Last updated on अगस्त 30th, 2022 at 06:45 अपराह्न
बच्चे की पैदाइश होने के सातवें दिन अकीका करना सुन्नत है। इस पोस्ट में हम अकीका के बारे में सारी बातें डिटेल्स में जानिंगे। हमने इस पोस्ट में अकीका की तीन दुआ मौजूद करायी हैं, आप इन अकीका की दुआ (Aqeeqah Ki Dua) को पढ़ कर जानबर की क़ुरबानी कर सकते है।
आपको यह जानना जरुरी है कि, Aqeeqa एक तरह का सदका ही है। जफ़र अल-सादिक (र।अ।) की एक हदीस है कि अकीका करने से बच्चे की जिन्दगी से काफी मुश्किलात दूर हो जाती हैं।
अल-कुलाय्नी , मोहम्मद इब्न याकूब (2015), लिखते हैं कि अबू तालिब (RA) ने हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैह बसल्लम का अकीका मोहम्मद(स।अ।ब।) की पैदाइश के बाद 7वें दिन किया और परिवार के लोगों को खाने पर बुलाया। जब परिवार के लोगों ने पुछा “ये क्या है?” अबू तालिब (RA) ने जवाब दिया “अहमद का अकीका है”।
उनके बाद, हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैह बसल्लम ने भी हसन इब्न अली और हुसैन इब्न अली का अकीका उनकी पैदाइश के के बाद 7वें दिन किया।
इसे भी पढ़ें: – सूरह यासीन हिंदी में तर्जुमा के साथ
अकीका करने के कुछ कायदे (Aqeeqah Rules)
👉अगर आप अकीका 7वे दिन नहीं कर सकते तो आपको चाहिए की आप 14वें या 21वें दिन में अकीका को करें।
👉लेकिन अगर आपके पास पैसों की दिक्कत है तो आप अपने बच्चे का अकीका बाद में भी कर सकते हैं।
👉अकीका करना मुश्ताहब और सुन्नत है, अगर आप किसी बजह से अकीका नहीं कर सकते तो आपको गुनाह नही मिलेगा।
👉अकीका का जानबर कम से कम 13 से 15 महीने का होना चाहिए।
अक़ीक़ा करने का तरीक़ा और दुआ
इस दुनिया में अल्लाह ने इंसान को पैदा करने के साथ ही एक से बढ़कर नेअमतें अता कीं हैं, जैसे माल, औलाद, वगैरा लेकिन इन तमाम नेअमतों में औलाद की नेअमत बहुत बड़ी है, तो अगर अल्लाह ने आप को औलाद जैसी नेअमत अता की, तो सातवें दिन उसका नाम रखें और अक़ीक़ा (Aqiqah) करें।
नीचे हम अक़ीक़ा करने का तरीक़ा (Aqiqah Karne Ka Tariqa) और अक़ीक़ा की दुआ (Aqiqah Ki Dua) बयान करेंगे और साथ ही अक़ीक़े से रिलेटेड कुछ सवालों के जवाब बयान करेंगे जो कि आम तौर से लोगों के ज़हनों में होते हैं।
अक़ीक़ा की दुआ | Aqeeqah ki dua in hindi
आप को कोई लम्बी चौड़ी दुआ पढ़ने की ज़रुरत नहीं है बस ये छोटी Aqeeqah ki dua पढ़ लें जो हदीस में मौजूद है और हज़रत आयेशा (रज़ियल लाहू अन्हा) की बताई हुई है, वो दुआ ये है।
बिस्मिल्लाहि वल्लाहु अकबर, अल्लाहुम्मा लका व इलैका, हाज़ा अक़ीक़तु फ़ुला
( फुलां की जगह जिसके नाम अक़ीक़ा हो रहा हो उसका नाम ले लें )
Bismillahi Wal Lahu Akbar, Allahumma Laka Wa Ilaika, Haza Aqiqatu Fulan
तर्जुमा: अल्लाह के नाम से जो अल्लाह बहुत बड़ा है, ए अल्लाह ! ये अक़ीक़ा तेरे लिए है और तेरी ही खिदमत में हाज़िर है, और ये अक़ीक़ा फलां ( जैसे ज़ैद या हामिद ) की तरफ़ से है।
अगर आप इसके अलावा कोई और दुआ पढ़ना चाहते हैं तो हमने नीचे और दुआएं भी मौजूद करायी है इनको भी आप पढ़ सकते हैं।
Aqeeqah ki dua hindi mein
अगर लड़का हो तो Aqeeqah Ki Dua Ladke के लिए ये है:
” अल्लाहम्मा हाज़िही अकीकतु __ (यहाँ बच्चे का नाम लें) दमुहा बि दमिही, व लहमुहा बि लहमिही, व अज्मुहा बि अज्मिही व जिल्दुहा बि जिल्दिही व शअ’रुहा बि शअ’रिही “। “
अगर लड़की हो तो Aqeeqah Ki Dua Ladki के लिए ये है:
” अल्लाहम्मा हाज़िही अकीकतु _ (यहाँ बच्ची का नाम लें) दमुहा बि दमिहा, व लहमुहा बि लहमिहा, व अज्मुहा बि अज्मिहा व जिल्दुहा बि जिल्दिहा व शअ’रुहा बि शअ’रिहा “। “
ऊपर की कोई एक दुआ पढ़ने के बाद ये दुआ पढ़ें
” इन्नी वजह्तु वजहिया लिल्ल्लज़ी फतारस समावती वल अर्ध। हनीफौं व मा अना मिनल मुशरिकीन। इन्ना सलाती व नुसुकी व महय्या व ममाती लिल्लाही रब्बिल आलमीन, ला शरीका लहू व बी जालिका उमिर्तु व अना अव्वल मुस्लिमीन। ”अल्लाहुम्मा मिंका व लका। “
फिर पढें, बिस्मिल्लाह अल्लाह हु अकबर (Bismillah Allahu Akbar) और जानवर को जिवाह कर दें।
अकीका करने का तरीका | Aqiqah Karne Ka Tarika
यह इस्लाम का जरुरी हिस्सा है। इस्लाम में Aqeeqah, आखिरी पैगंबर सल्लल्लाहो अलैवसल्लम की बताई हुई सुन्नत है। जो हर पैदा होने वाले मुस्लिम बच्चे के लिए करना जरुरी है।
Aqiqah में बच्चे की ओर से एक बकरी या मेमने की क़ुर्बानी देनी पढ़ती है। यह बच्चे के पैदा होने पर अल्लाह को शुकिया करना होता है।
Hakika में क़ुरबानी बाला गोश्त गरीबो और मिसकिनो में बाटा जाता है। या दावत कर के इस्का गोश गरीबो, रिश्तेदारों, दोस्तो को दावत में खिलाया जाता है।
अगर किसी वजह से सातवे दिन Akika नहीं किया जाता है तो पन्द्रवे 15 या इक्कीसवे 21 या जब भी मुमकिन हो, किया जा सकता है। हलाकि इसमें देरी जान बूझकर नहीं करनी चाहिए। इसी तरह नीचे मुकम्मल Aqiqah Karne Ka Tarika In Hindi में दिया गया हैं इसे शेयर करे।
याद रखीए ! अकीका फर्ज़ या वाजिब नहीं है सिर्फ सुन्नत मुस्तहब है। गरीब शख़्स को हरगिज़ जाइज़ नहीं कि कर्ज लेकर और वह भी मआज अल्लाह सूर पर कर्ज लेकर Aqiqah करे । कर्ज लेकर जकात देना भी जाइज नहीं, Aqiqah जकात से बढ़ कर नहीं । ( इस्लामी जिन्दगी सपहा -18 )
अकीके के जानवर को जिब्हा करते वक्त की दुआऐं बहुत सी मसाइल की छोटी छोटी किताबों में भी आई हैं । लिहाजा वह दुआऐं उन्हीं किताबों में देख ली जाएँ ।
Aqiqah में लड़का लड़की के लिए कौन सा जानवर?
लड़के के लिए दो बकरे और लड़की के लिए एक बकरी जिबह करे। लड़के के लिए बकरा और लड़की के लिए बकरी ज़िबह करना बेहतर है। अगर लड़का लड़की दोनों के लिए बकरा या बकरी भी जिबह करे तो कोई हर्ज नहीं।( कानूने शरीअत जिल्द -1 सपहा – 160 )
लड़के के लिए दो बकरे न हो सकें तो एक बकरे में भी Akika कर सकते हैं। उसी तरह गाय , भैंस ज़िबह करे तो लड़के के लिए दो हिस्सा और लड़की के लिए एक हिस्सा हो। अकीके के जानवर के लिए भी वही शर्तें हैं जो कुरबानी के जानवर के लिए ज़रूरी हैं। ( कानूने शरीअत जिल्द 1 सपहा 160 )
Hakika के जानवर के हिस्से पर मालूमात
अकीके के जानवर के तीन हिस्से किए जाऐं । एक हिस्सा गरीबों को ख़ैरात कर दे , दूसरा हिस्सा रिश्तादारों और अहबाब में तक्सीम करे और तीसरा हिस्सा खुद रखे ।
अकीके का गोश्त गरीबों , फकीरों , रिश्तादारों , दोस्त व अहबाब को तक्सीम करे या पका कर फिर दावत कर के खिलाए , सब सूरतें जाइज़ हैं।
अकीके का गोश्त माँ , बाप , दादा , नाना , नानी गर्ज कि हर रिश्तेदार सब खा सकते हैं।( कानूने शरीअत जिल्द -1 सपहा – 160 )
अकीका से जुड़े कुछ सवाल और जवाब
इस से बच्चे पर आने वाली बलाएं दूर हो जाती हैं, और बेशुमार मुसीबतें उस पर से टल जाती हैं और जब तक अक़ीक़ा नहीं होता वो बच्चा अंदेशों में घिरा रहता है।
अक़ीक़ा किसी भी मुसलमान पर फ़र्ज़ या वाजिब नहीं है बल्कि मुस्तहब है, और मुस्तहब का मतलब ये होता है कि अगर आपने वो काम कर लिया तो इसका सवाब मिलेगा और अगर नहीं किया तो अज़ाब नहीं होगा।
असल ज़िम्मेदारी बाप की होती है कि वो अपने बच्चे के अक़ीक़े का इन्तेजाम करे, लेकिन अगर ननिहाल वाले अक़ीक़ा करना चाह रहे हैं तो इस में भी कोई हरज नहीं है क्यूंकि ख़ुद हमारे प्यारे नबी (सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम) ने अपने दोनों नवासे (हज़रत हसन और हज़रत हुसैन रज़ियल लाहू अन्हुमा) का अक़ीक़ा फ़रमाया था।
लड़के की तरफ़ से दो बकरे या बकरियां
लड़की की तरफ़ से एक बकरा या बकरी
अगर आपका लड़का है और अक़ीक़ा करना चाहते हैं लेकिन दो बकरों की गुन्जाइश नहीं है, तो आप एक ही बकरे पर लड़के का अक़ीक़ा कर सकते हैं, और अगर आपकी हैसियत अक़ीक़ा कर पाने की नहीं है और आप नहीं कर रहे हैं तो इस में कोई हरज और गुनाह नहीं है।
सब से बेहतर तो ये है कि बच्चे की पैदाइश के सातवें दिन कर दिया जाये जैसे अगर जुमा को बच्चा पैदा हुआ है तो जुमेरात को अक़ीक़ा कर दें।
अगर अक़ीक़ा सातवें दिन न हो सका तो 14 वें दिन या 21 वें दिन कर दें वरना जब भी अक़ीक़ा करें तो कोशिश करें कि दिनों के हिसाब से सातवां दिन हो।
बच्चा दुसरे शहर में है और बकरा दुसरे शहर में, तो इस में कोई हरज नहीं है अक़ीक़ा किया जा सकता है, बस इतना ख्याल रखें कि जब अक़ीक़े के बकरे ज़बह हो जाएँ तो बच्चे के बाल मूँड दिए जाएँ।
ईदुल अज़हा में एक बड़े जानवर की क़ुरबानी होने जा रही थी जिसमें सात हिस्से थे तो उसी में से एक हिस्सा क्या मैं अक़ीक़े की नियत से ले सकता हूँ। हाँ ! बिकुल ले सकते हैं, क़ुरबानी के जानवर में अक़ीक़े की नियत से हिस्सा लिया जा सकता है, लेकिन अफज़ल तो यही है कि अक़ीक़े के लिए बकरे की क़ुरबानी करें।
अगर किसी का अक़ीक़ा बचपन में न हुआ हो तो वो चाहे तो बड़े होने के बाद भी कर सकता है लेकिन सातवें दिन मुस्तहब वक़्त की जो फ़ज़ीलत है वो हासिल नहीं हो सकती।
अक़ीक़े में क़ुरबानी कर के दावत करना ज़रूरी नहीं है, आप चाहें तो कच्चा गोश्त तकसीम कर दें जैसे बक़रीद में करते हैं या ग़रीबों को खिला दें या पका कर घरों में भिजवा दें या मुख़्तसर दावत कर दें।
बचपन में अगर अक़ीक़ा किया गया है तो मुस्तहब है कि बच्चा या बच्ची के बाल मूंड कर उसके वज़न के बराबर सोना या चांदी या उसकी कीमत सदक़ा कर दें, लेकिन अगर बड़ी उमर में अक़ीक़ा किया जा रहा है तो सर के बाल मूंडना ज़रूरी नहीं है, बल्कि बड़ी उम्र की लड़की के बाल मूंडना नाजाएज़ है। बच्चे के बाल ज़बह करने से पहले मूंड या बाद में ज़बह करने के साथ साथ बाल मूंडना ज़रूरी नहीं है बल्कि पहले या बाद में जब आसानी हो मूंड सकते हैं।
अक़ीक़ा बच्चे की पैदाइश का शुकराना है, यानि अल्लाह ने आपको औलाद की नेअमत से नवाज़ा है तो उसके शुक्राने के तौर पर क़ुरबानी करना।
जब घर में बच्चे की पैदाइश हो तो सातवें दिन उसका अक़ीक़ा कर दें, यानि अगर लड़का है तो उसकी तरफ़ से दो बकरे और अगर लड़की है उसकी तरफ़ से एक एक बकरा या बकरी की क़ुरबानी करे।