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two muslim boy performing dua with quran in middle and alif laam meem surah in hindi ruku 17-30

Surah-2 Alif Laam Meem in Hindi | सूरह बकराह हिंदी में रुकू 31-40

Category: Surah Bakarah (Alif Laam Meem) | सूरह बकराह, Surah in Hindi | सभी सूरह हिंदी में

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Alif Laam Meem Surah in Hindi: – दोस्तों जैसा कि आपने हमारी पिछली पोस्ट में सूरह बक़रह यानी की अलिफ़ लाम मीम सूरह के रुकू 1-16 तक पढ़े थे।

two muslim boy performing dua with quran in middle and alif laam meem surah in hindi ruku 17-30

इस पोस्ट में हमने सूरह बकराह यानी की अलिफ़ लाम मीम सूरह के रुकू 17-30 तक को हिंदी में तर्जुमा के साथ मौजूद कराया है।

आप अलिफ़ लाम मीम सूरह के इन रुकु को आनी से पढ़ सकते हैं।

📌 नोट: - हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम कुरान को अरबी में ही पढ़ें। जिससे हमारे अल्फाज़ ठीक-ठीक निकलें।

▶️ यह भी पढ़ें: – सूरह बकराह के रुकू 1-3 तक | रुकू 4-6 तक | रुकू 7-9 तक | रुकू 10-16 तक | रुकू 17-30 तक


Alif Laam Meem Surah (Surah Bakarah) In Hindi

सूरह बकराह हिंदी में तर्जुमा के साथ

Alif Laam Meem Surah-2 रुकु 31

ला जुना – ह अलैकुम् इन् तल्लक्तुमुन्निसा – अ मा लम् तमस्सूहुन् – न औ तफ़िरजू लहुन् – न फ़री – ज़ तंव – व मत्तिअ़ू हुन् – न अलल् – मूसिअि क़ – दरूहू व अलल् – मुक्तिरि क़ – दरूहू मताअम् बिल्मअ्रूफ़ि हक्कन् अलल – मुह्सिनीन (236)
यदि तुम स्त्रियों को इस स्थिति मे तलाक़ दे दो कि यह नौबत पेश न आई हो कि तुमने उन्हें हाथ लगाया हो और उनका कुछ हक़ (मह्र) निश्चित किया हो, तो तुमपर कोई भार नहीं। हाँ, सामान्य नियम के अनुसार उन्हें कुछ ख़र्च दो – समाई रखनेवाले पर उसकी अपनी हैसियत के अनुसार और तंगदस्त पर उसकी अपनी हैसियत के अनुसार अनिवार्य है – यह अच्छे लोगों पर एक हक़ है।

व इन् तल्लक्तुमूहुन् – न मिन् कब्लि अन् तमस्सूहुन् – न व कद् फ़रज्तुम् लहुन् – न फ़री – जतन् फ़ – निस्फु मा फ़रज्तुम् इल्ला अंय्यअ्फू – न औ यअ्फुवल्लज़ी बि – यदिही उक्दतुन्निकाहि , व अन् तअफू अक़्रबु लित्तक्वा , व ला तन्सवुल – फ़ज़ – ल बैनकुम , इन्नल्ला – ह बिमा तअ्मलू – न बसीर (237)
और यदि तुम उन्हें हाथ लगाने से पहले तलाक़ दे दो, किन्तु उसका मह्र निश्चित कर चुके हो, तो जो मह्र तुमने निश्चित किया है उसका आधा अदा करना होगा, यह और बात है कि वे स्वयं छोड़ दें या पुरुष जिसके हाथ में विवाह का सूत्र है, वह नर्मी से काम ले (और मह्र पूरा अदा कर दे)। और यह कि तुम नर्मी से काम लो तो यह परहेज़गारी से ज़्यादा क़रीब है और तुम एक-दूसरे को हक़ से बढ़कर देना न भूलो। निश्चय ही अल्लाह उसे देख रहा है, जो कुछ तुम करते हो।

हाफ़िजू अलस् स – ल – वाति वस्सलातिल – वुस्ता व कूमू लिल्लाहि कानितीन (238)
सदैव नमाज़ों की और अच्छी नमाज़ की पाबन्दी करो, और अल्लाह के आगे पूरे विनीत और शान्तभाव से खड़े हुआ करो।

फ़ – इन् खिफ्तुम् फ़ – रिजालन् औ रूक्बानन् फ़ – इज़ा अमिन्तुम् फ़ज्कुरूल्ला – ह कमा अल् – ल – म – कुम् मा लम् तकूनू तअ्लमून (239)
फिर यदि तुम्हें (शत्रु आदि का) भय हो, तो पैदल या सवार जिस तरह सम्भव हो नमाज़ पढ़ लो। फिर जब निश्चिन्त हो तो अल्लाह को उस प्रकार याद करो जैसा कि उसने तुम्हें सिखाया है, जिसे तुम नहीं जानते थे।

वल्लज़ी – न यु – तवफ्फ़ौ – न मिन्कुम् व य – ज़ – रू – न अज्वाजंव् – वसिय्यतल् लि – अज्वाजिहिम् मताअन् इलल – हौलि गै – र इख्राजिन् फ़ – इन ख़रज् – न फ़ला जुना – ह अलैकुम् फी मा फ़ – अल् – न फ़ी अन्फुसिहिन् – न मिम् – मअरूफ़िन् , वल्लाहु अज़ीजुन हकीम (240)
और तुममें से जिन लोगों की मृत्यु हो जाए और अपने पीछे पत्नियाँ छोड़ जाएँ, अर्थात अपनी पत्नियों के हक़ में यह वसीयत छोड़ जाएँ कि घर से निकाले बिना एक वर्ष तक उन्हें ख़र्च दिया जाए, तो यदि वे निकल जाएँ तो अपने लिए सामान्य नियम के अनुसार वे जो कुछ भी करें उसमें तुम्हारे लिए कोई दोष नहीं। अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।

व लिल्मुतल्लकाति मताअुम् बिलमअरूफ़ि , हक्कन अलल मुत्तकीन (241)
और तलाक़ पाई हुई स्त्रियों को सामान्य नियम के अनुसार (इद्दत की अवधि में) ख़र्च भी मिलना चाहिए। यह डर रखनेवालों पर एक हक़ है।

कज़ालि – क युबय्यिनुल्लाहु लकुम् आयातिही लअल्लकुम् तअ्किलून (242)*
इस प्रकार अल्लाह तुम्हारे लिए अपनी आयतें खोलकर बयान करता है, ताकि तुम समझ से काम लो।

Alif Laam Meem Surah-2 रुकु 32

अलम् त – र इलल्लज़ी – न ख़ – रजू मिन् दियारिहिम् व हुम् उलूफुन् ह – ज़रल्मौति फ़का – ल लहुमुल्लाहु मूतू सुम् – म अह्याहुम , इन्नल्ला – ह लजू फ़ज्लिन् अलन्नासि व लाकिन् – न अक्सरन्नासि ला यश्कुरून (243)
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जो हज़ारों की संख्या में होने पर भी मृत्यु के भय से अपने घर-बार छोड़कर निकले थे? तो अल्लाह ने उनसे कहा, “मृत्यु प्राय हो जाओ तुम।” फिर उसने उन्हें जीवन प्रदान किया। अल्लाह तो लोगों के लिए उदार अनुग्राही है, किन्तु अधिकतर लोग कृतज्ञता नहीं दिखलाते।

व कातिलू फी सबीलिल्लाहि वअ्लमू अन्नल्ला – ह समीअ़ुन् अलीम (244)
और अल्लाह के मार्ग में युद्ध करो और जान लो कि अल्लाह सब कुछ सुननेवाला, जाननेवाले है।

मन् ज़ल्लजी युक़्रिजुल्ला – ह कर्जन् ह – सनन् फ़ – युज़ाअि – फहू लहू अज्आफन् कसीर – तन् , वल्लाहु यक्बिजु व यब्सुतु व इलैहि तुर्ज़अून (245)
कौन है जो अल्लाह को अच्छा ऋण दे कि अल्लाह उसे उसके लिए कई गुना बढ़ा दे? और अल्लाह ही तंगी भी देता है और कुशादगी भी प्रदान करता है, और उसी की ओर तुम्हें लौटना है।

अलम् त – र इलल – म – लइ मिम् – बनी इस्राई – ल मिम् – बअ्दि मूसा • इज़ कालू लि – नबिय्यिल् – लहुमुब्अस् लना मलिकन्नुक़ातिल फी सबीलिल्लाहि , का – ल हल असैतुम् इन् कुति – ब – अलैकुमुल् – कितालु अल्ला तुक़ातिलू , कालू व मा लना अल्ला नुक़ाति – ल फ़ी सबीलिल्लाहि व कद् उख्रिज्ना मिन् दियारिना व अब्ना – इना , फ़ – लम्मा कुति – ब अलैहिमुल् – कितालु तवल्लौ इल्ला क़लीलम् मिन्हुम , वल्लाहु अलीमुम् – बिज्जालिमीन (246)
क्या तुमने मूसा के पश्चात इसराईल की सन्तान के सरदारों को नहीं देखा, जब उन्होंने अपने एक नबी से कहा, “हमारे लिए एक सम्राट नियुक्त कर दो ताकि हम अल्लाह के मार्ग में युद्ध करें?” उसने कहा, “यदि तुम्हें लड़ाई का आदेश दिया जाए तो क्या तुम्हारे बारे में यह सम्भावना नहीं है कि तुम न लड़ो?” वे कहने लगे, “हम अल्लाह के मार्ग में क्यों न लड़ें, जबकि हम अपने घरों से निकाल दिए गए हैं और अपने बाल-बच्चों से भी अलग कर दिए गए हैं?” – फिर जब उनपर युद्ध अनिवार्य कर दिया गया तो उनमें से थोड़े लोगों के सिवा सब फिर गए। और अल्लाह ज़ालिमों को भली-भाँति जानता है। –

व का – ल लहुम् नबिय्युहुम् इन्नल्ला – ह कद् ब – अ – स लकुम् तालू – त मलिकन् , कालू अन्ना यकूनु लहुल्मुल्कु अलैना व नह्नु अहक्कु बिल्मुल्कि मिन्हु व लम् युअ – त स – अतम् मिनल – मालि , का – ल इन्नल्लाहस्तफ़ाहु अलैकुम् व ज़ा – दहू बस्त – तन् फ़िल – इल्मि वल् – जिस्मि , वल्लाहु युअ्ती मुल्कहू मंय्यशा – उ , वल्लाहु वासिअुन् अलीम (247)
उनके नबी ने उनसे कहा, “अल्लाह ने तुम्हारे लिए तालूत को सम्राट नियुक्त किया है।” बोले, “उसकी बादशाही हम पर कैसे हो सकती है, जबकि हम उसके मुक़ाबले में बादशाही के ज़्यादा हक़दार हैं और जबकि उसे माल की कुशादगी भी प्राप्त नहीं है?” उसने कहा, “अल्लाह ने तुम्हारे मुक़ाबले में उसको ही चुना है और उसे ज्ञान में और शारीरिक क्षमता में ज़्यादा कुशादगी प्रदान की है। अल्लाह जिसको चाहे अपना राज्य प्रदान करे। और अल्लाह बड़ी समाईवाला, सर्वज्ञ है।”

व का – ल लहुम् नबिय्युहुम् इन् – न आय – त मुल्किही अंय्यअ्ति – यकुमुत्ताबूतु फ़ीहि सकीनतुम् मिर्रब्बिकुम् व बकिय्यतुम् मिम्मा त – र – क आलु मूसा व आलु हारू – न तहिमलुहुल् – मलाइ – कतु , इन्न फ़ी जालि – क लआ – यतल्लकुम् इन् कुन्तुम् मुअमिनीन (248)*
उनके नबी ने उनसे कहा, “उसकी बादशाही की निशानी यह है कि वह संदूक़ तुम्हारे पास आ जाएगा, जिसमें तुम्हारे रब की ओर से सकीनत (प्रशान्ति) और मूसा के लोगों और हारून के लोगों की छोड़ी हुई यादगारें हैं, जिसको फ़रिश्ते उठाए हुए होंगे। यदि तुम ईमानवाले हो तो निस्संदेह इसमें तुम्हारे लिए बड़ी निशानी है।”

Alif Laam Meem Surah-2 रुकु 33

फ लम्मा फ़ – स – ल – तालूतु बिल्जुनूदि का – ल इन्नल्ला – ह मुब्तलीकुम बि – न हरिन् फ़ – मन् शरि – ब मिन्हु फलै – स मिन्नी व मल्लम् यत्अमहु फ़ – इन्नहू मिन्नी इल्ला मनिग्त – र – फ़ गुर् – फ़तम् बि – यदिही फ़ – शरिबू मिन्हु इल्ला क़लीलम् मिन्हुम , फ़ – लम्मा जा – व ज़हू हु – व वल्लज़ी – न आमनू म-अहू कालू ला ता – क – त लनल् – यौ – म बिजालू – त व जुनूदिही , कालल्लज़ी – न यजुन्नू – न अन्नहुम् मुलाकुल्लाहि कम् मिन फ़ि – अतिन् कलीलतिन् ग – लबत् फ़ि – अतन् कसी – रतम् बि – इज्निल्लाहि , वल्लाहु म – अस्साबिरीन (249)
फिर जब तालूत सेनाएँ लेकर चला तो उसने कहा, “अल्लाह निश्चित रूप से एक नदी द्वारा तुम्हारी परीक्षा लेनेवाला है। तो जिसने उसका पानी पी लिया, वह मुझमें से नहीं है और जिसने उसको नहीं चखा, वही मुझमें से है। यह और बात है कि कोई अपने हाथ से एक चुल्लू भर ले ले।” फिर उनमें से थोड़े लोगों के सिवा सभी ने उसका पानी पी लिया। फिर जब तालूत और ईमानवाले जो उसके साथ थे नदी पार कर गए तो कहने लगे, “आज हममें जालूत और उसकी सेनाओं का मुक़ाबला करने की शक्ति नहीं है।” इस पर उन लोगों ने, जो समझते थे कि उन्हें अल्लाह से मिलना है, कहा, “कितनी ही बार एक छोटी-सी टुकड़ी ने अल्लाह की अनुज्ञा से एक बड़े गरोह पर विजय पाई है। अल्लाह तो जमने वालों के साथ है।”

व लम्मा ब – रजू लिजालू – त व जुनूदिही कालू रब्बना अफ्रिग अलैना सबरंव – व सब्बित् अक्दामना वन्सुरना अलल् – कौमिल् काफ़िरीन (250)
और जब वे जालूत और उसकी सेनाओं के मुक़ाबले पर आए तो कहा, “ऐ हमारे रब! हमपर धैर्य उंडेल दे और हमारे क़दम जमा दे और इनकार करनेवाले लोगों पर हमें विजय प्रदान कर।”

फ – ह – ज़मूहुम् बि – इज्निल्लाहि व क – त – ल दावूदु जालू – त व आताहुल्लाहुल – मुल् – क वल् – हिक्म – त व अल्ल – महू मिम्मा यशा – उ , व लौ ला दफ़्अुल्लाहिन्ना – स बअ् – ज़हुम् बिबअ्ज़िल ल – फ – स – दतिल – अर्जु व लाकिन्नल्ला – ह जू फज्लिन् अलल – आलमीन (251)
अन्ततः अल्लाह की अनुज्ञा से उन्होंने उनको पराजित कर दिया और दाऊद ने जालूत को क़त्ल कर दिया, और अल्लाह ने उसे राज्य और तत्वदर्शिता (हिकमत) प्रदान की, जो कुछ वह (दाऊद) चाहे, उससे उसको अवगत कराया। और यदि अल्लाह मनुष्यों के एक गरोह को दूसरे गरोह के द्वारा हटाता न रहता तो धरती की व्यवस्था बिगड़ जाती, किन्तु अल्लाह संसारवालों के लिए उदार अनुग्राही है।

तिल – क आयातुल्लाहि नत्लूहा अलै – क बिल्हक्कि , व इन्न – क ल – मिनल – मुरसलीन (252)
ये अल्लाह की सच्ची आयतें हैं जो हम तुम्हें (सोद्देश्य) सुना रहे हैं और निश्चय ही तुम उन लोगों में से हो, जो रसूल बनाकर भेजे गए हैं।

तिल्कर्रूसुलु फज्ज़ल्ना बअ् – ज़हुम अला बअ्ज़िन् • मिन्हुम् मन् कल्लमल्लाहु व र – फ – अ बअ् – जहुम द रजातिन् , व आतैना अीसब् – न मर्यमल – बय्यिनाति व अय्यद्नाहु बिरूहिल्कुदुसि , व लौ शाअल्लाहु मक्त – तलल्लज़ी – न मिम् – बअदिहिम् मिम् – बअ़दि मा जाअतहुमुल बय्यिनातु व लाकिनिख़्त – लफू फ़ – मिन्हुम् मन् आम – न व मिन्हुम् मन् क – फ़ – र , व लौ शाअल्लाहु मक्त – तलू , व लाकिन्नल्ला – ह यफ्अलु _ मा युरीद (253)*
ये रसूल ऐसे हुए हैं कि इनमें हमने कुछ को कुछ पर श्रेष्ठता प्रदान की। इनमें कुछ से तो अल्लाह ने बातचीत की और इनमें से कुछ को दर्जों के एतिबार से उच्चता प्रदान की। और मरयम के बेटे ईसा को हमने खुली निशानियाँ दीं और पवित्र आत्मा से उसकी सहायता की। और यदि अल्लाह चाहता तो वे लोग, जो उनके पश्चात हुए, खुली निशानियाँ पा लेने के बाद परस्पर न लड़ते। किन्तु वे विभेद में पड़ गए तो उनमें से कोई तो ईमान लाया और उनमें से किसी ने इनकार की नीति अपनाई। और यदि अल्लाह चाहता तो वे परस्पर न लड़ते, परन्तु अल्लाह जो चाहता है, करता है।

Alif Laam Meem Surah-2 रुकु 34

या अय्युहल्लज़ी – न आमनू अन्फिकू मिम्मा र – ज़क्नाकुम् मिन् कब्लि अंय्यअ्ति – य यौमुल्ला बैअुन् फीहि व ला खुल्लतुंव – व ला शफाअतुन , वल – काफ़िरू – न हुमुज्जालिमून (254)
ऐ ईमान लानेवालो! हमने जो कुछ तुम्हें प्रदान किया है उसमें से (नेक कामों में) ख़र्च करो, इससे पहले कि वह दिन आ जाए जिसमें न कोई क्रय-विक्रय होगा और न कोई मित्रता होगी और न कोई सिफ़ारिश। ज़ालिम वही हैं, जिन्होंने इनकार की नीति अपनाई है।

अल्लाहु ला इला – ह इल्ला हु – व अल् – हय्युल – कय्यूमु ला तअ्खुजुहू सि – नतुंव – व ला नौमुन् , लहू मा फिस्समावाति व मा फिल्अर्जि , मन् जल्लज़ी यश्फ़अु अिन्दहू इल्ला बि – इज्निही , यअ्लमु मा बै – न ऐदीहिम व मा खल्फहुम व ला युहीतू – न बिशैइम् मिन् अिल्मिही इल्ला बिमा शा – अ वसि – अ कुर्सिय्यूहुस्समावाति वल्अर् – ज़ व ला यऊदुहू हिफ्जुहुमा व हुवल् अलिय्युल अजीम (255)
अल्लाह कि जिसके सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं, वह जीवन्त-सत्ता है, सबको सँभालने और क़ायम रखनेवाला है। उसे न ऊँघ लगती है और न निद्रा। उसी का है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। कौन है जो उसके यहाँ उसकी अनुमति के बिना सिफ़ारिश कर सके? वह जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो कुछ उनके पीछे है। और वे उसके ज्ञान में से किसी चीज़ पर हावी नहीं हो सकते, सिवाय उसके जो उसने चाहा। उसकी कुर्सी (प्रभुता) आकाशों और धरती को व्याप्त है और उनकी सुरक्षा उसके लिए तनिक भी भारी नहीं और वह उच्च, महान है।

ला इक्रा – ह फिद्दीनि कत्तबय्यन र्रूश्दु मिनल – गय्यि फ़ – मंय्यक्फुर बित्तागूति व युअ्मिम् – बिल्लाहि फ – क . दि स् त म स – क बिल् – अुर्वतिल – वुस्का लन्फ़िसा – म लहा , वल्लाहु समीअुन् , अलीम (256)
धर्म के विषय में कोई ज़बरदस्ती नहीं। सही बात नासमझी की बात से अलग होकर स्पष्ट हो गई है। तो अब जो कोई बढ़े हुए सरकश को ठुकरा दे और अल्लाह पर ईमान लाए, उसने ऐसा मज़बूत सहारा थाम लिया जो कभी टूटनेवाला नहीं। अल्लाह सब कुछ सुनने, जाननेवाला है।

अल्लाहु वलिय्युल्लज़ी – न आमनू युख्रिजुहम् मिनज्जुलुमाति इलन्नूरि , वल्लज़ी – न क – फरू औलिया उहुमुत्तागूतु युख्रिजू – नहुम् मिनन्नूरि इलज्जुलुमाति , उलाइ – क अस्हाबुन्नारि हुम् फ़ीहा खालिदून (257)*
जो लोग ईमान लाते हैं, अल्लाह उनका रक्षक और सहायक है। वह उन्हें अँधेरों से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाता है। रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया तो उनके संरक्षक बढ़े हुए सरकश हैं। वे उन्हें प्रकाश से निकालकर अँधेरों की ओर ले जाते हैं। वही आग (जहन्नम) में पड़नेवाले हैं। वे उसी में सदैव रहेंगे।

Alif Laam Meem Surah-2 रुकु 35

अलम् त – र इलल्लज़ी हाज् – ज इब्राही – म फी रब्बिही अन् आताहुल्लाहुल – मुल्क • इज् का – ल इब्राहीमु रब्बियल्लज़ी युह्-यी व युमीतु का – ल अ – न उह-यी व उमीतु , का – ल इब्राहीमु फ़ – इन्नल्ला – ह यअ्ती बिश्शम्सि मिनल्मशिरकि फअ्ति बिहा मिनल् – मग्रिबि फ़ – बुहितल्लज़ी क – फ – र , वल्लाहु ला यहिदल कौमज्ज़ालिमीन (258)
क्या तुमने उसको नहीं देखा, जिसने इबराहीम से उसके ‘रब’ के सिलसिले में झगड़ा किया था, इस कारण कि अल्लाह ने उसको राज्य दे रखा था? जब इबराहीम ने कहा, “मेरा ‘रब’ वह है जो जिलाता और मारता है।” उसने कहा, “मैं भी तो जिलाता और मारता हूँ।” इबराहीम ने कहा, “अच्छा तो अल्लाह सूर्य को पूरब से लाता है, तो तू उसे पश्चिम से ले आ।” इसपर वह अधर्मी चकित रह गया। अल्लाह ज़ालिम लोगों को सीधा मार्ग नहीं दिखाता।

औ कल्लज़ी मर् – र अला कर्यतिंव् – व हि – य ख़ावि – यतुन् अला अुरूशिहा का – ल अन्ना युह्-यी हाज़िहिल्लाहु बअ् – द मौतिहा फ़ – अमातहुल्लाहु मि – अ – त आमिन् सुम् – म ब – अ – सहू , का – ल कम लबिस् – त , का – ल लबिस्तु यौमन् औ बअ् – ज़ यौमिन् , का – ल बल्लबिस – त मि – अ – त आमिन फन्जुर इला तआमि – क व शराबि – क लम् य – तसन्नह् वन्जुर् इला हिमारि – क व लि – नज्अ – ल – क आयतल लिन्नासि वन्जुर् इलल् – अिज़ामि कै – फ नुन्शिजुहा सुम्-म नक्सूहा लहमन् , फ़ – लम्मा तबय्य – न लहू का – ल अअ्लमु अन्नल्ला – ह अला कुल्लि शैइन् कदीर (259)
या उस जैसे (व्यक्ति) को नहीं देखा, जिसका एक ऐसी बस्ती पर से गुज़र हुआ, जो अपनी छतों के बल गिरी हुई थी। उसने कहा, “अल्लाह इसके विनष्ट हो जाने के पश्चात इसे किस प्रकार जीवन प्रदान करेगा?” तो अल्लाह ने उसे सौ वर्ष की मृत्यु दे दी, फिर उसे उठा खड़ा किया। कहा, “तू कितनी अवधि तक इस अवस्था में रहा।” उसने कहा, “मैं एक दिन या दिन का कुछ हिस्सा रहा।” कहा, “नहीं, बल्कि तू सौ वर्ष रहा है। अब अपने खाने और पीने की चीज़ों को देख ले, उन पर समय का कोई प्रभाव नहीं, और अपने गधे को भी देख, और यह इसलिए कह रहे हैं ताकि हम तुझे लोगों के लिए एक निशानी बना दें और हड्डियों को देख कि किस प्रकार हम उन्हें उभारते हैं, फिर उनपर मांस चढ़ाते हैं।” तो जब वास्तविकता उस पर प्रकट हो गई तो वह पुकार उठा, “मैं जानता हूँ कि अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।”

व इज् का – ल इब्राहीमु रब्बि अरिनी कै – फ़ तुहियल्मौता , का – ल अ – व लम् तुअ्मिन , का – ल बला व लाकिल्लियत मइन् – न कल्बी , का – ल फ़ – खुजू अर्ब – अतम् मिनत्तैरि फ़सुरहुन् – न इलै – क सुम्मज्अल अला कुल्लि ज – बलिम् मिन्हुन् – न जुज्अन् सुम्मद् हुन् – न यअ्ती – न – क सअ्यन् , वअ्लम् अन्नल्ला – ह अज़ीजुन् हकीम (260)*
और याद करो जब इबराहीम ने कहा, “ऐ मेरे रब! मुझे दिखा दे, तू मुर्दों को कैसे जीवित करेगा?” (रब ने) कहा,” क्या तुझे विश्वास नहीं?” उसने कहा, “क्यों नहीं, किन्तु यह निवेदन इसलिए है कि मेरा दिल संतुष्ट हो जाए।” (रब ने) कहा, “अच्छा, तो चार पक्षी ले, फिर उन्हें अपने साथ भली-भाँति हिला-मिला ले, फिर उनमें से प्रत्येक को एक-एक पर्वत पर रख दे, फिर उनको पुकार, वे तेरे पास लपककर आएँगे। और जान ले कि अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।”

Alif Laam Meem Surah-2 रुकु 36

म – सलुल्लज़ी – न युन्फ़ि कू – न अम्वालहुम फी सबीलिल्लाहि क – म सलि हब्बतिन् अम्ब – तत् सबू – अ सनाबि – ल फ्री कुल्लि सुम्बुलतिम् मि – अतु हब्बतिन् , वल्लाहु युज़ाअिफु लिमंय्यशा – उ , वल्लाहु वासिअुन् अलीम (261)
जो लोग अपने माल अल्लाह के मार्ग में ख़र्च करते हैं, उनकी उपमा ऐसी है, जैसे एक दाना हो, जिससे सात बालें निकलें और प्रत्येक बाल में सौ दाने हों। अल्लाह जिसे चाहता है बढ़ोतरी प्रदान करता है। अल्लाह बड़ी समाईवाला, जाननेवाला है।

अल्लज़ी – न युन्फ़िकू – न अम्वालहुम् फ़ी सबीलिल्लाहि सुम् – म ला युत्बिअू – न मा अन्फ़कू मन्नंव – व ला अ – ज़ल लहुम् अजरूहुम् अिन् – द रब्बिहिम् व ला ख़ौफुन् अलैहिम् व ला हुम् यह्ज़नून (262)
जो लोग अपने माल अल्लाह के मार्ग में ख़र्च करते हैं, फिर ख़र्च करके उसका न एहसान जताते हैं और न दिल दुखाते हैं, उनका बदला उनके अपने रब के पास है। और न तो उनके लिए कोई भय होगा और न वे दुखी होंगे।

कौलुम मअ्रूफुंव – व मग्फ़ि – रतुन् खैरूम् मिन् स – द – क़तिंय् – यत्बअुहा अज़न् , वल्लाहु ग़निय्युन् हलीम (263)
एक भली बात कहनी और क्षमा से काम लेना उस सदक़े से अच्छा है, जिसके पीछे दुख हो। और अल्लाह अत्यन्त निस्पृह (बेनियाज़), सहनशील है।

या अय्युहल्लज़ी – न आमनू ला तुब्तिलू स – दक़ातिकुम् बिल्मन्नि वल् – अज़ा कल्लज़ी युन्फिकु मालहू रिआ – अन्नासि व ला युअ्मिनु बिल्लाहि वल् – यौमिल् – आखिरि , फ़ – म – सलुहू क – म – सलि सफ्वानिन् अलैहि तुराबुन् फ़ – असाबहू वाबिलुन् फ़ – त – र – कहू सल्दन् , ला यक्दिरू – न अला शैइम् मिम्मा क – सबू , वल्लाहु ला यह्दिल् – कौमल् काफ़िरीन (264)
ऐ ईमानवालो! अपने सदक़ों को एहसान जताकर और दुख देकर उस व्यक्ति की तरह नष्ट न करो जो लोगों को दिखाने के लिए अपना माल ख़र्च करता है और अल्लाह और अंतिम दिन पर ईमान नहीं रखता। तो उसकी हालत उस चट्टान जैसी है जिसपर कुछ मिट्टी पड़ी हुई थी, फिर उस पर ज़ोर की वर्षा हुई और उसे साफ़ चट्टान की दशा में छोड़ गई। ऐसे लोग अपनी कुछ भी कमाई प्राप्त नहीं करते। और अल्लाह इनकार की नीति अपनानेवालों को मार्ग नहीं दिखाता।

व म – सलुल्लज़ी – न युन्फिकू – न अम्वालहुमुब्तिगा – अ मर्जातिल्लाहि व तस्बीतम् मिन् अन्फुसिहिम् क – म सलि जन्नतिम् – बिरब्वतिन् असाबहा वाबिलुन् फ़-आतत् उकु – लहा ज़िअ्फैनि फ़ – इल्लम् युसिब्हा वाबिलुन् फ़ – तल्लुन , वल्लाहु बिमा तअ्मलू – न बसीर (265)
और जो लोग अपने माल अल्लाह की प्रसन्नता के संसाधनों की तलब में और अपने दिलों को जमाव प्रदान करने के कारण ख़र्च करते हैं उनकी हालत उस बाग़ की तरह है जो किसी अच्छी और उर्वर भूमि पर हो। उस पर घोर वर्षा हुई तो उसमें दुगुने फल आए। फिर यदि घोर वर्षा उस पर नहीं हुई, तो फुहार ही पर्याप्त होगी। तुम जो कुछ भी करते हो अल्लाह उसे देख रहा है।

अ – यवद्दु अ – हदुकुम अन् तकू – न लहू जन्नतुम् – मिन्नखीलिव – व अअ् नाबिन् तज्री मिन् तह्तिहल् – अन्हारू लहू फ़ीहा मिन् कुल्लिस्स – मराति व असाबहुल कि – बरू व लहू जुर्रिय्यतुन् जु – अफा – उ फ़ – असाबहा इअ्सारून , फ़ीहि नारून् फहत – रकत , कज़ालि – क युबय्यिनुल्लाहु लकुमुल् – आयाति लअल्लकुम त – तफ़क्करून (266)*
क्या तुममें से कोई यह चाहेगा कि उसके पास खजूरों और अंगूरों का एक बाग़ हो, जिसके नीचे नहरें बह रही हों, वहाँ उसे हर प्रकार के फल प्राप्त हों और उसका बुढ़ापा आ गया हो और उसके बच्चे अभी कमज़ोर ही हों कि उस बाग़ पर एक आग भरा बगूला आ गया, और वह जलकर रह गया? इस प्रकार अल्लाह तुम्हारे सामने आयतें खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि सोच-विचार करो।

Alif Laam Meem Surah-2 रुकु 37

या अय्युहल्लज़ी – न आमनू अन्फिकू मिन् तय्यिबाति मा कसब्तुम व मिम्मा अखरज्ना लकुम् मिनल – अर्जि व ला त – यम्म – मुल – खबी – स मिन्हु तुन्फ़िकू – न व लस्तुम बि – आख़िज़ीहि इल्ला अन् तुग्मिजू फ़ीहि , वअ्लमू अन्नल्ला – ह ग़निय्युन् हमीद (267)
ऐ ईमान लानेवालो! अपनी कमाई की पाक और अच्छी चीज़ों में से ख़र्च करो और उन चीज़ों में से भी जो हमने धरती से तुम्हारे लिए निकाली हैं। और देने के लिए उसके ख़राब हिस्से (के देने) का इरादा न करो, जबकि तुम स्वयं उसे कभी न लोगे। यह और बात है कि उसकी क़ीमत कम कराके लो। और जान लो कि अल्लाह निस्पृह, प्रशंसनीय है।

अश्शैतानु यअि़दुकुमुल् फ़क् – र व यअ्मुरूकुम बिल्फ़ह्शा – इ वल्लाहु यअिदुकुम् मग्फ़ि – रतम् मिन्हु व फ़ज लन् , वल्लाहु वासिअुन् अलीम (268)
शैतान तुम्हें निर्धनता से डराता है और निर्लज्जता के कामों पर उभारता है, जबकि अल्लाह अपनी क्षमा और उदार कृपा का तुम्हें वचन देता है। अल्लाह बड़ी समाईवाला, सर्वज्ञ है।

युअ्तिल् – हिक्म – त मंय्यशा – उ व मंय्युअ्तल – हिक्म – त फ़ – क़द् ऊति – य खैरन् कसीरन् , व मा यज्जक्करू इल्ला उलुल – अल्बाब (269)
वह जिसे चाहता है तत्वदर्शिता प्रदान करता है और जिसे तत्वदर्शिता प्राप्त हुई उसे बड़ी दौलत मिल गई। किन्तु चेतते वही हैं जो बुद्धि और समझवाले हैं।

व मा अन्फ़क्तुम् मिन् न – फ़ – क़तिन् औ नज़र्तुम् मिन् – नजि रन् फ़ – इन्नल्ला – ह यअ्लमुहू , व मा लिज्जालिमी – न मिन् अन्सार (270)
और तुमने जो कुछ भी ख़र्च किया और जो कुछ भी नज़र (मन्नत) की हो, निस्सन्देह अल्लाह उसे भली-भाँति जानता है। और अत्याचारियों का कोई सहायक न होगा।

इन् तुब्दुस्स – दक़ाति फ़ – निअिम्मा हि – य व इन् तुख्फूहा व तु अ्तू हल्फ – करा – अ फहुव खैरूल्लकुम व युकफ्फिरू अन्कुम् मिन् सय्यिआतिकुम , वल्लाहु बिमा तअ्मलूना ख़बीर (271)
यदि तुम खुले रूप में सदक़े दो तो यह भी अच्छा है और यदि उनको छिपाकर मुहताजों को दो तो यह तुम्हारे लिए अधिक अच्छा है। और यह तुम्हारे कितने ही गुनाहों को मिटा देगा। और अल्लाह को उसकी पूरी ख़बर है, जो कुछ तुम करते हो।

लै – स अ लै – क हुदाहुम् व लाकिन्नल्ला – ह यह्दी मंय्यशा – उ व मा तुन्फ़ि कू मिन् खरिन् फ़ – लिअन्फुसिकुम , व मा तुन्फिकू – न इल्लब्-तिग़ा-अ वज्हिल्लाहि , व मा तुन्फ़िकू मिन् खैरिंय्युवफ् – फ़ इलैकुम् व अन्तुम् ला तुज्लमून (272)
उन्हें मार्ग पर ला देने का दायित्व तुम पर नहीं है, बल्कि अल्लाह ही जिसे चाहता है मार्ग दिखाता है। और जो कुछ भी माल तुम ख़र्च करोगे, वह तुम्हारे अपने ही भले के लिए होगा और तुम अल्लाह के (बताए हुए) उद्देश्य के अतिरिक्त किसी और उद्देश्य से ख़र्च न करो। और जो माल भी तुम (नेक कामों में) ख़र्च करोगे, वह पूरा-पूरा तुम्हें चुका दिया जाएगा और तुम्हारा हक़ न मारा जाएगा।

लिल्फु – क़रा – इल्लज़ी – न उहिसरू फ़ी सबीलिल्लाहि ला यस्ततीअू – न ज़रबन् फ़िल्अर्ज़ि यहसबुहुमुल् – जाहिलु अग्निया – अ मिनत्त – अफ्फुफ़ि तअ्रिफुहुम बिसीमाहुम् ला यस्अलूनन्ना – स इलहाफ़न् , व मा तुन्फिकू मिन् खैरिन् फ – इन्नल्ला – ह बिही अलीम • (273)*
यह उन मुहताजों के लिए है जो अल्लाह के मार्ग में घिर गए हैं कि धरती में (जीविकोपार्जन के लिए) कोई दौड़-धूप नहीं कर सकते। उनके स्वाभिमान के कारण अपरिचित व्यक्ति उन्हें धनवान समझता है। तुम उन्हें उनके लक्षणों से पहचान सकते हो। वे लिपटकर लोगों से नहीं माँगते। जो माल भी तुम ख़र्च करोगे, वह अल्लाह को ज्ञात होगा।

Alif Laam Meem Surah-2 रुकु 38

अल्लज़ी – न युन्फिकू – न अम्वालहुम् बिल्लैलि वन्नहारि सिररंव – व अलानि – यतन् फ़ – लहुम् अज्रूहुम् अिन् – द रब्बिहिम् व ला खौफुन् अलैहिम् व ला हुम् यह्ज़नून (274)
जो लोग अपने माल रात-दिन छिपे और खुले ख़र्च करें, उनका बदला तो उनके रब के पास है, और न उन्हें कोई भय है और न वे शोकाकुल होंगे।

अल्लज़ी – न यअ्कुलूनर्रिबा ला यकूमू – न इल्ला कमा यकूमुल्लज़ी य – तख़ब्बतुहुश् – शैतानु मिनल्मस्सि , ज़ालि – क बि – अन्नहुम् कालू इन्नमल् – बैअु़ मिस्लुर्रिबा • व अहल्लल्लाहुल्बै – अ व हर्रमारिबा फ़ – मन् जा – अहू मौअि – ज़तुम् मिर्रब्बिही फन्तहा फ़ – लहू मा स – ल – फ़ , व अम्रुहू इलल्लाहि , व मन् आ – द फ़ – उलाइ – क अस्हाबुन्नारि हुम् फ़ीहा ख़ालिदून (275)
और जो लोग ब्याज खाते हैं, वे बस इस प्रकार उठते हैं जिस प्रकार वह व्यक्ति उठता है, जिसे शैतान ने छूकर बावला कर दिया हो और यह इसलिए कि उनका कहना है, “व्यापार भी तो ब्याज के सदृश है,” जबकि अल्लाह ने व्यापार को वैध और ब्याज को अवैध ठहराया है। अतः जिसको उसके रब की ओर से नसीहत पहुँची और वह बाज़ आ गया, तो जो कुछ पहले ले चुका वह उसी का रहा और मामला उसका अल्लाह के हवाले है। और जिसने फिर यही कर्म किया तो ऐसे ही लोग आग (जहन्नम) में पड़नेवाले हैं। उसमें वे सदैव रहेंगे।

यम्हकुल्लाहुर्रिबा व युर्बिस्सदक़ाति , वल्लाहु ला युहिब्बु कुल ल कफ्फारिन् असीम (276)
अल्लाह ब्याज को घटाता और मिटाता है और सदक़ों को बढ़ाता है। और अल्लाह किसी अकृतज्ञ, हक़ मारनेवाले को पसन्द नहीं करता

इन्नल्लज़ी – न आमनू व अमिलुस्सालिहाति व अकामुस्सला – त व आतवुज्ज़का – त लहुम् अजरूहुम् अिन् – द रब्बिहिम् व ला ख़ौफुन् अलैहिम् व ला हुम् यह्ज़नून (277)
निस्संदेह जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए और नमाज़ क़ायम की और ज़कात दी, उनके लिए उनका बदला उनके रब के पास है, और उन्हें न कोई भय होगा और न वे शोकाकुल होंगे।

या अय्युहल्लज़ी – न आमनुत्तकुल्ला – ह व ज़रू मा बकि – य मिनर्रिबा इन् कुन्तुम् मुअ्मिनीन (278)
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह का डर रखो और जो कुछ ब्याज बाक़ी रह गया है उसे छोड़ दो, यदि तुम ईमानवाले हो।

फ़ इल्लम् तफ्अलू फ़अ् – जनू बि – हर्बिम् मिनल्लाहि व रसूलिही व इन् तुब्तुम् फ़ – लकुम् रूऊसु अम्वालिकुम् ला तज्लिमू – न व ला तुज्लमून (279)
फिर यदि तुमने ऐसा न किया तो अल्लाह और उसके रसूल से युद्ध के लिए ख़बरदार हो जाओ। और यदि तौबा कर लो तो अपना मूलधन लेने का तुम्हें अधिकार है। न तुम अन्याय करो और न तुम्हारे साथ अन्याय किया जाए।

व इन् का – न जू अस्रतिन् फ़ – नज़ि – रतुन् इला मैस – रतिन् , व अन् तसद्दकू खैरूलकुम् इन् कुन्तुम् तअलमून (280)
और यदि कोई तंगी में हो तो हाथ खुलने तक मुहलत देनी होगी; और सदक़ा कर दो (अर्थात मूलधन भी न लो) तो यह तुम्हारे लिए अधिक उत्तम है, यदि तुम जान सको।

वत्तकू यौमन् तुर्जअू – न फीहि इलल्लाहि , सुम् – म तुवफ्फा कुल्लु नफ्सिम् मा क – सबत् व हुम् ला युज्लमून (281)*
और उस दिन का डर रखो जबकि तुम अल्लाह की ओर लौटोगे, फिर प्रत्येक व्यक्ति को जो कुछ उसने कमाया पूरा-पूरा मिल जाएगा और उनके साथ कदापि कोई अन्याय न होगा।

Alif Laam Meem Surah-2 रुकु 39

या अय्युहल्लज़ी – न आमनू इज़ा तदायन्तुम् बिदैनिन् इला अ – जलिम् मुसम्मन् फ़क्तुबूहु , वल्यक्तुब् बैनकुम् कातिबुम् बिल्अदलि व ला यअ् – ब कातिबुन् अंय्यक्तु – ब कमा अल्ल – महुल्लाहु फल्यक्तुब् वल्युमलि लिल्लज़ी अलैहिल – हक्कु वल्यत्तकिल्ला – ह रब्बहू व ला यब्खस् मिन्हु शैअन् , फ़ – इन् कानल्लज़ी अलैहिल्हक्कु सफ़ीहन् औ ज़अीफ़न् औ ला यस्ततीअु अंय्युमिल – ल हु – व फ़ल्युमलिल वलिय्युहू बिल्अदलि , वस्तश्हिदू शहीदैनि मिर्रिजालिकुम् फ-इल्लम् यकू ना रजु लै नि फ़ – रजुलुंव्वम्र अतानि मिम्मन् तरजौ – न मिनश्शु – हदा – इ अन् तज़िल – ल इह्दाहुमा फतुज़क्कि – र इह्दाहुमल – उख्रा , व ला यअ्बश् – शु – हदा – उ इज़ा मा दुअू , व ला तस्अमू अन् तक्तुबूहु सगीरन् औ कबीरन् इला अ – जलिही , ज़ालिकुम् अक्सतु अिन्दल्लाहि व अक्वमु लिश्शहा – दति व अद्ना अल्ला तर्ताबू इल्ला अन् तकू – न तिजारतन् हाज़ि – रतन तुदीरूनहा बैनकुम् फलै – स अलैकुम् जुनाहुन् अल्ला तक्तुबूहा , व अश्हिदू इज़ा तबायअ्तुम् व ला युज़ार् – र कातिबुंव – व ला शहीदुन् , व इन् तफ्अलू फ़ – इन्नहू फुसूकुम् बिकुम , वत्तकुल्ला – ह , व युअल्लिमुकुमुल्लाहु , वल्लाहु बिकुल्लि शैइन् अलीम (282)
ऐ ईमान लानेवालो! जब किसी निश्चित अवधि के लिए आपस में ऋण का लेन-देन करो तो उसे लिख लिया करो और चाहिए कि कोई लिखनेवाला तुम्हारे बीच न्यायपूर्वक (दस्तावेज़) लिख दे। और लिखनेवाला लिखने से इनकार न करे; जिस प्रकार अल्लाह ने उसे सिखाया है, उसी प्रकार वह दूसरों के लिए लिखने के काम आए और बोलकर वह लिखाए जिसके ज़िम्मे हक़ की अदायगी हो। और उसे अल्लाह का, जो उसका रब है, डर रखना चाहिए और उसमें कोई कमी न करनी चाहिए। फिर यदि वह व्यक्ति जिसके ज़िम्मे हक़ की अदायगी हो, कम समझ या कमज़ोर हो या वह बोलकर न लिखा सकता हो तो उसके संरक्षक को चाहिए कि न्यायपूर्वक बोलकर लिखा दे। और अपने पुरुषों में से दो गवाहों को गवाह बना लो और यदि दो पुरुष न हों तो एक पुरुष और दो स्त्रियाँ, जिन्हें तुम गवाह के लिए पसन्द करो, गवाह हो जाएँ (दो स्त्रियाँ इसलिए रखी गई हैं) ताकि यदि एक भूल जाए तो दूसरी उसे याद दिला दे। और गवाहों को जब बुलाया जाए तो आने से इनकार न करें। मामला चाहे छोटा हो या बड़ा एक निर्धारित अवधि तक के लिए है, तो उसे लिखने में सुस्ती से काम न लो। यह अल्लाह की नज़र में अधिक न्यायसंगत बात है और इससे गवाही भी अधिक ठीक रहती है। और इससे अधिक संभावना है कि तुम किसी संदेह में नहीं पड़ोगे। हाँ, यदि कोई सौदा नक़द हो, जिसका लेन-देन तुम आपस में कर रहे हो, तो तुम्हारे उसके न लिखने में तुम्हारे लिए कोई दोष नहीं। और जब आपस में क्रय-विक्रय का मामला करो तो उस समय भी गवाह कर लिया करो, और न किसी लिखनेवाले को हानि पहुँचाई जाए और न किसी गवाह को। और यदि ऐसा करोगे तो यह तुम्हारे लिए अवज्ञा की बात होगी। और अल्लाह का डर रखो। अल्लाह तुम्हें शिक्षा दे रहा है। और अल्लाह हर चीज़ को जानता है।

व इन् कुन्तुम् अला स – फरिंव्वलम् तजिदू कातिबन् फ़रिहानुम् मकबू – जतुन , फ़ – इन अमि – न बअ्जुकुम बअ् जन् फ़ल्युअद्दिल्लज़िअ्तुमि – न अमान – तहू वल्यत्तकिल्ला – ह रब्बहू , व ला तक्तुमुश्शहाद – त , व मंय्यक्तुम्हा फ़ – इन्नहू आसिमुन् कल्बुहू , वल्लाहु बिमा तअ्मलू – न अलीम (283)*
और यदि तुम किसी सफ़र में हो और किसी लिखनेवाले को न पा सको, तो गिरवी रखकर मामला करो। फिर यदि तुममें से एक-दूसरे पर भरोसा करे, तो जिस पर भरोसा किया है उसे चाहिए कि वह यह सच कर दिखाए कि वह विश्वासपात्र है और अल्लाह का, जो उसका रब है, डर रखे। और गवाही को न छिपाओ। जो उसे छिपाता है तो निश्चय ही उसका दिल गुनाहगार है, और तुम जो कुछ करते हो अल्लाह उसे भली-भाँति जानता है।

Alif Laam Meem Surah-2 रुकु 40

लिल्लाहि मा फ़िस्समावाति व मा फिल्अर्ज़ि व इन् तुब्दू मा फ़ी अन्फुसिकुम् औ तुख्फूहु युहासिब्कुम् बिहिल्लाहु , फ़ – यग्फिरू लिमंय्यशा – उ व युअज्जिबु मंय्यशा – उ , वल्लाहु अला कुल्लि शैइन् क़दीर (284)
अल्लाह ही का है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। और जो कुछ तुम्हारे मन में है, चाहे तुम उसे व्यक्त करो या छिपाओ, अल्लाह तुमसे उसका हिसाब लेगा। फिर वह जिसे चाहे क्षमा कर दे और जिसे चाहे यातना दे। अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।

आ – मनर्रसूलु बिमा उन्ज़ि – ल इलैहि मिर्रब्बिही वल्मुअ्मिनून , कुल्लुन् आम – न बिल्लाहि व मलाइ – कतिही व कुतुबिही व रूसुलिही , ला नुफ़र्रिकु बै – न अ – हदिम् मिर्रूसुलिही , व कालू समिअ़ना व अ – तअ्ना गुफ्रान – क रब्बना व इलैकल मसीर (285)
रसूल उसपर, जो कुछ उसके रब की ओर से उसकी ओर उतरा, ईमान लाया और ईमानवाले भी, ये सब अल्लाह पर, उसके फ़रिश्तों पर, उसकी किताबों पर और उसके रसूलों पर ईमान लाए। (और उनका कहना यह है,) “हम उसके रसूलों में से किसी को दूसरे रसूलों से अलग नहीं करते।” और उनका कहना है, “हमने सुना और आज्ञाकारी हुए। हमारे रब! हम तेरी क्षमा के इच्छुक हैं और हमें तेरी ही ओर लौटना है।”

ला युकल्लिफुल्लाहु नफ्सन् इल्ला वुस्अहा , लहा मा क – सबत् व अलैहा मक्त – सबत ,रब्बना ला तुआखिज्ना इन् – नसीना औ अख़्तअना , रब्बना व ला तहमिल् अलैना इस्रन् कमा हमल्तहू अलल्लजी – न मिन् कब्लिना , रब्बना व ला तुहम्मिलना मा ला ताक – त लना बिही वअ्फु अन्ना , वग्फिर लना , वरहम्ना , अन् – त मौलाना फ़न्सुरना अलल् कौमिल काफ़िरीन (286)*
अल्लाह किसी जीव पर बस उसकी सामर्थ्य और समाई के अनुसार ही दायित्व का भार डालता है। उसका है जो उसने कमाया और उसी पर उसका वबाल (आपदा) भी है जो उसने किया। “हमारे रब! यदि हम भूलें या चूक जाएँ तो हमें न पकड़ना। हमारे रब! और हम पर ऐसा बोझ न डाल जैसा तूने हमसे पहले के लोगों पर डाला था। हमारे रब! और हमसे वह बोझ न उठवा, जिसकी हममें शक्ति नहीं। और हमें क्षमा कर और हमें ढाँक ले, और हम पर दया कर। तू ही हमारा संरक्षक है, अतएव इनकार करनेवालों के मुक़ाबले में हमारी सहायता कर।”

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