Shab e Qadr ki Fazilat in Hindi: – दोस्तों, जैसा कि हम जानते हैं कि 🕌 रमज़ान के महीने में अल्लाह ने कुछ 🌃 रातें ऐसी अता की हैं कि अगर कोई मुस्लमान उन रातों में अल्लाह से दुआ करे तो अल्लाह उन दुआओं को क़ुबूल करता है।
अल्लाह ने रमज़ान के महीने में मुसलमानों को शबे कद्र की रात दी है, जिसकी बहुत फ़ज़ीलत आई है। तो इस पोस्ट में हम Shab-e-Qadr Ki Fazilat in Hindi में जानेंगे।
इससे पहले कि शबे क़द्र की फ़ज़ीलत को जानें, आईये जानते हैं शबे क़द्र क्या है?
शबे क़द्र क्या है? | What is Shab-e-Qadr?
तो दोस्तों, आपको यह जान लेना जरूरी है कि शबे-क़द्र एक बा-बरकत रात होती है जिसमें फ़रिश्ते उतरते हैं।
यह रात हज़ार महीनों से अफज़ल रात है और इस रात को लैलतुल क़द्र (Lailatul Qadr) से भी जाना जाता है।
📖 क़ुरान के हवाले से
अल्लाह ने क़ुरान में सूरह अल-क़द्र 97 में फ़रमाया है कि हमने क़ुरान को लैलतुल क़द्र में नाज़िल किया,
और ए मुसलमानों! क्या चीज़ है जो तुम्हें समझाए कि लैलतुल क़द्र क्या है?
बस तुम्हारी अकलों के एतबार से इतना समझ लो कि लैलतुल क़द्र हज़ार महीनों से ज्यादा अफज़ल है, और उतरते हैं उस रात फ़रिश्ते और जिब्रईल।
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📜 हदीस के हवाले से
अनस बिन माबी से रिवायत है आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सहाबा को रमज़ान से पहले एक जगह जमा किया और आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया,
“सुन लो तुम पर एक महीना आने वाला है और उसमें एक ऐसी रात है जो क़द्र और मन्न्ज़िलत (इम्पोर्टेंस) के एतबार से इतनी ज्यादा अहम है कि एक हज़ार महीनों से ज्यादा अफज़ल है,
और जिसने इस रात को पा लिया, उसने तमाम खैर को पा लिया, और जिसने इस रात को छोड़ दिया, वो बदनसीब रहा और बदनसीब से ही ये रात छीन ली जाती है।
(सूरह इब्न माजह, हदीस: 1341)
कब होती है शबे क़द्र की रात?
आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद है कि शबे क़द्र रमज़ान के आखिरी अशरे की ताक रातों में से कोई एक रात में होती है।
यहाँ यह जान लेना जरूरी है कि आखिरी अशरे का मतलब होता है: – रमज़ान के आखिरी 10 दिन और ताक रातों का मतलब विषम रातों से है जैसे कि 21, 23, 25, 27 और 29 रातों में से कोई एक रात हो सकती है।
यानी इन पांच रातों में से कोई एक रात लैलतुल क़द्र की रात हो सकती है।
जिसमें अल्लाह की रहमत से आप अपने गुनाहों को माफ़ करा सकते हैं।
तो हमें चाहिए कि हम इन पांच रातों को जागकर अल्लाह से अपनी मगफिरत की दुआ करें।
शबे क़द्र की फ़ज़ीलत | Shab e qadr ki fazilat
शबे क़द्र, रमज़ान की सबसे बड़ी फ़ज़ीलतों में से एक फ़ज़ीलत है।
जैसा कि हमने ऊपर कुरान और हदीस से शबे-क़द्र की कुछ फ़ज़ीलतों (Shab E Qadr Ki Fazilat) को जाना।
आईये हम कुछ और अच्छे से इस रात की फ़ज़ीलत (Lailatul Qadr Ki Fazilat) को जानते हैं।
🟢 हज़ार महीनों की इबादत का सवाब
अगर कोई शख्स इन पांच रातों को जागता है और उसे शबे क़द्र की रात नसीब हो जाती है तो अल्लाह उसको 1000 महीनों की इबादत का सवाब देता है।
अगर आप 1000 महीनों का हिसाब निकालेंगे तो 83.33 साल आता है।
तो एक बार शबे क़द्र की रात मिलने का इतना सवाब है तो अगर 20 साल की उम्र में ऐसी 10 रातें भी मिल गयीं, तो 830 साल का सवाब मिल गया। सुब्हान अल्लाह।
🟢 फ़रिश्ते और जिब्राईल जमीन पर उतरते हैं
अल्लाह इस रात में फरिश्तों को जमीन पर उतारता है और जिब्राइल को भी जमीन पर उतारता है।
और फ़रिश्ते इतने उतरते हैं जैसे कि जमीन पर कंकरियां मौजूद हैं।
कोई जगह ऐसी नहीं बचती जहाँ फ़रिश्ते न उतरे हों। पूरी जमीन फरिश्तों से भर जाती है।
🟢 गुनाहों से छुटकारा
इस रात में सवाब कि नियत से इबादत करने बाले के अल्लाह पिछले तमाम गुनाहों को माफ़ कर देता है।
सहीह बुखारी की हदीस 125 में है जिसे अबू हुरैरह र. अ. रावी हैं कहते हैं कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया,
“जिसने लैलतुल क़द्र में ईमान के साथ सवाब की नियत से कयाम किया, उसके पिछले तमाम गुनाह माफ़ हो जाते हैं।”
सुब्हान अल्लाह।
🟢 कम उम्र में ज्यादा उम्र का सवाब
इस रात के दिए जाने के पीछे एक हिकमत भी उलमा यही बयान करते हैं।
कुछ मुफस्सरीन लिखते हैं कि इसकी हिकमत ये थी के
वाकया ये था कि कुछ सहाबा आये और कहा कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, कुछ उम्मतों के कुछ वाक़यात हमारे सामने ऐसे आ रहे हैं, जिनमें पिछली उम्मतों की लम्बी-लम्बी उम्रों के तजकरे आ रहे हैं। (मिसाल के तौर पर नूह अलैहिस्सलातो वस्सलाम ने 950 साल अपनी कौम को दावत दी)
तो हम कैसे उनके बराबर इबादत में पहुंचेंगे, जबकि हमारी उम्रें तो इतनी कम हैं।
तो उलमा इस पर लिखते हैं कि अल्लाह ने हमें इसी लिए छूट के तौर पर शबे क़द्र की रात दि जो हज़ार महीनों से अफज़ल है।
शबे क़द्र की रात को क्या-क्या करें?
जैसा कि देखा गया है कि इस रात को लोग पूरी-पूरी रात घूमने निकल जाते हैं, लोगों को रोक-रोककर खाना खिलाते हैं, बाजारों में घुमते हैं, घरों को सजाते है, जो कि बहुत गलत है।
आपको शबे क़द्र की रात में सिर्फ इबादत करनी चाहिए।
इसके लिए आप कुछ अम्ल कर सकते हैं
- ईशा की नमाज़ का पढ़ना
- तराबीह पढ़ना
- कुरआन की तिलावत करना
- तहज्जुद की नमाज़ का पढ़ना
- अपनी मगफिरत और हालत के लिए दुआएँ करना
- जिक्रो-अस्कार करना
- तस्वीह पढ़ना
आखिरी शब्द
तो जैसा कि हमने जाना कि शबे क़द्र की रात एक बा-बरकत वाली रात है और हमें इस रात को पाने की पूरी कोशिश करनी चाहिए।
अल्लाह से दुआ करें हम सभी को शबे क़द्र नसीब करे और इसकी फ़ज़ीलत को समझने बाला बनाये।
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