[rank_math_breadcrumb]

nabi ki betiyon ke naam hindi mein

Nabi ki Betiyon Ke Naam Kya Hai? | नबी की बेटियों के नाम क्या हैं?

Category: हिन्दी नाम | Names in Hindi

Post Published On:

1 min read

Nabi ki Betiyon Ke Naam: – आजकल हम मुसलमान तो हैं लेकिन हम लोग इस्लाम की छोटी-छोटी बातों को नहीं जानते हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि अल्लाह के पैगम्बर मुहम्मद सल्लललाहू अलैहि वसल्लम की कितनी बेटियाँ थीं, या उनके नाम क्या हैं।

nabi ki betiyon ke naam hindi mein

आज की इस पोस्ट में हम नबी की बेटियों के नाम क्या है? (Nabi ki Betiyon Ke Naam Kya Hai?) जानेंगे और उनके बारे में थोड़ा बहुत पता करेंगे।

▶️ यह भी पढ़ें: – 10 Jannati Sahab Kaun Hain?


नबी की कितनी बेटियाँ थीं?

नबी की चार बेटियाँ थीं, और सब की पैदाइश मक्का में हुई थी। चारों बेटियों की पैदाइश हज़रत खदीजा र.अ. से हुई थी।


नबी की बेटियों के नाम | Nabi Ki Betiyon Ke Naam

  1. हज़रत ज़ैनब (रज़िअल्लाहु अन्हा)
  2. हज़रत रुकय्या (रज़िअल्लाहु अन्हा)
  3. हज़रत उम्मे कुलसूम (रज़िअल्लाहु अन्हा)
  4. हज़रत फातिमा (रज़िअल्लाहु अन्हा)

#1. पहली बेटी, हज़रत ज़ैनब (रज़िअल्लाहु अन्हा)

हज़रत ज़ैनब, अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सबसे बड़ी थीं।

जब अल्लाह के प्यारे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की उम्र 30 साल थी तब इनकी पैदाइश हुई।

हज़रत ज़ैनब का निकाह 11 साल की उम्र में अपनी खाला के बेटे, हज़रत अबूल आस बिन अल-रबी (रज़िअल्लाहु अन्हु) के साथ हुआ था।

हज़रत ज़ैनब ने अपनी इस्लामी तालीम अपनी वालिदा हज़रत खदीजा रज़िअल्लाहु अन्हा) से हासिल की थी।

हज़रत ज़ैनब (रज़िअल्लाहु अन्हा) की एक बेटी हज़रत उमामा (रज़िअल्लाहु अन्हा) और एक बेटा अली (रज़ि अल्लाहु अन्हु) थे।

नबी के जीते जी अली का इन्तेकाल हो गया। यही अली (रज़िअल्लाहु अन्हु) पहले बच्चे थे, जो मक्का मुकर्रम फतह के बाद ऊँट की पीठ पर नबी के साथ मक्का में दाख़िल हुए था।

हज़रत उमामा ही वो बच्ची थीं जो जब नबी नमाज़ पढ़ते थे तो उनकी पीठ पर सवार हो जाती थीं।

नबी की बफात के बाद उमामा लंबे समय तक जीवित रहीं।

हज़रत ज़ैनब (रज़िअल्लाहु अन्हा)

हजरत अली (रज़िअल्लाहु अन्हु) की पहली बीबी हज़रत फातिमा (रज़िअल्लाहु अन्हा) थीं और इनके इन्तेकाल के बाद हज़रत अली ने अपनी भतीजी उमामा से शादी की थी।

हजरत अली इनका कोई बच्चा नहीं हुआ। जब हजरत अली का इन्तेकाल हो गया, तो इनकी शादी हजरत मुगीराह बिन नौफाल से हुई थी, जिनसे इनका एक बेटा हुआ जिसका नाम याहया था।

हज़रत ज़ैनब मदीना हिजरत नहीं कर पाई थी क्यूंकि हज़रत ज़ैनब के शौहर अबुल आस अभी भी मक्का के काफिरों के साथ थे।

जब बदर की जंग हुई तो काफिरों के साथ अबुल आस (रज़िअल्लाहु अन्हा) क़ैद हो कर मक्का आए और जब इनको रिहाई मिली,

तो उसी वक़्त उन्होंने नबी से यह कहा था कि वो जैनब (रज़िअल्लाहु अन्हा) को हिजरत की इजाज़त दे देंगे।

यही वजह थी कि हज़रत ज़ैनब मदीना जाने को तैयार हुईं।

लेकिन हबार बिन अस्वद ने एक भाला तान कर मारा जिससे हज़रत जैनब (रज़िअल्लाहु अन्हा) नीचे गिरीं और उनका हमल साकित हो गया (यानी गर्भ गिर गया)।

लेकिन वो किसी तरह अपने वालिद नबी करीम स.अ. की खिदमत में मदीना पहुँच गयीं।

हज़रत ज़ैनब (रज़िअल्लाहु अन्हा) का इन्तेकाल

और फिर उनका इन्तेकाल 30 साल की उम्र में 8 हिजरी (629 AD) में हुआ और उन्हें जन्नत उल-बक़ी कब्रिस्तान में दफनाया गया।

जब अबुल आस (रज़िअल्लाहु अन्हु) मुसलमान नहीं हुए थे तब काफिरों ने अबुल आस (रज़िअल्लाहु अन्हु) को बहुत उकसाया कि वह जैनब को तलाक दे दें,

लेकिन उन्होंने तलाक देने से इंकार कर दिया था।

फिर हज़रत ज़ैनब (रज़िअल्लाहु अन्हा) के मदीना जाने के बाद कुछ दिनों बाद, अबुल आस (रज़िअल्लाहु अन्हु) ने भी इस्लाम कुबूल कर लिया।

▶️ यह भी पढ़ें: – Sahaba Names For Baby Boys


#2. दूसरी बेटी, हज़रत रूकय्या (रज़िअल्लाहु अन्हा)

हज़रत रुक्य्या की पैदाइश के वक़्त नबी की उम्र 33 साल की थी। इनका निकाह हज़रत उस्मान बिन अफ्फान से मक्का में हुआ था।

जब मक्का के काफ़िर लोग, मुसलमानों के साथ तकलीफें और उन पर ज़ुल्म करने में हद पार कर रहे थे,

तब दोनों नबी स.अ. की इजाज़त से मुसलमानों के साथ हबश में रहने चले गए।

हबश में, इनको अल्लाह ने एक बेटे का तुहफा दिया। इन्होने जिसका नाम अब्दुल्ला रखा।

बद्र की जंग के दौरान जब अल्लाह के रसूल बदर की तरफ तशरीफ़ ले जा रहे थे तो उस वक़्त हज़रत रुकय्या बीमार थीं।

इसलिए उनकी तीमारदारी और देखभाल करने के लिए उनके शौहर हज़रत उस्मान को मदीना में छोड़ दिया था।

जिससे कारण हज़रत उस्मान लड़ाई में शामिल नहीं हो पाए।

लेकिन बीमारी की हालत में मुब्तला रहते हुए हज़रत रुकय्या का इन्तेकाल हो गया।

जब हज़रत रुकय्या को दफ़न किया जा रहा था तो उसी वक़्त हज़रत ज़ैद बिन हरिसा जीत की खुशखबरी ले कर मदीना आये थे।

अपनी वालिदा के बाद उनके बेटे हज़रत अब्दुल्ला दो साल तक जिंदा रहे।

हज़रत अब्दुल्लाह का इंतकाल छ: साल की उम्र में हो गया।


#3. तीसरी बेटी उम्मे कुलसूम (रज़िअल्लाहु अन्हा)

मुहम्मद ﷺ की तीसरी बेटी हज़रत उम्मे कुलसूम (रज़िअल्लाहु अन्हा) का जन्म 603 AD में हुआ था।

पैगंबर मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उस वक्त उम्र 34 साल थी।

उम्मे कुलसूम (रज़िअल्लाहु अन्हा) की शादी

हज़रत उम्मे कुलसूम (रज़िअल्लाहु अन्हा) की शादी नबी के चाचा अबू लहब के एक बेटे उतैबाह से हुई थी,

लेकिन अभी हज़रत उम्मे कुलसूम (रज़िअल्लाहु अन्हा) ने उसके साथ रहना शुरू नहीं किया था।

इसी दौरान जब पैगंबर मुहम्मद ﷺ ने इस्लाम का खुला प्रचार करना शुरू किया तो हज़रत उम्मे कुलसूम (रज़िअल्लाहु अन्हा) तलाक हो गया।

हज़रत रुक़य्या (रज़िअल्लाहु अन्हा) के इंतेक़ाल के 1 साल के बाद, अल्लाह के रसूल ﷺ ने अपनी तीसरी बेटी हज़रत उम्मे कुलसूम (रज़िअल्लाहु अन्हा) का निकाह भी 21 साल की उम्र में हज़रत उस्मान (रज़ि अल्लाहु अन्हु) से कर दिया।

हज़रत उस्मान (रज़ि अल्लाहु अन्हु) को दो नूरो वाला कहा जाता है क्यों कि उनके निकाह में अल्लाह के रसूल ﷺ की दो बेटियाँ आई थीं।

ये एक ऐसी नेमत थी जो किसी दूसरे के पास नहीं थी।

उम्मे कुलसूम (रज़िअल्लाहु अन्हा) का इन्तेकाल

लेकिन उनकी शादी के 6 साल बाद, बीमारी के कारण 9 हिजरी (630 AD) को 27 साल की उम्र में उम्मे कुलसूम (रज़िअल्लाहु अन्हा) का भी इंतकाल हो गया।

उनकी कोई औलाद नहीं थी। उम्मे कुलसूम (रज़िअल्लाहु अन्हा) को हज़रत रुक़य्या (रज़िअल्लाहु अन्हा) की कब्र के के बगल में दफन किया गया था।

▶️ यह भी पढ़ें: – कब्र के 3 सवाल क्या हैं?


#4. चौथी बेटी, सय्यिदा फातिमा (रज़िअल्लाहु अन्हा)

हज़रत फातिमा (रदी अल्लाहु अन्हा) अल्लाह के प्यारे नबी की सबसे छोटी और चौथे नंबर की बेटी थी।

इनकी पैदाइश 605 ईस्वी को मक्का में हुई थी। “अल-ज़हरा” और “बतूल ये दोनों हज़रत फातिमा (रदी अल्लाहु अन्हा) के लक़ब थे।

जब इनकी पैदाइश हुई तो अल्लाह के रसूल ﷺ की उस वक़्त उम्र 35 वर्ष की थी।

सय्यिदा फातिमा (रज़िअल्लाहु अन्हा) की शादी

हज़रत फातिमा (रदी अल्लाहु अन्हा) का निकाह बदर के वाकिये के बाद उहद से पहले, अल्लाह के रसूल ने हज़रत अली र.अ. से कर दिया था।

हज़रत अली र.अ. रिश्ते में पैगंबर साहब के दूर के चचेरे भाई लगते थे।

👉 हज़रत फातिमा की पांच औलाद हुईं,

  1. हसन
  2. हुसैन
  3. मुहसिन
  4. उम्मे कुलसूम
  5. जैनब

सिवाए हज़रत फातिमा के किसी और साहबजादी से नबी स.अ. की नस्ल का सिलसिला नहीं चला।

हज़रत आयेशा र.अ. फरमाती हैं कि हज़रत फातिमा बातचीत में बिलकुल नबी स.अ. की तरह थीं।

सय्यिदा फातिमा (रज़िअल्लाहु अन्हा) का इन्तेकाल

नबी स.अ. की वफात के 6 महीने बाद रमजान 11 हिजरी में हज़रत फातिमा ने इन्तेकाल फ़रमाया।


आखिरी शब्द

तो जैसा कि हमने पढ़ा कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बेटियों के नाम (Nabi ki Betiyon Ke Naam) हज़रत जैनब, हज़रत रुकय्या, हज़रत उम्मे कुलसूम और हज़रत सय्यिदा (रज़िअल्लाहु अन्हा) थे।

हमें चाहिए कि हम इन नामों को याद रखें और इनके बारे में गहराई से जानें।

पोस्ट अच्छी लगे तो आगे भी शेयर करें और कोई गलती हो तो हमें जरूर बताएं।

Share This Article

Related Posts

सूरह अलम नसरह हिन्दी में | Surah Alam Nashrah In Hindi

hands praying with tasweeh logo and roza rakhne ki dua hindi red blue and green text

Roza Rakhne Ki Dua in Hindi | रोज़ा रखने की दुआ हिंदी में तर्जुमा के साथ

family doing ifter and roza kholne ki dua rd, blue and green text

Roza Kholne Ki Dua in Hindi | रोज़ा खोलने की दुआ हिंदी में और फ़ज़ीलत

Comments

Leave a Comment

About Us

Surahinhindi

हमारी Surah in Hindi वेबसाइट में कुरान की सभी सूरह को हिंदी में तर्जुमा और तफसीर के साथ मौजूद कराया गया है, साथ ही साथ आपको हमारी इस website से कुरान की सभी मसनून दुओं की जानकारी हिंदी में दी जाती है

Popular Posts

सूरह अलम नसरह हिन्दी में | Surah Alam Nashrah In Hindi

Roza Rakhne Ki Dua in Hindi | रोज़ा रखने की दुआ हिंदी में तर्जुमा के साथ

Roza Kholne Ki Dua in Hindi | रोज़ा खोलने की दुआ हिंदी में और फ़ज़ीलत

Surah Qadr in Hindi Pdf | इन्ना अनज़ल नाहु सूरह कद्र हिंदी तर्जुमा के साथ

Important Pages

About Us

Contact Us

Disclaimer

Privacy Policy

Guest Post

Phone: +917060605950
Email: Ayaaz19400@gmail.com