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Alif Laam Meem Surah in Hindi | सूरह बकराह हिंदी में रुकू 1-3

Category: Surah Bakarah (Alif Laam Meem) | सूरह बकराह, Surah in Hindi | सभी सूरह हिंदी में

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Last updated on जुलाई 25th, 2023 at 08:08 अपराह्न

Alif Laam Meem Surah in Hindi: – दोस्तों अगर आप अलिफ़ लाम मीम सूरह को हिंदी में पढ़ना चाहते हैं तो आप बिलकुल सही जगह हो।

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इस पोस्ट में हमने सूरह बकराह यानी की अलिफ़ लाम मीम सूरह के रुकू 1-3 तक को हिंदी में तर्जुमा के साथ मौजूद कराया है।

▶️ यह भी पढ़ें: – सूरह बकराह के रुकू 1-3 तक | रुकू 4-6 तक | रुकू 7-9 तक | रुकू 10-16 तक | रुकू 17-30 तक | रुकू 31-40 तक


Alif Laam Meem Surah (Surah Bakarah) in Hindi

सूरह बकराह हिंदी में तर्जुमा के साथ

Alif Laam Meem Surah In Hindi रुकू- 1

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
(अल्लाह के नाम से जो रहमान व रहीम है

अलिफ्-लाम्-मीम् (1)
अलीफ़ लाम मीम (1)

जालिकल्-किताबु ला रै-ब फ़ीहि हुदल्लिल्-मुत्तकीन (2)
यह किताब है इसमें कोई शक नहीं परहेजगारों के लिए हिदायत है। (2)

अल्लज़ी-न युअमिनू-न बिल-गैबि व युक़ीमूनस्सला-त व मिम्मा र-ज़क़्नाहुम् युन्फिकून (3)
जो ग़ैब पर ईमान लाते हैं और करते हैं नमाज़, और जो कुछ हमने उनको दिया है उसमें से ( राहे खुदा में ) ख़र्च करते हैं। (3)

वल्लज़ी-न युअ्मिनू-न बिमा उन्ज़ि-ल इलै-क वमा उन्जि-ल मिन् कब्लि-क व बिल्-आखि-रति हुम् यूकिनून (4)
और जो लोग उस पर ईमान लाते हैं जो आप पर नाज़िल किया गया, और जो आप से पहले नाज़िल किया गया और वह आख़िरत पर यक़ीन रखते हैं। (4)

उलाइ-क अला हुदम्-मिर्रब्बिहिम् व उलाइ-क हुमुल्-मुफ़लिहून (5)
वही लोग अपने रब की तरफ से हिदायत पर हैं और वही लोग कामयाब हैं। (5)

इन्नल्लज़ी-न क-फरू सवाउन् अलैहिम् अ-अन्जर-तहुम् अम् लम् तुन्जिरहुम ला युअमिनून (6)
बेशक जिन लोगों ने कुफ्र किया उनके लिए बराबर है ( ऐ रसूल ) आप उन्हें डरायें या न डराये, वे ईमान नहीं लाएंगे। (6)

ख-तमल्लाहु अला कुलूबिहिम् व अला सम्अिहिम् व अला अब्सारिहिम् गिशा-वतुंव-व लहुम् अज़ाबुन् अज़ीम (7)*
अल्लाह ने उनके दिलों पर और उनके कानों पर मुहर लगा दी है। और उनकी आँखों पर पर्दा है और उनके लिए बड़ा अज़ाब है। (7)

यह भी पढ़ें – सूरह यासीन हिंदी में तर्जुमा के साथ

Alif Laam Meem Surah In Hindi रुकू- 2

व मिनन्नासि मंय्यकूलु आमन्ना बिल्लाहि व बिल्यौमिल्-आखिरि व मा हुम् बिमुअमिनीन •(8)
और कुह लोग हैं जो कहते हैं, हम ईमान लाये अल्लाह पर और आखिरत के दिन पर और वह ईमान बाले नहीं। (8)

युख़ादिअूनल्ला-ह वल्लज़ी-न आमनू , व मा यख्दअू-न इल्ला अन्फुसहुम् व मा यश्अुरून (9)
खुदा को और उन लोगों को जो ईमान लाए धोखा देते हैं हालाँकि वह अपने आपको धोखा देते हैं और वे नहीं समझते हैं। (9)

फ़ी कुलू बिहिम् म-र-जुन् फ़ज़ा-दहुमुल्लाहु म-र-जन् व लहुम् अज़ाबुन् अलीमुम् बिमा कानू यक्ज़िबून (10)
उनके दिलों में बीमारी है, सो अल्लाह ने उनकी बीमारी बढ़ा दी, और उनके लिए दर्दनाक अजाब है, क्यूंकि वो झूठ बोलते हैं। (10)

व इज़ा की-ल लहुम् ला तुफ्सिदू फिलअर्ज़ि कालू इन्नमा नहनु मुस्लिहून (11)
और जब उनसे कहा जाता है कि जमीन पर फसाद ना फैलाओ, ( तो ) कहते हैं कि हम तो सिर्फ इसलाह करने वाले हैं। (11)

अला इन्नहुम् हुमुल-मुफ्सिदू-न व ला किल्ला यश्अुरून (12)
सुन रखो, बेशक वही लोग फसाद करने वाले हैं लेकिन समझते नहीं। (12)

व इज़ा की-ल लहुम् आमिनू कमा आ-मनन्नासु कालू अनुअ्मिनु कमा आ-मनस् सुफ़-हा-उ , अला इन्नहुम् हुमुस्-सुफ़-हा-उ वला किल्ला यअलमून (13)
और जब उनसे कहा जाता है कि जिस तरह और लोग ईमान लाए हैं तुम भी ईमान लाओ। तो कहते हैं क्या हम भी उसी तरह ईमान लाए जिस तरह और बेवकूफ़ लोग ईमान लाए? सुन लो वे लोग खुद ही बेवकूफ हैं लेकिन नहीं जानते। (13)

व इज़ा लकुल्लज़ी-न आमनू कालू आमन्ना व इज़ा खलौ इला शयातीनिहिम् कालू इन्ना म-अकुम् इन्नमा नहनु मुस्तहज़िऊन (14)
और जब उन लोगों से मिलते हैं जो ईमान लाए तो कहते हैं हम तो ईमान ला चुके और जब अपने शैतानों के साथ अकेले होते हैं तो कहते हैं हम तुम्हारे साथ हैं हम तो महज़ मज़ाक करते हैं। (14)

अल्लाहु यस्तहज़िउ बिहिम् व यमुद्दुहुम फ़ी तुगयानिहिम् यअमहून (15)
अल्लाह उनसे मज़ाक करता है उनको उनकी सरकशी में बढ़ाता है, वे अंधे हो रखे हैं। (15)

उलाइ-कल्लज़ी-नश्त-र वुज़ ज़ला-ल-त बिल्हुदा फ़मा रबिहत्-तिजारतुहुम् व मा कानू मुह्तदीन (16)
यही वह लोग हैं जिन्होंने हिदायत के बदले गुमराही मोल ली , तो उनकी तिजारत ने कोई फायदा न दिया और न वह हिदायत पाने वाले थे। (16)

म-स-लुहुम् क-म-सलिल्-लज़िस्तौ-कद नारन् फ़-लम्मा अज़ा-अत् मा हौ-लहू ज़-हबल्लाहु बिनूरिहिम् व त-र-कहुम् फ़ी जुलुमातिल्ला युब्सिरून (17)
उन लोगों की मिसाल ( तो ) उस शख्स जैसी है जिसने आग भड़काई, फिर आग ने उसका इर्द गिर्द रौशन कर दिया, तो अल्लाह ने उनकी रौशनी ले छीन ली और उनको अंधेरे में छोड़ दिया,वे देखते नहीं। (17)

सुम्मुम्-बुक्मुन अुम्युन् फहुम् ला यर्जिअून (18)
वह बहरे, गूंगे और अंधे हैं, सो वे नहीं लौटेंगे। (18)

औ क-सय्यिबिम-मिनस्समा-इ फ़ीहि जुलुमातुंव व-रअदुंव व-बरकुन , यज्अलू-न असाबि-अहुम् फ़ी आज़ानिहिम् मिनस्सवाअिकि ह-जरल्मौति वल्लाहु मुहीतुम्-बिल्काफिरीन (19)
या उनकी मिसाल ऐसी है जैसे आसमानी बारिश जिसमें तारिकियाँ ग़र्ज़ बिजली हो मौत के खौफ से कड़क के मारे अपने कानों में ऊँगलियाँ दे लेते हैं हालाँकि खुदा काफ़िरों को ( इस तरह ) घेरे हुए है। ( कि उसक हिल नहीं सकते ) (19)

यकादुल-बरकु यख्तफु अब्सा-रहुम् , कुल्लमा अज़ा-अ लहुम् मशौ फीहि व इज़ा अज्ल-म अलैहिम् कामू वलौ शा-अल्लाहु ल-ज़-ह-ब बिसम्अिहिम् व अब्सारिहिम , इन्नल्ला-ह अला कुल्लि शैइन कदीर (20)*
क़रीब है कि बिजली उनकी आँखों को चौन्धिया दे, जब उनके आगे बिजली चमकी तो उस रौशनी में चल खड़े हुए और जब उन पर अंधेरा छा गया तो ( ठिठक के ) खड़े हो गए और अल्लाह चाहता तो उनकी शुनवाई और उनकी ऑंखें छीन लेता, बेशक अल्लाह हर चीज़ पर क़ादिर है। (20)

यह भी पढ़ें – सूरह मुज़म्मिल हिंदी में तर्जुमा के साथ

Alif Laam Meem Surah In Hindi रुकू- 3

या अय्युहन्नासुअ् बुदू रब्बकुमुल्लजी ख-ल-ककुम् वल्लज़ी-न मिन् कब्लिकुम लअल्लकुम् तत्तकून (21)
ए लोगों! तुम अपने रब की इबादत करो जिसने पैदा किया तुमको और उन लोगों को जो तुम से पहले आये ताकि तुम परहेज़गार बन जाओ (21)

अल्लजी ज-अ-ल लकुमुल् अर्-ज़ फिराशंव-वस्समा-अ बिनाअंव व-अन्ज-ल मिनस्समा-इ माअन् फ़-अख्-र-ज बिही मिनस्स-मराति रिज्कल लकुम् फला तज्अलू लिल्लाहि अन्दादंव व-अन्तुम् तअलमून (22)
जिसने तुम्हारे लिए ज़मीन को फर्श बनाया और आसमान को छत, और आसमान से पानी उतारा फिर उसके जरिये तुम्हारे खाने के लिए बाज़ फल पैदा किए सो अल्लाह के लिए कोई शरीक न ठराओ हालाँकि तुम खूब जानते हो (22)

व इन कुन्तुम् फी रैबिम्-मिम्मा नज्जलना अ़ला अब्दिना फ़अ्तू बिसू-रतिम् मिम् मिस्लिही वद्अु शु-हदाअकुम् मिन् दूनिल्लाहि इन कुन्तुम् सादिक़ीन (23)
और अगर इस कलाम में शक हो, जो हमने अपने बन्दे (मोहम्मद) पर नाज़िल किया है। तो अगर तुम सच्चे हो तो तुम (भी) इस जैसी एक सूरत ले आओ और अल्लाह के सिवा जो भी तुम्हारे मददगार हों उनको भी बुला लो (23)

फ़-इल्लम तफ्अलू व लन् तफ्अलू फत्तकुन्नारल्लती व कूदुहन्नासु वलहिजा-रतु उअिद्दत् लिल्काफ़िरीन (24)
पस अगर तुम ये नहीं कर सको और हरगिज़ कर भी नहीं सकोगे, तो उस आग से डरो जिसका ईधन आदमी और पत्थर होंगे और जो काफ़िरों के लिए तैयार की गई है (24)

व बश्शिरिल्लज़ी-न आमनू व अमिलुस्सालिहाति अन्-न लहुम् जन्नातिन तज्-री मिन् तहतिहल्-अन्हारू , कुल्लमा रूज़िकू मिन्हा मिन् स-म-रतिर्-रिज्कन् कालू हाज़ल्लजी रूज़िक्ना मिन् कब्लू व उतू बिहि मु-तशाबिहन् , व लहुम् फ़ीहा अज्वाजुम् मु-तह्ह-रतुवं व हुम् फ़ीहा खालिदून (25)
और उन लोगों को खुशख़बरी दो जो ईमान लाये और उन्होंने नेक अमल किये। उनके लिए बाग़ात हैं जिनके नीचे नहरे बहती हैं जब उन्हें इन बाग़ात का कोई फल खाने को दिया जायेगा, तो कहेंगे ये तो वही फल है जो पहले भी हमें खाने को मिल चुका है। हांलांकि उन्हें उन्हें उससे मिलता-जुलता दिया गया और उसमें उनके लिए पाकीजा बीवियाँ हैं और ये लोग उस बाग़ में हमेशा रहेंगे (25)

इन्नल्ला-ह ला यस्तहयी अंय्यजरि-ब म-स-लम्मा बअू-जतन् फ़मा फौ-कहा , फ-अम्मल्ल जी-न आमनू फ़-यअ लमू-न अन्नहुलहक्कु मिर्रब्बिहिम , वअम्मल्लज़ी-न क-फ़रू फ़ यकूलू-न माज़ा अरादल्लाहु बिहाज़ा म-सलन् • युज़िल्लु बिही कसीरंव् व यहदी बिही कसीरन् , व मा युज़िल्लु बिही इल्लल्-फ़ासिक़ीन ( 26 )
बेशक खुदा मच्छर या उससे भी बढकर ( हक़ीर चीज़ ) की कोई मिसाल बयान करने में नहीं शर्माता। सो जो लोग ईमान लाये वो तो जानते हैं कि वह उनके रब की तरफ से हक है। और जिन लोगों ने कुफ्र किया वे कहते हैं अल्लाह ने इस मिसाल से क्या इरादा किया, वह इससे से बहुत लोगों को गुमराह करता है, और इससे बहुत लोगों को हिदायत देता है, और उससे नाफर्मानों के सिवा किसी को गुमराह नहीं करता(26)

अल्लज़ी-न यन्कुजु-न अहदल्लाहि मिम्-बअ्दि मीसाकिही व यक्तअू-न मा अ-मरल्लाहु बिही अंय्यू-स-ल व युफ्सिदू-न फ़िल्अर्ज़ि उलाइ-क हुमुल्-ख़ासिरून (27)
जो लोग खुदा के एहदो पैमान को मज़बूत हो जाने के बाद तोड़ डालते हैं और जिन ( ताल्लुक़ात ) का खुदा ने हुक्म दिया है उनको क़ताआ कर देते हैं और मुल्क में फसाद करते फिरते हैं , यही लोग घाटा उठाने वाले हैं (27)

कै-फ़ तक्फुरू-न बिल्लाहि व कुन्तुम् अम्वातन् फ़-अह्याकुम् सुम्-म युमीतुकुम् सुम्-म युहूयीकुम् सुम्-म इलैहि तुर्जअून (28)
तुम किस तरह अल्लाह का कुफ्र करते हो हालाँकि तुम बेजान थे तो उसी ने तुमको ज़िन्दा किया फिर वही तुमको मार डालेगा, फिर वही तुमको ( दोबारा क़यामत में ) ज़िन्दा करेगा फिर उसी की तरफ लौटाए जाओगे (28)

हुवल्लजी ख-ल-क लकुम् मा फ़िलअर्जि जमीअन् , सुम्मस्तवा इलस्समा-इ फ़-सव्वाहुन्-न सब्-अ समावातिन् , व-हु-व बिकुल्लि शैइन् अलीम (29)*
वही है जिसने तुम्हारे लिए ज़मीन की सारी चीज़ों को पैदा किया फिर आसमान की तरफ़ कसद किया तो सात आसमान हमवार (व मुसतहकम) बना दिए और वह हर चीज़ से वाक़िफ है (29)

तो जैसा कि इस पोस्ट में हमने सूरह बकराह यानि के Alif Laam Meem Surah के 1 से 3 तक के रुकू को हिंदी में तर्जुमा के साथ पढ़ा।

आगे के रुकू को पढ़ने के लिए हमारी दूसरी पोस्ट को पढ़ें: सूरह बक़राह रुकू 4-6

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