Surah An Nisa in Hindi: – दोस्तों अगर आप सूरह अन-निसा को हिंदी में पढ़ना चाहते हैं तो आप बिलकुल सही जगह हो।
इस पोस्ट में हमने सूरह निसा के रुकू 1-24 तक (Surah An-NIsa Ruku 1-24) को हिंदी में तर्जुमा के साथ मौजूद कराया है।
सूरह अन-निसा कुरान मजीद की चौथे नंबर की सूरह है जोकि पारा 4-5 में मौजूद है। सूरह अन निसा मदीना में नाज़िल हुई है और इसमे दो सौ (174) आयतें और 24 रूकुअ है।
सूरह का नाम | सूरह अन निसा (Surah An-Nisa) |
पारा नंबर | 5-6 |
कहाँ नाज़िल हुई? | मदीना |
कुल रुकुअ | 24 |
कुल आयतें | 176 |
कुल शब्द | 3763 |
कुल अक्षर | 16332 |
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Surah An-Nisa In Hindi | सूरह निसा हिंदी में
सूरह न० 4
(सूरह अन-निसा (मदनी))
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
रुकूअ- 1
या अय्युहन्नासुत्तकू रब्बकुमुल्लज़ी ख़-ल-ककुम् मिन् नफ्सिंव्वाहि-दतिंव व ख़-ल-क़ मिन्हा ज़ौजहा व बस्-स मिन्हुमा रिजालन् कसीरंव-व निसाअन् , वत्तकुल्लाहल्लज़ी तसाअलू-न बिही वल्अरहा-म , इन्नल्ला-ह का-न अलैकुम् रक़ीबा (1)
ऐ लोगो! अपने रब का डर रखो, जिसने तुमको एक जीव से पैदा किया और उसी जाति का उसके लिए जोड़ा पैदा किया और उन दोनों से बहुत-से पुरुष और स्त्रियाँ फैला दीं। अल्लाह का डर रखो, जिसका वास्ता देकर तुम एक-दूसरे के सामने आपनी माँगें रखते हो। और नाते-रिश्तों का भी तुम्हें ख़याल रखना है। निश्चय ही अल्लाह तुम्हारी निगरानी कर रहा है।
व आतुल्-यतामा अम्वालहुम् व ला त-तबद्दलुल्ख़बी-स बित्तय्यिबि व ला तअ्कुलू अम्वालहुम् इला अम्वालिकुम् , इन्नहू का-न हूबन् कबीरा (2)
और अनाथों को उनका माल दे दो और बुरी चीज़ को अच्छी चीज़ से न बदलो, और न उनके माल को अपने माल के साथ मिलाकर खा जाओ। यह बहुत बड़ा गुनाह है।
व इन् खिफ्तुम् अल्ला तुक्सितू फ़िल्यतामा फ़न्किहू मा ता-ब लकुम् मिनन्निसा-इ मसना व सुला-स व रूबा , अ फ़-इन् ख़िफ्तुम् अल्ला तअ्दिलू फ़वाहि-दतन् औ मा म-लकत् ऐमानुकुम् , ज़ालि-क अद्ना अल्ला तअूलू (3)
और यदि तुम्हें आशंका हो कि तुम अनाथों (अनाथ लड़कियों) के प्रति न्याय न कर सकोगे तो उनमें से, जो तुम्हें पसन्द हों, दो-दो या तीन-तीन या चार-चार से विवाह कर लो। किन्तु यदि तुम्हें आशंका हो कि तुम उनके साथ एक जैसा व्यवहार न कर सकोगे, तो फिर एक ही पर बस करो, या उस स्त्री (लौंडी) पर जो तुम्हारे क़ब्ज़े में आई हो, उसी पर बस करो। इसमें तुम्हारे न्याय से न हटने की अधिक सम्भावना है।
व आतुन्निसा-अ सदुक़ातिहिन्-न निह़्ल-तन् , फ़-इन् तिब्-न लकुम् अन् शैइम् मिन्हु नफ्सन् फ़कुलूहु हनीअम्-मरीआ (4)
और स्त्रियों को उनके मह्र ख़ुशी से अदा करो। हाँ, यदि वे अपनी ख़ुशी से उसमें से तुम्हारे लिए छोड़ दें तो उसे तुम अच्छा और पाक समझकर खाओ।
व ला तुअतुस्सु-फ़ हा-अ अम्वालकुमुल्लती ज-अलल्लाहु लकुम् कियामंव-वरजुकूहुम् फ़ीहा वक्सूहुम् व कूलू लहुम् कौलम् मअरूफ़ा (5)
और अपने माल, जिसे अल्लाह ने तुम्हारे लिए जीवन-यापन का साधन बनाया है, बेसमझ लोगों को न दो। उन्हें उसमें से खिलाते और पहनाते रहो और उनसे भली बात कहो।
वब्तलु ल्-यतामा हत्ता इज़ा ब-लगुन्निका-ह फ़-इन् आनस्तुम् मिन्हुम् रूश्दन् फद्फ़अू इलैहिम् अम्वालहुम् व ला तअ्कुलूहा इसराफंव-व बिदारन् अंय्यक्बरू , व मन् का-न ग़निय्यन् फ़ल्यस्तअ्फिफ व मन् का-न फ़क़ीरन् फ़ल्यअ्कुल बिल्मअ्रूफि , फ़-इज़ा द-फ़अतुम इलैहिम् अम्वालहुम् फ़-अश्हिदू अलैहिम् , व कफ़ा बिल्लाहि हसीबा (6)
और अनाथों को जाँचते रहो, यहाँ तक कि जब वे विवाह की अवस्था को पहुँच जाएँ, तो फिर यदि तुम देखो कि उनमें सूझ-बूझ आ गई है, तो उनके माल उन्हें सौंप दो, और इस भय से कि कहीं वे बड़े न हो जाएँ तुम उनके माल अनुचित रूप से उड़ाकर और जल्दी करके न खाओ। और जो धनवान हो, उसे तो (इस माल से) से बचना ही चाहिए। हाँ, जो निर्धन हो, वह उचित रीति से कुछ खा सकता है। फिर जब उनके माल उन्हें सौंपने लगो, तो उनकी मौजूदगी में गवाह बना लो। हिसाब लेने के लिए तो अल्लाह काफ़ी है।
लिर्रिजालि नसीबुम्-मिम्मा त-रकल्-वालिदानि वल-अक़रबू-न व लिन्निसा-इ नसीबुम्-मिम्मा त-रकल्-वालिदानि वल्-अवरबू-न मिम्मा कल्-ल मिन्हु औ कसु-र , नसीबम् मफ़्रूज़ा (7)
पुरुषों का उस माल में एक हिस्सा है जो माँ-बाप और नातेदारों ने छोड़ा हो; और स्त्रियों का भी उस माल में एक हिस्सा है जो माल माँ-बाप और नातेदारों ने छोड़ा हो-चाहे वह थोड़ा हो या अधिक हो-यह हिस्सा निश्चित किया हुआ है।
व इज़ा ह-ज़रल किस्म-त उलुल्कुरबा वल्-यतामा वल्मसाकीनु फर्जुकूहुम् मिन्हु व कूलू लहुम कौलम् मअ्रूफ़ा (8)
और जब बाँटने के समय नातेदार और अनाथ और मुहताज उपस्थित हों तो उन्हें भी उसमें से (उनका हिस्सा) दे दो और उनसे भली बात करो।
वल्यख्शल्लज़ी-न लौ त-रकू मिन् ख़ल्फ़िहिम् जुर्रिय्यतन जि़आ़फन् ख़ाफू अलैहिम् फ़ल्यत्तकुल्ला-ह वल्-यकूलू कौलन् सदीदा (9)
और लोगों को डरना चाहिए कि यदि वे स्वयं अपने पीछे निर्बल बच्चे छोड़ते तो उन्हें उन बच्चों के विषय में कितना भय होता। तो फिर उन्हें अल्लाह से डरना चाहिए और ठीक सीधी बात कहनी चाहिए।
इन्नल्लज़ी-न यअ्कुलू-न अम्वालल् यतामा जुल्मन् इन्नमा यअकुलू-न फ़ी बुतूनिहिम् नारन् , व स-यस्लौ-न सअीरा (10)*
जो लोग अनाथों के माल अन्याय के साथ खाते हैं, वास्तव में वे अपने पेट आग से भरते हैं, और वे अवश्य भड़कती हुई आग में पड़ेंगे।
रुकूअ- 2
यूसीकुमुल्लाहु फ़ी औलादिकुम् , लिज्ज-करि मिस्लु हज्जिल-उन्सयैनि फ़-इन् कुन्-न निसाअन् फ़ौक़स्-नतैनि फ़-लहुन्-न सुलुसा मा त-र-क व इन् कानत् वाहि-दतन् फ-लहन्निस्फु , व लि-अ-बवैहि लिकुल्लि वाहिदिम्-मिन्हुमस्सुदुसु मिम्मा त-र-क इन् का-न लहू व-लदुन् फ़-इल्लम् यकुल्लहू व-लदुंव्-व वरि-सहू अ-बवाहू फ़-लिउम्मिहिस्सुलुसु फ़-इन् का-न लहू इख्वतुन् फ़-लिउम्मिहिस्सुदुसु मिम्-बअ्दि वसिय्यतिंय्-यूसी बिहा औ दैनिन् , आबाउकुम् व अब्नाउकुम् ला तद्-न अय्युहुम् अक्रबु लकुम् नफ्अन् , फ़री-जतम् मिनल्लाहि , इन्नल्ला-ह का-न अलीमन् हकीमा (11)
अल्लाह तुम्हारी सन्तान के विषय में तुम्हें आदेश देता है कि दो बेटियों के हिस्से के बराबर एक बेटे का हिस्सा होगा; और यदि दो से अधिक बेटियाँ ही हों तो उनका हिस्सा छोड़ी हुई सम्पत्ति का दो तिहाई है। और यदि वह अकेली हो तो उसके लिए आधा है। और यदि मरनेवाले की सन्तान हो तो उसके माँ-बाप में से प्रत्येक का उसके छोड़े हुए माल का छठा हिस्सा है। और यदि वह निस्संतान हो और उसके माँ-बाप ही उसके वारिस हों, तो उसकी माँ का हिस्सा तिहाई होगा। और यदि उसके भाई भी हों, तो उसकी माँ का छठा हिस्सा होगा। ये हिस्से, वसीयत जो वह कर जाए पूरी करने या ऋण चुका देने के पश्चात हैं। तुम्हारे बाप भी हैं और तुम्हारे बेटे भी। तुम नहीं जानते कि उनमें से लाभ पहुँचाने की दृष्टि से कौन तुमसे अधिक निकट है। यह हिस्सा अल्लाह का निश्चित किया हुआ है। अल्लाह सब कुछ जानता, समझता है।
व लकुम् निस्फु मा त-र-क अज्वाजुकुम् इल्लम् युकुल्लहुन्-न व लदुन् फ़-इन का न लहुन्-न व-लदुन् फ़-लकुमुर्रूबुअु मिम्मा तरक्-न मिम्-बअ्दि वसिय्यतिंय्यूसी-न बिहा औ दैनिन् , व लहुन्नर्रूबुअु मिम्मा तरक्तुम् इल्लम् यकुल्लकुम् व-लदुन् फ़-इन् का-न लकुम व-लदुन् फ़-लहुन्नस्सुमुनु मिम्मा तरक्तुम् मिम्-बअ्दि वसिय्यतिन् तूसू-न बिहा औ दैनिन् , व इन् का-न रजुलुंय्यू-रसु कलाल-तन् अविम-र-अतुंव-व लहू अखुन् औ उख्तुन् फ़-लिकुल्लि वाहिदिम् मिन्हुमस्सुदुसु फ़-इन् कानू अक्स-र मिन् ज़ालि-क फ़हुम् शु-रका-उ फिस्सुलुसि मिम्-बअ्दि वसिय्यतिंय्यूसा बिहा औ दैनिन् गै-र मुज़ाररिन् वसिय्यतम् मिनल्लाहि , वल्लाहु अलीमुन् हलीम (12)
और तुम्हारी पत्नियों ने जो कुछ छोड़ा हो, उसमें तुम्हारा आधा है, यदि उनकी सन्तान न हो। लेकिन यदि उनकी सन्तान हों तो वे जो छोड़ें, उसमें तुम्हारा चौथाई होगा, इसके पश्चात कि जो वसीयत वे कर जाएँ वह पूरी कर दी जाए, या जो ऋण (उनपर) हो वह चुका दिया जाए। और जो कुछ तुम छोड़ जाओ, उसमें उनका (पत्नियों का) चौथाई हिस्सा होगा, यदि तुम्हारी कोई सन्तान न हो। लेकिन यदि तुम्हारी सन्तान है, तो जो कुछ तुम छोड़ोगे, उसमें से उनका (पत्नियों का) आठवाँ हिस्सा होगा, इसके पश्चात कि जो वसीयत तुमने की हो वह पूरी कर दी जाए, या जो ऋण हो उसे चुका दिया जाए, और यदि किसी पुरुष या स्त्री के न तो कोई सन्तान हो और न उसके माँ-बाप ही जीवित हों और उसके एक भाई या बहन हो तो उन दोनों में से प्रत्येक का छठा हिस्सा होगा। लेकिन यदि वे इससे अधिक हों तो फिर एक तिहाई में वे सब शरीक होंगे, इसके पश्चात कि जो वसीयत उसने की वह पूरी कर दी जाए या जो ऋण (उसपर) हो वह चुका दिया जाए, शर्त यह है कि वह हानिकर न हो। यह अल्लाह की ओर से ताकीदी आदेश है और अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, अत्यन्त सहनशील है।
तिल-क हुदूदुल्लाहि व मंय्युतिअिल्ला-ह व रसूलहू युदखिल्हु जन्नातिन् तज्री मिन् तह़्तिहल-अन्हारू ख़ालिदी-न फ़ीहा , व ज़ालिकल फौजुल अज़ीम (13)
ये अल्लाह की निश्चित की हुई सीमाएँ हैं। जो कोई अल्लाह और उसके रसूल के आदेशों का पालन करेगा, उसे अल्लाह ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेगा जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी। उनमें वह सदैव रहेगा और यही बड़ी सफलता है।
व मंय्यअ्सिल्ला-ह व रसूलहू व य-तअद्-द हुदू-दहू युदखिल्हु नारन् खालिदन् फ़ीहा व लहू अज़ाबुम् मुहीन (14)*
परन्तु जो अल्लाह और उसके रसूल की अवज्ञा करेगा और उसकी सीमाओं का उल्लंघन करेगा उसे अल्लाह आग में डालेगा, जिसमें वह सदैव रहेगा। और उसके लिए अपमानजनक यातना है।
Surah An-Nisa in Hindi रुकूअ- 3
वल्लाती यअ्तीनल्-फ़ाहि-श-त मिन्निसा-इकुम् फस् तशहिदू अलैहिन्-न अर-ब-अतम् मिन्कुम् फ-इन् शहिदू फ़-अम्सिकूहुन्-न फ़िल्बुयूति हत्ता य-तवफ्फाहुन्नल्मौतु औ यज्अलल्लाहु लहुन्-न सबीला (15)
और तुम्हारी स्त्रियों में से जो व्यभिचार कर बैठें, उनपर अपने में से चार आदमियों की गवाही लो, फिर यदि वे गवाही दे दें तो उन्हें घरों में बन्द रखो, यहाँ तक कि उनकी मृत्यु आ जाए या अल्लाह उनके लिए कोई रास्ता निकाल दे।
वल्लज़ानि यअ्तियानिहा मिन्कुम् फ-आजूहुमा फ इन् ताबा व अस्लहा फ-अअ्रिजू अन्हुमा , इन्नल्ला-ह का-न तव्वाबर्रहीमा (16)
और तुममें से जो दो पुरुष यह कर्म करें, उन्हें प्रताड़ित करो, फिर यदि वे तौबा कर लें और अपने आपको सुधार लें, तो उन्हें छोड़ दो। अल्लाह तौबा क़बूल करनेवाला, दयावान है।
इन्नमत्तौबतु अलल्लाहि लिल्लज़ी-न यअ् मलूनस्सू-अ बि-जहालतिन् सुम्-म यतूबू-न मिन् करीबिन् फ़-उलाइ-क यतूबुल्लाहु अलैहिम् , व कानल्लाहु अलीमन् हकीमा (17)
उन्हीं लोगों की तौबा क़बूल करना अल्लाह के ज़िम्मे है जो भावनाओं में बह कर नादानी से कोई बुराई कर बैठें, फिर जल्द ही तौबा कर लें, ऐसे ही लोग हैं जिनकी तौबा अल्लाह क़बूल करता है। अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, तत्वदर्शी है।
व लै सतित्तौबतु लिल्लज़ी-न यअ्मलूनस्सय्यिआति हत्ता इज़ा ह-ज़-र अ-ह-दहुमुल्मौतु का-ल इन्नी तुब्तुल-आ-न व लल्लज़ी-न यमूतू-न व हुम् कुफ्फारून् , उलाइ-क अअ्तद्ना लहुम् अज़ाबन् अलीमा (18)
और ऐसे लोगों की तौबा नहीं जो बुरे काम किए चले जाते हैं, यहाँ तक कि जब उनमें से किसी की मृत्यु का समय आ जाता है तो कहने लगता है, “अब मैं तौबा करता हूँ।” और इसी प्रकार तौबा उनकी भी नहीं है, जो मरते दम तक इनकार करनेवाले ही रहे। ऐसे लोगों के लिए हमने दुखद यातना तैयार कर रखी है।
या अय्युहल्लज़ी-न आमनू ला यहिल्लु लकुम् अन् तरिसुन्निसा-अ करहन् , व ला तअ्जुलूहुन्-न लि-तज्हबू बि-बअज़ि मा आतैतुमूहुन्-न इल्ला अंय्यअ्ती-न बिफ़ाहि-शतिम् मुबय्यिनतिन् व आशिरूहुन्-न बिल्-मअ़रूफि फ़-इन् करिह़्तुमूहुन्-न फ़-असा अन् तक़्रहू शैअंव-व यज्अ़लल्लाहु फ़ीहि खैरन् कसीरा (19)
ऐ ईमान लानेवालो! तुम्हारे लिए वैध नहीं कि स्त्रियों के माल के ज़बरदस्ती वारिस बन बैठो, और न यह वैध है कि उन्हें इसलिए रोको और तंग करो कि जो कुछ तुमने उन्हें दिया है, उसमें से कुछ ले उड़ो। परन्तु यदि वे खुले रूप में अशिष्ट कर्म कर बैठें तो दूसरी बात है। और उनके साथ भले तरीक़े से रहो-सहो। फिर यदि वे तुम्हें पसन्द न हों, तो सम्भव है कि एक चीज़ तुम्हें पसन्द न हो और अल्लाह उसमें बहुत कुछ भलाई रख दे।
व इन् अरत्तुमुस्तिब्दा-ल ज़ौजिम् मका-न जौजिंव-व आतैतुम् इह़्दाहुन्-न किन्तारन् फला तअ्खुजु मिन्हु शैअन् , अ-तअ्खुजूनहू बुह्तानंव-व इस्मम् मुबीना (20)
और यदि तुम एक पत्नी की जगह दूसरी पत्नी लाना चाहो तो, चाहे तुमने उनमें किसी को ढेरों माल दे दिया हो, उसमें से कुछ मत लेना। क्या तुम उसपर झूठा आरोप लगाकर और खुले रूप में हक़ मारकर उसे लोगे?(
व कै-फ़ तअ्खुजूनहू व कद् अफ्ज़ा बअ्जुकुम् इला बअ्जिंव-व अख़ज़्-न मिन्कुम् मीसाकन् ग़लीज़ा (21)
और तुम उसे किस तरह ले सकते हो, जबकि तुम एक-दूसरे से मिल चुके हो और वे तुमसे दृढ़ प्रतिज्ञा भी ले चुकी हैं?
व ला तन्किहू मा न-क-ह आबाउकुम् मिनन्निसा-इ इल्ला मा कद् स-ल-फ , इन्नहू का-न फ़ाहि-शतंव् व मक्तन् , व सा-अ सबीला (22)*
और उन स्त्रियों से विवाह न करो, जिनसे तुम्हारे बाप विवाह कर चुके हों, परन्तु जो पहले हो चुका सो हो चुका। निस्संदेह यह एक अश्लील और अत्यन्त अप्रिय कर्म है, और बुरी रीति है।
Surah An-Nisa in Hindi रुकूअ- 4
हुर्रिमत् अलैकुम् उम्महातुकुम् व बनातुकुम् व अ-खवातुकुम् व अम्मातुकुम् व खालातुकुम् व बनातुल-अखि व बनातुल्-उख़्ति व उम्महातु-कुमुल्लाती अर्ज़अ्नकुम् व अ-खवातुकुम् मिनर्रज़ा-अति व उम्महातु निसा-इकु म् व रबा-इबुकुमुल्लाती फ़ी हुजूरिकुम् मिन्निसा-इकुमुल्लाती दखल्तुम् बिहिन्-न फ़-इल्लम् तकूनू दखल्तुम बिहिन्-न फ़ला जुना-ह अलैकुम् व हला-इलु अब्ना-इकुमुल्लज़ी-न मिन् अस्लाबिकुम् व अन् तज्मअू बैनल-उख्तैनि इल्ला मा क़द् स-ल-फ़ , इन्नल्ला-ह का-न गफूरर्रहीमा (23)
तुम्हारे लिए हराम है तुम्हारी माएँ, बेटियाँ, बहनें, फूफियाँ, मौसियाँ, भतीजियाँ, भाँजियाँ, और तुम्हारी वे माएँ जिन्होंने तुम्हें दूध पिलाया हो और दूध के रिश्ते से तुम्हारी बहनें और तुम्हारी सासें और तुम्हारी पत्नियों की बेटियाँ जो दूसरे पति से हों और जो तुम्हारी गोदों में पलीं- तुम्हारी उन स्त्रियों की बेटियाँ जिनसे तुम सम्भोग कर चुके हो। परन्तु यदि सम्भोग नहीं किया है तो इसमें तुमपर कोई गुनाह नहीं-और तुम्हारे उन बेटों की पत्नियाँ जो तुमसे पैदा हों और यह भी कि तुम दो बहनों को इकट्ठा करो; परन्तु पहले जो हो चुका सो हो चुका। निश्चय ही अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है।
वल-मुह़्सनातु मिनन्निसा-इ इल्ला मा म-लकत् ऐमानुकुम् किताबल्लाहि अलैकुम् व उहिल्-ल लकुम् मा वरा-अ ज़ालिकुम् अन् तब्तगू बिअम्वालिकुम् मुह़्सिनी-न गै-र मुसाफ़िही-न , फ़मस् तम्तअ्तुम् बिही मिन्हुन्-न फ़आतूहुन्-न उजूरहुन्-न फ़री-जतन् , व ला जुना-ह अलैकुम् फ़ीमा-तराजैतुम् बिही मिम्-बअ्दिल फ़री-ज़ति , इन्नल्ला-ह का-न अलीमन् हकीमा (24)
और विवाहित स्त्रियाँ भी वर्जित हैं, सिवाय उनके जो तुम्हारी लौंडी हों। यह अल्लाह ने तुम्हारे लिए अनिवार्य कर दिया है। इनके अतिरिक्त शेष स्त्रियाँ तुम्हारे लिए वैध हैं कि तुम अपने माल के द्वारा उन्हें प्राप्त करो उनकी पाकदामनी की सुरक्षा के लिए, न कि यह काम स्वच्छन्द काम-तृप्ति के लिए हो। फिर उनसे दाम्पत्य जीवन का आनन्द लो तो उसके बदले उनका निश्चित किया हुआ हक़ (मह्र) अदा करो और यदि हक़ निश्चित हो जाने के पश्चात तुम आपम में अपनी प्रसन्नता से कोई समझौता कर लो, तो इसमें तुम्हारे लिए कोई दोष नहीं। निस्संदेह अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, तत्वदर्शी है।
व मल्लम् यस्ततिअ् मिन्कुम तौलन् अय्यन् किहल् मुह़्सनातिल्-मुअ्मिनाति फ-मिम्मा म-लकत् ऐमानुकुम् मिन् फ़-तयातिकुमुल् मुअ्मिनाति , वल्लाहु अअ्लमु बिईमानिकुम , बअ् जुकुम् मिम्-बअ्ज़िन फ़न्किहू हुन्-न बि-इज्नि अह़्लिहिन्-न व आतूहुन्-न उजूरहुन्-न बिल्मअरूफ़ि मुह्सनातिन् गै-र मुसाफ़िहातिंव्वला मुत्तखिज़ाति अख्दानिन् फ़-इज़ा उह़्सिन्-न फ़-इन् अतै-न बिफाहि-शतिन् फ़-अलैहिन्-न निस्फु मा अलल् मुह्सनाति मिनल-अज़ाबि , ज़ालि-क लिमन् ख़शियल अ-न-त मिन्कुम् , व अन् तस्बिरू खैरूल्लकुम् , वल्लाहु गफूरूर्रहीम (25)*
और तुममें से जिस किसी की इतनी सामर्थ्य न हो कि पाकदामन, स्वतंत्र, ईमानवाली स्त्रियों से विवाह कर सके, तो तुम्हारी वे ईमानवाली जवान लौंडियाँ ही सही जो तुम्हारे क़ब्ज़े में हों। और अल्लाह तुम्हारे ईमान को भली-भाँति जानता है। तुम सब आपस में एक ही हो, तो उनके मालिकों की अनुमति से तुम उनसे विवाह कर लो और सामान्य नियम के अनुसार उन्हें उनका हक़ भी दो। वे पाकदामनी की सुरक्षा करनेवाली हों, स्वच्छन्द काम-तृप्ति न करनेवाली हों और न वे चोरी-छिपे ग़ैरों से प्रेम करनेवाली हों। फिर जब वे विवाहिता बना ली जाएँ और उसके पश्चात कोई अश्लील कर्म कर बैठें, तो जो दंड सम्मानित स्त्रियों के लिए है, उसका आधा उनके लिए होगा। यह तुममें से उस व्यक्ति के लिए है, जिसे ख़राबी में पड़ जाने का भय हो, और यह कि तुम धैर्य से काम लो तो यह तुम्हारे लिए अधिक अच्छा है। निस्संदेह अल्लाह बहुत क्षमाशील, दयावान है।
रुकूअ- 5
युरीदुल्लाहु लि-युबय्यि-न लकुम् व यहिद-यकुम् सु-ननल्लज़ी-न मिन् कब्लिकुम् व यतू-ब अलैकुम् , वल्लाहु अलीमुन् हकीम (26)
अल्लाह चाहता है कि तुम पर स्पष्ट कर दे और तुम्हें उन लोगों के तरीक़ों पर चलाए, जो तुमसे पहले हुए हैं और तुमपर दयादृष्टि करे। अल्लाह तो सब कुछ जाननेवाला, तत्वदर्शी है।
वल्लाहु युरीदु अंय्यतू-ब अलैकुम् , वयुरीदुल्लज़ी-न यत्तबिअूनश्श हवाति अन् तमीलू मैलन् अज़ीमा (27)
और अल्लाह चाहता है कि तुमपर दयादृष्टि करे, किन्तु जो लोग अपनी तुच्छ इच्छाओं का पालन करते हैं, वे चाहते हैं कि तुम राह से हटकर बहुत दूर जा पड़ो।
युरीदुल्लाहु अंय्युखफ्फि-फ अन्कुम् व खुलिकल्-इन्सानु ज़अीफा (28)
अल्लाह चाहता है कि तुमपर से बोझ हलका कर दे, क्योंकि इनसान निर्बल पैदा किया गया है।
या अय्युहल्लज़ी-न आमनू ला तअ्कुलू अम्वालकुम् बैनकुम् बिल्बातिलि इल्ला अन् तकू-न तिजा-रतन् अन् तराज़िम् मिन्कुम् , व ला तक्तुलू अन्फु-सकुम् , इन्नल्ला-ह का-न बिकुम रहीमा (29)
ऐ ईमान लानेवालो! आपस में एक-दूसरे के माल ग़लत तरीक़े से न खाओ-यह और बात है कि तुम्हारी आपस में रज़ामन्दी से कोई सौदा हो-और न अपनों की हत्या करो। निस्संदेह अल्लाह तुमपर बहुत दयावान है।
व मंय्यफ्अल ज़ालि-क अुद्वानंव-व जुल्मन् फ़सौ-फ़ नुस्लीहि नारन् , व का-न ज़ालि-क अलल्लाहि यसीरा (30)
और जो कोई ज़ुल्म और ज़्यादती से ऐसा करेगा, तो उसे हम जल्द ही आग में झोंक देंगे, और यह अल्लाह के लिए सरल है।
इन् तज्तनिबू कबा-इ-र मा तुन्हौ-न अन्हु नुकफ्फिर अन्कुम् सय्यिआतिकुम् व नुदखिल्कुम् मुद्-ख़लन् करीमा (31)
यदि तुम उन बड़े गुनाहों से बचते रहो, जिनसे तुम्हें रोका जा रहा है, तो हम तुम्हारी बुराइयों को तुमसे दूर कर देंगे और तुम्हें प्रतिष्ठित स्थान में प्रवेश कराएँगे।
व ला त-तमन्नौ मा फज्जलल्लाहु बिही बअ्जकुम् अला बअ्ज़िन् , लिर्रिजालि नसीबुम् मिम्-मक्त-सबू-व लिन्निसा-इ नसीबुम् मिम्-मक्त-सब-न , वस्अलुल्ला-ह मिन् फ़ज्लिही , इन्नल्ला-ह का-न बिकुल्लि शैइन् अलीमा (32)
और उसकी कामना न करो जिसमें अल्लाह ने तुमसे किसी को किसी से उच्च रखा है। पुरुषों ने जो कुछ कमाया है, उसके अनुसार उनका हिस्सा है और स्त्रियों ने जो कुछ कमाया है, उसके अनुसार उनका हिस्सा है। अल्लाह से उसका उदार दान चाहो। निस्संदेह अल्लाह को हर चीज़ का ज्ञान है।
व लिकुल्लिन् जअल्ना मवालि-य मिम्मा त-रकल्-वालिदानि वल-अक़्रबू-न , वल्लज़ी ,-न अ-क़दत् ऐमानुकुम् फ़-आतूहुम् नसीबहुम् , इन्नल्ला-ह का-न अला कुल्लि शैइन् शहीदा (33)*
और प्रत्येक माल के लिए, जो माँ-बाप और नातेदार छोड़ जाएँ, हमने वारिस ठहरा दिए हैं और जिन लोगों से अपनी क़समों के द्वारा तुम्हारा पक्का मामला हुआ हो, तो उन्हें भी उनका हिस्सा दो। निस्संदेह हर चीज़ अल्लाह के समक्ष है।
रुकूअ- 6
अर्रिजालु क़व्वामू-न अलन्निसा-इ बिमा फज्जलल्लाहु बअज़हुम् अला बअ्जिंव व बिमा अन्फकू मिन् अम्वालिहिम् , फ़स्सालिहातु क़ानितातुन् हाफ़िज़ातुल्-लिल्गै बि बिमा हफ़िज़ल्लाहु , वल्लाती तख़ाफू-न नुशूज़हुन्-न फ-अिजूहुन-न वह़्जुरुहुन्न फिल्मज़ाजिअि वज्रिबूहुन्-न फ इन् अ-तअ्नकुम् फला तब्गू अलैहिन्-न सबीलन् , इन्नल्ला-ह का-न अलिय्यन् कबीरा (34)
पति पत्नियों के संरक्षक और निगराँ हैं, क्योंकि अल्लाह ने उनमें से कुछ को कुछ के मुक़ाबले में आगे रखा है, और इसलिए भी कि पतियों ने अपने माल ख़र्च किए हैं, तो नेक पत्नियाँ तो आज्ञापालन करनेवाली होती हैं और गुप्त बातों की रक्षा करती हैं, क्योंकि अल्लाह ने उनकी रक्षा की है। और जो पत्नियाँ ऐसी हों जिनकी सरकशी का तुम्हें भय हो, उन्हें समझाओ और बिस्तरों में उन्हें अकेली छोड़ दो और (अति आवश्यक हो तो) उन्हें मारो भी। फिर यदि वे तुम्हारी बात मानने लगें, तो उनके विरुद्ध कोई रास्ता न ढूँढो। अल्लाह सबसे उच्च, सबसे बड़ा है।
व इन् खिफ्तुम् शिका-क बैनिहिमा फ़ब्असू ह-कमम् मिन् अह़्लिही व ह-कमम् मिन् अह़्लिहा इंय्युरीदा इस्लाहंय्युवफ्फ़िकिल्लाहु बैनहुमा , इन्नल्ला-ह का-न अलीमन् ख़बीरा (35)
और यदि तुम्हें पति-पत्नी के बीच बिगाड़ का भय हो, तो एक फ़ैसला करनेवाला पुरुष के लोगों में से और एक फ़ैसला करनेवाला स्त्री के लोगों में से नियुक्त करो, यदि वे दोनों सुधार करना चाहेंगे, तो अल्लाह उनके बीच अनुकूलता पैदा कर देगा। निस्संदेह, अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, ख़बर रखनेवाला है।
वअ्बुदुल्ला-ह व ला तुश्रिकू बिही शैअंव-व बिल-वालिदैनि इह़्सानंव-व बि-ज़िल्कुरबा वल्यतामा वल्मसाकीनि वल्जारि ज़िल्कुरबा वल्जारिल-जुनुबि वस्साहिबि बिल जम्बि वब्निस्सबीलि व मा म-लकत् ऐमानुकुम् , इन्नल्ला-ह ला युहिब्बु मन् का-न मुख़्तालन् फ़खूरा (36)
अल्लाह की बन्दगी करो और उसके साथ किसी को साझी न बनाओ और अच्छा व्यवहार करो माँ-बाप के साथ, नातेदारों, अनाथों और मुहताजों के साथ, नातेदार पड़ोसियों के साथ और अपरिचित पड़ोसियों के साथ और साथ रहनेवाले व्यक्ति के साथ और मुसाफ़िर के साथ और उनके साथ भी जो तुम्हारे क़ब्ज़े में हों। अल्लाह ऐसे व्यक्ति को पसन्द नहीं करता, जो इतराता और डींगें मारता हो।
अल्लज़ी-न यब्खलू-न व यअ्मुरूनन्-ना-स बिल्-बुख़्लि व यक्तुमू-न मा आताहुमुल्लाहु मिन् फज्लिही , व अअ्तद्ना लिल्काफ़िरी-न अज़ाबम्-मुहीना (37)
वे जो स्वयं कंजूसी करते हैं और लोगों को भी कंजूसी पर उभारते हैं और अल्लाह ने अपने उदार दान से जो कुछ उन्हें दे रखा होता है, उसे छिपाते हैं, तो हमने अकृतज्ञ लोगों के लिए अपमानजनक यातना तैयार कर रखी है।
वल्लज़ी-न युन्फ़िकू-न अम्वालहुम् रिआअन्नासि वला युअ्मिनू-न बिल्लाहि वला बिल् यौमिल्-आखिरि व मंय्यकुनिश्शैतानु लहू करीनन् फ़सा-अ करीना (38)
वे जो अपने माल लोगों को दिखाने के लिए ख़र्च करते हैं, न अल्लाह पर ईमान रखते हैं, न अन्तिम दिन पर, और जिस किसी का साथी शैतान हुआ, तो वह बहुत ही बुरा साथी है।
व माज़ा अलैहिम् लौ आमनू बिल्लाहि वल्यौमिल्-आख़िरि व अन्फकू मिम्मा र-ज़-क-हुमुल्लाहु , व कानल्लाहु बिहिम् अलीमा (39)
उनका क्या बिगड़ जाता, यदि वे अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान लाते और जो कुछ अल्लाह ने उन्हें दिया है, उसमें से ख़र्च करते? अल्लाह उन्हें भली-भाँति जानता है।
इन्नल्ला-ह ला यज्लिमु मिस्का-ल ज़र्रतिन् व इन् तकु ह-स-नतंय्युज़ाअिफ्हा व युअ्ति मिल्लदुन्हु अज्रन् अ़ज़ीमा (40)
निस्संदेह अल्लाह रत्ती-भर भी ज़ुल्म नहीं करता और यदि कोई एक नेकी हो तो वह उसे कई गुना बढ़ा देगा और अपनी ओर से बड़ा बदला देगा।
फ़कै-फ़ इज़ा जिअ्ना मिन् कुल्लि उम्मतिम् बि-शहीदिंव-व जिअ्ना बि-क अला हा-उला-इ शहीदा (41)
फिर क्या हाल होगा जब हम प्रत्येक समुदाय में से एक गवाह लाएँगे और स्वयं तुम्हें इन लोगों के मुक़ाबले में गवाह बनाकर पेश करेंगे?
यौमइजिंय्-यवद्दुल्लज़ी-न क-फरू व अ-सवुर्-रसू-ल लौ तुसव्वा बिहिमुल्-अर्जु , व ला यक्तुमूनल्ला-ह हदीसा (42)*
उस दिन वे लोग जिन्होंने इनकार किया होगा और रसूल की अवज्ञा की होगी, यही चाहेंगे कि किसी तरह उन्हें धरती में समोकर उसे बराबर कर दिया जाए। वे अल्लाह से कोई बात भी न छिपा सकेंगे।
Surah An-Nisa in Hindi रुकूअ- 7
या अय्युहल्लज़ी-न आमनू ला तक्रबुस्सला-त व अन्तुम् सुकारा हत्ता तअलमू मा तकूलू-न व ला जुनुबन् इल्ला आबिरी सबीलिन् हत्ता तग्तसिलू , व इन् कुन्तुम् मर्ज़ा औ अला स-फ़रिन् औ जा-अ अ-हदुम् मिन्कुम् मिनल्गा-इति औ लामस्तुमुन्निसा-अ फ़-लम् तजिदू माअन् फ़-तयम्ममू सअी़दन् तय्यिबन् फम्सहू बिवुजूहिकुम् व ऐदीकुम् , इन्नल्ला-ह का-न अफुव्वन् गफूरा (43)
ऐ ईमान लानेवालो! नशे की दशा में नमाज़ में व्यस्त न हो, जब तक कि तुम यह न जानने लगो कि तुम क्या कह रहे हो। और इसी प्रकार नापाकी की दशा में भी (नमाज़ में व्यस्त न हो), जब तक कि तुम स्नान न कर लो, सिवाय इसके कि तुम सफ़र में हो। और यदि तुम बीमार हो या सफ़र में हो, या तुममें से कोई शौच करके आए या तुमने स्त्रियों को हाथ लगाया हो, फिर तुम्हें पानी न मिले, तो पाक मिट्टी से काम लो और उसपर हाथ मारकर अपने चहरे और हाथों पर मलो। निस्संदेह अल्लाह नर्मी से काम लेनेवाला, अत्यन्त क्षमाशील है।
अलम् त-र इलल्लज़ी-न ऊतू नसीबम् मिनल किताबि यश्तरूनज्जला-ल-त व युरीदू-न अन् तज़िल्लुस्सबील (44)
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा, जिन्हें सौभाग्य प्रदान हुआ था अर्थात किताब दी गई थी? वे पथभ्रष्टता के ख़रीदार बने हुए हैं और चाहते हैं कि तुम भी रास्ते से भटक जाओ।
वल्लाहु अअ्लमु बि-अअ्दा-इकुम् , व कफ़ा बिल्लाहि वलिय्यंव-व कफ़ा बिल्लाहि नसीरा (45)
अल्लाह तुम्हारे शत्रुओं को भली-भाँति जानता है। अल्लाह एक संरक्षक के रूप में काफ़ी है और अल्लाह एक सहायक के रूप में भी काफ़ी है।
मिनल्लज़ी-न हादू युहर्रिफूनल कलि-म अम्मवाज़िअिही व यकूलू-न समिअ्ना व असैना वस्मअ् गै-र मुस्मअिंव्-व राअि़ना लय्यम् बि अल्सिनतिहिम् व तअ्नन् फ़िद्दीनि , व लौ अन्नहुम कालू समिअ्ना व अ-त शअ्ना वस्मअ् वन्जुर्ना लका-न खैरल्लहुम् व अक्व-म वला किल-ल-अ-नहुमुल्लाहु बिकुफ्रिहिम् फला युअ्मिनू-न इल्ला कलीला (46)
वे लोग जो यहूदी बन गए, वे शब्दों को उनके स्थानों से दूसरी ओर फेर देते हैं और कहते हैं, “समि’अना व ‘असैना” (हमने सुना, लेकिन हम मानते नहीं); और “इसम’अ ग़ै-र मुसम’इन” (सुनो हालाँकि तुम सुनने के योग्य नहीं हो) और “राइना” (हमारी ओर ध्यान दो)-यह वे अपनी ज़बानों को तोड़-मरोड़कर और दीन पर चोटें करते हुए कहते हैं। और यदि वे कहते, “समिअ’ना व अ-त’अना” (हमने सुना और माना) और “इसम’अ” (सुनो) और “उनज़ुरना” (हमारी ओर निगाह करो) तो यह उनके लिए अच्छा और अधिक ठीक होता। किन्तु उनपर तो उनके इनकार के कारण अल्लाह की फिटकार पड़ी हुई है। फिर वे ईमान थोड़े ही लाते हैं।
या अय्युहल्लज़ी-न ऊतुल्-किता-ब आमिनू बिमा नज्जल्ना मुसद्दिकल्लिमा म-अकुम् मिन् कब्लि अन्नत्मि-स वुजूहन् फ़-नरूद्दहा अला अदबारिहा औ नल्अ-नहुम् कमा ल-अन्ना अस्हाबस्सब्ति , व का-न अमरूल्लाहि मफ्अूला (47)
ऐ लोगो! जिन्हें किताब दी गई, उस चीज़ को मानो जो हमने उतारी है, जो उसकी पुष्टि में है, जो स्वयं तुम्हारे पास है, इससे पहले कि हम चेहरों की रूपरेखा को मिटाकर रख दें और उन्हें उनके पीछे की ओर फेर दें या उनपर लानत करें, जिस प्रकार हमने सब्तवालों पर लानत की थी। और अल्लाह का आदेश तो लागू होकर ही रहता है।
इन्नल्ला-ह ला यग्फिरू अंय्युश्र क बिही व यग्फिरू मा दू-न ज़ालि-क लिमंय्यशा-उ व मंय्युश्रिक् बिल्लाहि फ-कदिफ्तरा इस्मन् अज़ीमा (48)
अल्लाह इसको क्षमा नहीं करेगा कि उसका साझी ठहराया जाए। किन्तु उससे नीचे दर्जे के अपराध को जिसके लिए चाहेगा, क्षमा कर देगा और जिस किसी ने अल्लाह का साझी ठहराया, तो उसने एक बड़ा झूठ घड़ लिया।
अलम् त-र इलल्लज़ी-न युज़क्कू-न ‘ अन्फुसहुम , बलिल्लाहु युज़क्की मंय्यशा-उ वला युज्लमू-न फतीला (49)
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जो अपने को पूर्ण एवं शिष्ट होने का दावा करते हैं? (कोई यूँ ही शिष्ट नहीं हुआ करता) बल्कि अल्लाह ही जिसे चाहता है, पूर्णता एवं शिष्टता प्रदान करता है। और उनके साथ तनिक भी अत्याचार नहीं किया जाता।
उन्जुर कै-फ यफ्तरू-न अलल्लाहिल-कज़ि-ब , व कफा बिही इस्मम् मुबीना (50)*
देखो तो सही, वे अल्लाह पर कैसा झूठ मढ़ते हैं? खुले गुनाह के लिए तो यही पर्याप्त है।
Surah An-Nisa in Hindi रुकूअ- 8
अलम् त-र इलल्लज़ी-न ऊतू नसीबम् मिनल-किताबि युअ्मिनू-न बिल-जिब्ति वत्तागूति व यकूलू-न लिल्लज़ी-न क-फरू हा-उला-इ अह्दा मिनल्लज़ी-न आमनू सबीला (51)
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा, जिन्हें किताब का एक हिस्सा दिया गया? वे अवास्तविक चीज़ों और ताग़ूत (बढ़े हुए सरकश) को मानते हैं। और अधर्मियों के विषय में कहते हैं, “ये ईमानवालों से बढ़कर मार्ग पर हैं।”
उला-इकल्लज़ी-न ल-अ-नहुमुल्लाहु , व मंय्यलअनिल्लाहु फ़-लन् तजि-द लहू नसीरा (52)
वही है जिनपर अल्लाह ने लानत की है, और जिसपर अल्लाह लानत कर दे, उसका तुम कोई सहायक कदापि न पाओगे।
अम् लहुम् नसीबुम् मिनल-मुल्कि फ-इज़ल्ला युअतूनन्ना-स नकीरा (53)
या बादशाही में इनका कोई हिस्सा है? फिर तो ये लोगों को फूटी कौड़ी तक भी न देते।
अम् यह़्सुदूनन्ना-स अला मा आताहुमुल्लाहु मिन् फ़ज्लिही फ़-कद् आतैना आ-ल इब्राहीमल-किता-ब वल्हिक्म-त व आतैनाहुम् मुल्कन् अज़ीमा (54)
या ये लोगों से इसलिए ईर्ष्या करते हैं कि अल्लाह ने उन्हें अपने उदार दान से अनुग्रहीत कर दिया? हमने तो इबराहीम के लोगों को किताब और हिकमत (तत्वदर्शिता) दी और उन्हें बड़ा राज्य प्रदान किया।
फ-मिन्हुम मन् आम-न बिही व मिन्हुम् मन् सद्-द अन्हु , व कफ़ा बि-जहन्न-म सअी़रा (55)
फिर उनमें से कोई उसपर ईमान लाया और उनमें से किसी ने उससे किनारा खींच लिया। और (ऐसे लोगों के लिए) जहन्नम की भड़कती आग ही काफ़ी है।
इन्नल्लज़ी-न क-फरू बिआयातिना सौ-फ़ नुस्लीहिम् नारन् , कुल्लमा नज़िजत् जुलूदुहुम् बद्दल्नाहुम् जुलूदन गै रहा लि-यजूकुल-अज़ा-ब , इन्नल्ला-ह का-न अज़ीज़न हकीमा • (56)
जिन लोगों ने हमारी आयतों का इनकार किया, उन्हें हम जल्द ही आग में झोंकेंगे। जब भी उनकी खालें पक जाएँगी, तो हम उन्हें दूसरी खालों में बदल दिया करेंगे, ताकि वे यातना का मज़ा चखते ही रहें। निस्संदेह अल्लाह प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।
वल्लज़ी-न आमनू व अमिलुस्सालिहाति सनुदखिलुहुम् जन्नातिन् तज्री मिन् तह़्तिहल-अन्हारू ख़ालिदी-न फ़ीहा अ-बदन् , लहुम् फ़ीहा अज़्वाजुम् मुतह़्ह-रतुंव-व नुद्खिलुहुम् जिल्लन् ज़लीला (57)
और जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, उन्हें हम ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेंगे, जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी, जहाँ वे सदैव रहेंगे। उनके लिए वहाँ पाक जोड़े होंगे और हम उन्हें घनी छाँव में दाख़िल करेंगे।
इन्नल्ला-ह यअ्मुरूकुम् अन् तु-अद्दुल अमानाति इला अह़्लिहा व इज़ा हकम्तुम् बैनन्नासि अन् तह़्कुमू बिल-अद्लि , इन्नल्ला-ह निअिम्मा यअिजुकुम बिही , इन्नल्ला-ह का-न समीअ़म् बसीरा (58)
अल्लाह तुम्हें आदेश देता है कि अमानतों को उनके हक़दारों तक पहुँचा दिया करो। और जब लोगों के बीच फ़ैसला करो, तो न्यायपूर्वक फ़ैसला करो। अल्लाह तुम्हें कितनी अच्छी नसीहत करता है। निस्संदेह, अल्लाह सब कुछ सुनता, देखता है।
या अय्युहल्लज़ी-न आमनू अतीअुल्ला-ह व अतीअुर्रसू-ल व उलिल्-अम्रि मिन्कुम् फ़-इन् तनाज़अ्तुम् फी शैइन् फरूद्दूहु इलल्लाहि वर्रसूलि इन् कुन्तुम् तुअमिनू-न बिल्लाहि वल्यौमिल-आख़िरि ज़ालि-क खैरूंव-व अह्सनु तअ्वीला (59)*
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह की आज्ञा का पालन करो और रसूल का कहना मानो और उनका भी कहना मानो जो तुममें अधिकारी लोग हैं। फिर यदि तुम्हारे बीच किसी मामले में झगड़ा हो जाए, तो उसे तुम अल्लाह और रसूल की ओर लौटाओ, यदि तुम अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखते हो। यही उत्तम है और परिणाम की दृष्टि से भी अच्छा है।
रुकूअ- 9
अलम् त-र इलल्लज़ी-न यज्अुमू-न अन्नहुम् आमनू बिमा उन्ज़ि-ल इलै-क व मा उन्ज़ि-ल मिन् कब्लि-क युरीदू-न अंय्य-तहाकमू इलत्तागूति व क़द् उमिरू अंय्यक्फुरू बिही , व युरीदुश्शैतानु अंय्युजिल्लहुम् जलालम् बअीदा (60)
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा, जो दावा तो यह करते हैं कि वे उस चीज़ पर ईमान रखते हैं, जो तुम्हारी ओर उतारी गई है और जो तुमसे पहले उतारी गई है। और चाहते हैं कि अपना मामला ताग़ूत के पास ले जाकर फ़ैसला कराएँ, जबकि उन्हें हुक्म दिया गया है कि वे उसका इनकार करें? परन्तु शैतान तो उन्हें भटकाकर बहुत दूर डाल देना चाहता है।
व इज़ा की-ल लहुम् तआलौ इला मा अन्ज़लल्लाहु व इलर्रसूलि रअैतल्-मुनाफ़िक़ी-न यसुद्दू-न अन्-क सुदूदा (61)
और जब उनसे कहा जाता है कि आओ उस चीज़ की ओर जो अल्लाह ने उतारी है और आओ रसूल की ओर तो तुम मुनाफ़िक़ों (कपटाचारियों) को देखते हो कि वे तुमसे कतराकर रह जाते हैं।
फ़कै-फ़ इज़ा असाबत्हुम् मुसीबतुम् बिमा कद्दमत् ऐदीहिम् सुम्-म जाऊ-क यहिलफू-न बिल्लाहि इन् अरद्ना इल्ला इहसानंव-व तौफीका (62)
फिर कैसी बात होगी कि जब उनकी अपनी ही करतूतों के कारण उनपर बड़ी मुसीबत आ पड़ेगी? फिर वे तुम्हारे पास अल्लाह की क़समें खाते हुए आते हैं कि हम तो केवल भलाई और बनाव चाहते थे।
उलाइ-कल्लज़ी-न यअ् लमुल्लाहु मा फ़ी कुलूबिहिम् , फ़-अअ्रिज् अन्हुम् व अि़ज़्हुम् व कुल्-लहुम् फ़ी अन्फुसिहिम् कौलम्-बलीगा (63)
ये वे लोग हैं जिनके दिलों की बात अल्लाह भली-भाँति जानता है; तो तुम उन्हें जाने दो और उन्हें समझाओ और उनसे उनके विषय में वह बात कहो जो प्रभावकारी हो।
व मा अरसल्ना मिर्रसूलिन् इल्ला लियुता-अ बि-इज्निल्लाहि , व लौ अन्नहुम् इज्-ज़-लमू अन्फु-सहुम् जाऊ-क फ़स्तग्फरूल्ला-ह वस्तग्फ़-र लहुमुर्रसूलु ल-व-जदुल्ला-ह तव्वाबर्रहीमा (64)
हमने जो रसूल भी भेजा, इसलिए भेजा कि अल्लाह की अनुमति से उसकी आज्ञा का पालन किया जाए। और यदि यह उस समय, जबकि इन्होंने स्वयं अपने ऊपर ज़ुल्म किया था, तुम्हारे पास आ जाते और अल्लाह से क्षमा चाहते और रसूल भी इनके लिये क्षमा की प्रार्थना करता तो निश्चय ही वे अल्लाह को अत्यन्त क्षमाशील और दयावान पाते।
फ़ला व रब्बि-क ला युअ्मिनू-न हत्ता युहक्किमू-क फ़ीमा श-ज-र बैनहुम् सुम्-म ला यजिदू फ़ी अन्फुसिहिम् ह-रजम्-मिम्मा क़जै़-त व युसल्लिमू तस्लीमा (65)
तो तुम्हें तुम्हारे रब की क़सम! ये ईमानवाले नहीं हो सकते जब तक कि अपने आपस के झगड़ों में ये तुमसे फ़ैसला न कराएँ। फिर जो फ़ैसला तुम कर दो, उसपर ये अपने दिलों में कोई तंगी न पाएँ और पूरी तरह मान लें।
व लौ अन्ना कतब् ना अलैहिम् अनिक़्तुलू अन्फु-सकुम् अविख्रूजू मिन् दियारिकुम् मा फ़-अलूहु इल्ला क़लीलुम्-मिन्हुम , व लौ अन्नहुम् फ़-अलू मा यू-अजू-न बिही लका-न खैरल्लहुम् व अशद्-द तस्बीता (66)
और यदि कहीं हमने उन्हें आदेश दिया होता कि “अपनों को क़त्ल करो या अपने घरों से निकल जाओ।” तो उनमें से थोड़े ही ऐसा करते। हालाँकि जो नसीहत उन्हें दी जाती है, अगर वे उसे व्यवहार में लाते तो यह बात उनके लिए अच्छी होती और ज़्यादा जमाव पैदा करनेवाली होती।
व इज़ल-लआतैनाहुम् मिल्लदुन्ना अज्रन् अज़ीमा (67)
और उस समय हम उन्हें अपनी ओर से निश्चय ही बड़ा बदला प्रदान करते।
व ल-हदैनाहुम् सिरातम् मुस्तकीमा (68)
और उन्हें सीधे मार्ग पर भी लगा देते।
व मंय्युतिअिल्ला-ह वर्रसू-ल फ-उलाइ-क मअ़ल्लज़ी-न अन् अ-मल्लाहु अलैहिम् मिनन्-नबिय्यी-न वसिद्दीकी-न वश्शु-हदा-इ वस्सालिही-न व हसु-न उलाइ-क रफ़ीक़ा (69)
जो अल्लाह और रसूल की आज्ञा का पालन करता है, तो ऐसे ही लोग उन लोगों के साथ हैं जिनपर अल्लाह की कृपा दृष्टि रही है-वे नबी, सिद्दीक़, शहीद और अच्छे लोग हैं। और वे कितने अच्छे साथी हैं।
ज़ालिकल्-फज्लु मिनल्लाहि , व कफ़ा बिल्लाहि अलीमा (70)*
यह अल्लाह का उदार अनुग्रह है। और काफ़ी है अल्लाह, इस हाल में कि वह भली-भाँति जानता है।
रुकूअ- 10
या अय्युहल्लज़ी-न आमनू खुजू हिज्रकुम फ़न्फिरू सुबातिन् अविन्फ़िरू जमीआ (71)
ऐ ईमान लानेवालो! अपने बचाव की सामग्री (हथियार आदि) सँभालो। फिर या तो अलग-अलग टुकड़ियों में निकलो या इकट्ठे होकर निकलो।
व इन्-न मिन्कुम् ल-मल्लयुबत्तिअन्-न फ़-इन् असाबत्कुम् मुसीबतुन् का-ल कद् अन्अ-मल्लाहु अलय्-य इज् लम् अकुम् म-अहुम् शहीदा (72)
तुममें से कोई ऐसा भी है जो ढीला पड़ जाता है, फिर यदि तुमपर कोई मुसीबत आए तो कहने लगता है कि अल्लाह ने मुझपर कृपा की कि मैं इन लोगों के साथ न गया।
व ल-इन असाबकुम् फज्लुम मिनल्लाहि ल-यकूलन-न क-अल्लम् तकुम् बैनकुम् व बैनहू मवद्दतुंय-यालैतनी कुन्तु म-अहुम् फ़-अफू-ज़ फौज़न् अज़ीमा (73)
परन्तु यदि अल्लाह की ओर से तुमपर कोई उदार अनुग्रह हो तो वह इस प्रकार से जैसे तुम्हारे और उनके बीच प्रेम का कोई सम्बन्ध ही नहीं, कहता है, “क्या ही अच्छा होता कि मैं भी उनके साथ होता, तो बड़ी सफलता प्राप्त करता।”
फल्युकातिल फी सबीलिल्लाहिल्लजी-न यश्रूनल-हयातददुन्या बिल्आखि-रति व मंय्युक़ातिल फी सबीलिल्लाहि फ-युक्तल् औ यग्लिब् फ़सौ-फ नुअ्तीहि अज्रन् अज़ीमा (74)
तो जो लोग आख़िरत (परलोक) के बदले सांसारिक जीवन का सौदा करें, तो उन्हें चाहिए कि अल्लाह के मार्ग में लड़ें। जो अल्लाह के मार्ग में लड़ेगा, चाहे वह मारा जाए या विजयी रहे, उसे हम शीघ्र ही बड़ा बदला प्रदान करेंगे।
व मा लकुम् ला तुक़ातिलू-न फी सबीलिल्लाहि वल्-मुस्तज्अफ़ी-न मिनर्रिजालि वन्निसा-इ वल्-विल्दानिल्लज़ी-न यकूलू-न रब्बना अख्रिज्ना मिन् हाज़िहिल् करयतिज्जालिमि अह्लुहा वज्अ्ल्लना मिल्लदुन्-क वलिय्यंव-वज्अल्लना मिल्लदुन्-क नसीरा (75)
तुम्हें क्या हुआ है कि अल्लाह के मार्ग में और उन कमज़ोर पुरुषों, औरतों और बच्चों के लिए युद्ध न करो, जो प्रार्थनाएँ करते हैं कि “हमारे रब! तू हमें इस बस्ती से निकाल, जिसके लोग अत्याचारी हैं। और हमारे लिए अपनी ओर से तू कोई समर्थक नियुक्त कर और हमारे लिए अपनी ओर से तू कोई सहायक नियुक्त कर।”
अल्लज़ी-न आमनू युक़ातिलू-न फ़ी सबीलिल्लाहि वल्लज़ी-न क-फरू युक़ातिलू-न फी सबीलित्तागूति फ़क़ातिलू औलिया-अश्शैतानि इन्-न कैद्श्शैतानि का-न ज़अी़फ़ा (76)*
ईमान लानेवाले तो अल्लाह के मार्ग में युद्ध करते हैं और अधर्मी लोग ताग़ूत (बढ़े हुए सरकश) के मार्ग में युद्ध करते हैं। अतः तुम शैतान के मित्रों से लड़ो। निश्चय ही, शैतान की चाल बहुत कमज़ोर होती है।
Surah An-Nisa in Hindi रुकूअ- 11
अलम् त-र इलल्लज़ी-न की-ल लहुम् कुफ्फू ऐदी-यकुम् व अकीमुस्सला-त व आतुज्जका-त फ़-लम्मा कुति-ब अलैहिमुल्-कितालु इज़ा फरीकुम् मिन्हुम् यख्शौनन्ना-स क-ख़श् यतिल्लाहि औ अशद्-द ख़श्य-तन् व कालू रब्बना लि-म कतब्-त अलैनल-किता-ल लौ ला अख्खर्तना इला अ-जलिन् करीबिन् , कुल मताअुद्दुन्या कलीलुन् वल आख़ि-रतु खैरूल्-लि-मनित्तका , व ला तुज्लमू-न फ़तीला (77)
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जिनसे कहा गया था कि अपने हाथ रोके रखो और नमाज़ क़ायम करो और ज़कात दो? फिर जब उन्हें युद्ध का आदेश दिया गया तो क्या देखते हैं कि उनमें से कुछ लोगों का हाल यह है कि वे लोगों से ऐसा डरने लगे जैसे अल्लाह का डर हो या यह डर उससे भी बढ़कर हो। कहने लगे, “हमारे रब! तूने हमपर युद्ध क्यों अनिवार्य कर दिया? क्यों न थोड़ी मुहलत हमें और दी?” कह दो, “दुनिया की पूँजी बहुत थोड़ी है, जबकि आख़िरत उस व्यक्ति के लिए अधिक अच्छी है जो अल्लाह का डर रखता हो और तुम्हारे साथ तनिक भी अन्याय न किया जाएगा।
ऐ-न मा तकूनू युद्रिक्कुमुल्-मौतु व लौ कुन्तुम् फ़ी बुरूजिम् मुशय्य-दतिन् , व इन् तुसिब्हुम् ह-स-नतुंय्यकूलू हाज़िही मिन् अिन्दिल्लाहि व इन् तुसिब्हुम् सय्यि-अतुंय्यकूलू हाज़िही मिन् अिन्दि-क , कुल कुल्लुम् मिन् अिन्दिल्लाहि , फ़मालि हा-उला इल्क़ौमि ला यकादू-न यफ़्क़हू-न हदीसा (78)
“तुम जहाँ कहीं भी होगे, मृत्यु तो तुम्हें आकर रहेगी; चाहे तुम मज़बूत बुर्जों (क़िलों) में ही (क्यों न) हो।” यदि उन्हें कोई अच्छी हालत पेश आती है तो कहते हैं, “यह तो अल्लाह के पास से है।” परन्तु यदि उन्हें कोई बुरी हालत पेश आती है तो कहते हैं, “यह तुम्हारे कारण है।” कह दो, “हरेक चीज़ अल्लाह के पास से है।” आख़िर इन लोगों को क्या हो गया कि ये ऐसे नहीं लगते कि कोई बात समझ सकें?
मा असाब-क मिन् ह-स-नतिन् फ़मिनल्लाहि व मा असाब-क मिन सय्यि-अतिन् फ़-मिन्नफ्सि-क , व अरसल्ना-क लिन्नासि रसूलन , व कफ़ा बिल्लाहि शहीदा (79)
तुम्हें जो भी भलाई प्राप्त होती है, वह अल्लाह की ओर से है और जो बुरी हालत तुम्हें पेश आ जाती है तो वह तुम्हारे अपने ही कारण पेश आती है। हमने तुम्हें लोगों के लिए रसूल बनाकर भेजा है और (इस पर) अल्लाह का गवाह होना काफ़ी है।
मंय्युतिअिर-रसू-ल फ़-क़द् अताअल्ला-ह व मन् तवल्ला फ़मा अरसल्ना-क अलैहिम् हफ़ीज़ा (80)
जिसने रसूल की आज्ञा का पालन किया, उसने अल्लाह की आज्ञा का पालन किया और जिसने मुँह मोड़ा तो हमने तुम्हें ऐसे लोगों पर कोई रखवाला बनाकर तो नहीं भेजा है।
व यकूलू-न ताअतुन् फ़-इज़ा ब-रजू मिन् अिन्दि-क बय्य-त ता-इ-फतुम् मिन्हुम् गैरल्लज़ी तकूलु , वल्लाहु यक्तुबु मा युबय्यितू-न फ़-अअ्रिजू अन्हुम् व तवक्कल अलल्लाहि व कफ़ा बिल्लाहि वकीला (81)
और वे दावा तो आज्ञापालन का करते हैं, परन्तु जब तुम्हारे पास से हटते हैं तो उनमें एक गरोह अपने कथन के विपरीत रात में षड्यंत्र करता है । जो कुछ वे षड्यंत्र करते हैं, अल्लाह उसे लिख रहा है। तो तुम उनसे रुख़ फेर लो और अल्लाह पर भरोसा रखो, और अल्लाह का कार्यसाधक होना काफ़ी है!
अ-फला य-तदब्बरूनल कुरआ-न , व लौ का-न मिन् अिन्दि गैरिल्लाहि ल-व जदू फीहिख़्तिलाफ़न् कसीरा (82)
क्या वे क़ुरआन में सोच-विचार नहीं करते? यदि यह अल्लाह के अतिरिक्त किसी और की ओर से होता, तो निश्चय ही वे इसमें बहुत-सी बेमेल बातें पाते।
व इजा़ जा-अहुम् अम्रूम् मिनल-अम्नि अविल्खौफि अज़ाअू बिही , व लौ रद्दूहु इलर्रसूलि व इला उलिल्-अमिर मिन्हुम् ल-अलि-महुल्लज़ी-न यस्तम्बितूनहू मिन्हुम् , व लौ ला फज्लुल्लाहि अलैकुम्व रह़्मतुहू लत्त-बअ्तुमुश्शैता-न इल्ला कलीला (83)
जब उनके पास निश्चिन्तता या भय की कोई बात पहुँचती है तो उसे फैला देते हैं, हालाँकि अगर वे उसे रसूल और अपने समुदाय के उत्तरदायी व्यक्तियों तक पहुँचाते तो उसे वे लोग जान लेते जो उनमें उसकी जाँच कर सकते हैं। और यदि तुमपर अल्लाह का उदार अनुग्रह और उसकी दयालुता न होती, तो थोड़े लोगों के सिवा तुम सब शैतान के पीछे चलने लग जाते।
फकातिल् फ़ी सबीलिल्लाहि ला तुकल्लफु इल्ला नफ्स-क व हर्रिज़िल-मुअ्मिनी-न असल्लाहु अंय्यकुफ्-फ़ बअ्सल्लज़ी-न क-फरू , वल्लाहु अशद्दु बअ्संव-व अशद्दु तन्कीला (84)
अतः अल्लाह के मार्ग में युद्ध करो-तुमपर तो बस तुम्हारी अपनी ही ज़िम्मेदारी है-और ईमानवालों की कमज़ोरियों को दूर करो और उन्हें (युद्ध के लिए) उभारो। इसकी बहुत सम्भावना है कि अल्लाह इनकार करनेवालों के ज़ोर को रोक लगा दे। अल्लाह बड़ा ज़ोरवाला और कठोर दंड देनेवाला है।
मंय्यश्फअ् शफ़ा-अतन् ह-स नतंय्यकुल्लहू नसीबुम् मिन्हा व मंय्यश्फअ् शफा-अतन् सय्यि-अतंय्यकुल्लहू किफ्लुम् मिन्हा , व कानल्लाहु अला कुल्लि शैइम्-मुकीता (85)
जो कोई अच्छी सिफ़ारिश करेगा, उसे उसके कारण प्रतिदान मिलेगा और जो बुरी सिफ़ारिश करेगा, तो उसके कारण उसका बोझ उसपर पड़कर रहेगा। अल्लाह को तो हर चीज़ पर क़ाबू हासिल है।
व इज़ा हुय्यीतुम बि-तहिय्यतिन् फहय्यू बि-अहस-न मिन्हा औ रूद्दूहा , इन्नल्ला-ह का-न अला कुल्लि शैइन् हसीबा • (86)
और तुम्हें जब सलामती की कोई दुआ दी जाए, तो तुम सलामती की उससे अच्छी दुआ दो या उसी को लौटा दो। निश्चय ही, अल्लाह हर चीज़ का हिसाब रखता है।
अल्लाहु ला इला-ह इल्ला हु-व , ल-यज्म अन्नकुम् इला यौमिल्-कियामति ला रै-ब फ़ीहि , व मन् अस्दकु मिनल्लाहि हदीसा (87)*
अल्लाह के सिवा कोई इष्ट-पूज्य नहीं। वह तुम्हें क़ियामत के दिन की ओर ले जाकर इकट्ठा करके रहेगा, जिसके आने में कोई संदेह नहीं, और अल्लाह से बढ़कर सच्ची बात और किसकी हो सकती है।
Surah An-Nisa in Hindi रुकूअ- 12
फमा लकुम् फिल्मुनाफिकी-न फि-अतैनि वल्लाहु अर्क-सहुम् बिमा क-सबू , अतुरीदू-न अन् तह़्दू मन् अज़ल्लल्लाहु , व मंय्युज्लिलिल्लाहु फ-लन् तजि-द लहू सबीला (88)
फिर तुम्हें क्या हो गया है कि कपटाचारियों (मुनाफ़िक़ों) के विषय में तुम दो गरोह हो रहे हो, यद्यपि अल्लाह ने तो उनकी करतूतों के कारण उन्हें उल्टा फेर दिया है? क्या तुम उसे मार्ग पर लाना चाहते हो जिसे अल्लाह ने गुमराह छोड़ दिया है? हालाँकि जिसे अल्लाह मार्ग न दिखाए, उसके लिए तुम कदापि कोई मार्ग नहीं पा सकते।
वद्दू लौ तक्फुरू-न कमा क-फरू फ़-तकूनू-न सवा-अन् फला तत्तखिजू मिन्हुम् औलिया-अ हत्ता युहाजिरू फी सबीलिल्लाहि , फ़-इन् तवल्लौ फखुजूहम् वक्तुलूहम् हैसु वजत्तुमूहम् व ला तत्तखिजू मिन्हुम् वलिय्यंव-व ला नसीरा (89)
वे तो चाहते हैं कि जिस प्रकार वे स्वयं अधर्मी हैं, उसी प्रकार तुम भी अधर्मी बनकर उन जैसे हो जाओ; तो तुम उनमें से अपने मित्र न बनाओ, जब तक कि वे अल्लाह के मार्ग में घर-बार न छोड़ें। फिर यदि वे इससे पीठ फेरें तो उन्हें पकड़ो, और उन्हें क़त्ल करो जहाँ कहीं भी उन्हें पाओ-तो उनमें से किसी को न अपना मित्र बनाना और न सहायक –
इल्लल्लज़ी-न यसिलू-न इला कौमिम् बैनकुम् व बैनहुम् मीसाकुन् औ जाऊकुम् हसिरत् सुदूरूहुम् अंय्युक़ातिलूकुम् औ युक़ातिलू कौमहुम् , व लौ शा-अल्लाहु ल-सल्ल-तहुम् अलैकुम् फ़-लकातलूकुम फ़-इनिअ्-त ज़लूकुम् फ-लम् युक़ातिलूकुम् व अल्कौ इलैकुमुस्स-ल-म फमा ज-अलल्लाहु लकुम् अलैहिम् सबीला (90)
सिवाय उन लोगों के जो ऐसे लोगों से सम्बन्ध रखते हों, जिनसे तुम्हारे और उनके बीच कोई समझौता हो या वे तुम्हारे पास इस दशा में आएँ कि उनके दिल इससे तंग हो रहे हों कि वे तुमसे लड़ें या अपने लोगों से लड़ाई करें। यदि अल्लाह चाहता तो उन्हें तुमपर क़ाबू दे देता। फिर तो वे तुमसे अवश्य लड़ते; तो यदि वे तुमसे अलग रहें और तुमसे न लड़ें और संधि के लिए तुम्हारी ओर हाथ बढ़ाएँ तो उनके विरुद्ध अल्लाह ने तुम्हारे लिए कोई रास्ता नहीं रखा है।
स-तजिदू-न आ-खरी-न युरीदू-न अंय्यअ्मनूकुम व यअ्मनू कौमहुम , कुल्लमा रूद्दू इलल-फित्नति उर्किसू फ़ीहा फ-इल्लम् यअ-तज़िलूकुम् व युल्कू इलैकुमुस्स-ल-म व यकुफ्फू ऐदि-यहुम् फखुजूहुम् वक़्तुलूहुम् हैसु सकिफ़्तुमूहुम , व उला-इकुम् जअल्ना लकुम् अलैहिम् सुल्तानम् मुबीना (91)*
अब तुम कुछ ऐसे लोगों को भी पाओगे, जो चाहते हैं कि तुम्हारी ओर से निश्चिन्त होकर रहें और अपने लोगों की ओर से भी निश्चिन्त होकर रहें। परन्तु जब भी वे फ़साद और उपद्रव की ओर फेरे गए तो वे उसी में औंधे जा गिरे। तो यदि वे तुमसे अलग-थलग न रहें और तुम्हारी ओर सुलह का हाथ न बढ़ाएँ, और अपने हाथ न रोकें, तो तुम उन्हें पकड़ो और क़त्ल करो, जहाँ कहीं भी तुम उन्हें पाओ। उनके विरुद्ध हमने तुम्हें खुला अधिकार दे रखा है।
रुकूअ- 13
व मा का-न लिमुअ्मिनिन् अंय्यक्तु-ल मुअ्मिनन् इल्ला ख-तअन् व मन् क़-त-ल मुअ्मिनन् ख-तअन् फ़-तह़रीरू र-क-बतिम् मुअ्मिनतिंव्-व दि-यतुम् मुसल्ल-मतुन् इला अहिलही इल्ला अंय्यस्सदकू , फ़-इन् का-न मिन् कौमिन् अदुविल्लकुम् व हु-व मुअमिनुन् फ़-तहरीरू र-क-बतिम् मुअ्मि-नतिन् , व इन् का-न मिन् कौमिम् बैनकुम् व बैनहुम् मिसाकुन् फ-दि-यतुम् मुसल्ल-मतुन् इला अह़्लिही व तहरीरू र-क-बतिम् मुअमि-नतिन् फ़-मल्लम् यजिद् फ़सियामु शहरैनि मु-तताबिअैनि तौब-तम् मिनल्लाहि , व कानल्लाहु अलीमन् हकीमा (92)
किसी ईमानवाले का यह काम नहीं कि वह किसी ईमानवाले की हत्या करे, भूल-चूक की बात और है। और कोई व्यक्ति यदि ग़लती से किसी ईमानवाले की हत्या कर दे, तो एक मोमिन ग़ुलाम को आज़ाद करना होगा और अर्थदंड उस (मारे गए व्यक्ति) के घरवालों को सौंपा जाए। यह और बात है कि वे अपनी ख़ुशी से छोड़ दें। और यदि वह उन लोगों में से हो, जो तुम्हारे शत्रु हों और वह (मारा जानेवाला) स्वयं मोमिन रहा तो एक मोमिन को ग़ुलामी से आज़ाद करना होगा। और यदि वह उन लोगों में से हो कि तुम्हारे और उनके बीच कोई संधि और समझौता हो, तो अर्थदंड उसके घरवालों को सौंपा जाए और एक मोमिन को ग़ुलामी से आज़ाद करना होगा। लेकिन जो (ग़ुलाम) न पाए तो वह निरन्तर दो मास के रोज़े रखे। यह अल्लाह की ओर से निश्चित किया हुआ उसकी तरफ़ पलट आने का तरीक़ा है। अल्लाह तो सब कुछ जाननेवाला, तत्वदर्शी है।
व मंय्यक़्तुल मुअ्मिनम् मु-तअम्मिदन फ-जज़ा-उहू जहन्नमु खालिदन फ़ीहा व ग़ज़िबल्लाहु अलैहि व ल-अ-नहू व अ-अद्-द लहू अज़ाबन् अज़ीमा (93)
और जो व्यक्ति जान-बूझकर किसी मोमिन की हत्या करे, तो उसका बदला जहन्नम है, जिसमें वह सदा रहेगा; उसपर अल्लाह का प्रकोप और उसकी फिटकार है और उसके लिए अल्लाह ने बड़ी यातना तैयार कर रखी है।
या अय्युहल्लज़ी-न आमनू इज़ा ज़रब्तुम फ़ी सबीलिल्लाहि फ़-तबय्यनू व ला तकूलू लिमन् अल्का इलैकुमुस्सला-म लस्-त मुअ्मिनन् तब्तगू-न अ-रजल् हयातिदुन्या फ-अिन्दल्लाहि मगानिमु कसीरतुन् , कज़ालि-क कुन्तुम् मिन् क़ब्लु फ़-मन्नल्लाहु अलैकुम् फ़-तबय्यनू , इन्नल्ला-ह का-न बिमा तअ्मलू-न ख़बीरा (94)
ऐ ईमान लानेवालो! जब तुम अल्लाह के मार्ग में निकलो तो अच्छी तरह पता लगा लो और जो तुम्हें सलाम करे, उससे यह न कहो कि तुम ईमान नहीं रखते, और इससे तुम्हारा ध्येय यह हो कि सांसारिक जीवन का माल प्राप्त करो। अल्लाह के पास तो बहुत अधिक प्राप्त माल है। पहले तुम भी ऐसे ही थे, फिर अल्लाह ने तुमपर उपकार किया, तो अच्छी तरह पता लगा लिया करो। जो कुछ तुम करते हो अल्लाह उसकी पूरी ख़बर रखता है।
ला यस्तविल् काअिदू-न मिनल मुअ्मिनी-न गैरू उलिज्ज़-रति वल्मुजाहिदू-न फ़ी सबीलिल्लाहि बि-अम्वालिहिम् व अन्फुसिहिम् , फ़ज्ज़-लल्लाहुल मुजाहिदी-न बि-अम्वालिहिम् व अन्फुसिहिम् अलल्-काअिदी-न द-र-जतन् , व कुल्लं-व-अदल्लाहुल-हुस्ना , व फज्ज़-लल्लाहुल मुजाहिदी-न अलल्-काअिदी-न अज्रन् अज़ीमा (95)
ईमानवालों में से वे लोग जो बिना किसी कारण के बैठे रहते हैं और जो अल्लाह के मार्ग में अपने धन और प्राणों के साथ जी-तोड़ कोशिश करते हैं, दोनों समान नहीं हो सकते। अल्लाह ने बैठे रहनेवालों की अपेक्षा अपने धन और प्राणों से जी-तोड़ कोशिश करनेवालों का दर्जा बढ़ा रखा है। यद्यपि प्रत्येक के लिए अल्लाह ने अच्छे बदले का वचन दिया है। परन्तु अल्लाह ने बैठे रहने वालों की अपेक्षा जी-तोड़ कोशिश करनेवालों का बड़ा बदला रखा है।
द-रजातिम् मिन्हु व मग्फि-रतंव-व रह्-मतन् , व कानल्लाहु गफूरर्रहीमा (96)*
उसकी ओर से दर्जे हैं और क्षमा और दयालुता है। और अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है।
रुकूअ- 14
इन्नल्लज़ी-न तवफ्फाहुमुल् मलाइ-कतु ज़ालिमी अन्फुसिहिम् कालू फ़ी-म कुन्तुम , कालू कुन्ना मुस्तज्अफ़ी-न फ़िल्अर्जि , कालू अलम् तकुन् अर्जुल्लाहि वासि-अ़तन् फतुहाजिरू फ़ीहा , फ़-उलाइ-क मअ्वाहुम् जहन्नमु , व साअत् मसीरा (97)
जो लोग अपने-आप पर अत्याचार करते हैं, जब फ़रिश्ते उस दशा में उनके प्राण ग्रस्त कर लेते हैं, तो कहते हैं, “तुम किस दशा में पड़े रहे?” वे कहते हैं, “हम धरती में निर्बल और बेबस थे।” फ़रिश्ते कहते हैं, “क्या अल्लाह की धरती विस्तृत न थी कि तुम उसमें घर-बार छोड़कर कहीं चले जाते?” तो ये वही लोग हैं जिनका ठिकाना जहन्नम है।-और वह बहुत ही बुरा ठिकाना है।
इल्लल-मुस्तज्अफी-न मिनर्रिजालि वन्निसा-इ वल् विल्दानि ला यस्ततीअू-न ही-लतंव-व ला यह़्तदू-न सबीला (98)
सिवाय उन बेबस पुरुषों, स्त्रियों और बच्चों के जिनके बस में कोई उपाय नहीं और न कोई राह पा रहे हैं;
फ-उलाइ-क असल्लाहू अंय्यअ्फु व अन्हुम् , व कानल्लाहु अफुव्वन् ग़फूरा (99)
तो सम्भव है कि अल्लाह ऐसे लोगों को छोड़ दे; क्योंकि अल्लाह छोड़ देनेवाला और बड़ा क्षमाशील है।
व मंय्युहाजिर् फी सबीलिल्लाहि यजिद् फ़िल्अर्ज़ि मुरा-गमन् कसीरंव-व स-अतन् , व मंय्यख्रूज् मिम्-बैतिही मुहाजिरन् इलल्लाहि व रसूलिही सुम्-म युद्रिक्हुल्-मौतु फ़-क़द् व-क-अ अज्रूहू अलल्लाहि , व कानल्लाहु गफूरर्रहीमा (100)*
जो कोई अल्लाह के मार्ग में घरबार छोड़कर निकलेगा, वह धरती में शरण लेने की बहुत जगह और समाई पाएगा, और जो कोई अपने घर में सब कुछ छोड़कर अल्लाह और उसके रसूल की ओर निकले और उसकी मृत्यु हो जाए, तो उसका प्रतिदान अल्लाह के ज़िम्मे हो गया। अल्लाह बहुत क्षमाशील, दयावान है।
Surah An-Nisa in Hindi रुकूअ- 15
व इज़ा ज़रब्तुम् फ़िल्अर्ज़ि फ़लै-स अलैकुम् जुनाहुन् अन् तक्सुरू मिनस्सलाति इन् खिफ्तुम् अंय्यफ्ति नकुमुल्लज़ी-न क-फरू , इन्नल्-काफिरी-न कानू लकुम अदुव्वम-मुबीना (101)
और जब तुम धरती में यात्रा करो, तो इसमें तुमपर कोई गुनाह नहीं कि नमाज़ को कुछ संक्षिप्त कर दो; यदि तुम्हें इस बात का भय हो कि विधर्मी लोग तुम्हें सताएँगे और कष्ट पहुँचाएँगे। निश्चय ही विधर्मी लोग तुम्हारे खुले शत्रु हैं।
व इज़ा कुन् त फ़ीहिम् फ़-अक़म्-त लहुमुस्सला-त फ़ल्तकुम् ताइ-फतुम् मिन्हुम् म-अ-क वल्यअ्खुजू अस्लि-ह-तहुम् , फ़-इज़ा स-जदू फ़ल्यकूनू मिंव्वरा-इकुम् वल्तअ्ति ताइ-फतुन् उखरा लम् युसल्लू फ़ल्युसल्लू म-अ-क वल्यअ्खुजू हिजरहुम् व अस्लि-ह-तहुम् वद्दल्लज़ी-न क-फरू लौ तग्फुलू-न अन् अस्लि-हतिकुम् व अम्ति-अतिकुम फ़-यमीलू-न अलैकुम् मै-लतंव्वाहि-दतन् , व ला जुना-ह अलैकुम् इन् का-न बिकुम् अज़म्-मिम्-म-तरिन् औ कुन्तुम मरजा़ अन् त-ज़अू अस्लि-ह-तकुम् व खुजू हिज्रकुम् , इन्नल्ला-ह-अ-अद्-द लिल्काफ़िरी-न अज़ाबम् मुहीना (102)
और जब तुम उनके बीच हो और (लड़ाई की दशा में) उन्हें नमाज़ पढ़ाने के लिए खड़े हो, तो चाहिए कि उनमें से एक गरोह के लोग तुम्हारे साथ खड़े हो जाएँ और अपने हथियार साथ लिए रहें, और फिर जब वे सजदा कर लें तो उन्हें चाहिए कि वे हटकर तुम्हारे पीछे हो जाएँ और दूसरे गरोह के लोग, जिन्होंने अभी नमाज़ नहीं पढ़ी, आएँ और तुम्हारे साथ नमाज़ पढ़ें, और उन्हें भी चाहिए कि वे भी अपने बचाव के सामान और हथियार लिए रहें। विधर्मी चाहते ही हैं कि तुम अपने हथियारों और सामान से असावधान हो जाओ तो वे तुम पर एक साथ टूट पड़ें। यदि वर्षा के कारण तुम्हें तकलीफ़ होती हो या तुम बीमार हो, तो तुम्हारे लिए कोई गुनाह नहीं कि अपने हथियार रख दो, फिर भी अपनी सुरक्षा का सामान लिए रहो। अल्लाह ने विधर्मियों के लिए अपमानजनक यातना तैयार कर रखी है।
फ-इजा क़जैतुमुस्सला-त फ़ज्कुरूल्ला-ह कियामंव-व कुअूदंव-व अला जुनूबिकुम् फ-इज़त्मअ्नन्तुम् फ-अकीमुस्सला-त इन्नस्सला-त कानत् अलल मुअ्मिनी-न किताबम् मौकूता (103)
फिर जब तुम नमाज़ अदा कर चुको तो खड़े, बैठे या लेटे अल्लाह को याद करते रहो। फिर जब तुम्हें इतमीनान हो जाए तो विधिवत रूप से नमाज़ पढ़ो। निस्संदेह ईमानवालों पर समय की पाबन्दी के साथ नमाज़ पढना अनिवार्य है।
व ला तहिनू फिब्तिगा-इल्-कौमि , इन् तकूनू तअ्लमू-न फ़-इन्नहुम् यअ्लमू-न कमा तअ्लमू-न व तरजू़-न मिनल्लाहि मा ला यरजू-न , व कानल्लाहु अ़लीमन् हकीमा (104)*
और उन लोगों का पीछा करने में सुस्ती न दिखाओ। यदि तुम्हें दुख पहुँचता है; तो उन्हें भी तो दुख पहुँचता है, जिस तरह तुमको दुख पहुँचता है। और तुम अल्लाह से उस चीज़ की आशा करते हो, जिस चीज़ की वे आशा नहीं करते। अल्लाह तो सब कुछ जाननेवाला, तत्वदर्शी है।
Surah An-Nisa in Hindi रुकूअ- 16
इन्ना अन्ज़ल्ना इलैकल्-किता-ब बिल्-हक्कि लि-तह़्कु-म बैनन्नासि बिमा अराकल्लाहु , व ला तकुल लिल-खाइनी-न खसीमा (105)
निस्संदेह हमने यह किताब हक़ के साथ उतारी है, ताकि अल्लाह ने जो कुछ तुम्हें दिखाया है उसके अनुसार लोगों के बीच फ़ैसला करो। और तुम विश्वासघाती लोगों की ओर से झगड़नेवाले न बनो।
वस्तग्फिरिल्ला-ह , इन्नल्ला-ह का-न गफूरर्रहीमा (106)
अल्लाह से क्षमा की प्रार्थना करो। निस्संदेह अल्लाह बहुत क्षमाशील, दयावान है।
व ला तुजादिल अनिल्लज़ी-न यख्तानू-न अन्फु-सहुम , इन्नल्ला-ह ला युहिब्बु मन् का-न ख़व्वानन् असीमा (107)
और तुम उन लोगों की ओर से न झगड़ो जो स्वयं अपनों के साथ विश्वासघात करते हैं। अल्लाह को ऐसा व्यक्ति प्रिय नहीं है जो विश्वासघाती, हक़ मारनेवाला हो।
यस्तख़्फू-न मिनन्नासि व ला यस्तख्फू-न मिनल्लाहि व हु-व म-अहुम् इज् युबय्यितू-न मा ला यरजा मिनल्कौलि , व कानल्लाहु बिमा यअ्मलू-न मुहीता (108)
वे लोगों से तो छिपते हैं, परन्तु अल्लाह से नहीं छिपते। वह तो (उस समय भी) उनके साथ होता है, जब वे रातों में उस बात की गुप्त-मंत्रणा करते हैं जो उनकी इच्छा के विरुद्ध होती है। जो कुछ वे करते हैं, वह अल्लाह (के ज्ञान) से आच्छादित है।
हा-अन्तुम् हा-उला-इ जादल्तुम अन्हुम् फिल्हयातिद्दुन्या , फ-मंय्युजादिलुल्ला-ह अन्हुम् यौमल-कियामति अम्-मंय्यकूनु अलैहिम् वकीला (109)
हाँ, ये तुम ही हो, जिन्होंने सांसारिक जीवन में उनकी ओर से झगड़ लिया, परन्तु क़ियामत के दिन उनकी ओर से अल्लाह से कौन झगड़ेगा या कौन उनका वकील होगा?
व मंय्यअ्मल सूअन् औ यज्लिम् नफ्सहू सुम्-म यस्तग्फिरिल्ला-ह यजिदिल्ला-ह गफूरर्रहीमा (110)
और जो कोई बुरा कर्म कर बैठे या अपने-आप पर अत्याचार करे, फिर अल्लाह से क्षमा की प्रार्थना करे, तो वह अल्लाह को बड़ा क्षमाशील, दयावान पाएगा।
व मंय्यकसिब इस्मन् फ-इन्नम यकसिबुहू अला नफ्सिही , व कानल्लाहु अलीमन् हकीमा (111)
और जो व्यक्ति गुनाह कमाए, तो वह अपने ही लिए कमाता है। अल्लाह तो सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है।
व मंय्यकसिब ख़ती-अतन् औ इस्मन् सुम-म् यर्मि बिही बरीअन् फ-कदिह़्त-म-ल बुह्तानंव-व इस्मम्-मुबीना (112)*
और जो व्यक्ति कोई ग़लती या गुनाह की कमाई करे, फिर उसे किसी निर्दोष पर थोप दे, तो उसने एक बड़े लांछन और खुले गुनाह का बोझ अपने ऊपर ले लिया।
रुकूअ- 17
व लौ ला फज्लुल्लाहि अलै-क व रहमतुहू ल-हम्मत्ता-इ-फतुम् मिन्हुम् अंय्युजिल्लू-क , व मा युज़िल्लू-न इल्ला ‘ अन्फु-सहुम् व मा यजुर्रून-क मिन शैइन् , व अन्ज़लल्लाहु अलैकल-किता-ब वल्हिक्म-त व अल्ल-म-क मालम् तकुन् तअ्लमु , व का-न फज्लुल्लाहि अलै-क अज़ीमा • (113)
यदि तुम पर अल्लाह का उदार अनुग्रह और उसकी दयालुता न होती तो उनमें से कुछ लोग तो यह निश्चय कर ही चुके थे कि तुम्हें राह से भटका दें, हालाँकि वे अपने आप ही को पथभ्रष्ट कर रहे हैं, और तुम्हें वे कोई हानि नहीं पहुँचा सकते। अल्लाह ने तुमपर किताब और हिकमत (तत्वदर्शिता) उतारी है और उसने तुम्हें वह कुछ सिखाया है जो तुम जानते न थे। अल्लाह का तुमपर बहुत बड़ा अनुग्रह है।
ला खै-र फी कसीरिम् मिन्नज्वाहुम् इल्ला मन् अ-म-र बि-स-द-कतिन् औ मअ्रूफिन् औ इस्लाहिम् बैनन्नासि , व मंय्यफ्अल ज़ालिकब् तिगा-अ मरज़ातिल्लाहि फ़सौ-फ़ नुअ्तीहि अज्रन् अज़ीमा (114)
उनकी अधिकतर काना-फूसियों में कोई भलाई नहीं होती। हाँ, जो व्यक्ति सदक़ा देने या भलाई करने या लोगों के बीच सुधार के लिए कुछ कहे, तो उसकी बात और है। और जो कोई यह काम अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए करेगा, उसे हम निश्चय ही बड़ा प्रतिदान प्रदान करेंगे।
व मंय्युशाकिकिर्रसू-ल मिम्-बअदि मा तबय्य-न लहुल्हुदा व यत्तबिअ् गै-र सबीलिल् मुअ्मिनी-न नुवल्लिही मा तवल्ला व नुस्लिही जहन्न-म , व साअत् मसीरा (115)*
और जो व्यक्ति, इसके पश्चात भी कि मार्गदर्शन खुलकर उसके सामने आ गया है, रसूल का विरोध करेगा और ईमानवालों के मार्ग के अतिरिक्त किसी और मार्ग पर चलेगा तो उसे हम उसी पर चलने देंगे, जिसको उसने अपनाया होगा और उसे जहन्नम में झोंक देंगे, और वह बहुत ही बुरा ठिकाना है।
रुकूअ- 18
इन्नल्ला-ह यग्फिरू अंय्युश्र-क बिही व यग्फिरू मा दू-न ज़ालि-क लि-मंय्यशा-उ , व मय्युश्रिक् बिल्लाहि फ़-क़द् ज़ल-ल जलालम् बअीदा (116)
निस्संदेह अल्लाह इस चीज़ को क्षमा नहीं करेगा कि उसके साथ किसी को शामिल किया जाए। हाँ, इससे नीचे दर्जे के अपराध को, जिसके लिए चाहेगा, क्षमा कर देगा। जो अल्लाह के साथ किसी को साझी ठहराता है, तो वह भटककर बहुत दूर जा पड़ा।
इंय्यद्अू-न मिन् दूनिही इल्ला इनासन् व इंय्यद्अू-न इल्ला शैतानम् मरीदा (117)
वे अल्लाह से हटकर बस कुछ देवियों को पुकारते हैं और वे तो बस सरकश शैतान को पुकारते हैं;
ल-अ-नहुल्लाहु • व का-ल ल-अत्तखिज़न्-न मिन् अिबादि-क नसीबम् मफ्रूज़ा (118)
जिसपर अल्लाह की फिटकार है। उसने कहा था, “मैं तेरे बन्दों में से एख निश्चित हिस्सा लेकर रहूँगा।
व ल-उज़िल्लन्नहुम् व ल-उमन्नियन्नहुम् व ल-आमुरन्नहुम फ-ल युबत्ति कुन-न आज़ानल-अन् आमि व ला-आमुरन्नहुम् फ़-लयुग़य्यिरून्-न खल्कल्लाहि , व मंय्यत्तखिज़िश्शैता-न वलिय्यम् मिन् दूनिल्लाहि फ़-क़द् खसि-र खुसरानम् मुबीना (119)
और उन्हें अवश्य ही भटकाऊँगा और उन्हें कामनाओं में उलझाऊँगा, और उन्हें हुक्म दूँगा तो वे चौपायों के कान फाड़ेंगे, और उन्हें मैं सुझाव दूँगा तो वे अल्लाह की संरचना में परिवर्तन करेंगे।” और जिसने अल्लाह से हटकर शैतान को अपना संरक्षक और मित्र बनाया, वह खुले घाटे में पड़ गया।
यअि़दुहुम् व युमन्नीहिम् , व मा यअ़िदुहुमुश्शैतानु इल्ला गुरूरा (120)
वह उनसे वादा करता है और उन्हें कामनाओं में उलझाए रखता है, हालाँकि शैतान उनसे जो कुछ वादा करता है वह एक धोके के सिवा कुछ भी नहीं होता।
उलाइ-क मअ्वाहुम् जहन्नमु व ला यजिदू-न अन्हा महीसा (121)
वही लोग हैं जिनका ठिकाना जहन्नम है और वे उससे अलग होने की कोई जगह न पाएँगे।
वल्लज़ी-न आमनू व अमिलुस्सालिहाति सनुद्खिलुहम् जन्नातिन् तज्री मिन् तह़्तिहल-अन्हारू ख़ालिदी-न फ़ीहा अ-बदन् , वअ्दल्लाहि हक्कन , व मन् अस्दकु मिनल्लाहि कीला (122)
रहे वे लोग जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, उन्हें हम जल्द ही ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेंगे, जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी, जहाँ वे सदैव रहेंगे। अल्लाह का वादा सच्चा है, और अल्लाह से बढ़कर बात का सच्चा कौन हो सकता है?
लै-स बि-अमानिय्यिकुम् व ला अमानिय्यि अहिलल-किताबि , मंय्यअ्मल सूअंय्युज्-ज़ बिही व ला यजिद् लहू मिन् दूनिल्लाहि वलिय्यंव्-व ला नसीरा (123)
बात न तुम्हारी कामनाओं की है और न किताबवालों की कामनाओं की। जो भी बुराई करेगा उसे उसका फल मिलेगा और वह अल्लाह से हटकर न तो कोई मित्र पाएगा और न ही सहायक।
व मंय्यअ्मल मिनस्सालिहाति मिन् ज-करिन् औ उन्सा व हु-व मुअ्मिनुन् फ़-उलाइ-क यद्खुलूनल-जन्न-त व ला युज्लमू-न नक़ीरा (124)
किन्तु जो अच्छे कर्म करेगा, चाहे पुरुष हो या स्त्री, यदि वह ईमानवाला है तो ऐसे लोग जन्नत में दाख़िल होंगे। और उनका हक़ रत्ती भर भी मारा नहीं जाएगा।
व मन् अह़्सनु दीनम् मिम्-मन् अस्ल-म वज्हहू लिल्लाहि व हु-व मुह़्सिनुंव-वत्त-ब-अ मिल्ल-त इब्राही-म हनीफन् , वत्त-ख़जल्लाहु इब्राही-म ख़लीला (125)
और दीन (धर्म) की दृष्टि से उस व्यक्ति से अच्छा कौन हो सकता है, जिसने अपने आपको अल्लाह के आगे झुका दिया और वह अत्यन्त सतकर्मी भी हो और इबराहीम के तरीक़े का अनुसरण करे, जो सबसे कटकर एक का हो गया था? अल्लाह ने इबराहीम को अपना घनिष्ठ मित्र बनाया था।
व लिल्लाहि मा फिस्समावाति व मा ‘ फिल्अर्जि , व कानल्लाहु बिकुल्लि शैइम् मुहीता (126)*
जो कुछ आकाशों में और जो कुछ धरती में है, वह अल्लाह ही का है और अल्लाह हर चीज़ को घेरे हुए है।
Surah An-Nisa in Hindi रुकूअ- 19
व यस्तफ्तू न-क फिन्निसा-इ , कुलिल्लाहु युफ्तीकुम् फ़ीहिन्-न व मा युत्ला अलैकुम् फ़िल-किताबि फ़ी यतामन्निसा-इल्लाती ला तुअ्तूनहुन्न मा कुति-ब लहुन्-न व तर्ग़बू-न अन् तन्किहूहुन्-न वल्-मुस्तज्अ़फी-न मिनल-विल्दानि व अन् तकूमू लिल्यतामा बिल्किस्ति , व मा तफ्अलू मिन् खैरिन् फ़-इन्नल्ला-ह का-न बिही अलीमा (127)
लोग तुमसे स्त्रियों के विषय में पूछते हैं, कहो, “अल्लाह तुम्हें उनके विषय में हुक्म देता है और जो आयतें तुमको इस किताब में पढ़कर सुनाई जाती हैं, वे उन स्त्रियों के अनाथों के विषय में भी हैं, जिनके हक़ तुम अदा नहीं करते। और चाहते हो कि तुम उनके साथ विवाह कर लो और कमज़ोर यतीम बच्चों के बारे में भी यही आदेश है। और इस विषय में भी कि तुम अनाथों के विषय में इनसाफ़ पर क़ायम रहो। जो भलाई भी तुम करोगे तो निश्चय ही, अल्लाह उसे भली-भाँति जानता होगा।”
व इनिम्-र-अतुन् खाफत् मिम् बअ्लिहा नुशूज़न औ इअ्राजन फला जुना-ह अलैहिमा अंय्युस्लिहा बैनाहुमा सुल्हन , वस्सुल्हु खैरून् , व उहिज़-रतिल अन्फुसुश्शुह-ह , व इन् तुह़्सिनू व तत्तकू फ़-इन्नल्ला-ह का-न बिमा तअ्मलू-न ख़बीरा (128)
यदि किसी स्त्री को अपने पति की ओर से दुर्व्यवहार या बेरुख़ी का भय हो, तो इसमें उनके लिए कोई दोष नहीं कि वे दोनों आपस में मेल-मिलाप की कोई राह निकाल लें। और मेल-मिलाप अच्छी चीज़ है। और मन तो लोभ एवं कृपणता के लिए उद्यत रहता है। परन्तु यदि तुम अच्छा व्यवहार करो और (अल्लाह का) भय रखो, तो अल्लाह को निश्चय ही जो कुछ तुम करोगे उसकी ख़बर रहेगी।
व लन् तस्ततीअू अन् तअअदिलू बैनन्निसा-इ व लौ हरस्तुम् फला तमीलू कुल्लल्-मैलि फ़-त-ज़रूहा कल्-मुअल्ल-कति , व इन् तुस्लिहू व तत्तकू फ़-इन्नल्ला-ह का-न गफूरर्रहीमा (129)
और चाहे तुम कितना ही चाहो, तुममें इसकी सामर्थ्य नहीं हो सकती कि औरतों के बीच पूर्ण रूप से न्याय कर सको। तो ऐसा भी न करो कि किसी से पूर्णरूप से फिर जाओ, जिसके परिणामस्वरूप वह ऐसी हो जाए, जैसे उसका पति खो गया हो। परन्तु यदि तुम अपना व्यवहार ठीक रखो और (अल्लाह से) डरते रहो, तो निस्संदेह अल्लाह भी बड़ा क्षमाशील, दयावान है।
व इंय्य-तफर्रका युग्निल्लाहु कुल्लम्-मिन् स-अतिही , व कानल्लाहु वासिअ़न् हकीमा (130)
और यदि दोनों अलग ही हो जाएँ तो अल्लाह अपनी समाई से एक को दूसरे से बेपरवाह कर देगा। अल्लाह बड़ी समाईवाला, तत्वदर्शी है।
व लिल्लाहि मा फिस्समावाति व मा फिल्अर्जि , व ल-क़द् वस्सैनल्लज़ी-न ऊतुल-किता-ब मिन् कब्लिकुम् व इय्याकुम् अनित्तकुल्ला-ह , व इन् तक्फुरू फ़-इन्-न लिल्लाहि मा फ़िस्समावाति व मा फ़िल्अर्जि , व कानल्लाहु गनिय्यन् हमीदा (131)
आकाशों और धरती में जो कुछ है, सब अल्लाह ही का है। तुमसे पहले जिन्हें किताब दी गई थी, उन्हें और तुम्हें भी हमने ताकीद की है कि “अल्लाह का डर रखो।” यदि तुम इनकार करते हो, तो इससे क्या होने का? आकाशों और धरती में जो कुछ है, सब अल्लाह ही का रहेगा। अल्लाह तो निस्पृह, प्रशंसनीय है।
व लिल्लाहि मा फिस्समावाति व मा फ़िल्अर्ज़ि , व कफ़ा बिल्लाहि वकीला (132)
हाँ, आकाशों और धरती में जो कुछ है, अल्लाह ही का है और अल्लाह कार्यसाधक की हैसियत से काफ़ी है।
इंय्यशअ युज्हिब्कुम् अय्युहन्नासु व यअ्ति बिआ-ख़री-न , व कानल्लाहु अला जालि-क कदीरा (133)
ऐ लोगो! यदि वह चाहे तो तुम्हें हटा दे और तुम्हारी जगह दूसरों को ले आए। अल्लाह को इसकी पूरी सामर्थ्य है।
मन् का-न युरीदु सवाबद्दुन्या फ-अिन्दल्लाहि सवाबुद्दुन्या वल्आखि-रति , व कानल्लाहु समीअम्-बसीरा (134)*
जो कोई दुनिया का बदला चाहता है, तो अल्लाह के पास दुनिया का बदला भी है और आख़िरत का भी। अल्लाह सब कुछ सुनता, देखता है।
Surah An-Nisa in Hindi रुकूअ- 20
या अय्युहल्लजी-न आमनू कूनू कव्वामी-न बिल्किस्ति शु-हदा-अ लिल्लाहि व लौ अला अन्फुसिकुम् अविल-वालिदैनि वल् अक़्रबी-न इंय्यकुन् ग़निय्यन् औ फ़की़रन् फल्लाहु औला बिहिमा , फला तत्तबिअुल-हवा अन् तअ्दिलू व इन् तल्बू औ तुअ्रिजू फ-इन्नल्ला-ह का-न बिमा तअ्मलू-न ख़बीरा (135)
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह के लिए गवाही देते हुए इनसाफ़ पर मज़बूती के साथ जमे रहो, चाहे वह स्वयं तुम्हारे अपने या माँ-बाप और नातेदारों के विरुद्ध ही क्यों न हो। कोई धनवान हो या निर्धन (जिसके विरुद्ध तुम्हें गवाही देनी पड़े) अल्लाह को उनसे (तुमसे कहीं बढ़कर) निकटता का सम्बन्ध है, तो तुम अपनी इच्छा के अनुपालन में न्याय से न हटो, क्योंकि यदि तुम हेर-फेर करोगे या कतराओगे, तो जो कुछ तुम करते हो अल्लाह को उसकी ख़बर रहेगी।
या अय्युहल्लज़ी-न आमनू आमिनू बिल्लाहि व रसूलिही वल-किताबिल्लज़ी नज्ज-ल अला रसूलिही वल्-किताबिल लज़ी अन्ज़-ल मिन कब्लु , व मंय्यक्फुर बिल्लाहि व मलाइ-कतिही व कुतुबिही व रूसुलिही वल्यौमिल-आख़िरी फ़-कद् ज़ल-ल जलालम्-बअीदा (136)
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह पर ईमान लाओ और उसके रसूल पर और उस किताब पर जो उसने अपने रसूल पर उतारी है और उस किताब पर भी, जिसको वह इसके पहले उतार चुका है। और जिस किसी ने भी अल्लाह और उसके फ़रिश्तों और उसकी किताबों और उसके रसूलों और अन्तिम दिन का इनकार किया, तो वह भटककर बहुत दूर जा पड़ा।
इन्नल्लज़ी-न आमनू सुम् म क-फरू सुम्-म आमनू सुम्-म क-फरू सुम्मज्-दादू कुफ्रल्लम् यकुनिल्लाहु लि-यग्फि-र लहुम् व ला लि-यहिद-यहुम् सबीला (137)
रहे वे लोग जो ईमान लाए, फिर इनकार किया; फिर ईमान लाए, फिर इनकार किया; फिर इनकार की दशा में बढ़ते चले गए तो अल्लाह उन्हें कदापि क्षमा नहीं करेगा और न उन्हें राह दिखाएगा।
बश्शिरिल-मुनाफिकी-न बिअन्-न लहुम् अज़ाबन् अलीमा (138)
मुनाफ़िक़ों (कपटाचारियों) को मंगल-सूचना दे दो कि उनके लिए दुखद यातना है;
अल्लज़ी-न यत्तखिजूनल-काफ़िरी-न औलिया-अ मिन् दूनिल-मुअ्मिनी-न , अ-यब्तगू-न अिन्दहुमुल्-अिज्ज़-त फ-इन्नल-अि़ज़्ज़-त लिल्लाहि जमीआ़ (139)
जो ईमानवालों को छोड़कर इनकार करनेवालों को अपना मित्र बनाते हैं। क्या उन्हें उनके पास प्रतिष्ठा की तलाश है? प्रतिष्ठा तो सारी की सारी अल्लाह ही के लिए है।
व कद् नज्ज-ल अ़लैकुम् फ़िल्किताबि अन् इज़ा समिअ्तुम् आयातिल्लाहि युक्फरू बिहा व युस्तह्ज़उ बिहा फला तक्अुदू म-अ़हुम् हत्ता यखूजू फ़ी हदीसिन् गैरिही इन्नकुम् इज़म्-मिस्लुहुम , इन्नल्ला-ह जामिअुल-मुनाफ़िकी-न वल्काफिरी-न फ़ी जहन्नम जमीआ (140)
वह ‘किताब’ में तुमपर यह हुक्म उतार चुका है कि जब तुम सुनो कि अल्लाह की आयतों का इनकार किया जा रहा है और उसका उपहास किया जा रहा है, तो जब तक वे किसी दूसरी बात में न लगा जाएँ, उनके साथ न बैठो, अन्यथा तुम भी उन्हीं के जैसे होगे। निश्चय ही अल्लाह कपटाचारियों और इनकार करनेवालों-सबको जहन्नम में एकत्र करनेवाला है।
अल्लज़ी-न य-तरब्बसू-न बिकुम् फ़-इन् का-न लकुम फ़त्हुम् मिनल्लाहि कालू अलम् नकुम् म-अकुम् व इन् का-न लिल्काफ़िरी-न नसीबुन् कालू अलम् नस्तह़्विज् अलैकुम् व नम्नअ्कुम् मिनल-मुअ्मिनी-न , फ़ल्लाहु यह़्कुमु बैनकुम् यौमल-कियामति , व लंय्यज्-अलल्लाहु लिल्काफ़िरी-न अलल्-मुअ्मिनी-न सबीला (141)*
जो तुम्हारे मामले में प्रतीक्षा करते हैं, यदि अल्लाह की ओर से तुम्हारी विजय़ हुई तो कहते हैं, “क्या हम तुम्हारे साथ न थे?” और यदि विधर्मियों के हाथ कुछ लगा तो कहते हैं, “क्या हमने तुम्हें घेर नहीं लिया था और तुम्हें ईमानवालों से बचाया नहीं?” अतः अल्लाह क़ियामत के दिन तुम्हारे बीच फ़ैसला कर देगा, और अल्लाह विधर्मियों को ईमानवालों के मुक़ाबले में कोई राह नहीं देगा।
रुकूअ- 21
इन्नल्-मुनाफ़िकी-न युखादिअूनल्ला-ह व हु-व ख़ादिअुहुम् व इज़ा कामू इलस्-सलाति कामू कुसाला युराऊनन्ना-स व ला यज्कुरूनल्ला-ह इल्ला कलीला (142)
कपटाचारी अल्लाह के साथ धोखेबाज़ी कर रहे हैं, हालाँकि उसी ने उन्हें धोखे में डाल रखा है। जब वे नमाज़ के लिए खड़े होते हैं तो कसमसाते हुए, लोगों को दिखाने के लिए खड़े होते हैं। और अल्लाह को थोड़े ही याद करते हैं।
मुज़ब्ज़बी-न बै-न जालि-क ला इला-हा-उला-इ व ला इला ह-उला-इ , व मंय्युज्लिलिल्लाहु फलन् तजि-द लहू सबीला (143)
इसी के बीच डाँवाडोल हो रहे हैं, न इन (ईमानवालों) की तरफ़ के हैं, न इन (इनकार करनेवालों) की तरफ़ के। जिसे अल्लाह ही भटका दे, उसके लिए तो तुम कोई राह नहीं पा सकते।
या अय्युहल्लज़ी-न आमनू ला तत्तखिजु़ल-काफ़िरी-न औलिया-अ मिन् दूनिल मुअ्मिनी-न , अतुरीदू-न अन् तज्अलू लिल्लाहि अलैकुम् सुल्तानम् मुबीना (144)
ऐ ईमान लानेवालो! ईमानवालों से हटकर इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ। क्या तुम चाहते हो कि अल्लाह का स्पष्ट तर्क अपने विरुद्ध जुटाओ?
इन्नल् मुनाफ़िकी-न फ़िद्दरकिल्-अस्फ़लि मिनन्नारि व लन् तजि-द लहुम् नसीरा (145)
निस्संदेह कपटाचारी आग (जहन्नम) के सबसे निचले खंड में होंगे, और तुम कदापि उनका कोई सहायक न पाओगे।
इल्लल्लज़ी-न ताबू व अस्लहू वअ्त-समू बिल्लाहि व अख़्लसू दीनहुम् लिल्लाहि फ़-उलाइ-क मअल्-मुअ्मिनी-न , व सौ-फ युअ्तिल्लाहुल मुअ्मिनी-न अज्रन् अज़ीमा (146)
उन लोगों की बात और है जिन्होंने तौबा कर ली और अपने को सुधार लिया और अल्लाह को मज़बूती से पकड़ लिया और अपने दीन (धर्म) में अल्लाह ही के हो रहे। ऐसे लोग ईमानवालों के साथ हैं और अल्लाह ईमानवालों को शीघ्र ही बड़ा प्रतिदान प्रदान करेगा।
मा यफ्अलुल्लाहु बि-अज़ाबिकुम् इन् शकरतुम् व आमन्तुम् , व कानल्लाहु शाकिरन् अलीमा (147)
अल्लाह को तुम्हें यातना देकर क्या करना है, यदि तुम कृतज्ञता दिखलाओ और ईमान लाओ? अल्लाह गुणग्राहक, सब कुछ जाननेवाला है।
ला युहिब्बुल्लाहुल-जह्-र बिस्सू-इ मिनल्-कौलि इल्ला मन् जुलि-म , व कानल्लाहु समीअन् अलीमा (148)
अल्लाह बुरी बात खुल्लम-खुल्ला कहने को पसन्द नहीं करता, मगर उसकी बात और है जिसपर ज़ुल्म किया गया हो। अल्लाह सब कुछ सुनता, जानता है।
इन् तुब्बू खैरन् औ तुख्फूहु औ तअ्फू अन् सूइन् फ़-इन्नल्ला-ह का-न अ़फुव्वन् कदीरा (149)
यदि तुम खुले रूप में नेकी और भलाई करो या उसे छिपाओ या किसी बुराई को क्षमा कर दो, तो अल्लाह भी क्षमा करनेवाला, सामर्थ्यवान है।
इन्नल्लज़ी-न यक्फुरू-न बिल्लाहि व रूसुलिही व युरीदू-न अंय्युफ़र्रिकू बैनल्लाहि व रूसुलिही व यकूलू-न नुअ्मिनु बि-बअ्जिंव-व नक्फुरू बि-बअ्जिंव-व युरीदू-न अंय्यत्तखिजू बै-न ज़ालि-क सबीला (150)
जो लोग अल्लाह और उसके रसूलों का इनकार करते हैं और चाहते हैं कि अल्लाह और उसके रसूलों के बीच विच्छेद करें, और कहते हैं कि “हम कुछ को मानते हैं और कुछ को नहीं मानते” और इस तरह वे चाहते हैं कि बीच की कोई राह अपनाएँ;
उलाइ-क हुमुल काफ़िरू-न हक्कन् व अअ्तद्ना लिल्काफ़िरी-न अज़ाबम् मुहीना (151)
वही लोग पक्के इनकार करनेवाले हैं और हमने इनकार करनेवालों के लिए अपमानजनक यातना तैयार कर रखी है।
वल्लज़ी-न आमनू बिल्लाहि व रूसुलिही व लम् युफ़र्रिकू बै-न अ-हदिम् मिन्हुम् उलाइ-क सौ-फ युअ्तीहिम् उजूरहुम् , व कानल्लाहु गफूरर्रहीमा (152)*
रहे वे लोग जो अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान रखते हैं और उनमें से किसी को उस सम्बन्ध में पृथक नहीं करते जो उनके बीच पाया जाता है, ऐसे लोगों को अल्लाह शीघ्र ही उनके प्रतिदान प्रदान करेगा। अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है।
रुकूअ- 22
यस्अलु-क अह्लुल-किताबि अन् तुनज्ज़ि-ल अलैहिम् किताबम् मिनस-समा-इ फ़-कद् स-अलू मूसा अक्ब-र मिन् ज़ालि-क फ़कालू अरिनल्ला-ह जहर-तन् फ-अ-खजत्हुमुस्साअि-कतु बिजुल्मिहिम् सुम्मत्त-खजुल-अिज्-ल मिम्-बअदि मा जाअतहुमुल् बय्यिनातु फ़-अफ़ौना अन् ज़ालि-क व आतैना मूसा सुल्तानम् मुबीना (153)
किताबवालों की तुमसे माँग है कि तुम उनपर आकाश से कोई किताब उतार लाओ, तो वे तो मूसा से इससे भी बड़ी माँग कर चुके हैं। उन्होंने कहा था, “हमें अल्लाह को प्रत्यक्ष दिखा दो,” तो उनके इस अपराध पर बिजली की कड़क ने उन्हें आ दबोचा। फिर वे बछड़े को अपना उपास्य बना बैठे, हालाँकि उनके पास खुली-खुली निशानियाँ आ चुकी थीं। फिर हमने उसे भी क्षमा कर दिया और मूसा को स्पष्ट बल एवं प्रभाव प्रदान किया।
व रफअ् ना फौकहुमुत्तू-र बिमीसाकिहिम् व कुल्ना लहुमुद्खुलुल्बा-ब सुज्जदंव्-व कुल्ना लहुम् ला तअ्दू फिस्सब्ति व अख़ज्ना मिन्हुम मीसाकन् ग़लीज़ा (154)
और उन लोगों से वचन लेने के साथ तूर (पहाड़) को उनपर उठा दिया और उनसे कहा, “दरवाज़े में सजदा करते हुए प्रवेश करो।” और उनसे कहा, “सब्त (सामूहिक इबादत का दिन) के विषय में ज़्यादती न करना।” और हमने उनसे बहुत-ही दृढ़ वचन लिया था।
फबिमा नक्ज़िहिम् मीसाकहुम् व कुफ्रिहिम् बिआयातिल्लाहि व कत्लिहिमुल अम्बिया-अ बिगैरि हक्किंव-व कौलिहिम् कुलूबुना गुल्फुन् , बल् त-बअल्लाहु अलैहा बिकुफ्रिहिम् फला युअ्मिनू-न इल्ला क़लीला (155)
फिर उनके अपने वचन भंग करने और अल्लाह की आयतों का इनकार करने के कारण और नबियों को नाहक़ क़त्ल करने और उनके यह कहने के कारण कि “हमारे हृदय आवरणों में सुरक्षित हैं”-नहीं, बल्कि वास्तव में उनके इनकार के कारण अल्लाह ने उनके दिलों पर ठप्पा लगा दिया है। तो ये ईमान थोड़े ही लाते हैं।
व बिकुफ्रिहिम् व कौलिहिम् अला मर य-म बुह़्तानन् अज़ीमा (156)
और उनके इनकार के कारण और मरयम के ख़िलाफ ऐसी बात कहने पर जो एक बड़ा लांछन था –
व कौलिहिम् इन्ना कतल्नल्-मसी-ह अीसब-न मर य-म रसूलल्लाहि व मा क-तलूहु व मा स-लबूहु व लाकिन् शुब्बि-ह लहुम , व इन्नल्लज़ीनख़्त लफू फ़ीहि लफ़ी शक्किम् मिन्हु , मा लहुम् बिही मिन् अिल्मिन् इल्लत्तिबाअज्ज़न्नि व मा क-तलूहु यकीना (157)
और उनके इस कथन के कारण कि हमने मरयम के बेटे ईसा मसीह, अल्लाह के रसूल, को क़त्ल कर डाला-हालाँकि न तो इन्होंने उसे क़त्ल किया और न उसे सूली पर चढ़ाया, बल्कि मामला उनके लिए संदिग्ध हो गया। और जो लोग इसमें विभेद कर रहे हैं, निश्चय ही वे इस मामले में सन्देह में थे। अटकल पर चलने के अतिरिक्त उनके पास कोई ज्ञान न था। निश्चय ही उन्होंने उसे (ईसा को) क़त्ल नहीं किया,
बर्र-फ-अहुल्लाहु इलैहि , व कानल्लाहु अज़ीज़न् हकीमा (158)
बल्कि उसे अल्लाह ने अपनी ओर उठा लिया। और अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।
व इम्-मिन् अहिलल्-किताबि इल्ला ल-युअ्मिन्-न बिही कब्-ल मौतिही व यौमल्-कियामति यकूनु अलैहिम् शहीदा (159)
किताबवालों में से कोई ऐसा न होगा, जो उसकी मृत्यु से पहले उसपर ईमान न ले आए। वह क़ियामत के दिन उनपर गवाह होगा।
फ-बिजुल्मिम्-मिनल्लज़ी-न हादू हर्रम् ना अलैहिम् तय्यिबातिन् उहिल्लत् लहुम् व बि-सद्दिहिम् अन् सबीलिल्लाहि कसीरा (160)
सारांश यह कि यहूदियों के अत्याचार के कारण हमने बहुत-सी अच्छी पाक चीज़ें उनपर हराम कर दीं, जो उनके लिए हलाल थीं और उनके प्रायः अल्लाह के मार्ग से रोकने के कारण;
व अख्ज़िहिमुर्रिबा व कद् नुहू अन्हु व अक्लिहिम् अम्वालन्नासि बिल्बातिलि , व अअ्-तद्ना लिल्काफ़िरी-न मिन्हुम् अज़ाबन् अलीमा (161)
और उनके ब्याज लेने के कारण, जबकि उन्हें इससे रोका गया था। और उनके अवैध रूप से लोगों के माल खाने के कारण ऐसा किया गया और हमने उनमें से जिन लोगों ने इनकार किया उनके लिए दुखद यातना तैयार कर रखी है।
लाकिनिर्रासिखू-न फिल्अिल्मि मिन्हुम् वल्मुअ्मिनू-न युअ्मिनू-न बिमा उन्ज़ि-ल इलै-क व मा उन्ज़ि-ल मिन् कब्लि-क वल्मुकीमीनस्सला-त वल्मुअ्तूनज्जका-त वल्मुअ्मिनू-न बिल्लाहि वल्यौमिल-आखिरि , उलाइ-क सनुअ्तीहिम् अज्रन् अजीमा (162)*
परन्तु उनमें से जो लोग ज्ञान में पक्के हैं और ईमानवाले हैं, वे उस पर ईमान रखते हैं जो तुम्हारी ओर उतारा गया है और जो तुमसे पहले उतारा गया था, और जो विशेष रूप से नमाज़ क़ायम करते हैं, ज़कात देते और अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखते हैं। यही लोग हैं जिन्हें हम शीघ्र ही बड़ा प्रतिदान प्रदान करेंगे।
Surah An-Nisa in Hindi रुकूअ- 23
इन्ना औहैना इलै-क कमा औहैना इला नूहिंव्वन्नबिय्यी-न मिम्-बअ्दिही व औहैना इला इब्राही-म व इस्माअी-ल व इस्हा-क व यअ्कू-ब वल्अस्बाति व अीसा व अय्यू-ब व यूनु-स व हारू-न व सुलैमा-न व आतैना दावू-द ज़बूरा (163)
हमने तुम्हारी ओर उसी प्रकार वह्य की है जिस प्रकार नूह और उसके बाद के नबियों की ओर वह्य की। और हमने इबराहीम, इसमाईल, इसहाक़ और याक़ूब और उसकी सन्तान और ईसा और अय्यूब और यूनुस और हारून और सुलैमान की ओर भी वह्य की। और हमने दाऊद को ज़बूर प्रदान किया।
व रूसुलन् कद् कसस्नाहुम् अलै-क मिन् कब्लु व रूसुलल्लम नक्सुसहुम अलै-क , व कल्लमल्लाहु मूसा तक्लीमा (164)
और कितने ही रसूल हुए जिनका वृतान्त पहले हम तुमसे बयान कर चुके हैं और कितने ही ऐसे रसूल हुए जिनका वृतान्त हमने तुमसे बयान नहीं किया। और मूसा से अल्लाह ने बातचीत की, जिस प्रकार बातचीत की जाती है।
रूसुलम् मुबश्शिरी-न व मुन्ज़िरी-न लिअल्ला यकू-न लिन्नासि अलल्लाहि हुज्जतुम्-बअ्दर्रूसुलि , व कानल्लाहु अज़ीज़न् हकीमा (165)
रसूल शुभ समाचार देनेवाले और सचेत करनेवाले बनाकर भेजे गए हैं, ताकि रसूलों के पश्चात लोगों के पास अल्लाह के मुक़ाबले में (अपने निर्दोष होने का) कोई तर्क न रहे। अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।
लाकिनिल्लाहु यश्हदु बिमा अन्ज-ल इलै-क अन्ज़-लहू बिअिल्मिही वल्मलाइ-कतु यशहदू-न व कफ़ा बिल्लाहि शहीदा (166)
परन्तु अल्लाह गवाही देता है कि उसके द्वारा जो उसने तुम्हारी ओर उतारा है कि उसे उसने अपने ज्ञान के साथ उतारा है और फ़रिश्ते भी गवाही देते हैं, यद्यपि अल्लाह का गवाह होना ही काफ़ी है।
इन्नल्लज़ी-न क-फरू व सद्दू अन् सबीलिल्लाहि कद् जल्लू ज़लालम् बअी़दा (167)
निश्चय ही, जिन लोगों ने इनकार किया और अल्लाह के मार्ग से रोका, वे भटककर बहुत दूर जा पड़े।
इन्नल्लज़ी-न क-फरू व ज़-लमू लम् यकुनिल्लाहु लियग्फि-र लहुम् व ला लियह़्दी-यहुम् तरीका़ (168)
जिन लोगों ने इनकार किया और ज़ुल्म पर उतर आए, उन्हें अल्लाह कदापि क्षमा नहीं करेगा और न उन्हें कोई मार्ग दिखाएगा।
इल्ला तरी-क जहन्न-म ख़ालिदी-न फीहा अ-बदन् , व का-न ज़ालि-क अलल्लाहि यसीरा (169)
सिवाय जहन्नम के मार्ग के, जिसमें वे सदैव पड़े रहेंगे। और यह अल्लाह के लिए बहुत-ही सहज बात है।
या अय्युहन्नासु कद् जा-अकुमुर्रसूलु बिल्हक्कि मिर्रब्बिकुम् फआमिनू खैरल्लकुम् , व इन तुक्फुरू फ़-इन्-न लिल्लाहि मा फिस्समावाति वल्अर्जि , व कानल्लाहु अलीमन् हकी़मा (170)
ऐ लोगो! रसूल तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से सत्य लेकर आ गया है। अतः तुम उस भलाई को मानो जो तुम्हारे लिए जुटाई गई है। और यदि तुम इनकार करते हो तो आकाशों और धरती में जो कुछ है, वह अल्लाह ही का है। और अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, तत्वदर्शी है।
या अह़्लल्-किताबि ला तग्लू फ़ी दीनिकुम् व ला तकूलू अलल्लाहि इल्लल्-हक्-क़ , इन्नमल्-मसीहु अीसब्नु मर्य-म रसूलुल्लाहि व कलि-मतुहू अल्काहा इला मर्य-म व रूहुम्-मिन्हु फ़आमिनू बिल्लाहि व रूसुलिही , व ला तकूलू सलासतुन , इन्तहू खैरल्लकुम , इन्नमल्लाहु इलाहुंव्वाहिदुन् , सुब्हानहू अंय्यकू-न लहू व-लदुन् • लहू मा फिस्समावाति व मा फिल्अर्ज़ि व कफ़ा बिल्लाहि वकीला (171)*
ऐ किताबवालो! अपने धर्म में हद से आगे न बढ़ो और अल्लाह से जोड़कर सत्य के अतिरिक्त कोई बात न कहो। मरयम का बेटा मसीह-ईसा इसके अतिरिक्त कुछ नहीं कि अल्लाह का रसूल है और उसका एक ‘कलिमा’ है, जिसे उसने मरयम की ओर भेजा था। और उसकी ओर से एक रूह है। तो तुम अल्लाह पर और उसके रसूलों पर ईमान लाओ और “तीन” न कहो-बाज़ आ जाओ! यह तुम्हारे लिए अच्छा है-अल्लाह तो केवल अकेला पूज्य है। यह उसकी महानता के प्रतिकूल है कि उसका कोई बेटा हो। आकाशों और धरती में जो कुछ है, उसी का है। और अल्लाह कार्यसाधक की हैसियत से काफ़ी है।
Surah An Nisa in Hindi रुकूअ- 24
लंय्यस्तन्किफल्-मसीहु अंय्यकू-न अब्दल्-लिल्लाहि व लल्मला-इ-कतुल मुकर्रबू-न , व मंय्यस्तन्किफ् अन् , ‘ अिबादतिही व यस्तक्बिर् फ-सयहशुरूहुम् इलैहि जमीआ़ (172)
मसीह ने कदापि अपने लिए बुरा नहीं समझा कि वह अल्लाह का बन्दा हो और न निकटवर्ती फ़रिश्तों ने ही (इसे बुरा समझा)। और जो कोई अल्लाह की बन्दगी को अपने लिए बुरा समझेगा और घमंड करेगा, तो वह (अल्लाह) उन सभी लोगों को अपने पास इकट्ठा करके रहेगा।
फ-अम्मल्लज़ी-न आमनू व अमिलुस्-सालिहाति फ़-युवफ्फीहिम् उजूरहुम् व यज़ीदुहुम् मिन् फज्लिही व अम्मल्लज़ीनस्-तनकफू वस्तक्बरू फ़-युअ़ज्जि़बुहुम् अज़ाबन् ‘ अलीमा व ला यजिदू-न लहुम मिन् दूनिल्लाहि वलिय्यंव्-व ला नसीरा (173)
अतः जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, तो अल्लाह उन्हें उनका पूरा-पूरा बदला देगा और अपने उदार अनुग्रह से उन्हें और अधिक प्रदान करेगा। और जिन लोगों ने बन्दगी को बुरा समझा और घमंड किया, तो उन्हें वह दुखद यातना देगा। और वे अल्लाह से बच सकने के लिए न अपना कोई निकट का समर्थक पाएँगे और न ही कोई सहायक।
या अय्युहन्नासु कद् जा-अकुम् बुरहानुम् मिर्रब्बिकुम् व अन्ज़ल्ना इलैकुम् नूरम् मुबीना (174)
ऐ लोगो! तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से खुला प्रमाण आ चुका है और हमने तुम्हारी ओर एक स्पष्ट प्रकाश उतारा है।
फ-अम्मल्लज़ी-न आमनू बिल्लाहि वअ्त-समू बिही फ-सयुद्खिलुहुम् फी रह़्मतिम् मिन्हु व फ़ज्लिंव-व यह्दीहिम् इलैहि सिरातम् मुस्तकीमा (175)
तो रहे वे लोग जो अल्लाह पर ईमान लाए और उसे मज़बूती के साथ पकड़े रहे, उन्हें वह शीघ्र ही अपनी दयालुता और अपने उदार अनुग्रह के क्षेत्र में दाख़िल करेगा और उन्हें अपनी ओर का सीधा मार्ग दिखा देगा।
यस्तफ्तून-क , कुलिल्लाहु युफ्तीकुम् फिल्-कलालति , इनिमरूउन् ह-ल-क लै-स लहू व लदुंव-व लहू उख्तुन् फ़-लहा निस्फु मा त-र-क व हु-व यरिसुहा इल्लम् यकुल्लहा व-लदुन् , फ-इन् का-नतस्नतैनि फ़-लहुमस्-सुलुसानि मिम्मा त-र-क , व इन् कानू इख्वतररिजालंव्-व निसाअन् फ़-लिज्ज-करि मिस्लु हज्जिल् उन्सयैनि , युबय्यिनुल्लाहु लकुम् अन् तज़िल्लू , वल्लाहु बिकुल्लि शैइन् अलीम (176)*
वे तुमसे आदेश मालूम करना चाहते हैं। कह दो, “अल्लाह तुम्हें ऐसे व्यक्ति के विषय में, जिसका कोई वारिस न हो, आदेश देता है-यदि किसी पुरुष की मृत्यु हो जाए जिसकी कोई सन्तान न हो, परन्तु उसकी एक बहन हो, तो जो कुछ उसने छोड़ा है उसका आधा हिस्सा उस बहन का होगा। और भाई बहन का वारिस होगा, यदि उस (बहन) की कोई सन्तान न हो। और यदि (वारिस) दो बहनें हों, तो जो कुछ उसने छोड़ा है, उसमें से उनके लिए दो-तिहाई होगा। और यदि कई भाई-बहन (वारिस) हों तो एक पुरुष का हिस्सा दो स्त्रियों के बराबर होगा।” अल्लाह तुम्हारे लिए आदेशों को स्पष्ट करता है, ताकि तुम न भटको। और अल्लाह को हर चीज़ का पूरा ज्ञान है।
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