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Allah 99 Names with Meaning ( Part-2 ) | 51-99 अल्लाह नाम के फ़ायदे

Category: 99 Names of Allah | अल्लाह के 99 नाम, Allah Ke 99 Naam ( Part-2 )

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दोस्तों जैसा की हमने पिछली पोस्ट Allah ke 99 Naam Hindi Mein Part-1 में उनके हिंदी मतलब और उनसे होने बाले फायदों के बारे में पढ़ा। उम्मीद है आपने Allah 99 Names का हिंदी Meaning भी पढ़ा होगा।

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इस पोस्ट में हम उनसे आगे के 51-99 अल्लाह के नामों का हिंदी में मतलब और उनके फायदों तथा अल्लाह के नामो के वजायिफ के बारे में जानिंगे।

तो आप ने इस से पहले अस्माउल हुस्ना के फ़ायदे (Asmaul Husna Ke Benefits) यानि अल्लाह के नाम और उनके फ़ायदे (Allah Ke Naam) पढ़े हैं अब बाक़ी बचे 51-99 अल्लाह के हिंदी नामों को यहाँ पर हम ज़िक्र करने जा रहे हैं।

अगर आपने अल्लाह के 99 नाम की लिस्ट नहीं देखी है तो इसे जरूर देखें: – अल्लाह के 99 नाम की लिस्ट हिंदी और english में

51. अल हक्क़ु (Al-Haqqu)
( बर हक़ व बरक़रार रहने वाला )

जो शख्स मुश्किलों से परेशान हो वो सौ बार रोज़ाना ला इलाहा इल्ला हुवल हक्कुल मुबीन पढ़े इंशाअल्लाह उसकी मुश्किलें आसान हो जाएँगी और ग़रीबी व फ़क्र से नजात मिल जाएगी।

52. अल वकीलु (Al-Wakeelu)
( बड़ा कारसाज़ )

अगर कोई बुरे कामों से न बच पा रहा हो तो दस बार ये नाम पढ़ कर अपने ऊपर दम कर लिया करे और अल्लाह के इस नाम को कागज़ पर लिख कर उसे पानी में दाल कर उसका पानी पिए इंशाअल्लाह बुराइयों से हिफ़ाज़त रहेगी।

53. अल क़विय्यु (Al-Qawiyyu)
( बड़ी ताक़त और क़ुव्वत वाला )

अगर कोई रोज़ी और रिज्क में तंगी से बहत परेशान हो तो उसे चाहिए अल्लाह का ये नाम एक हज़ार बार पढ़े और उसके साथ ही क़ुर आन की ये आयत भी पढ़े अल्लाहु लातीफुम बि इबादिही यारज़ुकु मै यशाउ बिगैरी हिसाब तो इंशाअल्लाह रोज़ी और रिज्क के दरवाज़े उस पर खुल जायेंगे।

अगर अल्लाह के इस नाम को कोई कम हिम्मत पढ़ेगा तो वो बा हिम्मत हो जायेगा और अगर कोई कमज़ोर पढ़ेगा तो वो ताक़तवर हो जायेगा।

54. अल मतीनु (Al-Mateenu)
( बड़े इक़तिदार व क़ुव्वत वाला )

अगर कोई बुरी आदत वाला लड़का या लड़की अपनी आदतों में सुधार लाना चाहता हो तो उसे चाहिए कि दस बार अल क़विय्युल मतीन पढ़ा करे इंशाअल्लाह बहुत जल्द सुधार आ जायेगा।

55. अल वलिय्यु (Al-Waliyyu)
( मदद और हिमायत करने वाला )

अगर कोई शख्स अपनी बीवी की आदतों से खुश न हो उसे चाहिए कि जब भी वो उसके सामने जाये तो अल्लाह के इस नाम को पढ़ लिया करे इंशाअल्लाह इंशाअल्लाह आदत में बदलाव आ जायेगा।

56. अल हमीदु (Al-Hameedu)
तारीफ़ के लाएक़

अगर कोई फ़ज्र की नमाज़ के बाद अल्लाह के इस नाम को पढ़ कर हाथ पर दम करके चेहरे पर फेर लिया करे तो यक़ीनन अल्लाह तआला उसे इज्ज़त और चेहरे का नूर अता फ़रमाएंगे।

अगर कोई बेहूदा और गन्दी बातों का आदी हो और चाह कर भी न इस से न बच पता हो तो उसे चाहिए कि एक प्याले पर अल्लाह के इस नाम को लिखे और इस नाम को 90 बार पढ़ कर उस पर दम भी करे और हमेशा इसी प्याले से पानी पिए तो इंशाअल्लाह इस बेहूदगी से हिफ़ाज़त हो जाएगी।

57. अल मुह्सी (Al-Muhsi)
अपने इल्म और शुमार में रखने वाला

अगर कोई शख्स दस बार अल्लाह के इस नाम को रोज़ाना पढ़ लिया करे तो इंशाअल्लाह वो अल्लाह की हिफ़ाज़त में आ जायेगा।

58. अल मुब्दिउ (Al-Mubdee)
पहली बार पैदा करने वाला

अगर कोई अल्लाह के इस नाम को पढने का रूटीन बना ले तो इंशाअल्लाह उसकी ज़ुबान से सही और दुरुस्त बात ही निकलेगी।

किसी का अगर कोई माल चोरी हो गया हो तो वो इस नाम को पढ़ा करे इंशाअल्लाह उस माल का जल्द ही पता चल जायेगा।

59. अल मुईदु (Al-Muidu)
दोबारा पैदा करने वाला

कोई बात भूल गयी और याद न आ रही हो तो या मुब्दिउ या मुईदु पढ़े तो इंशाअल्लाह वो बात याद आ जाएगी।

अगर घर का कोई शख्स खो गया हो तो उसको वापस लाने के लिए अमल करें कि जब सब लोग सो जाएँ तो उस वक़्त घर के चारों कोनों में “या मुईदु” 70, 70 बार पढ़े तो इंशाअल्लाह खोया हुआ इन्सान वापस आ जायेगा या उसका पता मिल जायेगा।

60. अल मुह्यी (Al-Muhyi)
( ज़िन्दा करने वाला )

अगर कोई शख्स बीमार हो और वो अल्लाह के इस नाम को खूब पढ़े या किसी दुसरे बीमार पर पढ़ कर दम कर दे तो इंशाअल्लाह बहुत जल्द तंदुरुस्त हो जायेगा।

61. अल मुमीतु (Al-Mumeetu)
( मौत देने वाला )

जिसको फ़िजूल खर्ची की आदत हो या इबादत करने का दिल बिलकुल न चाहता हो तो वो अल्लाह के इस नाम को पढ़ा करे – और पढने का तरीक़ा ये है रात को जब सोने लगे तो इस नाम पढ़ें और पढ़ते पढ़ते सो जाएँ।

62. अल हय्यु (Al-Hayyu)
( हमेशा ज़िन्दा रहने वाला )

अल्लाह त आला के इस नाम को चीनी के बर्तन मुश्क और गुलाब से लिखे फिर उसे मीठे पानी से धोये और उस धुले हुए पानी को किसी बीमार को पिला दे तो इंशाअल्लाह कामिल शिफ़ा नसीब होगी।

63. अल क़य्यूमु (Al-Qayyoomu)
( सब को सँभालने और क़ायम रखने वाला )

अगर कोई फ़ज्र की नमाज़ से लेकर सूरज निकलने तक “या हय्यु या क़य्यूमु” पढ़े तो इंशाअल्लाह उसकी काहिली सुस्ती दूर हो जाएगी।

अगर कोई शख्स रोज़ाना अल्लाह के इस नाम को 17 बार पढ़ेगा इंशाअल्लाह उसका हाफिज़ा ( memory) मज़बूत हो जायेगा।

अगर किसी को बहुत ज़्यादा सोने की आदत हो तो उसके सर पर ये आयत पढ़ कर दम करे “अल्लाहु ला इलाहा इल्लाहुवल हय्युल क़य्यूम” इंशाअल्लाह नीं द में कमी आ जाएगी।

64. अल वाजिदु (Al-Waajidu)
( जो किसी का मोहताज न हो हर चीज़ उसके पास हो )

अगर कोई शख्स खाना खाते खाते “या वाजिदु” का भी विर्द रखे इंशाअल्लाह वो खाना उसके दिल में नूर और ताक़त पैदा करेगा।

65. अल माजिदु (Al-Majidu)
( बड़ाई और बुज़ुर्गी वाला )

अगर कोई शख्स अल्लाह के इस नाम को दस बार पढ़ कर शरबत पर दम कर के पीता रहे तो इंशाअल्लाह वो बीमार नहीं होगा।

66. अल वाहिदु (Al-Wahidu)
( एक और अकेला )

अगर किसी के यहाँ औलाद न होती हो तो उसे चाहिए कि अल वाहिदुल अहद लिख कर अपने पास रखे इंशाअल्लाह नेक औलाद की नेअमत नसीब होगी।

अगर कोई एक हज़ार बार अल वाहिदुल अहद को पढ़ लिया करे तो दुनिया की मुहब्बत और उसका खौफ़ उसके दिल से जाता रहेगा।

67. अल अहद (Al-Ahad)
( अपनी ज़ात व सिफ़ात में यक्ता )

अगर किसी को सांप ने काट लिया हो तो उस पर एक सौ एक बार अल वाहिदुल अहदपढ़ कर दम करे इंशाअल्लाह मरीज़ सेहत्याब होगा।

68. अस समद (As-Samad)
( बेनियाज़, जो किसी का मोहताज न हो )

अगर कोई शख्स इस नाम को एक सौ चौतीस बार (134) पढ़े तो इंशाअल्लाह वो भूका नहीं रहेगा।

69. अल क़ादिरू (Al-Qadiru)
( क़ुदरत वाला )

अगर किसी शख्स को किसी काम में मुश्किल पेश आ रही हो तो उसे चाहिए कि “या क़ादिरू” को 41 बार पढ़े इंशाअल्लाह वो मुश्किल दूर हो जाएगी।

यक़ीनन अल्लाह हर मुमकिन और नामुमकिन सब चीज़ पर क़ादिर है, वो बस कह देता है हो जा तो वो चीज़ हो जाती है, उसके क़ब्ज़े और क़ुदरत में सारी कायनात है। वो जिसको चाहे जिला दे जिसको चाहे मार जिसको चाहे शिफ़ा दे और जिसको चाहे मरीज़ बना दे, उसका नाम शिफ़ा है उसका कलाम शिफ़ा है उसका ज़िक्र शिफ़ा है और उसकी याद शिफ़ा है।

70. अल मुक्तदिरू (Al-Muqtadiru)
पूरी क़ुदरत रखने वाला

जो सोकर उठने के बाद खूब या कम से कम 20 बार अल्लाह तआला के इस नाम की तस्बीह पढ़ा करे इंशाअल्लाह उस के तमाम काम आसान हो जायेंगे।

71. अल मुक़द्दिमु (Al-Muqaddimu)
( आगे रखने वाला )

अगर कोई अल्लाह के इस नाम को 9 बार पढ़ कर किसी को खिलाये तो वो उससे मुहब्बत करने लगेगा – लेकिन नाजायेज़ और ग़लत मक़सद के लिए ये अमल करना न सिर्फ नाजायेज़ बल्कि हराम भी है और नुक़सान दह है।

72. अल मुअख्खिरू (Al-Muakhkhiru)
( पीछे रखने वाला )

अल्लाह के इस नाम की तस्बीह अगर कोई शख्स करता है तो इंशाअल्लाह उसे सच्ची तौबा नसीब होगी।

अल्लाह तआला का ये नाम अगर सौ बार पाबन्दी से रोज़ाना पढ़ा जाये तो इंशाअल्लाह अल्लाह की ऐसी क़ुरबत नसीब होगी कि उसके बगैर चैन नहीं आएगा।

73. अल अव्वल (Al-Awwalu)
( सब से पहला )

किसी की औलाद न होती हो और बेऔलादी की ज़िन्दगी गुज़र रही हो तो उसे चाहिए कि अल्लाह का ये नाम चालीस बार पढ़ा करे तो इंशाअल्लाह उसकी मुराद पूरी होगी।

कोई शख्स अगर सफ़र की हालत में हो और घर जल्द वापस लौटना चाहता हो तो उसे चाहिए कि जुमा के दिन एक हज़ार बार अल्लाह के इस नाम को पढ़े इंशाअल्लाह बहुत जल्द खैरियत से वतन वापस आ जायेगा।

74. अल आखिरू (Al-Akhiru)
( सब से पिछला )

अल्लाह के इस नाम को ईशा की नमाज़ के बाद अगर सौ बार पढने की आदत बना ली जाये तो इंशाअल्लाह उसकी बाद की उम्र पहली उम्र से बेहतर होगी।

75. अज़ ज़ाहिरु (Az-Zahiru)
( ज़ाहिर व आशकार )

अगर कोई शख्स इशराक़ की नमाज़ पढ़े और उसके बाद अल्लाह के इस नाम को पांच सौ बार पढ़े इंशाअल्लाह अल्लाह तआला उसके दिल में नूर और रौशनी अता फ़रमाएंगे।

76. अल बातिनु (Al-Batinu)
( पोशीदा व पिन्हा )

जो शख्स दो रकात नमाज़ अदा करने के बाद “हुवल अव्वलु वल आखिरू वज़ ज़ाहिरु वल बातिनु वहुवा अला कुल्लि शै इन क़दीर पढ़ा करे इंशाअल्लाह उसकी तमाम ज़रूरतें पूरी हो जाएँगी।

77. अल वाली (Al-Wali)
( मालिक और मुतवल्ली )

अगर कोई अल्लाह के इस नाम को ख़ूब पढ़े तो इंशाअल्लाह वो अचानक आने वाली आफ़तों से महफूज़ हो जायेगा।

78. अल मु तआली (Al-Muta Aali)
( सब से बलन्द बरतर )

कोई औरत अगर इस नाम को अपने हैज़ ( माहवारी ) के दिनों में पढ़ा करे तो इंशाअल्लाह तकलीफ़ दूर हो जाएगी।

79. अल बर्रू (Al-Barru)
( अच्छा सुलूक करने वाला )

जो शख्स शराब पीने, जिना करने जैसी बदकारियों में गिरफ़्तार हो तो उसे चाहिए कि हर रोज़ सात बार अल्लाह तआला के इस नाम को पढ़ा इंशाअल्लाह गुनाहों की चाहत दिल से खत्म हो जाएगी।

बच्चे की पैदाइश के बाद ही अगर कोई सात बार इस नाम को पढ़ कर दम करे और अल्लाह के सुपुर्द कर दे वो बालिग़ होने तक इंशाअल्लाह तमाम आफ़तों से महफूज़ हो जायेगा।

80. अत तव्वाब ( At-Tawwab)
( तौबा क़ुबूल करने वाला )

अगर कोई शख्स “या तव्वाबु” चाश्त की नमाज़ के बाद 360 बार पढ़े इंशाअल्लाह उसे सच्ची तौबा नसीब होगी।

81. अल मुन्तक़िमु (Al-Muntaqim)
( बदला लेने वाला )

अगर कोई शख्स हक़ पर हो लेकिन दुश्मन उससे ताक़त वर हो और उससे बदला लेने की ताक़त उसके अन्दर न हो तो उसे चाहिए कि तीन जुमे तक खूब “या मुन्तक़िमु” की तस्बीह पढ़े इंशाअल्लाह अल्लाह तआला उस से ख़ुद इन्तेकाम लेंगे।

82. अल अफुव्वु (Al-Afuwwu)
( बहुत ज़्यादा माफ़ करने वाला )

अल्लाह के इस नाम को जो शख्स खूब पढ़ता है तो अल्लाह तआला उसके गुनाहों को माफ़ फरमा देंगे और नेक अमल की तौफ़ीक़ अता फ़रमाएंगे।

83. अर रऊफु (Ar-Raufu)
( बहुत महरबान )

अगर किसी पर गुस्सा सवार हो तो उसे चाहिए कि दस बार दुरूद शरीफ़ के साथ दस बार अल्लाह के इस नाम को पढ़ ले।इंशाअल्लाह गुस्सा ख़त्म हो जायेगा। ( अगर किसी दुसरे शख्स पर भी पढ़ कर दम कर दे तो वो भी गुस्से से बाहर आ जाये )

84. मालिकुल मुल्क
( मुल्कों का मालिक )

जो शख्स “या मालिकुल मुल्क की तस्बीह हमेशा पढ़ता रहेगा तो अल्लाह त आला उसको गनी और बेनियाज़ फरमा देंगे और वो किसी का मुहताज नहीं रहेगा।

85. ज़ुल जलालि वल इकराम
( अज़मत व जलाल और इनआम व इकराम वाला )

अगर कोई शख्स सौ बार “या ज़ल जला लिवल इकराम बि-यदिकल खैर व अन्ता अला कुल्लि शैइन क़दीर” पढ़ कर पानी पर दम करे और उस पानी को किसी बीमार को पिला दे तो इंशाअल्लाह बीमार शिफ़ा पायेगा।

86. अल मुक्सितु
( इन्साफ क़ायम करने वाला )

अगर कोई अल्लाह तआला के इस नाम को सौ बार पढ़ता रहेगा तो इंशाअल्लाह वो शैतानी वस्वसों से महफूज़ हो जायेगा।
किसी ख़ास और जाएज़ मक़सद के लिए सात सौ बार इस नाम को पढ़ेगा तो इंशाअल्लाह उसका मक़सद हासिल होगा।

87. अल जामिउ (Al-Jamiu)
( सब को जमा करने वाला )

जाएज़ मुहब्बत के लिए अगर कोई ये दुआ पढ़े तो इंशाअल्लाह बेमिसाल फ़ायदा होगा। “अल्लाहुम्मा या जामिअन नासि लियौमिल ला रैबा फ़ीहि इजमअ’ दाल्लती”

88. अल ग़निय्यु (Al-Ganiyyu)
( बड़ा बेनियाज़ और बेपरवा )

रोज़ाना “ या गनिय्यु“ सत्तर बार अगर कोई शख्स पढ़ लिया करे तो इंशाअल्लाह उसके माल में बरकत होगी और वो किसी का मोहताज न रहेगा।

89. अल मुग्नी (Al-Mugni)
( बेनियाज़ और गनी बनाने वाला )

कोई बहुत ग़रीब हो तो उसे चाहिए कि फ़ज्र की नमाज़ के वक़्त फ़र्ज़ और सुन्नतों के दरमियान दो सौ बार, ज़ुहर असर और मगरिब के बाद दो सौ बार, और ईशा की नमाज़ के बाद तीन सौ बार ये नाम पढ़े तो इंशाअल्लाह वो ग़रीब और मोहताज नहीं रहेगा और गनी हो जायेगा।

जिस्म में जिस जगह दर्द या तकलीफ़ हो उस जगह इस नाम को पढ़कर दम करने से इंशाअल्लाह तकलीफ़ जाती रहेगी।

90. अल मानिउ (Al-Maniu)
( रोक देने वाला )

शौहर का बीवी से किसी बात पर झगड़ा हो जाये या आपस में नाराज़गी हो जाये तो बिस्तर पर लेटते वक़्त बीस बार अल्लाह के इस नाम को पढ़ लिया करे इंशाअल्लाह नाराज़गी ख़त्म हो जाएगी।

91. अद दार्रू (Ad-Darru)
( नुक़सान पहुँचाने वाला )

जुमे की रात में सौ बार अल्लाह के इस नाम को अगर कोई शख्स पढ़ेगा तो इंशाअल्लाह ज़ाहिरी और बातिनी आफतें उस से रोक दी जाएँगी।

92. अन नाफ़िउ (An-Nafiu)
( नफ़ा और फ़ायदा पहुँचाने वाला )

किसी काम के शुरू करते वक़्त अगर “या नाफ़िउ“ इक्तालीस बार पढ़ ले तो इंशाअल्लाह वो काम बिगड़ने से बच जायेगा और अपनी मंशा के मुताबिक़ होगा।

गाड़ी या किसी सवारी पर सवार हो जाने के बाद अल्लाह के इस नाम को जो पढ़ता रहेगा तो इंशाअल्लाह हाद्सों और आफ़तों से महफूज़ रहेगा।

93. अन नूरु (An-Nooru)
( रौशन करने वाला )

जो शख्स जुमा की रात में पहले सात बार पहले सूरह नूर पढ़े फिर एक हज़ार बार अल्लाह के इस नाम को पढ़े तो इंशाअल्लाह उसका दिल अल्लाह के नूर से रौशन और मुनव्वर हो जायेगा।

94. अल हादियु (Al-Hadiyu)
( हिदायत देने वाला )

अगर कोई सफ़र में हो और रास्ता तलाश करने पर भी न मिल रहा हो तो उसे ये पढ़ना चाहिए “या हादी इहदि” इंशाअल्लाह रास्ता मिल जायेगा।

सीधे रास्ते से अगर कोई भटका हुआ हो और लेकिन उसे सही रास्ते की तलाश हो तो उसे चाहिए ईशा की नमाज़ के बाद ग्यारह सौ बार पढ़े “या हादी इह्दिनस सिरातल मुस्तक़ीम” इंशाअल्लाह सीधे रास्ते की हिदायत मिलेगी।

95. अल बदीउ (Al-Badeeu)
बेमिसाल चीज़ों को इजाद करने वाला

अगर अल्लाह तआला के इस नाम की तस्बीह खूब पढ़े तो अल्लाह की जानिब से उसके लिए इल्म हिकमत के दरवाज़े खोल दिए जायेंगे और उसकी ज़ुबान पर ऐसी इल्म की बातें जारी होंगे जो इस से पहले उसने सोचा भी नहीं था।

अगर किसी को कोई तकलीफ़ गम या मुसीबत पेश आये तो उसे पढ़ना चाहिए या बदीअस समावाति वल अरदि पढ़े तो इंशाअल्लाह मुश्किलों का हल ज़रूर निकलेगा।

96. अल बाक़ी (Al-Baqi)
( हमेशा बाक़ी रहने वाला )

अगर कोई शख्स जुमे की रत में एक हज़ार बार इस नाम को पढ़ेगा तो अल्लाह त आला उसे तमाम आमाल क़ुबूल करेंगे और ग़मों से छुटकारा नसीब होगा।

97. अल वारिसु (Al-Warisu)
( तमाम चीज़ों का हक़ीक़ी व असली मालिक )

अगर कोई अल्लाह के इस नाम की तस्बीह पढ़ेगा तो इंशाअल्लाह उसके काम आसान हो जायेंगे और माल में बरकत होगी।

98. अर रशीदु (Ar-Rasheedu)
( सही राह दिखाने वाला )

किसी को अपना मक़सद या काम की तदबीर समझ में न आती हो तो उसे चाहिए कि मगरिब और ईशा की नमाज़ के बाद “या रशीदु”एक हज़ार बार पढ़े इंशाअल्लाह ख्व़ाब में तदबीर नज़र आ जाएगी।

99. अस सबूरू (As-Sabooru)
( बहुत बर्दाश्त करने वाला )

अगर कोई शख्स किसी मुसीबत में घिर गया हो और निकलना चाहता हो तो उसे चाहिए कि एक हज़ार बीस बार इस नाम को पढ़े इंशाअल्लाह नजात मिलेगी और दिल को सुकून मिलेगा।

कोई भी ज़रुरत अगर पेश आ जाये तो अल्लाह का ये नाम 298 बार पढ़ें। अल्लाह हमें अपने नामों की दौलत से मालामाल फ़रमाए।

अगर आपने अल्लाह के पहले के 1-50 तक के नामों का हिंदी मतलब उनके फ़ज़ाइल को नही जाना है तो जानने के लिए पढ़ें: – Allah Ke 99 Naam Hindi Mein- Part 1

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