Last updated on जून 8th, 2023 at 11:45 पूर्वाह्न
दोस्तों जैसा कि हर मोमिन शख्स जानता है कि पूरी जिंदगी में एक बार 🕋 हज करना जरूरी है। अगर कोई शख्स माली और जिस्मानी तौर से इतना मजबूत कि वो हज के लिए जा सकता है, तो उस शख्स पर हज करना फर्ज हो जाता है। तो इस पोस्ट में हमने Hajj Ka Tarika Step By Step बताया है।
अगर आप भी हज के लिए जा रहे हैं या जाना चाहते हैं,
तो आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ें और हज के तरीके और इसके अरकानों को (Hajj Ka Tarika Aur Arkan in Hindi) जानें और साथियों को बताएं।
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हज क्या है और इसका महत्व क्या है?
इस्लाम की नींव पांच फ़र्ज चीज़ों पर है, जो हैं: – कलमा, नमाज़, रोज़ा, ज़कात और हज। जिसमें हज आखिरी है।
जब कोई मुस्लिम शख्स माली और जिस्मानी तौर से इतना मजबूत होता है कि वो हज के लिए जा सकता है, तो उस शख्स पर हज करना फर्ज हो जाता है।
सऊदी अरब देश के मक्का और मदीना में जाकर दुनिया भर के मुस्लिम लोगों के लिए हज के कुछ अरकान पूरे करने होते हैं।
हज मुस्लिम उम्मा की एकता को दर्शाता है। हज को कुरबानी के साथ मनाया जाता है जो ईद-उल-अजहा के रूप में भी जाना जाता है।
हज का मकसद है कि हज यात्री अल्लाह के प्रति अपनी वफ़ादारी और अपने समूह के साथ इत्तेहाद का इज़हार करें।
करीब एक करोड़ से अधिक मुस्लिम हज यात्री हर साल सऊदी अरब में हज के लिए दुनियाभर से आते हैं।
हज करने का समय और तारीख
इस्लामिक कैलेंडर (Islamic Calendar) के अनुसार, 12वें महीने यानी जिल हिज्जाह की 8वीं तारीख से 12वीं तारीख तक हज होता है,
और जिस दिन हज पूरा होता है उस दिन ही ईद-उल-अजहा यानी बकरीद मनाई जाती है।
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हज यात्रा के लिए आवश्यक दस्तावेज और तैयारी
जब कोई शख्स हज की यात्रा पर जाता है तो उसके लिए कुछ जरूरी दस्ताबेजों की आवश्यकता होती है जो कुछ इस तरह हैं
- हज यात्री का पासपोर्ट
- कलर फोटो व्हाइट बैकग्राउंड के साथ
- ब्लड ग्रुप की जाँच रिपोर्ट
- बैंक में सेविंग अकाउंट के साथ चेक बुक
- पेन कार्ड
- नॉमिनी का नाम
- मोबाइल नंबर
- कोविड वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट
हज का तरीका और इसके अरकान | Hajj Ka Tarika
हज यात्री के मक्का में पहुँचने के बाद हज के कुछ अरकान अदा करने होते हैं, जिनका मर्तबा फर्ज के बराबर होता है।
जिस तरह नमाज के कुछ फर्ज हैं, जिनको छोड़ने पर नमाज़ मुकम्मल नहीं होती है।
ठीक उसी तरह अगर कोई भी शख्स हज के इन अरकानों को जाने या अनजाने में छोड़ देता है,
तो हज मुकम्मल नहीं होता और साथ ही हज का सवाब भी हासिल नहीं होता है।
इसलिए हज करने से पहले हमें चाहिए कि हम हज के कितने अरकान हैं ये जान लें।
आईये hajj ka tarika aur arkan hindi में तफसील से जान लेते हैं ताकि हम सभी अरकानों को अच्छे से समझ लें,
और हज के दौरान इन अरकानों को अच्छे से अदा करके अपने हज को सुन्नत तरीके से मुकम्मल कर सकें।
तो चलिए शुरू करते हैं।
हज के अरकान कितने हैं? | Hajj Ke Arkan
हज के लिए 4 अरकान हैं, जिन्हें उनके मुकम्मल वक़्त पर सही तरीके से अदा करना बेहद जरूरी होता है और इनके अदा करने से हज का तरीका (Hajj Ka Tarika) मुकम्मल हो जाता है।
- मिकात पर जाना।
- नौ जिलहिज्जा को अरफात के मैदान में पहुंचना।
- दस जिलहिज्जा को तवाफ ए हज करना।
- सफा और मरवा के बीच में सई करना।
जब हम हज के तमाम फर्जों, सुन्नतों, वाजीबातों और अरकानों को अदा कर लेते हैं,
उसके बाद हज मुकम्मल हो जाता है, और एक मुसलमान शख्स हाजी बन जाता है।
उसके तमाम गुनाह माफ हो जाते हैं और ऐसा बन जाता है जैसे माँ के पेट से पैदा हुआ बच्चा।
तो ये थे hajj ke arkan in hindi mein जिनका हज के दौरान अदा करना जरूरी है, इनके बिना हज मुकम्मल नहीं हो सकता।
आइए अब इन तमाम अरकानों को थोड़ा नजदीक से अच्छे से समझने की कोशिश करते हैं, ताकि हम लोगों से कोई गलती ना हो और हमारा हज सही से हो जाए।
#1. मिकात पर जाना
यह हज का पहला अरकान है। मीकात, सऊदी अरब में एक मकाम है, जहां पहुंचकर एहराम बांधा जाता है।
📌 नोट : – जो हज के लिए हवाई जहाज से जाते हैं उनको अपने मुल्क के एयरपोर्ट से ही एहराम बांध लेना चाहिए।
क्योंकि हवाई जहाज़ में न मीकात का पता चलता और न ही वहाँ गुस्ल व तहारत की सहूलियत होती है, न ही लिबास बदलने और नमाज़ की सहूलियत।
बिना सिली लुंगी और एक सफेद चादर ओढ कर, दो रकअत नमाज़ बहनीयते एहराम पढनाऔर सलाम फेरने के बाद हज की नीयत करना एहराम कहलाता है।
📌 नोट :- औरत अपने सिले हुए कपड़ों में ही एहराम की नीयत करेगी।
हज तीन तरह का होता है, इफराद, तमत्तोअ और किरान।
- सिर्फ हज का एहराम बांधना इफराद कहलाता है।
- सिर्फ उमराह का एहराम बांधना, मक्का पहुंच कर वहाँ उमराह करना, और एहराम खोल देना, और फिर मक्का ही में हज का एहराम बांधना तमत्तोअ कहलाता है।
- मीकात से हज और उमराह दोनों का एक ही साथ एहराम बांधना किरान कहलाता है।
📌 नोट : – हालांकि किरान सबसे अफजल है, लेकिन किरान में एहराम की पाबन्दियां बहुत लम्बे वक़्त तक रखनी पड़ती हैं।
एहराम बांधने के बाद बुलंद आवाज़ में लब्बैक या तल्बिया पढ़ना होता है जो इस तरह है: –
“अल्लाहुम्मा लब्बैक, ला शरीक लक लब्बैक इन्नल हम्द वन्नेअमत लका वल मुल्क लाशरीक लक” (इसे ज़बानी याद कर लेना चाहिए )
एहराम बाँधने के बाद परहेज करने वाली चीज़े
- औरत के साथ सोहबत या ब’हालते शहवत जैसे सभी काम जो सोहबत से पहले किए जाते हैं।
- जंगली जानवरों को जिब्ह करना या उनका शिकार करना या फिर उन कामों में किसी तरह की मदद करना। जैसे कि बेचना या खरीदना।
- अपना या दूसरे का नाखून कतरना या कुरेदना।
- दूसरे का बाल मूण्डना या मुण्डवाना या उखेड़वाना।
- मुंह या सर को किसी कपड़े वगैरह से छिपाना।
- बस्ता या कपड़े की कोई गठरी वगैरह सर पर रखना।
- इमामा बांधना या पगड़ी या मोजा पहनना या ऐसा जूता जिससे कदम का दरमियानी हिस्सा छुप जाए।
- सिला हुआ कपड़ा पहनना।
- बालों, बदन या कपड़ों में खुश्बू लगाना।
- खुश्बूदार कपड़ा पहनना।
- मुश्क, जाफरान, अंबर, जावत्री, लोंग, इलायची, दारचीनी वगैरह खाना या जैतून या तिल्ली या कोई भी खुश्बुदार तेल वगैरह इस्तेमाल करना।
📌 नोट : – कुछ चीजे ऐसी हैं जो एहराम की हालत में मर्दों के लिए हराम हैं लेकिन औरतों के लिए जाइज़ हैं।
जैसे सर छुपाना, सिले हुए कपड़े पहनना, सर पर बस्ता उठाना, हाथों में दस्ताने पहनना बगैरह।
तो जब भी आप हज पर जाएँ इन बातों का ख्याल रखें और अल्लाह से हमारे हक़ में भी दुआ करे।
#2. सफा व मरवाह के बीच सई करना
हज में सई करना एक अफजल और अहम मुकाम रखता है, इसके बिना हज मुकम्मल नहीं हो सकता।
सफा-मरवा मक्का में दो हरे रंग के पहाड़ हैं, इन पहाड़ों को मीलेन अखज़रैन कहते हैं।
इनके बीच में हर हाजी (मर्द) को दौड़ लगानी होती है।
सफा-मरवा में कुल 7 चक्कर लगाए जाते हैं। पहला चक्कर सफा से शुरू होता है।
अगर पहला चक्कर सफा से शुरू नहीं हुआ तो हज के वाजिबात छूट जाते हैं।
मिना में कयाम करना
मक्का से लगभग 4-5 मील की दूरी पर एक मैदानी हिस्सा जो पहाड़ों से घिरा हुआ है, उसे मिना कहते हैं।
यहां 8 ज़िलहिज्जा को हर हाजी के लिए जोहर से लेकर सुबह तक कयाम करना होता है।
साथ ही साथ मिना में पांच वक्त की नमाज़ पढ़ना भी ज़रुरी है।
मिना में थोड़े फासले पर एक जगह पर पर गारे और पत्थर से तीन छोटे-बड़े पिलर बनाए गए हैं, जिन्हें शैतान कहा जाता है।
इन्हीं शैतानों को छोटे-छोटे कंकर मारना रमीए जमरात कहलाता है।
📌 नोट : – इस्लामी रिवायत के अनुसार, मिना का यही वो रास्ता है जिससे होते हुए हज़रत इबराहीम अलैहिस्सलाम अपने इकलौते बेटे हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम को अल्लाह के हुक्म के मुताबिक जिब्ह करने के लिए अपने साथ कुर्बानगाह की तरफ जा रहे थे।
तो रास्ते में जाते हुए तीन जगहों पर शैतान ने हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम को रोका था और उन्होने तीनों दफा शैतान को पत्थर मार कर दफा किया था।
इसी शैतान की निस्बत से इन तीनों जगहों पर तीन सुतून बना दिए गए हैं,
और हाजी लोग हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम की सुन्नत को अदा करते हैं।
#3. नौ जिलहिज्जा को अरफात के मैदान में पहुंचना
नौ जिलहिज्जा को अराफात के मैदान में पहुंचना जरूरी है।
आप भले ही कुछ लम्हों के लिए ही अराफात के मैदान में पहुंचे लेकिन यहाँ पहुंचना जरूरी होता है।
अरफा या अरफात वह मैदान है जहां नौवी ज़िलहिज्जा को वकूफ यानी कयाम किया जाता है। यह हज के सभी अरकानों में शामिल है।
अरफात में जोहर के वक्त ही में, असर की नमाज़ भी जमाअत से पढ़ी जाती है।
और गुरुबे आफताब होने के बाद मग़रिब की नमाज़ को बिना पढ़े, अरफात का मैदान छोड़ देना पड़ता है।
फिर मुज़दलफा (एक मैदान) पहुंचकर मग़रिब की नमाज़ अदा की जाती है।
#4. दस जिलहिज्जा को तवाफ ए हज करना
दस जिलहिज्जा को तवाफ ए हज करना सबसे जरूरी है, क्योंकि इसे अदा करने के लिए पूरी दुनिया से मुसलमान मक्का पहुंचते हैं।
अगर यही छूट गया तो हज मुकम्मल और कबूल होने का सवाल ही नहीं उठता।
खानए काबा के चारों तरफ सात चक्कर लगाना तवाफ कहलाता है।
तवाफ के पहले तीन फेरों में बहादुरों की तरह कंधे हिलाते हुए और जल्दी-जल्दी छोटे-छोटे कदम रखते हुए चलने का नाम रमल है।
तवाफ में एहराम की चादर दाहिनी बगल के नीचे दोनों पल्लू बाएं मुढ्ढे पर डालना इज्तिबाअ कहलाता है।
📌 नोट: – तवाफ में औरत के लिए रमल और इज्तिबाअ नही होता है।
रुक्ने असवद क्या है?
रुक्ने असवद, खानए काबा के एक कोने को कहते हैं, जहां हजरे असवद (स्याह पत्थर) को चाँदी के एक गोल दायरे में नसब किया गया है।
खानए काबा की जुनूबी (दख्खन) दीवार को मुस्तजाब कहते हैं।
रुकने असवद और रुकने यमानी के बीच सत्तर हज़ार फरिश्ते हर वक्त दुआओं पर आमीन कहने के लिए खड़े रहते हैं।
खानए काबा के इर्दगिर्द जिस ज़मीन पर तवाफ किया जाता है, उसे मताफ कहते हैं।
खानए काबा के शिमाली (उत्तरी) दीवार के बाहर के हिस्से में छोटे से दायरे में एक जगह घेरी हुई है जिसे हतीम कहते हैं।
पुराने जमाने में ये खानए काबा ही का हिस्सा था। इसलिए इसमें दाखिल होना खानए काबा ही में दाख़िल होना है।
हजरे असवद को मुंह से चूमना या हाथ या लकड़ी से छू कर हाथ और लकड़ी को चूम लेना इस्तिलाम कहलाता है।
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मक़ामे इबराहीम क्या है?
खानए काबा के सामने शीशे के एक फ्रेम में एक पत्थर रखा है,
जिसमें हज़रत सय्यदना इबराहीम खलीलुल्लाह अलैहिस्सलाम के दोनों कदमों के गहरे निशानात मौजूद हैं।
इसको मक़ामे इबराहीम कहते हैं।
📌 नोट : – ये निशानात आज से ढाई तीन हज़ार बरस पहले के हैं। जब आप हज़रत सय्यदना इबराहीम खलीलुल्लाह अलैहिस्सलाम उस पत्थर पर नंगे पांव खड़े होकर खानए काबा की दीवार चुन रहे थे।
ये खुदा का कुदरती इंतजाम था कि उसने अपने ख़लील की एक मुकदृद्स निशानी को आज तक महफूज ही नहीं रखा, बल्कि कुरआन में उसकी तरफ नमाज़ पढ़ने का हुक्म दे कर उसकी ताजीम व तौकीर का ऐतकाद बन्दों के दिल में उतारा है।
हज यात्रा से संबंधित कुछ आवश्यक टिप्स
जब आप हज यात्रा पर जाएँ तो कुछ बातों का ख्याल रखें जिससे आपको हज यात्रा के दौरान किसी दिक्कत या परेशानी का सामना ना करना पड़े।
अगर आपकी तबियत बिगड़ जाती हो तो डॉक्टर की सलाह लेकर स्वास्थ्य का ख्याल रखें।
हज यात्रा में आपको ये चीज़े जरूर ले जानी चाहिए
- एक अलग से बैग में मुसल्ला और जुब्बा रखें
- अपने अस्पताल का सर्टिफिकेट लेकर जाएं
- पासपोर्ट, वीजा, हज अनुमति पत्र और फोटो कॉपी लेकर जाएं
- एक अलग से बैग में अपने जरूरी दस्तावेज
हज यात्रा में आपको कुछ चीजें नहीं ले जानी चाहिए
- जेवरी या किसी भी प्रकार के जेबर
- शराब, सिगरेट या तंबाकू
- अपनी अलग छतरी, जमीनी चटाई या बिस्तर
हज यात्रा से संबंधित कुछ उपयोगी एप्लीकेशन
जब आप हज के लिए रबाना होने के लिए तैयार हैं और अगर आप एक स्मार्टफ़ोन इस्तेमाल करते हैं,
तो आपको हज के दौरान काम आने वाली कुछ जरूरी एप्लीकेशन को इंस्टाल करके अपने फ़ोन में रख लेना चाहिए।
जो आपके बहुत काम आने वाली हैं और इनकी मदद से आप Hajj Ka Tarika और अच्छे से समझ सकते हैं।
- हज और उमराह की एप्लीकेशन….. डाउनलोड
- नमाज़ के वक़्त के लिए नमाज के समय टाइमर एप्लीकेशन….. डाउनलोड
- पूरी कुरान की एप्लीकेशन….. डाउनलोड
अल्लाह से दुआ करें कि अल्लाह हर किसी को अपनी ज़िंदगी में एक मर्तबा हज करने करने की ताकत दे। आमीन
हज यात्रा से संबंधित कुछ उपयोगी Websites
यहाँ हमने हज यात्रा से जुड़ी कुछ सरकारी और गैर सरकारी websites मौजूद करायी हैं।
इनकी मदद से आप हज के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के साथ-साथ हज से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी हासिल कर सकते हैं।
- हज यात्रा के लिए ऑनलाइन आवेदन करें: – http://www.hajcommittee.gov.in/
- हज यात्रा से संबंधित जानकारी के लिए भारत सरकार की वेबसाइट: – https://www.haj.gov.in/
- हज यात्रा से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के लिए: – http://www.hajinformation.com/
आखिरी शब्द
तो जैसा कि हमने जाना कि हज करने के लिए हमें हज का सही तरीका (Hajj Ka Tarika) और हज के अरकान (Hajj Ke Arkan) का पता होना बेहद जरूरी है।
अगर हमें ये मालूम न होंगे तो हमारा हज मुकम्मल नहीं हो पायेगा।
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अल्लाह हाफिज
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