Last updated on अगस्त 28th, 2024 at 06:21 अपराह्न
दोस्तों, जैसा कि हम सभी जानते हैं कि 🌙 रमजान के महीने में हम रोज़ा रखते हैं और हमें यह भी मालूम है कि 🥘 सेहरी खाने के बाद रोज़ा रखने की दुआ (Roza Rakhne Ki Dua in Hindi) पढ़ी जाती है।
लेकिन हमें यह नहीं मालूम कि रोज़ा रखने की दुआ आखिर है कौन सी?
तो इस पोस्ट में हमने रोज़ा रखने की दुआ को हिंदी में बताई है। आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ें।
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रोज़ा रखने की दुआ | Roza Rakhne Ki Dua in Hindi
तो दोस्तों, आईये जान लेते हैं कि रोज़ा रखने के लिए कौन-सी दुआ पढ़ी जाती है।
रोज़ा रखने की दुआ हिंदी में
“व बि सोमि गदिन नवैई तु मिन शहरि रमज़ान”
रोज़ा रखने की दुआ हिंदी तर्जुमा
तर्जुमा: – मैंने माह रमज़ान के कल के रोजे की नियत की है।
Dua in Arabic
وَبِصَوْمِ غَدٍ نَّوَيْتُ مِنْ شَهْرِ رَمَضَانَ
Dua Urdu Tarjuma
तर्जुमा: – اورمیں نے ماہ رمضان کے کل کے روزے کی نیت کی
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Roza Rakhne Ki Dua पढ़ना कैसा है?
इस्लाम में सभी दुआओं को जुबान से पढ़ना बेहतर माना गया है। इसलिए रोजा रखने की दुआ को जुबान से पढ़ना बेहतर है।
लेकिन अगर किसी को दुआ मालूम नहीं तो उसको दुआ मालूम करना चाहिए और जब तक याद ना हो जाये वो शख्स दिल से नियत कर सकता है।
कि मैं कल से रोज़ा रखूँगा। या मेरा कल रोज़ा रहेगा।
दोस्तों, किसी भी अरबी दुआ को हिंदी में लिखना और पढ़ना थोड़ा मुश्किल होता है।
तो, आपको यह याद रहे कि आप हिंदी में दुआ को याद करके किसी अरबी जानने बाले को जरूर सुना दें जिससे कि आपके अलफ़ाज़ ठीक हो जायें।
रोज़ा रखने की दुआ और नियत में क्या अंतर है?
Ramzan ke Roza Rakhne ki Dua और नियत में कोई ज्यादा फर्क नहीं है। नियत हमेशा दिल से होती है कि मैं ये काम करने जा रहा हूँ या रही हूँ।
जैसे कि हमने मन ही मन नियत कर ली “इंशाअल्लाह, मैं कल से रोज़ा रखूँगा या मेरा कल रोज़ा होगा।”
जबकि रोज़ा रखने की दुआ में हम कहते हैं कि “ ए अल्लाह, आपके लिए मैंने रोजा रखा है।”
तो दुआ में हम अल्लाह से कहते हैं कि हमने तेरे लिए ही रोजा रखा है। और हम जुबान से रोज़ा रखने की दुआ को पढ़ते हैं।
क्या Roza Rakhne Ki Niyat करना जरूरी है?
बैसे तो अगर आप रोज़ा रखने के लिए सेहरी में जागते हैं और सेहरी खाकर रोज़ा रख लेते हैं। तो आपका रोज़ा हो जाता है।
क्यूंकि आपने सेहरी इसीलिए खायी कि आप रोज़ा रखेंगे। इसलिए आपका सेहरी खाना रोज़े की नियत में शामिल हो जाता है।
लेकिन अगर आप रोज़ा रखने की दुआ पढ़कर, जुबान से नियत का इज़हार करते हैं तो ये और भी अफज़ल अम्ल है और अल्लाह आपके हिस्से में और नेकियाँ लिख देता है।
आपने रोज़ा सिर्फ इसलिए रखा कि किसी के यहाँ इफ्तार में अच्छा-अच्छा खाना खाओगे। तो आपकी नियत तो खाने की थी, न की रोज़ा रखने की। इसलिए आपका रोज़ा हुआ ही नहीं।
आपको याद रहे कि इस्लाम में बिना नीयत के कोई अम्ल क़ुबूल नहीं होता है क्यूंकि किसी अमल को करने में सबसे अहम नियत है।
अगर आपने रोज़ा दिखाबे कि नियत से रखा तो क़ुबूल नहीं होगा और अगर अल्लाह की रज़ा के लिए रोज़ा रखा तो, इंशाअल्लाह, अल्लाह आपके रोज़े को क़ुबूल करेगा।
तो आप रोज़ा रखने से पहले रोज़ा रखने की नियत जरूर करें और Roza Rakhne Ki Dua in Hindi में जरूर पढ़ें। ध्यान रहे दिखाबे के लिए रोज़ा न रखें।
रोज़े से जुड़े सवाल और जवाब
जवाब: – रोजा रखने की दुआ होती है “Wa bisawmi ghadinn nawaiytu min shahri ramadan”।
जवाब: – सहरी की नियत करने के लिए सबसे पहले अरबी में सहरी की नियत: وَبِصَوْمِ غَدٍ نَّوَيْتُ مِنْ” شَهْرِ رَمَضَانَ पढ़ना चाहिए और दिल से नियत करना चाहिए की आपने सहरी किस काम के लिए खायी थी।
जवाब: – रोजे के दौरान हमें बेकार की बातों से बचना चाहिए, गलत बातों को सुनने से बचना चाहिए, गंदे चुटकले नहीं कहना चाहिए, अश्लील या अभद्र कार्य नहीं करना चाहिए और भी अनैतिक व्यवहार करने से बचें।
आखिरी शब्द
दोस्तों, जैसा कि इस पोस्ट में हमने रोज़ा रखने की दुआ को हिंदी में बताया है।
आगे भी हम रमजान से जुड़ी जानकारी इस वेबसाइट पर मौजूद कराते रहेंगे। तो आप हमारे साथ बनें रहे।
अल्लाह आपको और हमें इल्म सीखने और सिखाने की तौफीक दे। अगर हमसे लिखने में कोई गलती हुई हो तो आप हमें कमेंट में जरूर बताएं।
आपसे गुज़ारिश है कि इस पोस्ट को रमजान के महीने से पहले अपने साथियों तक जरूर पहुंचाएं।
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