर्ताव करते थे और उनको उनके हक्क से मरहूम कर देते थे और उनकी कोई इज्जत नहीं करते थे। यतीमों को खिलाना पिलाना तो दूर उल्टा उन्हीं का हक़ मारते थे।
👉 3. गरीबों और मिस्कीनो को खाना न खिलाना – यानी जो गरीब हैं उन्हें खाना न खिलाना; जब कि अल्लाह ने आपको हर चीज से नवाजा फिर भी आप गरीबों को खाना नहीं खिलाते और तो और किसी और को गरीबों की मदद करने की नसीहत या तरकीब नहीं देते। ज़ाहिर सी बात है कि जिस शख्स के अन्दर नरमी नहीं होगी।
वो न तो खिलाने पर दूसरों को न ही रास्ता बताएगा और न ही खुद खाना खिलाएगा और फिर ये सब न करने का वो लोग ये बहाना बनाते थे कि “हम उन को कैसे खिलाएं अगर अल्लाह चाहता तो खुद उनको खिला देता” सूरह यासीन में इस का ज़िक्र आया है।
आज के ज़माने में लोग गरीबों को अछूत समझते हैं और उन्हें नीचा दिखाते हैं, जिससे उन्हें तकलीफ होती है; और इससे अल्लाह नाराज़ होता है।
अगली चार आयतों में तीन बातों का ज़िक्र किया गया है जो कि मुनाफिकीन से मुताल्लिक हैं यानी जिनमे मुनाफिकीन के बारे में बताया गया है।
👉 4. नमाज़ों में गफलत करना। – ऐसे भी बहुत से लोग इस दुनिया में पाए जाते हैं, जिनको नमाज़ से मतलब नहीं; जबकि वो मुस्लमान हैं और अगर नमाज़ अदा भी करते तो सुश्ती या जल्दबाजी में अदा करते हैं।
और पढ़ भी ली चाहे डर से या मां बाप की जबरदस्ती की वजह से लेकिन कभी पढ़ी, कभी नहीं पढ़ी; मतलब बस दिखाबे के लिए पढ़ लिया, लेकिन वो नमाज़ जो उन्होंने पढ़ी वह क़बूल नहीं होंगी। दिखाबे की इबादत अल्लाह को कुबूल नहीं।
👉 5. दिखावा करना – दिखावा कैसा भी हो सकता है लेकिन यहां दिखावे से मुराद है कि; लोग अगर कभी दीन और सवाब का काम करते हैं जैसे नमाज़ अदा की, या हज किया, या ज़कात दी तो उनके दिल में वो इबादत के लिए नहीं ब्लकि दीखावे के लिए किया।
इन सब के कामों के पीछे उनका मकसद इबादत या दीन के खातिर नहीं बल्कि; अपने पैसों की नुमाइश करने के लिए किया बस इबादत और दीन की आड़ लेकर।
👉 6. माऊन को रोक लेना – माऊन के बारे में हज़रत अब्दुल्ला बिन मसूद र।अ।और हज़रत अब्दुल्ला बिन अब्बास र।अ। की रिवायत है कि इस का मतलब उन घरेलु ज़रुरत की आम चीज़ो से हैं, जो एक दुसरे को इस्तेमाल के लिए दी जाती हैं जैसे की पानी, बर्तन, गिलास।
लेकिन हज़रत अली और मुफस्सिरीन ने इसका मतलब ज़कात बताया है यानी इस आयत में ज़कात न देने पर अल्लाह ने नाराज़गी फरमाई है।
काफिर किसे कहा जाता हैं?
इस्लाम में जिन -जिन बातों पर ईमान लाना ज़रूरी है उन में से किसी एक बात को भी न मानने या उसका इनकार करने वाले को काफिर कहते हैं।
मुनाफ़िक़ किसे कहा जाता हैं ?
मुनाफ़िक़ उस को कहा जाता है जो ऊपर से अपने आप को मुसलमान बताता है लेकिन अन्दर से वो मुसलमान नहीं है और मुसलमानों से नफरत करता है।
सूरह माऊन के फायदे (Surah al maun ki fazilat)
इसकी सबसे बड़ी फज़ीलत ये है कि जो शख्स surah al maun को पढ़ेगा; उसकी नमाज़ में उसको बुरे ख़यालात नहीं आएंगे और उसको नमाज़ पढ़ने की तौफीक होगी।
इस सूरह को पढ़ने से आपकी नमाज़ में ख़ुसु और क़ुज़ु पैदा होगी।
तो ये थी हमारी पोस्ट araital lazi surah in hindi उम्मीद करते हैं, आपको हमारी पोस्ट पसंद आयी होगी।
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