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Ayatul Kursi in Hindi Pdf | आयतल कुर्सी इन हिंदी Pdf, तर्जुमा, फज़ाइल

Category: Ayatul Kursi in Hindi | आयतल कुर्सी हिंदी में, Dua in Hindi

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अस्स्लामोअलैकुम, हमारे प्यारे दीनी भाइयों और बहनों, अल्लाह सुब्हानहु व ताला का ये हम पर करम है कि अल्लाह ने हमको ये तौफीक दी हैं कि आयतल कुर्सी इन हिंदी में (Ayatul Kursi in Hindi) और इसकी फज़ीलत के बारे में आप लोगो को बताये।

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आयतुल कुर्सी हिंदी में क़ुरआन -पाक की बहुत ही अजीमोशान आयत-ए-मुबारिका है।

जिसमें अल्लाह तआला का मौजूद होना, ज़िंदा होना, सुनना और देखने वाला होना, वा हमेशा बाकी रहने को बयान किया गया हैं।

आयतुल कुर्सी जिसको की एक चैथाई कुरान कहा जाता है।

साथ-ही-साथ यह भी कहा जाता है की जो इंसान फज्र की नमाज़ के बाद आयतुल कुर्सी पढ़ता है, तो उसके लिए जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते है। इंशाल्लाह


Table of Contents

आयतल कुर्सी हिंदी में | Ayatul Kursi In Hindi

जैसा कि हम सभी जानते ही हैं, कुरान की हर एक सूरह और आयत को पढ़ने का सवाब मिलता है।

बैसे ही कुछ आयत और सूरह ऐसी भी है जिनकी हमेशा तिलावत करनी चाहिए।

तो नीचे हमने Ayatul Kursi Hindi Mein मौजूद करायी है आप इसे पढ़ कर सवाब हासिल कर सकते हैं।

अऊज़ुबिल्लाही मिनश सैतानिर्रजीम बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्रहीम

अल्लाहु ला इलाहा इल्लाहू
अल हय्युल क़य्यूम
ला तअ’खुज़ुहू सिनतुव वला नौम
लहू मा फिस समावाति वमा फ़िल अर्ज़
मन ज़ल लज़ी यश फ़ऊ इन्दहू इल्ला बि इजनिह
यअलमु मा बैना अयदी हिम वमा खल्फहुम
वला युहीतूना बिशय इम मिन इल्मिही इल्ला बिमा शा..अ
वसिअ कुरसिय्यु हुस समावति वल अर्ज़
वला यऊ दुहू हिफ्ज़ुहुमा
वहुवल अलिय्युल अज़ीम

ये भी पढ़े :- Surah Yaseen Hindi Mein Padhen


आयतल कुर्सी हिंदी तर्जुमा | Ayatul Kursi Translation In Hindi

जैसा की हम सभी को मालूम ही है की कुरान की किसी भी सूरह या आयत को पढ़ने पर सवाब मिलता ही है।

लेकिन अगर हम कुरान मजीद की इन सूरतों को उनके hindi tarjuma के साथ पढ़ते हैं,

तो हमे मालूम होता है की अल्लाह सुब्हानहु व ताअला ने कुरान में क्या फ़रमाया है।

इसलिए आयतुल कुर्सी को हिंदी में समझने के लिए हमने ayatul kursi hindi mai tarjuma ke sath लिखे है जिससे आप अल्लाह के पैगाम को अच्छे से समझ सकें।

अल्लाह जिसके सिवा कोई माबूद नहीं।

वही हमेशा जिंदा और बाकी रहने वाला है।

न उसको ऊंघ आती है न नींद।

जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है सब उसी का है।

कौन है जो बगैर उसकी इजाज़त के उसकी सिफारिश कर सके।

वो उसे भी जनता है जो मख्लूकात के सामने है और उसे भी जो उन से ओझल है।

बन्दे उसके इल्म का ज़रा भी इहाता नहीं कर सकते सिवाए उन बातों के इल्म के जो खुद अल्लाह देना चाहे।

उसकी ( हुकूमत ) की कुर्सी ज़मीन और असमान को घेरे हुए है।

ज़मीनों आसमान की हिफाज़त उसपर दुशवार नहीं।

वह बहुत बलंद और अज़ीम ज़ात है।


आयतुल कुर्सी इन हिंदी इमेज | Ayatul Kursi Hindi Image

दोस्तों आप यहाँ आयतल कुर्सी की इमेज को ऑनलाइन पढ़ सकते है।

अगर आप इस इमेज को डाउनलोड करना चाहते है,

तो आप इमेज के ऊपर क्लिक करके रखें, तभी आपको आयतल कुर्सी हिंदी में इमेज सेव करने का ऑप्शन दिखेगा।

इस तरह आप इस Ayatul Kursi in Hindi की Photo को डाउनलोड कर सकते हैं।

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आयतुल कुर्सी अरबी में | Ayatal Kursi in Arabic Text

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ

اللَّهُ لاَ إِلَهَ إِلاَّ هُوَ الْحَيُّ الْقَيُّومُ لاَ تَأْخُذُهُ سِنَةٌ وَلاَ نَوْمٌ لَهُ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الأَرْضِ مَنْ ذَا الَّذِي يَشْفَعُ عِنْدَهُ إِلاَّ بِإِذْنِهِ يَعْلَمُ مَا بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ وَلاَ يُحِيطُونَ بِشَيْءٍ مِنْ عِلْمِهِ إِلاَّ بِمَا شَاءَ وَسِعَ كُرْسِيُّهُ السَّمَاواتِ وَالأَرْضَ وَلاَ يَئُودُهُ حِفْظُهُمَا وَهُوَ الْعَلِيُّ الْعَظِيمُ


आयतुल कुर्सी की ख़ासियत | Ayatul Kursi khasiyat Hindi me

यह क़ुरआन करीम की एक बहुत अज़ीम आयत है।

आयतुल कुर्सी कुरान करीम के एक चौथाई के बराबर है।

आयतुल कुर्सी आसमान, धरती, जन्नत और जहन्नम से भी बड़ा है।

आयतल कुर्सी ( Ayatul Kursi ) सूरह बक़रह की 255 की आयत है।

आयतल कुर्सी की फ़ज़ीलत बहुत ही ज्यादा है उनमे से कुछ यहाँ बयान की गयी है,

आयतुल कुर्सी कुरान की सब से अज़ीम तरीन आयत है और हदीस में रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैह बसल्लम ने Ayatul Kursi को तमाम आयात से अफजल फ़रमाया है।

हज़रत अबू हुरैरा र.अ. फरमाते हैं कि रसूल स.अ. ने फ़रमाया : सूरह बकरा में एक आयत है जो तमाम कुरान की आयातों की सरदार है जिस घर में पढ़ी जाये शैतान वहां से निकल जाता है।

इस सूरत में अल्लाह की तौहीद ( अल्लाह को एक मानना ) को साफ़ तौर पर बताया गया है और शिर्क को रद किया है।

इस आयत में 10 जुमले ( Sentences ) हैं: –

पहला जुमला : (अल्लाह जिसके सिवा कोई माबूद नहीं)

इस में अल्लाह इसमें ज़ात है जिस के मानी हैं वो ज़ात जिस के अन्दर तमाम कमाल पाए जाते हों और तमाम बुराइयों से पाक हो और उस के सिवा कोई माबूद नहीं।

दूसरा जुमला : (वही हमेशा जिंदा और बाकी रहने वाला है )

हय्य के मानी अरबी ज़ुबान में जिसको कभी मौत न आये हमेशा जिंदा रहने वाला,

और कय्यूम के मानी हैं जो खुद कायम रहे और दूसरों को भी कायम रखता और संभालता हो।

और कय्यूम अल्लाह तआला की ख़ास सिफत है जिस में कोई भी उस का शरीक नहीं,

क्यूंकि जो चीज़ें अपने बाक़ी रहने में दुसरे की मोहताज हों वो किसी दुसरे को क्या संभाल सकती हैं।

इसलिए किसी इंसान को क़य्यूम कहना जाएज़ नहीं बल्कि अब्दुल कय्यूम ( कय्यूम का बंदा ) कहना चाहिए।

जो लोग अब्दुल कय्यूम की जगह सिर्फ कय्यूम बोलते हैं गुनाहगार होते हैं।

तीसरा जुमला : (न उसको ऊंघ आती है न नींद)

अल्लाह के सहारे ही सारी कायनात कायम है।

इसलिए एक आम इंसान का ख़याल इस तरफ जा सकता है कि जो ज़ात इतना बड़ा काम कर रही है उसे भी किसी वक़्त थकान होना चाहिए, और कोई वक़्त आराम और नींद के लिए चाहिए।

लेकिन इस जुमले में महदूद और अदना सा इल्म रखने वाले इंसान को बता दिया गया कि अल्लाह को अपने जैसा न समझे।

उसकी कुदरत के सामने ये काम कुछ मुश्किल नहीं और उस की ज़ात नींद और थकान से बरी है।

चौथा जुमला : (जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है सब उसी का है)

जिसका मतलब है तमाम चीज़ें जो ज़मीन और आसमान में हैं सब अल्लाह की ही मिलकियत में हैं वो जिस तरह चाहे उस में तसर्रुफ़ करे।

पांचवां जुमला : (कौन है जो बगैर उसकी इजाज़त के उसकी सिफारिश कर सके)

मतलब ऐसा कौन है जो उस के आगे किसी की सिफारिश कर सके।

हाँ कुछ अल्लाह के मकबूल बन्दे हैं जिनको ख़ास तौर पर बात करने की और शिफारिश की इजाज़त दी जाएगी।

लेकिन बगैर इजाज़त के कोई सिफारिश नहीं कर सकता।

छठा जुमला : (वो उसे भी जनता है जो मख्लूकात के सामने है और उसे भी जो उन से ओझल है)

यानी अल्लाह उन लोगों के आगे पीछे के तमाम हालात जानता है।

यहाँ आगे पीछे का मतलब ये हो सकता है कि उनके पैदा होने के पहले और पैदा होने के बाद के हालत अल्लाह जानता है।

और इसका मतलब ये भी हो सकता है कि वो हालात जो इंसान के सामने हैं खुले हुए है और पीछे का मतलब वो हालात जो छुपे हुए हैं।

सातवां जुमला : (बन्दे उसके इल्म का ज़रा भी इहाता नहीं कर सकते सिवाए उन बातों के इल्म के जो खुद अल्लाह देना चाहे)

इंसान और तमाम मख्लूकात अल्लाह के इल्म के किसी एक हिस्से तक भी नहीं पहुँच सकते।

मगर अल्लाह ही जिसको जितना इल्म अता करना चाहें सिर्फ उतना ही इल्म उसको मिल सकता है।

आठवां जुमला : (उसकी ( हुकूमत ) की कुर्सी ज़मीन और असमान को घेरे हुए है)

उसकी कुर्सी इतनी बड़ी है कि उस में सातों ज़मीन और सातों आसमान समाये हुए हैं।

इस किस्म की आयत को इंसान अपने ऊपर कयास न करे क्यूंकि अल्लाह की कुदरत को समझ पाना इंसान की समझ से बाहर है।

नवां जुमला : (ज़मीनों आसमान की हिफाज़त उसपर दुशवार नहीं)

अल्लाह को ज़मीन व आसमान की हिफाज़त कोई बोझ महसूस नहीं होती बल्कि उसकी कुदरत के सामने ये आसान चीज़ें हैं।

दसवां जुमला : (वह बहुत बलंद और अज़ीम ज़ात है)

यानि वो आली शान और अजीमुश शान है . पिछले नौ जुमलों में अल्लाह की जातो सिफ़ात के कमालात बयान हुए हैं।

उनको देखने और समझने के बाद हर अक्ल वाला इंसान यही कहने पर मजबूर है कि हर इज्ज़त, अजमत, बलन्दी व बरतरी सिर्फ अल्लाह ही को ज़ेबा है।


Ayatul Kursi in Hindi Pdf Download

दोस्तों आपको अगर आयतुल कुर्सी की पीडीऍफ़ डाउनलोड करनी है।

तो आपको हमने नीचे Ayatul Kursi Full Pdf in Hindi Download लिंक दिया है।

आप आसानी के साथ इस आयतल कुर्सी हिंदी पीडीऍफ़ को डाउनलोड कर सकते है।

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आयतुल कुर्सी अरबी Pdf Download

दोस्तों आपको अगर आयतुल कुर्सी अरबी Pdf डाउनलोड करनी है, तो आपको हमने नीचे Ayatul Kursi Full Pdf in Arabic Download लिंक दिया है।

आप आसानी के साथ इस आयतल कुर्सी अरबी पीडीऍफ़ को डाउनलोड कर सकते है।

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आयतल कुर्सी की हदीस | Aytal Kursi Ki Hadees

नीचे हमने सबसे पहले आयतल कुर्सी से जुड़ी चंद हदीस बताई हैं।

जिनको पढ़कर आप आयतल कुर्सी की फ़ज़ीलत कितनी है, यह समझ सकते हैं।

1. अबू उमामह रदियल्लाहु अन्हु बताते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि

वह शख्स जो हर फ़र्ज नमाज़ के बाद अयातुल कुर्सी पढ़ता है, तो केवल मौत ही है जो उसे जन्नत में जाने से रोकी हुई है।

एक दूसरी रिवायत में है कि: आयतुल कुरसी के बाद “क़ुल हू वल्लाहु अहद” को पढ़ना है।

(पुस्तक: मुन्तखब अहदीस, अंग्रेजी हदीस 31)

2. हसन इब्ने -अल्त रदियल्लाहु अन्हुमा बताते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

जो हर फ़र्ज़ नमाज़ के बाद आयतुल कुरसी पढ़ता है, वह अगले फ़र्ज नमाज़ तक अल्लाह की हिफाज़त में रहता है।

(तबरानी) (पुस्तक: मुन्तखब अहदीस, हदीस 32)

3. अबू हुरैरा रदियल्लाहु अन्हु बताते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

हर चीज़ के लिए एक शक्ल होती है, और बेशक, क़ुरआन की शक्ल सुरा अल-बक़राह है।

और इसमें एक आयत है, जो कुरान की सभी आयतों का सर है, और वह है आयतुल कुर्सी। ( तिर्मिधि )


आयतुल कुर्सी पढ़ने के फायदे | Benefits Of Ayatul Kursi

आयतल कुर्सी के बहुत से फायदे हैं।

हमने कुछ फायदों को नीचे मौजूद कराया है। अगर आप इन फायदों को फॉलो करेंगे, तो इंशाअल्लाह आपको ज़रूर फायदा होगा।

1. अगर आप मार्किट में जाते समय, आयतुल कुर्सी पढ़कर निकलते हैं।

तो अल्लाह पाक आपको हर तरह के नुक़सानात से बचाएगा।

2. एक हदीस में है की आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया,

जो शख्स हर फ़र्ज़ नमाज़ों के बाद आयतल कुर्सी पढ़ते हैं तो अल्लाह पाक आपकी अगले फ़र्ज नमाज़ तक हिफाज़त करेगा।

3. हर रात को सोते वक़्त की दुआ और आयतल कुर्सी पढ़ने से अल्लाह तआला आपकी हिफाज़त के लिए रात भर एक फरिश्ता मुक़र्रर कर देते हैं।

4. जिस शख्स के घर में आयतुल कुर्सी रोज़ पढ़ी जाती हो, उस घर से शैतान बहार निकल जाता है।

5. हज़रत अली रज़ी. अंह. फरमाते है मैने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को फरमाते हुए सुना जो शख्स हर नमाज़ के बाद आयतुल कुर्सी पढ़ेगा।

उसको जन्नत में दाखिल होने से कोई चीज़ नहीं रोक सकती, वो मरते ही जन्नत में चला जायेगा। और जो शख्श रात को सोने से पहले इसे पढ़ेगा,

तो वो, उसके पड़ोसी और उसके आस पास के घर वाले शैतान और चोरों से मेहफ़ूज़ रहेंगे।

आयतुल कुर्सी पढ़ने के दुसरे और फायदे | Ayatul Kursi In Hindi ke fayde

6. आयतुल कुर्सी पढ़ने वाला सुबह से शाम तक जिन्नात के बुरे असर से बचे रहते हैं।

7. इस सूरह को खाने और पानी में फूंक डालने से बरकत होती है।

8. जो शख्स घर में दाखिल होते वक़्त आयतुल कुर्सी पढ़ता है, तो उसके घर में दाखिल होते ही शैतान वहां से भाग जाता है।

9. इस आयत को पढ़ने वाला, उसके बच्चे, उसका माल और उसके पड़ोसी मेहफ़ूज़ रहते हैं।

10. जो कोई आयतुल कुर्सी को, सूरह बकराह की आखिरी आयतों के साथ पढ़ता है,

शैतान तीन दिनों तक उसके घर में दाखिल नहीं होता है।

11. जिन्नात ऐसा कोई बर्तन नहीं खोल सकता जिस पर वह पढ़ा हो।

12. जो कोई भी सुबह अयातुल कुर्सी और सूरह गाफिर की तिलावत करके अपने दिन की शुरुआत करता है,

तो वो सुबह से लेकर शाम तक मेहफ़ूज़ रहता है।

13. जो हर सुबह आयतुल कुर्सी का पढ़ता है वह रात तक अल्लाह की हिफाज़त में रहता है।

17. आयतुल कुर्सी को बार बार पढ़ने से मौत के वक़्त ज्यादा तकलीफ नहीं होती।

18. अगर कोई आयतुल कुर्सी का पढ़ता है, तो अल्लाह उसके घर लौटने तक उसके लिए इस्तिफार करने के लिए 70,000 फ़रिश्ते भेजेगा,

और उसके लौटने पर गरीबी दूर हो जाएगी।


आयतुल कुर्सी की तफ़्सीर हिंदी में | Ayatal Kursi Tafseer Hindi Mein

यहाँ पर हमने आयतुल कुर्सी का तफ़्सीर से तर्जुमा किया है, उम्मीद है आपको यह तफसीर समझ आएगी।

पहले जुमले की तफसीर

अल्लाह के सिवाए कोई माबूद नहीं है।

आयतल कुर्सी के बारे में ‘‘अल्लाह, नहीं है कोई माबूद सिवाए अल्लाह के“

यही वह पैगाम है जिसकी दावत तमाम अम्बिया और रसूल ने दी।

कि माबूदे हकीकी सिर्फ अल्लाह तबारक व तआला है, वही पैदा करने वाला, वही रिज़्क देने वाला और वही अकेला इस पूरी दुनिया के निज़ाम को चलाने वाला है।

उसका कोई शरीक नहीं है। हम सब उसके बन्दे हैं, और हमें सिर्फ उसी की इबादत करनी चाहिए।

वही मुश्किल कुशा, हाजत रवा और जरूरतों को पूरा करने वाला है।

उसने इंसानों की हिदायत व रहनुमाई के लिए अम्बिया व रसूल भेजे।

आखिर में तमाम नबियों के सरदार हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को क़यामत तक आने वाले तमाम इंसानों के लिए रहमतुल आलमीन बना कर भेजा।

दुसरे जुमले की तफसीर

वही हमेशा जिंदा और बाकी रहने वाला है।

‘‘वह ज़िन्दा है, कायम है‘‘ ज़िन्दा यानी अल्लाह तबारक व तआला हमेशा ज़िन्दा रहने वाला है और मौत से बालातर है।

‘‘अल्लाह तआला के सिवा हर चीज हलाक और फना हो जाने वाली है।‘‘

‘‘कय्यूम‘‘ मुबालगा का सेगा है जिसके मानी हैं वह ज़ात जो खुद अपने बल पर क़ायम और दूसरों के कियाम व बका का वास्ता और ज़रिया हो।

नोट– कय्यूम अल्लाह तआला की खास सिफात है, जिसमें कोई मखलूक़ शरीक नहीं हो सकती।

क्योंकि जो चीजें खुद अपने वजूद व बका में किसी दूसरे की मोहताज हों वह किसी दूसरी चीज को क्या संभाल सकती हैं।

इसलिए किसी इंसान को कय्यूम कहना जायज़ नहीं है।

इसलिए अबदुल कय्यूम नामी आदमी को सिर्फ कय्यूम कह कर बुलाना गलत है।

उसे पूरा यानि अब्दुल कय्यूम कहना चाहिए।

तीसरे जुमले की तफसीर | Ayatul Kursi In Hindi

जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है सब उसी का है।

‘‘तमाम चीजें जो आसमानों या ज़मीनों में हैं वह सब अल्लाह तआला की ममलुक हैं।‘‘

वह मुख्तार है जिसका मतलब है तमाम चीज़ें जो ज़मीन और आसमान में हैं, सब अल्लाह की ही मिलकियत में हैं।

मतलब सब चीज़ो पर अल्लाह का अख्तियार है। तो वो जिस तरह चाहे उनमें तसर्रुफ़ करे।

चौथे जुमले की तफसीर

कौन है जो बगैर उसकी इजाज़त के उसकी सिफारिश कर सके।

‘‘कौन है जो उसकी इज़ाजत के बेगैर सिफारिश करे।‘‘

जब यह बात मालूम है कि अल्लाह तआला ही कायनात के मालिक है, कोई उससे बड़ा और उसके ऊपर हाकिम नहीं है।

तो कोई उससे किसी काम के बारे में सवाल व जवाब करने का भी हकदार नहीं है।

वह जो हुकुम जारी फरमाएगा, उसमें किसी को किसी तरह की चू तक करने की गुंजाइश नहीं है।

हां! यह हो सकता है कि कोई आदमी अल्लाह तबारक व तआला से किसी के लिए सिफारिश या शिफाअत कर सकता है।

पांचवे जुमले की तफसीर | Ayatul Kursi In Hindi

अल्लाह तआला लोगों के आगे व पीछे के तमाम हालात और वाकेआत को जानता है।

‘‘अल्लाह तआला लोगों के आगे पीछे के तमाम हालात और वाकेआत को जानता है।‘

आगे और पीछे का यह मतलब हो सकता है कि उनके पैदा होने से पहले और पैदा होने के बाद के तमाम हालात और वाकेआत अल्लाह तआला के इल्म में हैं।

वो सब के बारे में सब कुछ जानता है।

और इसका यह भी मतलब हो सकता है कि आगे से मुराद वह हालात हैं जो इंसान के लिए खुले हुए हैं।

और पीछे से मुराद उससे पोशिदा वाकेआत और हालात हों।

तो इसके माने यह होंगे की इंसान का इल्म तो बाज़ चीजों पर ही है, और बाज चीज़ो पर पर नहीं है।

कुछ चीज़ें उसके सामने खुली हुई हैं उनके बारे मैं उसे इल्म है और कुछ छुपी हुई, उनके बारे मैं उसे इल्म नहीं है।

मगर अल्लाह तआला के सामने यह सब चीज़ें बराबर हैं, इसका इल्म उन सब चीज़ों पर बराबर है।

छठे जुमले की तफसीर

अल्लाह तआला उन लोगों के आगे पीछे के तमाम हालात जानता है जो कोई और नहीं जान सकता।

(बन्दे उसके इल्म का ज़रा भी इहाता नहीं कर सकते सिवाए उन बातों के इल्म के जो खुद अल्लाह देना चाहे)।

‘‘इंसान और तमाम मखलूकात अल्लाह तआला के इल्म के किसी हिस्सा का इहाता नहीं कर सकते।

मगर अल्लाह तआला ही खुद जिसको जितना हिस्सा इल्म इहाता करना चाहें सिर्फ इतना ही उसको इल्म हो सकता है।‘

इस आयत में यह कहा गया है कि तमाम कायनात के ज़र्रे-ज़र्रे का इल्म मुहीत सिर्फ अल्लाह तआला की खुसूसी सिफत है।

इंसान या कोई मखलूक इसमें शरीक नहीं हो सकती।

सातवें जुमले की तफसीर | Ayatul Kursi In Hindi

उसकी ( हुकूमत ) की कुर्सी ज़मीन और असमान को घेरे हुए है।

‘‘उसकी कुर्सी इतनी बड़ी है कि जिसकी वुसअत के अंदर सातों आसमान और ज़मीन समाए हुए है।‘‘

अल्लाह तआला उठने बैठने और जगह या मकान से बालातर है।

इस क़िस्म की आयत को अपने मामलात पर कयास न किया जाए,

उसकी कैफियत व हकीकत का इदराक इंसानी अकल से बालातर है।

अल्लामा इबने कसीर ने बरिवायत हज़रत अबुज़र गिफारी (रज़ियल्लाहु अन्हु) से नकल किया है कि

उन्होंने हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से दरयाफ्त किया कि कुर्सी कैसी है?

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कसम है उस ज़ात की जिसके कब्ज़ा में मेरी जान है।

कि सातों आसमानों और ज़मीनों की मिसाल कुर्सी के मुकाबले में ऐसी है जैसे एक बड़े मैदान में अंगुश्तरी का हल्का (छल्ला) डाल दिया जाए।

बाज़ हादीस में भी है कि अर्श के सामने कुर्सी की मिसाल भी ऐसी है कि जैसे एक बड़े मैदान में अंगुशतरी का हलका (छल्ला)।

हज़रत अबदुल्लाह बिन अब्बास (रज़ियल्लाहु अन्हु) फरमाते हैं कि

सातों ज़मीनें और सातों आसमान अगर फैला दिए जाए तो भी कुर्सी के मुकाबले में एसे होंगे जैसे एक हलका (छल्ला) किसी चटियल मैदान में।

इबने जरीर की एक मरफू हदीस में है कि सातों आसमान कुर्सी में एसे ही हैं जैसे सात दिरहम ढ़ाल में (तफसीर इबने कसीर)।

बाज़ मुफस्सिरीन ने लिखा है उसकी कुर्सी इतनी बड़ी है कि उस में सातों ज़मीन और सातों आसमान समाये हुए हैं।

इस किस्म की आयत को इंसान अपने ऊपर कयास न करे क्यूंकि अल्लाह की कुदरत को समझ पाना इंसान की समझ से बाहर है।

आठवें जुमले की तफसीर

ज़मीनों आसमान की हिफाज़त उसपर भारी नहीं।

अल्लाह तआला को इन दोनों अज़ीम मखलूकात यानी आसमान व ज़मीन की हिफाज़त कुछ भारी नहीं मालूम होती।

क्योंकि इस कादिरे मुतलक की कुदरते कामला के सामने यह सब चीज़ें निहायत आसान हैं।

नवें जुमले की तफसीर

वह बहुत बलंद और अज़ीम ज़ात है।

यानि वो आलीशान और अजीमो -शान है गुज़शता नौ जुमलों में अल्लाह तआला की ज़ात व सिफात के कालामात बयान किए गए हैं।

इनको समझने के बाद हर अकलमंद आदमी यही कहने पर मजबूर है कि हर इज्ज़त व अज़मत और बुलंदी व बरतरी का मुसतहिक वही पाक ज़ात है।

इन दस जुमलों में अल्लाह तआला की सिफाते कमाल और उसकी तौहीद का मज़मून वज़ाहत और तफसील के साथ आ गया।

हज़रते सय्यिदुना उबय्य बिन का’ब रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :

ऐ अबू मुन्जिर -क्या तुम्हें मालूम है कि कुरआने पाक की जो आयतें तुम्हें याद हैं उन मेँ कोनसी आयत अजीम है?

मैंने अर्ज़ किया – अल्लाहु ला इला-ह इल्लल्लाहु-वल हय्युल क़य्यूमु

फिर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम ने मेरे सीने पर हाथ मारा और फ़रमाया -ऐ अबू मुन्सिर तुम्हें इल्म मुबारक हो।

अल्लाह तआला हम सबको कुरान करीम समझ कर पढ़ने वाला और उस पर अमल करने वाला बनाए।

अल्लाह तआला हम सबको शिर्क की तमाम शकलों से महफूज़ फरमाए अमीन।


आयतल कुर्सी से जुड़े कुछ सवाल और जवाब

Q.1 आयतुल कुर्सी इतनी शक्तिशाली क्यूँ है?

Ans. Ayatul Kursi को कुरान की सबसे ताक़तबर सूरातों में शुमार किया जाता है।

क्यूंकि जब इस आयत की तिलाबत की जाती है तो अल्लाह ताला की अजमत की तस्दीक की जाती है।

जो सख्श इस आयत की सुबह व शाम इसकी तिलावत करता है वो अल्लाह की जात जिन्नात से महफूज़ रहता है।

Q.2 इसको आयतुल कुर्सी क्यूँ कहा जाता है?

Ans. आयतुल कुर्सी के मायने है:- “आयत की कुर्सी”।

जैसा जी हम सब जानते है हर राजा अपनी पॉवरफुल गद्दी से हुक्मरानी करता है और अल्लाह जो सब कायनात का मालिक और खालिक है उसकी गद्दी का क्या ही कहना।

Q.3 आयतल कुर्सी किस तरह फायदेमंद है?

Ans. Ayatul Kursi बहुत सी बुराईयों से महफूज़ करती है. आयतुल कुर्सी बीमारियों और बीमारियों के इलाज़ के तौर पर काम आती है।

यह हमें अल्लाह की ताकत बयां करती है जिससे हम समझ सकें के अल्लाह ही है जो पूरी कायनात को काबू किये है।

Q.4 कुरान में आयतल कुर्सी किस पारा में मौजूद है?

Ans. आयतुल कुर्सी कुरान की दूसरी सूरह, सूरह अल बकरा में है. यह सूरः बकरा की 255वें नंबर की आयत है।

दोस्तों दीन की बातों को दूसरों तक पहुँचाना हम लोगो का फ़र्ज़ बनता है लिहाजा इस पोस्ट को भी आगे शेयर करें, जिससे की और लोग भी दीन की बातें जान सकें।

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