Istikhara Ki Dua: – प्यारे साथियों, जब भी हमारे दिलों में किसी भी फैसले या काम को लेकर कन्फ्यूजन हो, अब चाहे वो शादी को लेकर हो, कारोबार को लेकर हो या कोई और जाईज़ काम हो, तो इस हालत में हमें चाहिए कि हम इस्तिखारा (Istikhara) करें।
क्यूंकि हदीस में आया है कि हमारे प्यारे नबी रसूलअल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने तमाम मामलात में सहाबा को इस्तिखारा करने की उसी तरह तालीम करते थे जिस तरह कुरान की कोई सूरत सिखाते थे।
तो हमें भी कोशिश करनी चाहिए कि हम भी इस्तिखारा की दुआ ( Istikhara Ki Dua ) को याद करें, और अल्लाह से मदद की दुआ करें।
आईये सबसे पहले इस्तिखारा की दुआ को जान लेते हैं। उसके बाद इसका तर्जुमा और इसके बारे में ब्यान हदीस पढ़ेंगे।
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इस्तिखारा की दुआ | Istikhara Ki Dua
यहाँ हमने इस्तिखारा की दुआ को हिंदी, अरबी और इंग्लिश में मौजूद कराया है।
आप अपनी सहूलियत के हिसाब से इस दुआ को पढ़ सकते हैं।
इस्तिखारा की दुआ हिंदी में | Istikhara Ki Dua In Hindi
बिस्मिल्लाह हिर्रह्मान निर्रहीम
अल्लाहुम्मा इन्नी अस्-तख़ीरु-क बिअिल्मी-क व-अस्-तक़दिरू-क, बि-क़ुद-रति-क , व-अस्-अलु -क मिन् फ़जि़्ल-कल् अज़ीमि, फ़इन्न-क तक़दिरु-वला अक्दिरु, व-तअ्-लमु वला अअ्-लमु व-अंत अ़ल्लामुल ग़ुयूबि, अल्लाहुम्म इन् कुन्त तअ्-लमु अन्न हा-ज़ल् अम्-र ख़ैरून् ली फ़ी दीनी, व मा-अशी – वआ़क़ि-बति अम्री, फ़-कद्दिरहु ली व-यस्सिरहु सुम्म बारिक ली फ़ीहि, वइन् कुन्-त तअ्-लमु अन्नहू शर्रून्फ़ी, दीनी व मा-अशी-व- आ़क़ि-बति अम्री फ़स्रिफ़हु, अ़न्नी व-स्र्रिफ़नी अ़न्हु व-कद्दिर लि-यल खै-र, हैसु का-न सुम्म रजि़्ज़नी बिही
इस्तिखारा की दूआ हिंदी में
इस्तिखारा की दुआ अरबी में | Istikhara Ki Dua In Arabic
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيم
اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْتَخِيرُكَ بِعِلْمِكَ وَأَسْتَقْدِرُكَ بِقُدْرَتِكَ، وَأَسْأَلُكَ مِنْ فَضْلِكَ الْعَظِيمِ، فَإِنَّكَ تَقْدِرُ وَلاَ أَقْدِرُ وَتَعْلَمُ وَلاَ أَعْلَمُ وَأَنْتَ عَلاَّمُ الْغُيُوبِ،
اللَّهُمَّ إِنْ كُنْتَ تَعْلَمُ أَنَّ هَذَا الأَمْرَ خَيْرٌ لِي فِي دِينِي وَمَعَاشِي وَعَاقِبَةِ أَمْرِي فَاقْدُرْهُ لِي وَيَسِّرْهُ لِي ثُمَّ بَارِكْ لِي فِيهِ، وَإِنْ كُنْتَ تَعْلَمُ أَنَّ هَذَا الأَمْرَ شَرٌّ لِي فِي دِينِي وَمَعَاشِي وَعَاقِبَةِ أَمْرِي فَاصْرِفْهُ عَنِّي وَاصْرِفْنِي عَنْهُ، وَاقْدُرْ لِي الْخَيْرَ حَيْثُ كَانَ ثُمَّ أَرْضِنِي بِهِ
📌 नोट 1: – इस दुआ को पढ़ते वक़्त जब हाज़ल अम्र पर पहुंचे तो उस काम का जिक्र करें जिस काम के लिए इस्तिखारा कर रहे हैं, उसके बाद आगे की दुआ पढ़ें।
📌 नोट 2: – इस्तिखारा की दुआ में हम व मा-अशी की जगह व दुन्या भी पढ़ सकते हैं।
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इस्तिखारा दुआ की हदीस | Istikhara ki Dua Hadees
हदीस में आता है कि जाबिर बिन अब्दुल्लाह र. अ. ने ब्यान किया कि
रसूलअल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हमें अपने तमाम मामलात में इस्तिखारा करने की उसी तरह तालीम देते थे,
जिस तरह कुरान की कोई सूरत सिखाते।
आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते कि जब कोई अहम मामलात तुम्हारे सामने हों तो फर्ज़ के अलावा दो रकत निफिल पढ़ने के बाद ये दुआ पढ़ें,
अल्लाहुम्मा इन्नी अस्-तख़ीरु-क बिअिल्मी-क व-अस्-तक़दिरू-क, बि-क़ुद-रति-क , व-अस्-अलु -क मिन् फ़जि़्ल-कल् अज़ीमि, फ़इन्न-क तक़दिरु-वला अक्दिरु, व-तअ्-लमु वला अअ्-लमु व-अंत अ़ल्लामुल ग़ुयूबि, अल्लाहुम्म इन् कुन्त तअ्-लमु अन्न हा-ज़ल् अम्-र ख़ैरून् ली फ़ी दीनी, व मा-अशी – वआ़क़ि-बति अम्री, फ़-कद्दिरहु ली व-यस्सिरहु सुम्म बारिक ली फ़ीहि, वइन् कुन्-त तअ्-लमु अन्नहू शर्रून्फ़ी, दीनी व मा-अशी-व- आ़क़ि-बति अम्री फ़स्रिफ़हु, अ़न्नी व-स्र्रिफ़नी अ़न्हु व-कद्दिर लि-यल खै-र, हैसु का-न सुम्म रजि़्ज़नी बिही,
Istikhara Dua Tarjuma In Hindi | तर्जुमा
ए मेरे अल्लाह! मैं तुझसे तेरी इल्म की बदौलत खैर तलब करता हूँ और तेरी कुदरत की बदौलत तुझसे ताक़त मांगता हूँ,
और तेरी फज़ल अज़ीम का तलबगार हूँ, कि कुदरत तू ही रखता है, और मुझे कोई कुदरत नहीं।
इल्म तुझ ही को है और मैं कुछ नहीं जानता और तू तमाम पोसीदा बातों को जानने वाला है।
ए मेरे अल्लाह! अगर तू जानता है के ये काम जिसके लिए इस्तिखारा किया जा रहा है, मेरे दीन, दुनिया और मेरे काम के अंजाम के एतबार से मेरे लिए बेहतर है,
या (आपने ये फ़रमाया कि) मेरे लिए वक़्ती तौर पर और अंजाम के एतबार से ये (खैर है) तो इसे मेरे लिए नसीब कर और इसका हसूल मेरे लिए आसान कर और फिर इसमें मुझे बरकत अता कर,
और अगर तू जानता है के काम मेरे दीन, दुनिया और मेरे काम के अंजाम के एतबार से बुरा है,
(आपने ये फ़रमाया कि) मेरे लिए वक़्ती तौर पर और अंजाम के एतबार से ये (बुरा है) तो इसे मुझसे हटा दे और मुझे भी इससे हटा दे।
फिर मेरे लिए खैर मुकद्दर फरमा, जहाँ भी वो हो और उस से मेरे दिल को मुतमाइन भी कर दे।
आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि इस काम की जगह उस काम का नाम लें।
(सहीह अल-बुखारी 1166, किताब 19, हदीस 45)
आखिरी शब्द
इस्तिखारा की दुआ (Istikhara ki Dua in Hindi) उन लोगों के लिए बहुत जरूरी होती है जो किसी काम या फैसला लेने में अल्लाह की रज़ा चाहते हैं।
तो अगर आप इस्तिखारा की दुआ को 2 रकत निफिल नमाज़ में पढ़ते हैं और अल्लाह से दुआ करते हैं,
तो इंशाअल्लाह, अल्लाह की गैबी मदद नाजिल होती है।
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