Last updated on जुलाई 23rd, 2023 at 08:23 अपराह्न
Alif Laam Meem Surah in Hindi: – दोस्तों अगर आप अलिफ़ लाम मीम सूरह को हिंदी में पढ़ना चाहते हैं तो आप बिलकुल सही जगह हो।
Alif Laam Meem Surah Baqarah In Hindi
इस पोस्ट में हमने सूरह बकराह यानी की अलिफ़ लाम मीम सूरह के रुकू 4-5 तक को हिंदी में तर्जुमा के साथ मौजूद कराया है।
आप अलिफ़ लाम मीम सूरह के इन रुकु को आनी से पढ़ सकते हैं।
📌 नोट: - हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम कुरान को अरबी में ही पढ़ें। जिससे हमारे अल्फाज़ ठीक-ठीक निकलें।
▶️ यह भी पढ़ें: – सूरह बकराह के रुकू 1-3 तक
Alif Laam Meem Surah (Surah Bakarah) In Hindi
सूरह बकराह हिंदी में तर्जुमा के साथ
Alif Laam Meem Surah In Hindi रुकू- 4
व इज् का-ल रब्बु-क लिल्मलाइ-कति इन्नी जाअिलुन् फिल्अर्जि ख़ली-फ़तन् , कालू अ-तज्-अलु फ़ीहा मंय्युफ्सिदु फ़ीहा व यसफ़िकुद्दिमा-अ, व नह्नु नुसब्बिहु बिहम्दि-क व नुकद्दिसु ल-क , का-ल इन्नी अअ्लमु मा ला तअ्लमून (30)
और याद करो जब तुम्हारे रब ने फ़रिश्तों से कहा कि “मैं धरती में (मनुष्य को) ख़लीफ़ा (सत्ताधारी) बनानेवाला हूँ।” उन्होंने कहा, “क्या उसमें उसको रखेगा, जो उसमें बिगाड़ पैदा करे और रक्तपात करे और हम तेरा गुणगान करते और तुझे पवित्र कहते हैं?” उसने कहा, “मैं जानता हूँ जो तुम नहीं जानते।”
व अल्ल-म आ-दमल् अस्मा-अ कुल्लहा सुम्-म अ-र-ज़ हुम् अलल्-मलाइ-कति फ़का-ल अम्बिऊनी बिअस्मा-इ हा-उ ला-इ इन कुन्तुम सादिक़ीन (31)
उसने (अल्लाह ने) आदम को सारे नाम सिखाए, फिर उन्हें फ़रिश्तों के सामने पेश किया और कहा, “अगर तुम सच्चे हो तो मुझे इनके नाम बताओ।”
कालू सुब्हा-न-क ला-अिल-म-लना इल्ला मा अल्लम्तना इन्न-क अन्तल अलीमुल-हकीम (32)
वे बोले, “पाक और महिमावान है तू! तूने जो कुछ हमें बताया उसके सिवा हमें कोई ज्ञान नहीं। निस्संदेह तू सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है।”
का-ल या आदमु अमबिअ्हुम बिअस्मा-इहिम् फ-लम्मा अम्-ब-अहुम् बिअस्मा-इहिम् का-ल अलम् अकुल्लकुम् इन्नी अअ़लमु गैबस्समावाति वल्अर्ज़ि व अअ्लमु मा तुब्दू-न व मा कुन्तुम् तक्तुमून (33)
उसने (अल्लाह ने) कहा, “ऐ आदम! उन्हें उन लोगों के नाम बताओ।” फिर जब उसने उन्हें उनके नाम बता दिए तो (अल्लाह ने) कहा, “क्या मैंने तुमसे कहा न था कि मैं आकाशों और धरती की छिपी बातों को जानता हूँ और मैं जानता हूँ जो कुछ तुम ज़ाहिर करते हो और जो कुछ छिपाते हो।”
व इज् कुल्ना लिल्-मलाइ-कतिस्जुदू लिआ-द-म फ़-स-जदू इल्ला इब्लीस, अबा वस्तक्ब-र व का-न मिनल्काफ़िरीन (34)
और याद करो जब हमने फ़रिश्तों से कहा कि “आदम को सजदा करो” तो, उन्होंने सजदा किया सिवाय इबलीस के; उसने इनकार कर दिया और लगा बड़ा बनने और काफ़िर हो रहा।
व कुल्ना या आ-दमुस्कुन् अन्-त व जौजुकल-जन्न-त व कुला मिन्हा र-ग़दन हैसु शिअतुमा व ला तक्रबा हाज़िहिश् श-ज-र-त फ़-तकूना मिनज्-ज़ालिमीन (35)
और हमने कहा, “ऐ आदम! तुम और तुम्हारी पत्नी जन्नत में रहो और वहाँ जी भर बेरोक-टोक जहाँ से तुम दोनों का जी चाहे खाओ, लेकिन इस वृक्ष के पास न जाना, अन्यथा तुम ज़ालिम ठहरोगे।”
फ-अज़ल्-लहुमश्-शैतानु अन्हा फ-अख्र-जहुमा मिम्मा काना फीही व कुल-नहबितू बअजुकुम लिबअज़िन् अदुव्वुन् व लकुम् फिलअर्जि मुस्तकर्रूंव व मताअुन् इलाहीन (36)
अन्ततः शैतान ने उन्हें वहाँ से फिसला दिया, फिर उन दोनों को वहाँ से निकलवाकर छोड़ा, जहाँ वे थे। हमने कहा कि “उतरो, तुम एक-दूसरे के शत्रु होगे और तुम्हें एक समय तक धरती में ठहरना और बिलसना है।”
फ़-त लक्का आदमु मिर्रब्बिही कलिमातिन् फ़ता-ब अलैहि , इन्नहू हुवत्तव्वाबुर्रहीम (37)
फिर आदम ने अपने रब से कुछ शब्द पा लिए, तो अल्लाह ने उसकी तौबा क़बूल कर ली; निस्संदेह वही तौबा क़बूल करने वाला, अत्यन्त दयावान है।
कुल्नहबितू मिन्हा जमीअन् फ़-इम्मा यअतियन्नकुम् मिन्नी हुदन फ़-मन् तबि-अ हुदा-या फला खौफुन अलैहिम् व ला हुम् यह्ज़नून (38)
हमने कहा, “तुम सब यहाँ से उतरो, फिर यदि तुम्हारे पास मेरी ओर से कोई मार्गदर्शन पहुँचे तो जिस किसी ने मेरे मार्गदर्शन का अनुसरण किया, तो ऐसे लोगों को न तो कोई भय होगा और न वे शोकाकुल होंगे।”
वल्लज़ी-न क-फरू व कज्जबू बिआयातिना उलाइ-क अस्हाबुन्नारि, हुम् फ़ीहा ख़ालिदून (39)*
और जिन लोगों ने इनकार किया और हमारी आयतों को झुठलाया, वही आग में पड़नेवाले हैं, वे उसमें सदैव रहेंगे।
Alif Laam Meem Surah In Hindi रुकू- 5
या बनी इस्राइलज्कुरू निअ्मतियल्लती अन्अम्तु अलैकुम् व औफू बि-अ़हदी ऊफि़ बि-अहदिकुम् व इय्या-य फरहबून (40)
ऐ इसराईल की सन्तान! याद करो मेरे उस अनुग्रह को जो मैंने तुमपर किया था। और मेरी प्रतिज्ञा को पूरा करो, मैं तुमसे की हुई प्रतिज्ञा को पूरा करूँगा, और हाँ, मुझी से डरो।
व आमिनू बिमा अन्ज़ल्तु मुसद्दिकल्लिमा म-अकुम् व ला तकूनू अव्व-ल काफ़िरिम् बिहि व ला तश्तरू बिआयाती स्-म-नन् कलीलंव व इय्या-य फत्तकून (41)
और ईमान लाओ उस चीज़ पर जो मैंने उतारी है, जो उसकी पुष्टि में है, जो तुम्हारे पास है, और सबसे पहले तुम ही उसके इनकार करनेवाले न बनो। और मेरी आयतों को थोड़ा मूल्य प्राप्त करने का साधन न बनाओ, मुझसे ही तुम डरो।
व ला तल्बिसुल-हक्-क बिल्बातिलि व तक्तुमुल्हक्-क व अन्तुम् तअलमून (42)
और सत्य में असत्य का घाल-मेल न करो और जानते-बूझते सत्य को मत छिपाओ ।
व अकीमुस्सला-त व आतुज्जका-त वर्-कअू म-अर्राकिअीन (43)
और नमाज़ क़ायम करो और ज़कात दो और (मेरे समक्ष) झुकनेवालों के साथ झुको
अ-तअ्मुरूनन्ना-स बिल्बिर्रि व तन्सौ-न अन्फुसकुम् व अन्तुम् तत्लूनल-किता-ब , अ-फला तअ्किलून (44)
क्या तुम लोगों को तो नेकी और एहसान का उपदेश देते हो और अपने आपको भूल जाते हो, हालाँकि तुम किताब भी पढ़ते हो? फिर क्या तुम बुद्धि से काम नहीं लेते?
वस्तअीनू बिस्सबरि वस्सलाति , व इन्नहा ल-कबी-रतुन् इल्ला अलल-ख़ाशिअीन (45)
धैर्य और नमाज़ से मदद लो, और निस्संदेह यह (नमाज़) बहुत कठिन है, किन्तु उन लोगों के लिए नहीं जो विनम्र होते हैं
अल्लज़ी-न यजुन्नू-न अन्नहुम-मुलाकू रब्बिहिम् व अन्नहुम् इलैहि राजिअून•(46)*
जो समझते हैं कि उन्हें अपने रब से मिलना है और उसी की ओर उन्हें पलटकर जाना है।
Alif Laam Meem Surah रुकू- 6
या बनी इस्राईलज्कुरू निअ्मतियल्लती अन्अम्तु अलैकुम् व अन्नी फज्जल्तुकुम् अलल् आलमीन (47)
ऐ इसराईल की सन्तान! याद करो मेरे उस अनुग्रह को जो मैंने तुमपर किया था और इसे भी कि मैंने तुम्हें सारे संसार पर श्रेष्ठता प्रदान की थी;
वत्तकू यौमल्ला तज्ज़ी नफ्सुन् अन्नफ्सिन् शैअंव व ला युक्बलु मिन्हा शफ़ा-अतुंव व ला युअ्-खजु मिन्हा अद्लुंव व ला हुम् युन्सरून(48)
और डरो उस दिन से जब न कोई किसी की ओर से कुछ तावान भरेगा और न किसी की ओर से कोई सिफ़ारिश ही क़बूल की जाएगी और न किसी की ओर से कोई फ़िद्या (अर्थदंड) लिया जाएगा और न वे सहायता ही पा सकेंगे।
व इज नज्जैनाकुम मिन् आलि फिरऔ-न यसूमू-नकुम् सूअल-अज़ाबि युज़ब्बिहू-न अब्ना-अकुम् व यस्तह्यू-न निसा-अकुम् व फी जालिकुम बलाउम् मिर्रब्बिकुम् अ़जी़म (49)
और याद करो जब हमने तुम्हें फ़िरऔनियों से छुटकारा दिलाया, जो तुम्हें अत्यन्त बुरी यातना देते थे, तुम्हारे बेटों को मार डालते थे और तुम्हारी स्त्रियों को जीवित रहने देते थे; और इसमें तुम्हारे रब की ओर से बड़ा अनुग्रह था।
व इज् फ़-रक्ना बिकुमुल्-बह्-र फ़-अन्जैनाकुम् व अग्-रक्ना आ-ल फ़िरऔ-न व अन्तुम् तन्जुरून (50)
याद करो जब हमने तुम्हें सागर में अलग-अलग चौड़े रास्ते से ले जाकर छुटकारा दिया और फ़िरऔनियों को तुम्हारी आँखों के सामने डूबो दिया।
व इज् वाअ़दना मूसा अर्-बअी़-न लै-लतन् सुम्मत्तखज्तुमुल्-अिज्-ल मिम्-बअ्दिही व अन्तुम् ज़ालिमून (51)
और याद करो जब हमने मूसा से चालीस रातों का वादा ठहराया तो उसके पीछे तुम बछड़े को अपना देवता बना बैठे, तुम अत्याचारी थे।
सुम्-म अ़फौना अ़न्कुम मिम्-बअदि ज़ालि-क लअल्लकुम् तश्कुरून (52)
फिर इसके पश्चात भी हमने तुम्हें क्षमा किया, ताकि तुम कृतज्ञता दिखलाओ।
व इज् आतैना मूसल-किता-ब वल्फुरका-न लअल्लकुम् तह्तदून (53)
और याद करो जब मूसा को हमने किताब और कसौटी प्रदान की, ताकि तुम मार्ग पा सको।
व इज् का-ल मूसा लिक़ौमिही या कौमि इन्नकुम् ज़-लम्तुम अन्फु-सकुम् बित्तिख़ाज़िकुमुल्-अिज्-ल फ़तूबू इला बारिइकुम् फक्-तुलू अन्फु-स-कुम् , जा़लिकुम् खैरूल्लकुम् अिन्-द बारिइकुम् , फ़ता – ब अलैकुम इन्नहू हुवत्तव्वाबुर्रहीम (54)
और जब मूसा ने अपनी क़ौम से कहा, “ऐ मेरी क़ौम के लोगो! बछड़े को देवता बनाकर तुमने अपने ऊपर ज़ुल्म किया है, तो तुम अपने पैदा करनेवाले की ओर पलटो, अतः अपने लोगों को स्वयं क़त्ल करो। यही तुम्हारे पैदा करनेवाले की द्रष्टि में तुम्हारे लिए अच्छा है, फिर उसने तुम्हारी तौबा क़बूल कर ली। निस्संदेह वह बड़ा तौबा क़बूल करनेवाला, अत्यन्त दयावान है।”
व इज् कुल्तुम् या मूसा लन्-नुअ्-मिन-ल-क हत्ता नरल्ला-ह जह्-रतन् फ़-अ खज़त्कुमुस्साअि-कतु व अन्तुम् तन्जु़रून (55)
और याद करो जब तुमने कहा था, “ऐ मूसा, हम तुमपर ईमान नहीं लाएँगे जब तक अल्लाह को खुल्लम-खुल्ला न देख लें।” फिर एक कड़क ने तुम्हें आ दबोचा और तुम देखते रहे।
सुम्-म बअस्नाकुम् मिम्-बअ्दि मौतिकुम् लअ़ल्लकुम् तश्कुरून (56)
फिर तुम्हारे निर्जीव हो जाने के पश्चात हमने तुम्हें जिला उठाया, ताकि तुम कृतज्ञता दिखलाओ।
व जल्लल्ना अलैकुमुल्-ग़मा-म व अन्ज़ल्ना अलैकुमुल्मन्-न वस्सल्वा , कुलू मिन् तय्यिबाति मा रज़क्नाकुम् , व मा ज़-लमूना व लाकिन् कानू अन्फु-सहुम् यज्लिमून (57)
और हमने तुमपर बादलों की छाया की और तुमपर ‘मन्न’ और ‘सलवा’ उतारा – “खाओ, जो अच्छी पाक चीज़ें हमने तुम्हें प्रदान की हैं।” उन्होंने हमारा तो कुछ भी नहीं बिगाड़ा, बल्कि वे अपने ही ऊपर अत्याचार करते रहे।
व इज् कुल्नद्ख़ुलू हाज़िहिल् कर-य-त फकुलू मिन्हा हैसू शिअ्तुम र-गदंव वद्खुलुल-बा-ब सुज्जदंव व-कूलू हित्ततुन् नगफिर लकुम ख़तायाकुम् , व स-नज़ीदुल् मुह्सिनीन (58)
और जब हमने कहा था, “इस बस्ती में प्रवेश करो, फिर उसमें से जहाँ से चाहो जी भर खाओ, और बस्ती के द्वार में सजदागुज़ार बनकर प्रवेश करो और कहो, “छूट है।” हम तुम्हारी ख़ताओं को क्षमा कर देंगे और अच्छे से अच्छा काम करनेवालों पर हम और अधिक अनुग्रह करेंगे।”
फ-बद्-दल्-लज़ी-न ज़-लमू कौलन् गैरल्लज़ी की-ल लहुम् फ़-अन्ज़ल्ना अलल्लज़ी-न ज़लमू रिज्ज़म् – मिनस्-समा-इ बिमा कानू यफ्सुकू़न (59)*
फिर जो बात उनसे कही गई थी ज़ालिमों ने उसे दूसरी बात से बदल दिया। अन्ततः ज़ालिमों पर हमने, जो अवज्ञा वे कर रहे थे उसके कारण, आकाश से यातना उतारी।
आगे के रुकू को पढ़ने के लिए हमारी दूसरी पोस्ट को पढ़ें… अलिफ़ लाम मीम सूरह रुकू 7-9
Leave a Comment