दरूद शरीफ (Darood Sharif in Hindi) पढ़ने के बहुत सी फजीलतें हैं और साथ ही साथ अल्लाह के कई इनाम भी हमें हासिल होते हैं।
जब भी हम कोई भी नमाज़ पढ़ने जाते हैं तो नमाज़ में भी दरूद शरीफ पढ़ी जाती है। जिसे दरूद ए इब्राहीम कहते हैं।
दरूद शरीफ हिंदी में | Darood Sharif in Hindi
यहाँ हमने आपके लिए Darood Shareef को Hindi में मौजूद करायी है। ये दरूद शरीफ आपको नमाज़ के दौरान अत्तहियात के दौरान पढ़ी जाती है।
“अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिवं व अला आलि मुहम्मदिन कमा सललैता अला इब्राहिम व अला आलि इब्राहिम इन्नक हमीदुम मजीद
अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मदिव व अला आलि मुहम्मदिन कमा बारकता अला इब्राहिम व अला आलि इब्राहिम इन्नक हमीदुम मजीद”
दरूद शरीफ अरबी में | Darood Sharif In Arabic
اللّهُـمَّ صَلِّ عَلـى مُحمَّـد، وَعَلـى آلِ مُحمَّد، كَمـا صَلَّيـتَ عَلـى إبْراهـيمَ وَعَلـى آلِ إبْراهـيم، إِنَّكَ حَمـيدٌ مَجـيد
اللّهُـمَّ بارِكْ عَلـى مُحمَّـد، وَعَلـى آلِ مُحمَّـد، كَمـا بارِكْتَ عَلـى إبْراهـيمَ وَعَلـى آلِ إبْراهيم، إِنَّكَ حَمـيدٌ مَجـيد
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दरूद शरीफ का तर्जुमा | Darood Sharif Tarjuma in Hindi
तर्जुमा: – ए अल्लाह सलामती उतार हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वस्सल्लम पर और हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वस्सल्लम की आल पर। जैसे सलामती की तूने हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम पर और हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की आल पर।
बेशक तू ही तारीफ़ के लायक बड़ी बुजुर्गी वाला है।
ए अल्लाह बरकत उतार हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वस्सल्लम पर और हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वस्सल्लम की आल पर जैसे बरकतें की तूने हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम पर और हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की आल पर।
बेशक तू ही तारीफ़ के लायक बड़ी बुजुर्गी वाला है।
यहाँ हमने दरूद शरीफ को हिंदी में पढ़ा और साथ ही साथ दरूद शरीफ का तर्जुमा भी पढ़ा। आप इस दरूद शरीफ को दूसरी तरह भी पढ़ सकते हैं।
जिसको हमने नीचे बताया है।
दरूद शरीफ का दूसरा तरीका | Darood Shareef Ka Dusra Tarika
दुरूद-ए-इब्राहिम आप इस तरह से भी पढ़ सकते हो
अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला सय्यिदिना मुह़म्मदिवॅं व अ़ला आलि सय्येदिना मुहम्मदिन कमा स़ल्लेता् अ़ला सय्यिदिना इब्राहिमा् व अ़ला आलि सय्यिदिना इब्राहिमा् इन्नका् हमीदुम मजीद
अल्लाहुम्मा् बारिक अ़ला सय्येदिना मुहम्मदिवॅं व अ़ला सय्यिदिना मुह़म्मदिन कमा बारक-ता् अ़ला सय्यिदिना इब्राहिमा् व अ़ला आलि सय्यिदिना इब्राहिमा् इन्नका् हमीदुम मजीद
📌 नोट: - दुरूदे इब्राहीमी सभी दुरूदो से अफजल है और दुरूदे इब्राहीमी को नमाज़ में भी पढ़ा जाता है इसलिए हम सबको ये दुरुद पाक याद होना चाहिए।
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दरूद शरीफ की पीडीऍफ़ | Download Darood Sharif Pdf File
अगर आप दरूद शरीफ की पीडीऍफ़ फाइल को डाउनलोड करना चाहते हैं, तो आप आसानी के साथ यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं।
कुछ छोटी दरूद शरीफ | Doosri Kuch Darood Shareef
यहाँ हमने कुछ दूसरी छोटी दरूद शरीफ को हिंदी में मौजूद कराया है। आप इनको रोज़ाना पढ़ सकते हैं।
- अल्लाहुम्मा सल्लि अला रुहि मुहम्मदिन फिल अर्वाहि व सल्लि अला ज-स-दि मुहम्मदिन फिल अज-सादि व सल्लि अला क़ब्रि मुहम्मदिन फिल कुबूरि
- बिस्मिल्लाहि अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन
- अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन अफ़-दला स-ल-वातिका
- अल्लाहुम्मा -सल्लि -अला-मुहम्मदिन अब्दिका -व-रसूलिकन-नबीय्यिल उम्मीय्यि
- अल्लाहुम्मा सल्लि व सल्लिम अलन नबिय्यत ताहिरी
- अल्लाहुम्मा सल्लि अला सय्यिदिना व मौलाना मुहम्मदिम मअदिनिल जूदी वल करमे व आलिही व बारिक वसल्लिम
- अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिवं व अनजिलहुल मक़अदल मुक़र्रबा इन -दका योमल कियामति
- अल्लाहु रब्बु मुहम्मदिन सल्ला अलैहि वसल्ल8मा नहनु ईबादु मुहम्मदिन सल्ला अलैहि वसल्लमा
दरूद की फज़ीलत हदीस से | Darood Ki Fazilat Hadees Se
- रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
जो आदमी मुझ पर (यानी नबी पर) एक बार दरूद भेजेगा, अल्लाह तआला उस पर दस रह़मतें नाज़िल फ़रमायेगा। (मुस्लिमः1/288, ह़दीस संख्याः384)
- रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
मेरी क़ब्र को मेलागाह न बनाओ और मुझ पर दरूद भेजो। तुम जहां भी हो तुम्हारा दरूद मुझे पहुंच जाता है।
(अबू दाऊदः2/218, ह़दीस संख्याः2044, अह़मदः2/367, ह़दीस संख्याः8804, और शैख़ अल्बानी ने इसे सह़ीह़ अबू दाऊदः2/383 में सह़ीह़ कहा है।)
- रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
बख़ील (कन्जूस) है वह शख्स है जिसके सामने मेरा ज़िक्र हो और वह मुझ पर दरूद न भेजे।
(तिर्मिज़ीः5/551, ह़दीस संख़्याः3546, आदि, सह़ीह़ुल-जामेः3/25 और सह़ीह़ तिर्मिज़ीः3/177)
- रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
अल्लाह तआला के कुछ फ़रिश्ते ऐसे भी हैं जो ज़मीन में यहाँ से बहाँ घूमते फिरते हैं, और वे मेरी उम्मत के लोगों का सलाम मुझे पहुंचाते हैं। (नसाईः3/43, ह़दीस संख्याः1282, ह़ाकिमः2/421, और शैख़ अल्बानी ने इसे सह़ीह़ नसाईः1/274 में सह़ीह़ कहा है।)
- रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
जब कोई भी शख्स मुझ पर सलाम पढ़ता है तो अल्लाह तआला मेरी रूह़ को मेरे बदन में वापस लौटा देता है, ताकि मैं उसे सलाम का जवाब दे सकूं। (अबू दाऊद ह़दीस संख्याः2041, और शैख़ अल्बानी ने इसे सह़ीह़ अबूदाऊदः1/383 में ह़सन कहा है।)
दरूद शरीफ पढ़ने के फायदे | Darood Sharif Padhne Ke Fayde
वैसे तो दरूद शरीफ को पढ़ने के अनगिनत फायदे होते हैं, लेकिन फिर भी उनमें से कुछ फायदों को हमने नीचे बताया है।
अल्लाह ने कुरान की सूरह “अल-अह्ज़ाब” में मुसलमानों को मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दुरूद भेजने का हुकुम दिया है।
अल्लाह का इरशाद है कि "बेशक अल्लाह और उसके फ़रिश्ते दरूद भेजते हैं नबी पर। ए ईमान वालो! तुम भी उन पर दरूद भेजो और सलाम भेजो।" (सूरह अल-अह्जाब अब:५)
1. जो मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और उनकी आल पर एक दुरूद भेजता है, तो अल्लाह उसके ऊपर 10 दरूद भेजता है। उसके हिस्से से 10 गुनाह माफ़ कर देता है, और 10 नेकी उसके हिस्से में लिख देता है।
2. दुरूद शरीफ पढ़ने से बुरा वक्त ख़तम हो जाता है।
3. दुरूद शरीफ पढ़ने से आपके भूलने की आदत कम हो जाती है।
4. दुरूद शरीफ़ से आँखों को नूर मिलता है।
5. दुरूद शरीफ़ को पढ़ने से जन्नत में दर्जात बुलंद होते हैं।
6. दुरूद शरीफ पढ़ने वाले का दिल रौशनी और रेहमत से भर जाता है।
7. दुरूद शरीफ पढ़ने से इंसान आसमान और ज़मीन में तारीफ के काबिल हो जाता है।
8. दुरूद शरीफ का पढ़ना आपकी कब्र में और कयामत के दिन रौशनी का काम करेगी।
9. दरूद शरीफ पढ़कर आपके दिल में अल्लाह और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के लिए मोहब्बत पैदा हो जाती है।
10. दुरूद शरीफ़ का पढ़ना गुनाहों से कफ्फारा है।
11. आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मुहब्बत फ़रमाते हैं, जो शख्स दुरूद शरीफ पढ़ता है।और जो शख्श दुरूद शरीफ़ को ही अपना वजीफ़ा बना लेता है, अल्लाह पाक उसके दुनिया और आखिरत के सारे काम अपने ज़िम्मे ले लेता है।
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दरूद शरीफ को कब पढ़ा जाता है?
आप चाहे तो कभी भी और किसी भी वक़्त दरूद शरीफ को पढ़ सकते हैं। लेकिन कुछ वक़्त या दिन बेहद ख़ास हैं जब आपको दरूद शरीफ पढ़ना चाहिए। वो ये है: –
- पाँँचों वक़्त की नमाज़ों के बाद
- अजान होने के बाद
- मस्जिद में दाखिल होने और बाहर जाने से पहले
- वजू करने के दौरान और वजू करने के बाद
- मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का नाम सुनने और पढ़ने के वक़्त
- दुआ मांगने में
- मुसीबत के वक़्त में
- घर में दाखिल होने से पहले
- सुबह और शाम जब भी चाहें
- जिब्ह करते समय
- छीक आये उस वक्त
- सौदा या मोल-भाव कर रहे हों उस वक़्त
- जुमा के दिन कसरत के साथ
आखिरी शब्द
तो जैसा कि हमने दरूद शरीफ को हिंदी में पढनें के साथ-साथ, यह भी पढ़ा कि दरूद शरीफ पढ़ने की बहुत सी फजीलते और फायदे हैं। हमें चाहिए कि हम दरूद शरीफ की कसरत से तिलावत करें।
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