Last updated on अगस्त 28th, 2024 at 06:25 अपराह्न
Safar Ki Dua in Hindi: – इस पोस्ट में हमने सफ़र की दुआ हिंदी में बताई है, जो कि हकीकत में कुरान ए पाक की आयत है।
आपको हमेशा Safar Ki Dua पढ़कर अपना 🧳 सफर शुरू करना चाहिए। Safar ki Dua
सफ़र की दुआ हिंदी में | ” सुब्हानल्लज़ी सख्खर लना हाज़ा वमा कुन्ना लहू मुक़रिनीन, व इन्ना इला रब्बीना लमुनक़लिबून “ |
सफ़र की दुआ अरबी में | سُبْحَانَ الَّذِي سَخَّرَ لَنَا هَـٰذَا وَمَا كُنَّا لَهُ مُقْرِنِينَ وَإِنَّا إِلَىٰ رَبِّنَا لَمُنقَلِبُونَ |
सफ़र की दुआ इंग्लिश में | “Subhanallazi sakhkhara lana haaza wama kunna, lahoo muqrineen, wa inna ila Rabbina Lamunqaliboon” |
सफर में पढ़ी जाने वाली दुआ हक़ीक़त क़ुर’आन-ए-पाक की दो आयात हैं। 📖सूरह 43, सूरह अज़-ज़ुख़रुफ की आयत ‘अदद 12 और 13 है।
✦ 📗अल क़ुरान 43:12-13 : – और जिसने तमाम क़िस्म की चीज़ें पैदा कीं और तुम्हारे लिए किश्तियाँ और चौपाए बनाए जिन पर तुम सवार होते हो, ताकि तुम उनकी पीठ पर चढ़ बैठो और अपने रब का एहसान याद करो और कहो की…
प्यारे साथियों, अगर आप नहीं जानते हैं तो हम आपको बता दें कि इस्लाम में सफर करना भी एक इबादत ही है,
इस्लाम में जिंदगी के हर एक मसले में रहनुमाई की गई है, जिसमें से सफर भी एक है।
साथ ही साथ हम आपको सफर के दौरान और सफर की तैयारी के दौरान शरीयत के हिसाब से जो सुन्नतें और सफ़र का जो तरीका होना चाहिए उसके बारे में भी बताएंगे।
सफ़र की दुआ | Safar ki Dua in Hindi
इस Safar Ki Dua को पढ़ने से पहले “बिस्मिल्लाहहिर्रहरामनिर्रहीम” और तीन-तीन बार दुरूद शरीफ पढ़ कर आसमान की तरफ अपना मुँह करके फूंक मार दे।
सफ़र की दुआ हिंदी में | Safar Ki Dua Hindi Me
” सुब्हानल्लज़ी सख्खर लना हाज़ा वमा कुन्ना लहू मुक़रिनीन, व इन्ना इला रब्बीना लमुनक़लिबून “
सफ़र की दुआ का हिंदी तर्जुमा
तर्जुमा: – वो पाक है जिसने इसको हमारे काबू में कर दिया और हम में ताक़त न थी कि इसको काबू में कर लेते और हमको अपने रब की तरफ ही लौट कर जाना है। [सुरह ज़ुख़रूफ (43), 13]
सफर की दुआ अरबी में | Dua e Safar in Arabic
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
سُبْحَانَ الَّذِي سَخَّرَ لَنَا هَـٰذَا وَمَا كُنَّا لَهُ مُقْرِنِينَ وَإِنَّا إِلَىٰ رَبِّنَا لَمُنقَلِبُونَ
सफ़र की दुआ का उर्दू तर्जुमा
اللہ تعالٰی پاک ہے جس نے یہ سفر ہمارے کنٹرول میں دیا ہے
اس کی قدرت کے بغیر ہم اس پر قابو نہیں پا سکتے تھے۔
सफर की दुआ इंग्लिश में | Safar ki Dua in English
“Subhanallazi sakhkhara lana haaza wama kunna, lahoo muqrineen, wa inna ila Rabbina Lamunqaliboon”
[Al Quran: Az-Zukhruf, (43), Verse(Ayat): 13]
Credit to: – Osama Azhar Official
इस दुआ का इतना असर है कि, इस Dua e Safar से सफर में आपकी हिफाजत होगी,
आप पर रहमत होगी, आपकी सफर की मुराद पूरी होगी, आपको गैबी मदद भी हासिल होगी।
क्या आप सोने की दुआ हिंदी में जानते हैं अगर नहीं तो पढ़ें : – Sone ki Dua in Hindi
सफर की दुआ इन हिंदी इमेज
सफर की दुआ पढ़ने के बाद तीन बार अल्हम्दु लिल्लाह और तीन बार अल्लाह हु अकबर कहें।
उसके बाद यह दुआ पढ़ें कैसा भी सफर हो चाहे आप बाइक, बस, रेल, हवाई जहाज़ या पानी के जहाज़ में हमेशा Safar ki dua पढ़कर ही सफर शुरू करना चाहिए।
इस्लाम जैसे खूबसूरत मज़हब में पैदा होना और हुजूर सल्ललाहो अलैहि व सल्लम की उम्मत में पैदा होना हम सब के लिए फ़क़्र की बात है।
हमारे प्यारे आका हुजूर सल्ललाहो अलैहि व सल्लम ने हमें हर छोटे बड़े काम को करने के लिए बेहतरीन तरीके बताये है।
हमें चाहिए कि हम हुजूर सल्ललाहो अलैहि व सल्लम के बताये हुए रास्ते पर चलते हुए अपनी जिंदगी गुजारे।
लिहाज़ा आप जब भी 🏠घर से बाहर निकले तो घर से बाहर निकलते वक़्त की दुआ पढ़कर निकला करे।
और जब कभी बाहर का सफर करे तो Safar ki dua भी जरूर पढ़ लिया करें।
सफ़र का इरादा करें, तो यह दुआ पढ़ें
अल्लाहुम-म बि-क असूलु व बि-क अहूलु व बि-क असीरु०
तर्जुमा – अल्लाह मैं तेरी मदद से ही हमला करता हूं, तेरी ही मदद से उनको दूर करने की तद्-बीर करता हूं तथा तेरी ही मदद से चलता हूं।
اللَّهُمَّ بِكَ أَصُولُ وَبِكَ أَجُولُ وَبِكَ أَسِيرُ
कार में सफर करने की दुआ
अगर आप कार (car) से सफर कर रहे है तो आप निचे दिए हुए safar ki dua को पढ़े।
सुब्हानल्लज़ी सखरलना हाज़ा वमा कून्ना लहुल मुकरिनीन’ व इन्ना इला रब्बिना ल-मुन क़लिबून
Subha Nal Lazi Sakhkharlana Haaza Wamaa Kunna Lahu Muqrineen Wa Inna Ilaa Rabbina Lamun Qaliboon
सफर से वापस आने की दुआ | Safar Se Wapas Aane ki Dua
जब सफ़र से वापस आ जाएँ और इस दौरान अल्लाह ने आपकी हिफाज़त की।
तो अब आप पर ज़रूरी है कि उसकी हम्दो सना और तारीफ में ये चंद अलफ़ाज़ ज़रूर कहें।
जिसको नबी स.अ. सफ़र से वापसी पर पढ़ा करते थे और साथ ही साथ 2 रकअत निफ़िल नमाज़ अदा करें।
Safar se Wapsi ki Dua
आअिबूना ताअिबूना आ़बिदूना साजिदूना लि रब्बिना हामिदून
हम सफर से आने वाले है, तौबा करने वाले है, इबादत करने वाले है, सजदा करने वाले है और अपने खुदा की हम्द करने वाले है।
اٰ ئِبُوْنَ تَآئِبُوْنَ عَابِدُوْنَ سَاجِدُوْنَ لِرَبِّنَاحَامِدُوْنَ ۔
ہم سفر سے آنیوالے ہیں ،توبہ کرنے والے ہیں، عبادت کرنے والے ہیں ،سجدہ کرنے والے ہیں اور اپنے پروردگارکی حمد کرنے والے ہیں۔
Safar se Wapsi ki Dua Hindi Translation
अल्लाह के अलावा कोई इबादत के लाइक नहीं वो अकेला है उसका कोई शरीक नहीं,
उसी की बादशाहत है, और उसी की हम्द है, और वो हर चीज़ पर कादिर है,
हम वापस लौटने वाले, तौबा करने वाले, इबादत करने वाले, सिर्फ़ अपने रब की हम्द करने वाले हैं,
अल्लाह ने अपना वादा सच कर दिया और अपने बन्दे की मदद की और अकेले ही लश्करों को शिकस्त दी।
क्या आप अकीका की दुआ जानते हैं अगर नहीं तो पढ़ें : – Aqiqah ki Dua Ladki Ke Liye
सफर के दरमियान की दुआ इन हिंदी
जब सफ़र में रवाना होने लगे तो यह दुआ पढ़ें
अल्लाहुम-म इन्ना नस् अलु-क फ़ी स-फ़-रिना हाज़ल बिर-र वत्तक़्वा व मिनल अ-म लि मा तर्ज़ा अल्लाहुम-म हव्विन अलैना स-फ़-र-ना हाजा़ वत्वि-ल-ना बुअ् द हू अल्लाहुम-म अन्तस्साहिबु फ़िस्स-फ़-रि वल ख़लीफ़तु फि़ल अहिल अल्लाहुम-म इन्नी अअूज़ुबि-क मिंव-वअ् साइस्स-फ़ रि व का ब ति ल मन्ज़रि व सूइल मुन्क़-ल-बि फ़िल मालि वल अहि्ल व अअूज़ुबि-क मिनल हौरि बअ दल कौरि व दअ वतिल मज़्लूम
सफर के दरमियान की दुआ अरबी में
اللَّهُمَّ إِنَّا نَسْأَلُكَ فِي سَفَرِنَا هَذَا الْبِرَّ وَالتَّقْوَى وَمِنَ الْعَمَلِ مَا تَرْضَى اللَّهُمَّ هَوِّنْ عَلَيْنَا سَفَرَنَا هَذَا وَاطْوِ لَنَا بُعْدَهُ اللَّهُمَّ أَنْتَ الصَّاحِبُ فِي السَّفَرِ وَالْخَلِيفَةُ فِي الْأَهْلِ اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنْ وَعْثَاءِ السَّفَرِ وَكَآبَةِ الْمَنْظَرِ وَسُوءِ الْمُنْقَلَبِ فِي الْمَالِ وَالْأَهْلِ وَأَعُوذُ بِكَ مِنَ الْحُورِ بَعْدَ الْكُورِ وَدَعْوَةِ الْمَظْلُومِ
सफर के दरमियान की दुआ हिंदी तर्जुमा
ऐ अल्लाह, हम तुझ से इस सफ़र में नेकी तथा परहेज़गारी का सवाल करते हैं तथा हम उन आमाल का सवाल करते हैं जिनसे आप राजी हों।
ऐ अल्लाह, हमारे इस सफ़र को हम पर आसान फ़रमा दे तथा इसका रास्ता जल्दी जल्दी तय करा ।
ऐ अल्लाह, तू स़फर में हमारा साथी है तथा हमारे पीछे घर बार का कारसाज़ है।
ऐ अल्लाह, मैं तेरी पनाह चाहता हूं सफ़र की मशक्क़त तथा घर बार में बुरी वारसी से तथा बुरे हालात के देखने से तथा बनने के बाद बिगड़ने से तथा मज़्लूम की बद्-दुआ से।
किसी मंज़िल यानी रेलवे या बस स्टेशन पर उतरे तो यह दुआ पढ़ें
अअूज़ु बिकलिमातिल्लाहित्ताम्माति मिन शर्रि मा ख-लक०
أَعُوذُ بِكَلِمَاتِ اللَّهِ التَّامَّاتِ مِنْ شَرِّ مَا خَلَقَ
तर्जुमा: – अल्लाह के पूरे कलिमात के वास्ते से अल्लाह की पनाह चाहता हूं उसकी मख़्लूक़ के शर से।
किसी शहर या बस्ती में दाखिल होने लगे, तो तीन बार पढ़े
अल्लाहुम-म बारिक लना फ़ीहा ०
اللَّهُمَّ بَارِكْ لَنَا فِيهَا
तर्जुमा: – ऐ अल्लाह, तू हमें इस में बरकत दे।
फिर यह पढ़े
अल्लाहुम-मर्ज़ुक़्ना जना हा व हब्बिब्ना इला अहिल हा व हब्बिब सालिही अहिलहा इलैना ०
اللَّهُمَّ ارْزُقْنَا جِنَاهَا وَحَبِّبْنَا إِلَى أَهْلِهَا وَحَبِّبْ صَالِحِي أَهْلِهَا إِلَيْنَا
तर्जुमा: – ऐ अल्लाह, तू हमें इसके मेवे नसीब फ़रमा तथा यहां के बाशिंदों के दिलों में हमारी मोहब्बत तथा यहां के नेक लोगों की मोहब्बत हमारे दिलों में पैदा फ़रमा दें।
जब किसी को रुख़्सत करे तो यह पढ़े
अस्त्तौदिअुल्ला-ह दी-न-क व अ मा-न-त-क व ख़्वाती-म अ-म-लि-क०।
أَسْتَوْدِعِكُمُ اللَّهَ الَّذِي لَا تَضِيعُ وَدَائِعُهُ
इस्लाम में कितनी दुरी को सफर माना जाता है?
बहुत से लोगों का यह मानना है कि, अगर सफर 90 किलोमीटर से ज्यादा है तो उसे सफर मान लिया जाए।
चाहे उस सफ़र को पूरा करने के लिए हवाई जहाज या ट्रेन या बस का प्रयोग किया हो।
कुछ लोगों का यह कहना है कि अगर सफर में 2 दिन का समय लगे तो उसे सफर माना जाएगा।
सफर को लेकर इस्लाम से जुड़े लोगों की अलग अलग राय है अल्लाह ताला आपकी नियत को देखता है आप sawari ki dua पढ़कर ही अपना सफर शुरू करें।
और कोशिश करें कि घर से वुजू करके निकले। वजू भी एक मुस्तकिल इबादत है,
क्या पता दुनिया में किया कौन सा काम अल्लाह तल्लाह को पसंद आ जाये और हमारी बक्शीश का बाइस बन जाए।
इस्लाम में अच्छी बाते फैलाना भी सदका-ए-जरिया है।
• सफर में जाने पर किसी सवारी में चढ़ते समय सफर की दुआ पढ़कर अपनी सीट पर जाकर बैठ जाएं।
• सबारी के छूटने से ⌚10 से 15 मिनट पहले स्टेशन पर जाएँ।
• अपने ही साथ सफर कर रहे, और दूसरे छोटे और बूढ़े लोगों का ख्याल रखें।
सफर की सुन्नतें और आदाब | Safar ki Sunnatein
🤲 जहाँ तक हो सके सफ़र में कम-अज़-कम दो आदमी जायें, तन्हा आदमी सफ़र न करे, अलबत्ता ज़रूरत और मजबूरी में कोई हर्ज नहीं के तन्हा आदमी सफ़र करे।
(ये आम तौर पर एक शहर से दुसरे शहर या गाँव जाने वाले सफर की बात हो रही है।) [Fatahul Baari 6/53]
🤲 सवारी के लिए रकाब में पाँव रखें तो “बिस्मिल्लाह हिर्रह् मानिर रहीम” पढ़ें।
(जब आप सवारी के लिए बैठें, चाहे वो बस हो, कार हो, बाइक हो या फिर कोई भी सवारी।
सीधा यानी दाहिना पैर पहले, बिस्मिल्लाह शरीफ के साथ रखना चाहिए।) [Tirmizi 2/182]
🤲 सवारी पर जब अच्छी तरह सुकून के साथ बैठ जाएँ तो तीन मर्तबा “अल्लाह हु अकबर (الله أكبر)” कहें। [Muslim 1/434]
फिर यह दुआ पढ़ें
बिस्मिल्लाह हिर्रह् मानिर रहीम
सुब्हानल् लज़ी सख्खर लना हाज़ा वमा कुन्ना लहु मुक़्-रिनीन, व इन्ना इल्ला रब्बिना लहुम कालिबून
🤲 रास्ते में ठहरने की जरूरत पेश आये तो सुन्नत ये है के रास्ते से हटकर कयाम करें।
रास्ते में पड़ाव ना डालें, कि आने जाने वालों का रास्ता रुके और उनको तकलीफ हो। [Muslim 2/144]
🤲 सफर के दौरान जब सवारी बुलंदी पर चढ़े तो तीन मर्तबा “अल्लाह हु अकबर” पढ़ें। [Bukhari 1/420]
🤲 जब सवारी ऊँचाई से नीचे आने लगे तो “सुब्हान अल्लाह” पढ़ें। [Bukhari 1/420]
Safar Ki Sunnatein
📌 नोट: - मिर्कात में है के ये सुन्नत सफ़र की हैं, लेकिन अपने घरों में या मस्जिद की सीढ़ियों पर चढ़े तो दाहिना पांव बढाएं और "अल्लाह हु अकबर" कहें। चाहें एक ही सीढ़ी हो, और नीचे उतरते वक़्त बायाँ पांव आगे बढाएं और "सुब्हान अल्लाह" कहें, चाहें मामूली उतार ही क्यूँ ना हो।
🤲 जिस शहर या गाँव में जाने का इरादा हो, तो जब उसमें दाखिल होने लगें तो तीन बार यह दुआ पढ़ें: –
अल्लाहुम्मा बारिक लना फ़ीहा
(ए अल्लाह बरकत दे हमें इस शहर में)
फिर यह दुआ पढ़ें: –
अल्लाहुमर्ज़ुकना ज-ना हा व हब्बिबना इला अहलिहा व-हब्बिब सालिही अहलिहा इलय्ना [Mirqaat, 5/339 Hisne Haseen]
🤲 रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैह बसल्लम का इरशाद है कि जब सफर की जरुरत पूरी हो जाए तो अपने घर लौट आयें,
सफ़र में बिला-ज़रुरत ठहरना अच्छा नहीं। [Hisn E Haseen, 284]
🤲 दूर दराज़ के सफ़र से, बहुत दिनों बाद, ज्यादा रात गए अगर घर आयें तो उसी वक़्त घर में ना जायें बल्कि बेहतर है कि सुबह मकान में जायें। [Bukhari, 1/421]
📌 नोट: - अलबत्ता अगर घर बालों को तुम्हारे देर से आने की खबर हो और उनको तुम्हारा इंतज़ार भी हो तो उसी वक़्त घर में दाखिल होने में कोई हर्ज नहीं।
🤲 सफर में कुत्ता और घुंगरू साथ रखने की मुमाअ्नत आई है,
क्यूंकि इनकी वजह से शैतान पीछे लग जाता है और सफ़र की बरकत जाती रहती है। [Mishkaat 2/339, Muslim 2/202]
🤲 सफर से लौटकर आने वाले के लिए ये मसनून है कि घर में दाखिल होने से पहले मस्जिद में जाकर दो रका’अत नमाज़ अदा करे। [Mishkaat 2/339, Muslim 1/248]
FAQ
उत्तर – हदीस में यह आया है कि कभी भी सफ़र अकेले नहीं करना चाहिए। हाँ अगर कोई मजबूरी है या कोई साथ नहीं जा सकता तो सफ़र अकेले करना मुनासिब है।
उत्तर – हाँ, बीबी के साथ सफ़र करना जायज है। क्यूंकि बीबी के साथ सफ़र करने से नफ्स की हिफाज़त होती है।
उत्तर – औरत को हमेशा अपने सौहर के साथ सफ़र करना चाहिए। मजबूरी में अकेले सफ़र करने में कोई हर्ज की बात नहीं है।
उत्तर – काम खत्म हो जाने के बाद सफ़र में बिना जरूरत नहीं रुकना चाहिए और सफ़र से वापस लौट आना चाहिए।
उत्तर – इस्लाम में कम से कम 4 लोगों को एक साथ सफ़र पर जाना चाहिए।
उत्तर – सफ़र में जाने से पहले 2 रकात नफिल नमाज़ पढ़ना चाहिए। जिससे अल्लाह पाक सफ़र में आने वाली मुसीबतों को ताल देता है।
दोस्तों हमने किसी भी गलती से बचने के लिए अपनी पूरी कोशिश की है।
लेकिन किसी दुआ में या तर्जुमे में कोई गलती पाएं तो बराह-महेरबानी हमें कमेंट करके बतायें, ताके हम उस के मुताबिक़ तब्दीली कर सकें।
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